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चुनौतियों के बीच इलेक्ट्रिक वाहनों के विस्तार की कोशिश में ओडिशा

  • ओडिशा सरकार ने सितम्बर के महीने में अपने नए इलेक्ट्रिक वाहन नीति की घोषणा की जिसमें उपभोक्ता एवं इससे जुड़े उद्योगों को कई रियायतें देने की बात कही गयी है।
  • सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2025 तक राज्य के कुल वाहन पंजीकरण का 20 प्रतिशत भाग इलेक्ट्रिक वाहनों का होगा। हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में पर्याप्त ढांचे की आज भी भारी कमी है।
  • राज्य सरकार अब इस प्रयास में भी है कि राज्य की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसों की तादाद बढ़ायी जाए। ऐसे 50 इलेक्ट्रिक बसों के लिए आर्डर पहले ही दिया जा चुका है।

संतोष दास समुद्र तट पर बसे पूरी शहर में रहते हैं। 35 वर्षीय इस युवक ने हाल ही में इलेक्ट्रिक रिक्शा (ई-रिक्शा) चलाना शुरू किया है। आज से लगभग तीन महीने पहले तक इनके रोजी-रोटी कमाने का साधन एक ऑटो था। डीज़ल से चलने वाला। पूरी शहर में दास जैसे कई लोग मिल जाएंगे जिन्होंने पिछले कुछ सालों में डीज़ल और पेट्रोल से चलने वाले ऑटो को छोड़, ई-रिक्शा अपनाया है।

तीर्थ स्थल के तौर पर मशहूर पूरी शहर में ई-रिक्शा का आगमन लगभग चार साल पहले शुरू हुआ और देखते ही देखते यह शहर के आवागमन का एक प्रमुख साधन बन गया। पूरी शहर भारत में भगवान जगन्नाथ के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है और साल भर यहां बड़ी संख्या में पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है।

“पहले मैं डीजल से चलने वाले ऑटो चलाया करता था। पर अब ई-रिक्शा चलाता हूं। इसमें खर्च कम आता है। डीज़ल से चलने वाले ऑटो ज्यादा से ज्यादा 30 का एवरेज देते हैं, यानी एक लीटर में 30 किलोमीटर। आजकल एक लीटर डीजल का दाम करीब 100 रुपये हो गया है। इसके मुकाबले ई-रिक्शा एक बार पूरा चार्ज होने पर 80 किलोमीटर तक चल जाता है। बैटरी को एक बार पूरा चार्ज करने की कीमत अधिकतम 30 रुपये होती है। यही सब देखकर ऑटो चलाने वाले अब ई-रिक्शा चलाना पसंद करते हैं,” मोंगाबे-हिन्दी से बात करते हुए संतोष ने इसके आर्थिक पहलू पर प्रकाश डाला।

ई-रिक्शा के अतिरिक्त, ओडिशा में कई अन्य इलेक्ट्रिक वाहन भी आम लोगों के बीच जगह बना रहे हैं। परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से ओडिशा में 28 सितम्बर तक कुल 95,50,505 वाहनों का पंजीकरण हुआ है। इसमें 7,934 इलेक्ट्रिक वाहन है। यानी राज्य में अभी जितने वाहन हैं उसमें 0.1 प्रतिशत के करीब इलेक्ट्रिक वाहन हैं।

इन इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे अधिक संख्या दो पहिया वाहन की है। इनकी संख्या 6,189 है तो बिजली से चलने वाले तीन पहिया वाहन की संख्या 1,441 है। इसके अतिरिक्त 95 चार पहिया वाहन भी पंजीकृत हैं।

यह तो रही दास जैसे कुछ युवाओं की बात जिन्होंने समय की नब्ज पहचानी है। उधर ओडिशा सरकार ने भी आधुनिक समय से कदम-ताल करते हुए इलेक्ट्रिक वाहन को प्रोत्साहन देने की घोषणा की है। राज्य के नए लक्ष्य के अनुसार वर्ष 2025 तक कुल वाहन पंजीकरण का 20 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों का होगा।

