- हिंदू कुश हिमालय में समृद्ध जैव-विविधता के संरक्षण और प्रबंधन के लिए फंडिंग के स्थाई तरीके और वन्यजीवों की अवैध तस्करी के खिलाफ समय रहते पड़ोसी देश का सहयोग महत्वपूर्ण है।
- संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क पर फिर से विचार करने और उसकी उपयोगिता को सार्थक बनाने और दीर्घकालिक संरक्षण परिणामों के लिए उनके बीच संपर्क-प्रक्रिया में सुधार करने की आवश्यकता है।
- संरक्षित क्षेत्र का प्रबंधन करने के लिए फंडिंग का विस्तार करना भी बहुत जरुरी है। जो स्थानीय समुदायों और संस्थानों को उनकी प्राकृतिक संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार देता है। प्रकृति आधारित पर्यटन से संरक्षित क्षेत्र के संरक्षण और आजीविका के अवसर बेहतर सुधार सकता है।
- इस लेख में व्यक्त विचार लेखक की निजी राय है।
हिमालय के पूर्वी क्षेत्र में जैव-विविधता से समृद्ध हिंदुकुश हिमालय दुर्लभ, स्थानीय और संकटग्रस्त वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियों का आवास है। वैश्विक जैव विविधता के तीन हॉटस्पॉट, हिमालय, इंडो-बर्मा और दक्षिण-पूर्व चीन के पहाड़ों के संगम पर स्थित इस जैविक आवास में आठ पर्यावरण-क्षेत्र और नौ महत्वपूर्ण पक्षी और जैव-विविधता वाले क्षेत्र शामिल हैं।
चीन, भारत और म्यांमार में फैले इस भू-भाग को साझा पारिस्थितिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आर्थिक विशेषताओं द्वारा परिभाषित किया गया है जो देश की सीमाओं से परे हैं। इसमें सात परस्पर संरक्षित क्षेत्र हैं, जो कई दुर्लभ, लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए आवासीय गलियारे के रूप में कार्य करते हैं, इनमें प्रमुख प्रजातियां जैसे कि बाघ (पैंथेरा टाइग्रिस) आदि शामिल हैं। हालाँकि तीनों देशों के बीच लंबे समय से सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, फिर भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध शिकार, आवास अतिक्रमण और वन्यजीवों का अवैध व्यापार बड़े पैमाने पर जारी हैं। राष्ट्रीय स्तर पर सीमा-पार के सहयोग की तत्काल आवश्यकता है। भारत और म्यांमार के बीच लकड़ी की तस्करी के खिलाफ और बाघों व अन्य वन्यजीवों के संरक्षण करने के उद्देश्य से हाल ही में द्विपक्षीय सहयोग संबंधी समझौते हुए हैं।
जीवों के आवास और जैव-विविधता के नुकसान के पैमाने को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि हम समृद्ध जैव विविधता वाले भू-भाग के संरक्षण और प्रबंधन के वित्तपोषण (फंडिंग) के लिए नए और स्थायी तरीके खोजें।
संरक्षित क्षेत्र और गलियारे
संरक्षित क्षेत्रों का निर्माण और रखरखाव, क्षेत्र में आवास और जैव-विविधता के नुकसान को रोकने का सबसे सहज समाधान है और जलवायु परिवर्तन के लिए कार्बन को अलग करना सबसे सरल समाधानों में से एक हो सकता है। यह अनुमान लगाया गया है कि संरक्षित क्षेत्र का वैश्विक नेटवर्क कम से कम 15% स्थलीय कार्बन का भंडारण करता है। फिर भी, जलवायु परिवर्तन के मद में वैश्विक फंडिंग का केवल 2% ही प्रकृति के जलवायु समाधानों में लगाया जाता है। साल 2015 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान पेरिस समझौते में कम कार्बन वाले जलवायु अनुकूल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों को हासिल करने में संरक्षित क्षेत्रों की भूमिका पर जोर दिया गया था। ख़ास तौर से संरक्षित क्षेत्र सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान कर सकते हैं, सतत विकास लक्ष्य 14 और 15 के सबसे मजबूत जुड़ाव के साथ।
इसके अलावा, यह साबित हो रहा है कि संरक्षित क्षेत्र जैव-भौतिक और सामाजिक कल्याण के लिए विविध तरीकों से योगदान करते हैं। संरक्षित क्षेत्र जैव-विविधता का भंडार के रूप में आनंद दायक पारिस्थिकी-तंत्र का माहौल देते हैं। ये अपने आसपास रहने वाले समुदायों को भोजन, ईंधन की लकड़ी, दवाएं और पारिस्थितिकी-तंत्र से जुड़ी सेवाएं प्रदान करते हैं। प्राकृतिक आपदाओं और गहन मौसम की घटनाओं को कम करने में मदद करते हैं। हालांकि, संरक्षित क्षेत्रों के मौजूदा नेटवर्क में कई आवासों की स्थिति बढ़िया नहीं है। दीर्घकालिक संरक्षण परिणामों के लिए संरक्षित क्षेत्र के नेटवर्क को फिर से देखने उन्हें बेहतर बनाने और उनके बीच कनेक्टिविटी (संपर्क) में सुधार करने की आवश्यकता है।
सुदूर पूर्वी हिमालय में प्रकृति आधारित पर्यटन
प्रकृति-आधारित पर्यटन संरक्षण की प्राथमिकता वाले इलाके में संरक्षण के साथ उस क्षेत्र की आजीविका की बेहतरी में सहायक हो सकते हैं। जैव-विविधता के हॉटस्पॉट के रूप में, हिमालय के सुदूर पूर्वी संरक्षित क्षेत्र में पर्यटन को आर्थिक इंजन बनाने की व्यापक क्षमता है। पर्यटन यहाँ रोजगार और आजीविका के विकल्प पैदा कर सकता है। पर्यटन के माध्यम से स्थाई आजीविका को मजबूती मिल सकती है। पारिस्थितिकी और जंगली-उत्पादों और हस्तशिल्प की कीमतों में सुधार और पर्यटकों के रुकने के लिए आवास आजीविका की स्थिति को बेहतर कर सकते है। इससे आय के प्राथमिक स्रोत के रूप में वनों पर निर्भरता और गरीबी कम हो सकती हैं।
