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नेपाल: क्या बाघों की बढ़ती संख्या विलुप्त होते घड़ियालों के संरक्षण के लिए एक चुनौती है?

हैचलिंग की रखवाली करता एक नर घड़ियाल। तस्वीर:घड़ियाल पारिस्थितिकी परियोजना / एमसीबीटी।

हैचलिंग की रखवाली करता एक नर घड़ियाल। तस्वीर:घड़ियाल पारिस्थितिकी परियोजना / एमसीबीटी।

  • हाल ही में नेपाल के चितवन राष्ट्रीय उद्यान के कसारा घड़ियाल प्रजनन केंद्र में एक बाघ घुस गया और तीन घड़ियालों को मार डाला।
  • जानकारों का मानना है कि नेपाल में जैसे-जैसे बाघों की आबादी बढ़ेगी, वे शिकार के लिए घड़ियालों की ओर रुख कर सकते हैं।
  • हालांकि, एक तबके का कहना है कि इसकी संभावना कम है क्योंकि बाघों के भोजन के लिए आस-पास और भी जानवर मौजूद हैं।

जुलाई 31 की सुबह नेपाल के चितवन नेशनल पार्क स्थित कसारा घड़ियाल प्रजनन केंद्र के बाड़े में एक बाघ (वैज्ञानिक नाम-पैंथेरा टाइग्रिस) घुस गया। इसने कुछ देर तक घड़ियालों के व्यवहार को देखा। फिर उन पर हमला करके तीन घड़ियालों को मार डाला।

घड़ियाल, जिसका वैज्ञानिक नाम गैवियलिस गैंगेटिकस है अपने लंबे पतले थूथनों के लिए जाना जाता है, एक गम्भीर रूप से लुप्तप्राय प्राणी है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट में इसे गम्भीर रूप से लुप्तप्राय प्राणियों की श्रेणी में रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि नेपाल में प्रजनन करने लायक दो सौ से भी कम वयस्क घड़ियाल बचे हैं। 

वहीं बाघ को लुप्तप्राय प्राणियों की श्रेणी में रखा गया है। 

इस घटना को नेपाल की मीडिया में व्यापक कवरेज मिला क्योंकि सरकार और सरकार से वन्यजीव संरक्षण में जुडी अन्य संस्थाओं ने लगातार कम होती इन दोनों प्रजातियों के संरक्षण के लिए बहुत सारे संसाधन खर्च किये हैं। इस घटना को एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति पर एक लुप्तप्राय प्रजाति के हमले के तौर पर भी देखा जा रहा है।

नेपाल के चितवन राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कसारा घड़ियाल प्रजनन केंद्र में घड़ियाल धूप सेंकते हुए। तस्वीर : एनटीएनसी के सौजन्य से।
नेपाल के चितवन राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कसारा घड़ियाल प्रजनन केंद्र में घड़ियाल धूप सेंकते हुए। तस्वीर : एनटीएनसी के सौजन्य से।

सन 1978 से नेपाल घड़ियाल की जंगल में आबादी को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहा है। इसके तहत सुरक्षित दायरे में घड़ियाल हैचलिंग (अंडे से बच्चे का निकलना) बढ़ाने के लिए एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। चितवन और बर्दिया राष्ट्रीय उद्यानों में प्रजनन केंद्रों के अधिकारी नदी के किनारे से अंडे इकठ्ठा करते हैं और अंडे सेने के लिए एक उपयुक्त वातावरण तैयार करते हैं। युवा घड़ियाल को लगभग पांच साल की उम्र तक पालने के बाद उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाता है। हाल के एक अध्ययन में यह भी पाया गया है कि दुनिया में जीवित मगरमच्छों के बीच पारिस्थितिक कार्यों और विकासवादी विशेषताओं के मामले में घड़ियाल सबसे अलग हैं।

बाघों के मामले में नेपाल बाघों की रेंज वाले 13 देशों में से एक है। रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में 12 साल पहले हुए पहले टाइगर शिखर सम्मेलन में साल 2022 तक वैश्विक स्तर पर  बाघों की आबादी दोगुना करने का लक्ष्य तय हुआ था। नेपाल इसे हासिल करने वाला एकमात्र देश है। देश में 2010 में 121 बंगाल टाइगर (वैज्ञानिक नाम – पैंथेरा टाइग्रिस) थे लेकिन अब यह आबादी बढ़कर 355 हो गई है।

नेपाल में एक बाघ। तस्वीर:courtesy of DNPWC/NTNC/Panthera/WWF/ZSL.
नेपाल में एक बाघ का शावक। तस्वीर: DNPWC/NTNC/Panthera/WWF/ZSL.

जैसे-जैसे बाघों की संख्या बढ़ती है, मजबूत और युवा बाघ मुख्य आवासों पर कब्जा कर लेते हैं और कमजोर और बूढ़े बाघों को किनारे कर देते हैं, जहां पर्याप्त भोजन नहीं होता है। ये बाघ इंसानों पर भी हमला करने के लिए जाने जाते हैं।

जुलाई की घटना के बाद चिंता जताई रही हैं कि बाघ ऐसे घड़ियाल का शिकार कर सकते हैं जो सर्दियों के दिनों में धूप सेंकते हैं। एक और सवाल उठता है कि नेपाल में घड़ियाल की आबादी कुछ सौ तक सीमित है। क्या यह शिकार इतने प्रयास और निवेश के साथ बधाई गयी उनकी आबादी के लिए एक बड़ा झटका होगा?