भुवनेश्वर के एक ट्रक डिपो में कई पुराने ट्रक अपने अगली सवारी के लिए तैयार हैं। ओडिशा सरकार ने 15 साल से पुराने वाहनों पर कंजेस्शन शुल्क लगाने का प्रावधान रखा है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

राज्य के परिवहन मंत्री पद्मनाभ बेहेरा ने हाल में ही मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन की संख्या, जो लक्ष्य तय किया गया है उससे अधिक भी हो सकती है। लोगों में बढ़ती जागरूकता और राज्य के नई नीति के आधार पर परिवहन मंत्री ने यह बात कही थी।

हालांकि वर्तमान आंकड़े सरकार के दावे से मेल नहीं खाते। राज्य सरकार के परिवहन पंजीकरण के आंकड़ों के अनुसार पिछले चार सालों में राज्य में 26,22,089 वाहन पंजीकृत हुए हैं। इनमें करीब 21,40,000 के करीब दो पहिया वाहन थे। करीब 82 प्रतिशत। अगर सरकार 2025 तक राज्य की सड़कों पर 20 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन चाहती है तो इसके लिए लाखों नए वाहन का पंजीकरण करना पड़ेगा। वह भी इलेक्ट्रिक वाहन। यह अगर असंभव नहीं तो मुश्किल लक्ष्य जरूर माना जाएगा।

इलेक्ट्रिक वाहन को लेकर नई नीति और रियायतें

ओडिशा के नए इलेक्ट्रिक वाहन नीति में उपभोक्ताओं, निर्माताओं एवं बैटरी का निष्पादन करने वाली कंपनियों के लिए कई तरह की छूट, सब्सिडी तथा अन्य सुविधाओं की घोषणा की गयी है।

राज्य सरकार ने बीते 1 सितम्बर को अपने नए इलेक्ट्रिक वाहन नीति की घोषणा की और इस तरह यह देश का दसवां ऐसा राज्य बन गया जिसने अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति बनाई है और अधिसूचित किया है। इसके पहले वर्ष 2018 में नीति आयोग ने राज्यों को सुझाव दिया था कि इलेक्ट्रिक वाहनों के विस्तार के लिए वाहन नीति बनाएं।

ओडिशा सरकार की नई नीति में सड़क कर, पंजीकरण शुल्क और चार्जिंग स्टेशन के लिए छूट देने की बात की गयी है। इसके अतिरिक्त अन्य सुविधाएं भी हैं। इनपर आने वाले खर्च के बंदोबस्त के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष इलेक्ट्रिक वाहन कोष का प्रावधान रखा है। इसके कोष को प्रदूषण कर, कंजेस्शन शुल्क एवं कुछ और कर से तैयार किया जाएगा।

भुवनेश्वर एवं कटक में राज्य की बसें अक्सर अक्सर देखने को मिल जाती हैं। जल्द ही ऐसी 50 बसें बैटरी से चलेंगी। तस्वीर-मनीष कुमार/मोंगाबे

“यह नई नीति इलेक्ट्रिक वाहनों के विस्तार के मद्देनजर बनाई गयी है। हमारी सरकार इस नीति में लिखें नियमों को आने वाले कुछ महीनों में अधिसूचित करेगी। अलग अलग चरणों में। ये अधिसूचनाएं संबंधित लोगों से बातचीत कर के ही लाई जाएंगी,” राज्य के वाणिज्य एवं परिवहन प्रधान सचिव मधु सूदन पाढ़ी ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया।

उन्होंने आगे बताया कि राज्य सरकार एक नया पोर्टल भी लेकर आएगी जहां सब्सिडी के लेन-देन, विक्रय की नवीनतम जानकारी उपलब्ध होगी। ताकि पूरी पारदर्शिता बनी रहे। प्रधान सचिव ने तो यह भी दावा किया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल में पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों के मुकाबले 60-70 फीसदी कम लागत आती है।

