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मध्य प्रदेश: कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहनों को घरेलू बिजली से चार्ज करने पर लगा प्रतिबंध, लग सकता है जुर्माना

मेट्रो स्टेशन पर दोपहिया वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

मेट्रो स्टेशन पर दोपहिया वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

  • हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। अब व्यवसाय के उद्देश्य से लिए गए इलेक्ट्रिक वाहन को घरेलू बिजली के मीटरों से चार्ज नहीं किया जा सकेगा। इस पर पाबंदी लग गयी है। इतना ही नहीं, ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गयी है।
  • इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना हैं कि चार्जिंग स्टेशन और जानकारी के अभाव में लोग अक्सर अपने वाहन को घरों में ही चार्ज करते हैं।
  • मध्य प्रदेश सरकार ने कॉमर्शियल ई-वाहनों के लिए अलग से बिजली के मीटरों का प्रावधान किया है और उसके लिए अलग से रेट भी तय किया गया है।

मध्य प्रदेश सरकार कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहनों पर नकेल लगाने की तैयारी में दिख रही है। पिछले महीने राज्य सरकार ने घोषणा  की कि कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अलग मीटर लगाना होगा। घरेलू और कृषि में उपयोग होने वाले बिजली के मीटरों से बिजली लेकर अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने की इजाजत नहीं मिलेगी। अगर ऐसा करता हुआ कोई पाया गया तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

सरकार ने ऐसा निर्णय तब लिया है जब देश के अनेक जगहों से अवैध और अनाधिकृत तरीके से कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहन (ई-रिक्शा, ई-कॉमर्स में प्रयोग हो रहे इलेक्ट्रिक मोटर साइकिल आदि) के चार्जिंग की खबरें आ रही हैं। राज्य सरकार अब जल्द ही अपनी नई ईवी नीति भी लाने की तैयारी में है।

राज्य के ऊर्जा विभाग के हाल के दिशानिर्देश की माने तो अब मध्य प्रदेश में हर एक कॉमर्शियल ईवी उपभोक्ता को अलग से बिजली का मीटर लगाना अनिवार्य होगा। राज्य विद्युत नियामक आयोग के तय किए गए दरों से उसका भुगतान करना होगा। राज्य के ताज़ा दरों को देखे तो घरेलू बिजली के दरें 3.34 रुपये से शुरू होती हैं। अगर महीने में 30 यूनिट तक बिजली खपत होती है तो इसके लिए 3.34 रुपया प्रति यूनिट देना होता है। अगर बिजली की खपत 300 यूनिट से अधिक हो जाती है तो उपभोक्ता को 6.74 प्रति यूनिट के डर से कीमत चुकानी होती है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर ई-रिक्शा को कॉमर्शियल उद्देश्य से लगे मीटर की बदौलत चार्ज किया जाए और 6 रुपये प्रति यूनिट के दर से चार्ज किया जाये तो भी यह घरेलू कनेक्शन से सस्ता पड़ेगा। इस क्षेत्र से जुड़े लोग बताते है कि एक दिन एक ई-रिक्शा के 48 वॉल्ट बैटरी को चार्ज करने के लिए लगभग सात यूनिट बिजली की खपत होती है। वहीं 12 वॉल्ट के दो पहिया ईवी बैटरी को चार्ज करने में 1 यूनिट से 3 यूनिट तक बिजली खर्च होती है। अतः दो पहिया वाहनों के लिए तो घरेलू मीटर सस्ता पड़ सकता है लेकिन अन्य वाहन के संदर्भ में ऐसा नहीं है।

राज्य के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव संजय दूबे और मध्य प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग के सचिव गजेंद्र तिवारी से मोंगाबे-हिन्दी ने संपर्क किया तो दोनों ने सरकारी ऑर्डर या बिजली के दरों के मामलें पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।


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इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग की समस्या

इस क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना हैं कि इस क्षेत्र में जागरूकता की बहुत कमी है। संयोग तिवारी इंदौर में स्थित ‘ईवी-ऊर्जा’ नामक संस्था के संस्थापक हैं जो बैटरी स्वैपिंग की सेवा इलेक्ट्रिक वाहनों को मुहैया कराती है। उन्होंने मोंगाबे-हिन्दी को बताया कि कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अलग से मीटर होने पर घरेलू मीटरों पर भार कम पड़ेगा और शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाएं भी कम होंगी।

इंदौर शहर में दौड़ती एक बस। राज्य सरकार अब इलेक्ट्रिक बस और बैटरी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना चाहती है। तस्वीर-प्रतीक करनधिकार/विकिमीडिया कॉमन्स

“घरेलू और कॉमर्शियल मीटरों को अलग करना एक सराहनीय कदम है। ऐसा तब हो रहा है जब ईवी का विकास प्रति वर्ष 5 प्रतिशत की दर से होने की संभावना है। हालांकि बिजली के अलग कनेक्शन के मामले को लेकर ड्राईवर और ईवी से जुड़े लोगों में जागरूकता का अभाव है,” तिवारी ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया।

दूसरे विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर ईवी की अनाधिकृत और अवैध बिजली के माध्यम से चार्जिंग चलती रही तो इसका प्रभाव घरेलू बिजली उपभोक्ताओं पर भी आ सकता है। इससे होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए बिजली वितरक कंपनियां घरेलू बिजली की कीमत बढ़ा सकती हैं।

