[फ़ोटो] पश्चिम बंगाल में गंगा नदी की हर साल बढ़ती कटाई से बेहाल हैं लोग

धनघरा के तोराब अली का घर तीन पीढ़ी पुराना था। टूटे घर से नदी की तरफ देखता तोराब अली का पोता। इस गांव के स्कूल की इमारत भी नदी की वजह से टूट गई। तस्वीर- तन्मय भादुड़ी।

धुसरीपारा के स्थानीय निवासी प्रभात सरकार गंगा के इस रौद्र रूप से काफी चकित हुए। वह कहते हैं, हमें समझ नहीं आ रहा कि गंगा ने ऐसा रूप क्यों दिखाया। फरक्का बैराज की वजह से हम कई वर्षों से तकलीफ में थे। इसबार पता चला कि बैराज का एक बड़ा हिस्सा खोला गया था। पानी का बहाव बाईं तरफ बढ़ने की वजह से गांव के एक बड़ा हिस्सा नदी में समा गया, वह कहते हैं। 

कुछ दिन पहले धुलियान शवगृह के पास एक बड़ी दीवार भी बनाई गई थी ताकि उसे बहने से रोका जा सके। इसकी वजह से गंगा का प्राकृतिक बहाव प्रभावित हुआ और नए सिरे से कटाव की शुरुआत हुई, उन्होंने कहा।

मुर्शिदाबाद अंग्रेजों के आने से पहले बंगाल की राजधानी हुआ करती थी। इस शहर को भागीरथी नदी दो समान भाग से बांटती हुई बहती थी। फरक्का बैराज के बनने के पीछे की वजह गंगा नदी से पानी की पर्याप्त मात्रा भागीरथी-हुगली नदी में प्रवाहित करना था। एक 38.38 किलोमीटर लंबे नहर के माध्यम से कोलकाता पोर्ट पर भी पानी की आपूर्ति होती है। इस बैराज का मकसद कलकत्ता में मीठे पानी की आपूर्ति करना भी है।

धनघरा गांव में नदी में कई घर समा गए। इसमें 395 पक्का मकान भी शामिल हैं। तस्वीर- तन्मय भादुरी
धनघरा गांव में नदी में कई घर समा गए। इसमें 395 पक्का मकान भी शामिल हैं। तस्वीर- तन्मय भादुड़ी
राकिमा बीबी घर उजड़ने के बाद एक अस्थायी स्थान पर बीड़ी बनाने का काम कर रही हैं। इस इलाके में बीड़ी का कारोबार होता है। तस्वीर- तन्मय भादुरी
राकिमा बीबी घर उजड़ने के बाद एक अस्थायी स्थान पर बीड़ी बनाने का काम कर रही हैं। इस इलाके में बीड़ी का कारोबार होता है। तस्वीर- तन्मय भादुड़ी
संपा मंडल के ससुराल और मायका दोनों जगह का घर नदी के कटाव में बर्बाद हो गया। तस्वीर- तन्मय भादुरी
संपा मंडल के ससुराल और मायका दोनों जगह का घर नदी के कटाव में बर्बाद हो गया। तस्वीर- तन्मय भादुड़ी

स्कूल ऑफ ओशनोग्राफिक स्टडीज, जाधवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता के पूर्व निदेशक प्रोफेसर सुजाता हाजरा के मुताबिक मुर्शिदाबाद का नदी कटाव वाला इलाका बैराज के डाउनस्ट्रीम में आता है। बीते कुछ समय में बैराज की पानी संग्रहण क्षमता में कमी देखी गई है। तेज बारिश की वजह से बैराज से पानी छोड़ना पड़ा, जिससे कटाई की समस्या हुई, उन्होंने कहा।

आलिया विश्वविद्यालय, कोलकाता के भू-आकृति विज्ञानी और भूगोल विभाग के प्रमुख अजनारुल इस्लाम कहते हैं कि फरक्का बैराज के निर्माण के बाद कटाव के मामले दिखे हैं। 

मालदा और मुर्शिदाबाद जिले में गंगा के किनारे कटाव की समस्या देखी जा रही है, वह कहते हैं।

स्थानीय प्रशासन बांस और रेत की मदद से कटाव रोकने की कोशिश करता है। पर स्थानीय लोग इस उपाय को कारगर नहीं मानते हैं। हाजरा कहते हैं कि नदी को तीन से पांच किलोमीटर का इलाका हमेशा चाहिए होता है। वह अपना रास्ता बदलती रहती है। लोगों को समझना होगा कि नदी कभी गांव से भी बहना शुरू कर सकती है। 

पानी की वजह से घर की नींव खराब होने के बाद लोगों ने बचे हुए घर का सामान औने-पौने दामों में बेच दिया। प्रभात सरकार ने भी घर की ईंट, खिड़कियां और दरवाजे बेच दिए। तस्वीर- तन्मय भादुरी
पानी की वजह से घर की नींव खराब होने के बाद लोगों ने बचे हुए घर का सामान औने-पौने दामों में बेच दिया। प्रभात सरकार ने भी घर की ईंट, खिड़कियां और दरवाजे बेच दिए। तस्वीर- तन्मय भादुड़ी

इस इलाके की मिट्टी रेतीली है और संभव है कि भीतर ही भीतर नदी उसे खोखला कर दे और एकाएक बड़ा इलाका इसकी चपेट में आ जाए। ऐसे में बांस और रेत के बोरे इसे रोक नहीं सकते, हाजरा कहते हैं। 

 इन सभी लोगों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए इस इलाके में एक बड़ी योजना बनाकर लोगों को बताना होगा। 

सिंचाई विभाग अकेले इस समस्या से निपटने में सक्षम नहीं है। हमें एक नीति के तहत खतरे वाले इलाके को चिन्हिंत कर वहां के लोगों को सचेत करना होगा, ताकि नुकसान कम से कम हो,उन्होंने बताया। 

 

बैनर तस्वीरः कई वर्षों बाद गंगा ने इस इलाके में अपना रौद्र रूप दिखाया और दर्जनों घरों को अपने साथ बहा ले गई। तस्वीर- तन्मय भादुड़ी

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