ओडिशा के मद्देनजर देखा जाए तो इलेक्ट्रिक वाहन से संबंधित नई नीति काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अन्य राज्यों के मुकाबले ओडिशा में बहुत कम काम हुआ है। फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ़ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फ़ेम II) योजना के अंतर्गत कई राज्यों में इलेक्ट्रिक वाहनों का अच्छा विस्तार हुआ है जबकि ओडिशा में इसका विस्तार अब तक धीमा ही रहा है।

उसी तरह केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से तेल की मार्केटिंग कंपनियों के केंद्र पर में ओडिशा में महज दो ही चार्जिंग स्टेशन है। कुछेक राज्यों में तो इनकी संख्या 50 से भी ज्यादा है।

राज्य के परिवहन आयुक्त अरुण बोथरा बताते है कि साल 2022, ओडिशा के लिए अहम् होने वाला है। इस वर्ष इलेक्ट्रिक वाहनों का अच्छा विस्तार देखने को मिल सकता है।

बोथरा अपने विभाग के नए नीति से उत्साहित है। बताते है कि आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक वाहन, शहरी इलाकों में, सार्वजनिक परिवहन का अहम् हिस्सा बनने जा रहे हैं।

“50 इलेक्ट्रिक बसें अब भुवनेश्वर में अगले छः महीने के अंदर सड़कों पर दिखेंगी। इसके साथ 50 ई-रिक्शा भी शहर बसों को फ़ीडर सर्विस के तौर में उपलब्ध रहेंगे। इन ई-रिक्शा को संभालने की जिम्मेदारी किन्नर और महिलाओं की रहेगी,” बोथरा ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया।

राह में कम नहीं है चुनौती

यद्यपि ओडिशा सरकार, इलेक्ट्रिक वाहनों के विस्तार की योजना बना रही है। पर यह राह चुनौतियों से भरा हुआ है। इसकी सफलता में तमाम सरकारी विभागों में समन्वय की बड़ी भूमिका रहने वाली है।

“एक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना के लिए ज़मीन अधिग्रहण की जरूरत पड़ेगी। लोगों को मुआवजा देना होगा और साथ में ऊर्जा कंपनियों की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी पड़ेगी। इसमें बिजली विभाग, परिवहन विभाग एवं तमाम अन्य संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा। यह मिशन तभी सफल होगा जब सारे विभाग सक्रिय होंगे और मिलकर इस उद्देश्य के लिए काम करेंगे,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा।

भुवनेश्वर के बापुजीनगर के इस इलाक़े में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चिन्हित किया गया है। स्मार्ट सिटी परियोजना से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जरुरी चार्जिंग स्टेशन लगाने की भी योजना ह। तस्वीर-मनीष कुमार/मोंगाबे

इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने के लिए नवीन ऊर्जा का इस्तेमाल

ओडिशा सरकार के एक अफसर जो इस परियोजना पर काम कर रहे है उन्होंने बताया कि सरकार इसको लेकर काफी सचेत है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा से बनी बिजली ही इस्तेमाल हो। नई नीति में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है। अगर ऐसा होता है तो बैटरी से चलने वाले ये वाहन स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने में भी विशेष भूमिका निभा सकते है।

वातावरण के हिसाब से भी इलेक्ट्रिक वाहनों का आना फायदेमंद हो सकता है। ओडिशा के वन एवं पर्यावरण मंत्री विक्रम केशरी आरुख ने खुद ही माना है कि ओडिशा के छः शहर देश के 102 सबसे प्रदूषित शहरो में शामिल हैं। इनमें भुवनेश्वर, कटक, राउरकेला, बालासोर, अंगुल और तालचेर शामिल हैं।

 

बैनर तस्वीरः ओडिशा के पुरी शहर में ई-रिक्शा काफी प्रचलन में हैं। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

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