आनंद मोहपात्रा, ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित एक ऊर्जा विश्लेषक हैं और राज्य विद्युत नियामक आयोग मे काम कर चुके हैं। उन्होंने मोंगाबे-हिन्दी को बताया कि बहुत से राज्य अब कॉमर्शियल ईवी उपभोक्ताओं के लिए अलग से चार्जिंग के लिए दिशानिर्देश जारी कर रहे हैं।  इसके लिए अलग से दरें भी तय की जा रही हैं। कॉमर्शियल वाहन को चार्ज करने के लिए बिजली की दर, अलग-अलग राज्यों में, अलग है। कुछ राज्यों में यह चार रुपये प्रति यूनिट है तो कहीं  आठ रुपये प्रति यूनिट तक भी है।

“अक्सर जब बिजली की दरे तय की जाती हैं तो कई तरह के मुद्दों का आकलन किया जाता है जैसे अनाधिकृत बिजली उपयोग, बिजली चोरी से होने वाले हानि इत्यादि। इसी आधार पर बिजली की दर तय की जाती है और अक्सर उपभोक्ताओं को ही इसका अतिरिक्त भार उठाना पड़ता है।”

खुद मध्य प्रदेश में बिजली की चोरी और बिजली के वितरण में होने वाली हानि लगभग 5000 करोड़ प्रति वर्ष  आंकी  गई है। बिजली कंपनियों का वित्तीय स्वास्थ्य ऐसी चीजों से भी प्रभावित होता रहा है।

ऐसी ही कहानी देश के दूसरे हिस्सों की भी है। नई दिल्ली में प्रति वर्ष बिजली कंपनियां 150 करोड़ रुपये का नुकसान ई-रिक्शा के गैर कानूनी रूप से चार्जिंग के कारण उठाती  है।

हालांकि देश में निजी ईवी करने के लिए कानून उतने सख्त नहीं है। निजी ईवी उपभोक्ताओं को केंद्र के दिशानिर्देश हों या मध्य प्रदेश की नीतियां, घर के निजी मीटर से चार्ज करने की इजाजत देती हैं। हालांकि मध्य प्रदेश में ईवी की  बिक्री करने वाले व्यापारियों का कहना है कि ईवी के क्षेत्र में चार्जिंग को लेकर ई-रिक्शा और अन्य वर्ग के ईवी मालिकों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अनुज जैन, ‘ई-सवारी’ नाम की एक कंपनी के संस्थापक है और प्रदेश में दो पहिया और तीन पहिया ईवी बेचने का व्यवसाय करते हैं।

जैन ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया, “अगर सरकार सभी ई-रिक्शा और कॉमर्शियल ईवी के लिए घरेलू बिजली के कनेक्शन को प्रतिबंधित करना चाहती है तो उसके लिए पहले इन्हे सार्वजनिक ईवी चार्जिंग की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। इसके साथ ई-रिक्शा चलाने वाले और अन्य लोगो में पर्याप्त जागरूकता अभियान चलाने की भी जरूरत है। क्योंकि ई-रिक्शा जैसे कम दाम के गाड़ियों को चलाने वाले ड्राईवर अक्सर बहुत पढ़े-लिखे नहीं होते हैं। जागरूकता इस लिए भी बहुत जरूरी है क्योंकि सरकार अब कानूनी कारवाई की योजना भी बना रही है।”

राज्य सरकार सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों के विस्तार की कोशिश में लगी है। भोपाल स्मार्ट शहर विकास लिमिटेड (बीएससीडीसीएल) ने भोपाल में 100 नई चार्जिंग स्टेशन शुरू करने की घोषणा की है। इंदौर नगर निगम ने दिसम्बर 2021 में शहर में 113 नए ईवी चार्जिंग स्टेशन खोलने की घोषणा की थी।


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ईवी के क्षेत्र को गति देने का प्रयास

मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में अपनी ईवी नीति लोगों के सामने रखी जिसमें सरकार ने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। जैसे 2026 तक कुल वाहन पंजीकरण का 25 प्रतिशत भाग केवल ईवी से आएगा। वहीं 2028 तक सभी सार्वजनिक परिवहन के बसों को ईवी में तब्दील करने का भी लक्ष्य भी है।

हैदराबाद में एक इलेक्ट्रिक बस स्टैंड। आंकड़े बताते है की तेलंगाना राज्य मे देश मे ईवी के लिए सबसे ज्यादा चार्जिंग पॉइंट्स है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
मध्य प्रदेश सरकार अब सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए बहुत से इलेक्ट्रिक बस भोपाल और इंदौर जैसे शहरों मे लाने की तैयारी में हैं। तस्वीर-मनीष कुमार/मोंगाबे

दीपक कृष्णन, डबल्यूआरआई इंडिया में एसोशिएट निदेशक (ऊर्जा) है। उन्होंने मोंगाबे-हिन्दी को बताया कि मध्य प्रदेश सरकार का निर्णय केंद्र के ऊर्जा मंत्रालय के जनवरी 2022 के दिशानिर्देशों की तर्ज पर है जहां पर कॉमर्शियल ईवी के लिए अलग से बिजली कनेक्शन की वकालत की गई थी।

“ईवी चार्जिंग के लिए अलग मीटर का प्रावधान प्रदेश के राजस्व के लिए जरूरी है। इसके अलावा अब सकारात्मक ईवी नीति में सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन को स्वच्छ ऊर्जा से चलाने का भी प्रावधान किया जा रहा है ताकि ग्रिड के बिजली पर निर्भरता कम हो पाये। अतः अगर ऐसे सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की संख्या बढ़ाई जाये तो ईवी क्षेत्र का भविष्य अच्छा हो सकता है,” कृष्णन ने बताया।

बैनर तस्वीर– मध्य प्रदेश के कई बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन के लिए चार्जिंग स्टेशन लगाए जा रहे हैं। फोटो- मनीष कुमार/मोंगाबे

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