हालांकि, संरक्षणवादियों का कहना है कि बाघ घड़ियाल के लिए बड़ा खतरा नहीं हैं। खड़का कहते हैं, “एक बाघ का बाड़े में प्रवेश करना और घड़ियाल का शिकार करना एक असामान्य घटना है। लेकिन बाघों के लिए जंगलों में घड़ियाल का शिकार करना सामान्य बात है। हां, हम जो घड़ियाल जंगल में छोड़ते हैं, वे स्वाभाविक रूप से बाघों का सामना करने के लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे द्वारा छोड़े गए सभी घड़ियालों को बाघ खा जाएंगे।”

दो दशकों से अधिक समय तक प्रजनन केंद्र में काम करने के बाद हाल ही में सेवानिवृत्त हुए बेद खड़का  ने कहा, “बाघ अंदर घुस गया, क्योंकि केंद्र की बाड़ और बैरिकेड्स का रखरखाव अच्छी तरह से नहीं किया गया था। यह बाघ की गलती नहीं है। अगर हम अपने दरवाजे खुले छोड़ देते हैं, तो हमारा घर अपने आप चोरों के हवाले हो जाएगा।”

आईयूसीएन क्रोकोडाइल स्पेशलिस्ट ग्रुप के सदस्य, संरक्षणवादी आशीष बश्याल ने कहा कि घड़ियाल बाघों का पसंदीदा शिकार नहीं हैं, क्योंकि अन्य शिकार होने वाली प्रजातियां, ख़ास तौर से हिरण, उनके रेंज में प्रचुर मात्रा में हैं। उन्होंने ब्राजील के अमेज़ॅन में एक अध्ययन का हवाला दिया जहां जगुआर (वैज्ञानिक नाम – पैंथेरा ओंका) मौसमी बाढ़ के कारण अपने प्राथमिक शिकार स्तनधारी प्रजातियों की अनुपस्थिति में काइमैन (कैमन क्रोकोडिलस और मेलानोसुचस नाइजर) का शिकार करते हैं। अध्ययन में पाया गया कि जगुआर न केवल मगरमच्छों, बल्कि दोनों प्रजातियों के अंडों का भी शिकार करते थे। उन्होंने कहा, “लेकिन नेपाल के मामले में हमने देखा है कि बाघों के पास खाने के लिए प्रचुर मात्रा में प्राथमिक शिकार उपलब्ध है।”


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सरकार द्वारा कमीशन की गई नेपाल में बाघों और उनके शिकार की स्थिति 2022 की रिपोर्ट में भी बाघों के लिए शिकार की अधिकता की बात कही गई है। इस रिपोर्ट में बाघों के लिए संरक्षित क्षेत्रों में शिकार घनत्व में वृद्धि के अनुमान की सूचना दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में बाघों के दो प्रमुख आवास चितवन और बर्दिया में शिकार का घनत्व क्रमशः 71 वर्ग किलोमीटर (27 वर्ग मील) से बढ़कर 100 वर्ग किमी (38.6 वर्ग मील) और 78 वर्ग किमी (38 वर्ग मील) से 90 वर्ग किमी ( 34.7 वर्ग मील) हो गया है। 

रिपोर्ट में यह ध्यान दिया गया कि दोनों इलाकों में बाघों की पसंदीदा बड़ी प्रजातियों – जैसे सांभर या जंगली भैंस – की आबादी कम थी। हालांकि, बाघ छोटे जानवरों जैसे चित्तीदार हिरण और जंगली सूअर का भी शिकार करते हैं, जो सभी संरक्षित क्षेत्रों में आम है।

घड़ियाल बड़ी मछलियों का शिकार करते हैं, अन्यथा उनकी पसंदीदा प्रजातियों को उन्हें खिलाया जाता है। तस्वीर: फोबे ग्रिफिथ / जेडएसएल।
घड़ियाल बड़ी मछलियों का शिकार करते हैं, अन्यथा उनकी पसंदीदा प्रजातियों को उन्हें खिलाया जाता है। तस्वीर: फोबे ग्रिफिथ / जेडएसएल।

बाघों के विशेषज्ञ और संरक्षणवादी बाबू राम लामिछाने ने कहा, “इसकी बहुत कम संभावना है कि बाघ घड़ियालों का शिकार करने लगेंगे। क्योंकि उनके पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं।” उन्होंने आगे कहा, “बाघों को उनके आहार के मामले में तेंदुआ और जगुआर की तुलना में अधिक विशेषज्ञ प्रजाति माना जाता है, क्योंकि उनका आहार अधिक सीमित होता है।”

उन्होंने आगे बताया, “इसके अलावा, बाघों द्वारा उत्पन्न खतरा अन्य खतरों की तुलना में बहुत कम स्तर पर है, जैसे कि प्रजातियों के निवास स्थान का विनाश और नदी प्रणालियों में गड़बड़ी।”

उन्होंने कहा कि हालांकि खतरे को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। लामिछाने ने कहा, “हमने एक हजार से अधिक घड़ियालों को जंगल में छोड़ा है, लेकिन केवल कुछ सौ ही बचे हैं। क्या बाघ बड़े पैमाने पर इनका शिकार कर रहे हैं? इसकी अधिक संभावना नहीं है, लेकिन निश्चित उत्तर पाने के लिए हमें और अध्ययन की आवश्यकता होगी।”

चितवन में घड़ियाल को मारने वाले बाघ को बाद में पकड़ लिया गया लेकिन जैसे-जैसे नेपाल में बाघों की आबादी बढ़ती जा रही है, यह स्पष्ट नहीं है कि ये अन्य प्रजातियों को किस तरह प्रभावित करेंगे, ख़ास तौर से जो विलुप्त होने की कगार पर प्रजातिया हैं उन पर क्या असर पड़ेगा।

 

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बैनर तस्वीर: हैचलिंग की रखवाली करता एक नर घड़ियाल। तस्वीर- घड़ियाल पारिस्थितिकी परियोजना / एमसीबीटी। 

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