इस भू-भाग में ख़ास तौर से बर्डवॉचिंग-पर्यटन की काफी संभावना है। चीन, भारत और म्यांमार इस क्षेत्र के विकास की रणनीति के तहत बर्डवॉचिंग-पर्यटन के रूप में इस क्षेत्र की पहचान बनाने की प्राथमिकता देते हैं। सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार सतत पर्यटन के विकास के साथ इस भू-भाग में पक्षियों की व्यापक विविधता संरक्षित इलाके की परिधि में रहने वाले स्थानीय लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
गाओलिगोंगशान नेशनल नेचर रिजर्व (जीएनएनआर) के निकट स्थित चीन में बाईहुलिंग प्रशासनिक गाँव प्रकृति-आधारित पर्यटन से लाभान्वित होने वाले स्थानीय समुदाय का एक उदाहरण है। बर्डवॉचिंग गतिविधियों से जुड़े परिवारों को हर साल लगभग 3,000 डॉलर से 20,000 डॉलर तक सहयोग मिल जाता है। बाईहुलिंग गाँव ने 2016 में चीन और अन्य देशों के 40,000-50,000 बर्डवॉचर्स को आकर्षित किया। इस आर्थिक लाभ ने स्थानीय लोगों को पक्षियों की दीर्घकालिक निगरानी और संरक्षण में लगे रहने के लिए प्रेरित किया, जिससे जैव-विविधता पर निर्भर स्थानीय आजीविका के माध्यम से एक बेहतर संरक्षण रणनीति तैयार हो गई है।
संरक्षित क्षेत्र में सुशासन और लाभ-साझा करने का तंत्र प्राकृतिक वस्तुओं और सेवाओं को बनाए रखने में सहायक हैं। यदि मौजूदा गतिविधियाँ फलती-फूलती हैं, तो यह इस भू-भाग में ऐसे पारिस्थितिक-पर्यटन का एक मॉडल बन सकता है जो संरक्षण का समर्थन करता है, स्थानीय गौरव को बढ़ाता है, और स्वदेशी परंपराओं और संस्कृतियों को संरक्षित करता है।
पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को महत्व देना
यदि हम जैव-विविधता के नुकसान को रोकना चाहते हैं तो संरक्षण के लिए प्रभावी प्रबंधन और पर्याप्त वित्तीय संसाधन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। संरक्षित क्षेत्र में भारी वैश्विक रुचि के बावजूद, दुनिया के संरक्षित क्षेत्रों में से 50 से 80% क्षेत्र वित्त-पोषित हैं। इसके आर्थिक और पारिस्थितिक निहितार्थ हैं। हम विशुद्ध रूप से आर्थिक नजरिये से एक उदाहरण पर विचार करते हैं। उदाहरण के लिए, 2010 में जायंट पांडा रिजर्व, चीन के पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन 2.6-6.9 बिलियन डॉलर था, जो इसके संरक्षण की लागत का 10-27 गुना है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि रिजर्व में निवेश करने से संभावित लाभ वास्तविक निवेश से कई गुना अधिक हैं। यह नजरिया व्यक्तियों या संस्थानों को संरक्षित क्षेत्र को प्राकृतिक पूंजी में निवेश के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित करता है, इसलिए संभावित रूप से ऐसे प्राकृतिक भंडार का विस्तार हो सकता है और इसके संरक्षण में अधिक निवेश करने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन मिल सकता है।
संरक्षण का वित्तपोषण बढ़ाने के लिए संरक्षित क्षेत्र से मिलने वाली पारिस्थितिक तंत्र की वस्तुओं और सेवाओं का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है। अर्थशास्त्रियों ने यह भी पाया है कि हरित परियोजनाएं अधिक रोजगार पैदा करती हैं, इसमें प्रति डॉलर लागत का अधिकतम अल्पकालिक लाभ मिलता है। और लंबी अवधि की बचत में बढ़ोतरी होती है। संरक्षित क्षेत्र में संरक्षण का प्रबंधन के लिए फंड जुटाना और उसको बढ़ाना महत्वपूर्ण है। यह स्थानीय समुदायों और संस्थानों को उनकी प्राकृतिक संपत्ति की रक्षा के लिए एक अहम भूमिका निभाता है और उन्हें सशक्त बनाता है। सामुदायिक भागीदारी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्थानीय लाभार्थी अक्सर प्राकृतिक संसाधनों के बेहतरीन प्रबंधक होते हैं। इससे उन समुदायों को भी सहयोग मिलेगा और उन्हें बेहतर बनाए रखेगा जो ताजे पानी, भोजन और अन्य संसाधनों के लिए प्रकृति पर निर्भर हैं। उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल बनाने में सहायक होगा।
लेखक इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) में इकोसिस्टम सर्विसेज थीम की रिसर्च एसोसिएट हैं।
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बैनर तस्वीर: नमदाफा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व, मियाओ चांगलांग, अरुणाचल प्रदेश में बर्डवॉचिंग पर्यटक। सुदूर पूर्वी हिमालय में बर्डवॉचिंग-पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं, जिससे संरक्षित क्षेत्रों के आसपास रहने वाले निवासियों का जीवन बेहतर बना सकता हैं। तस्वीर- जितेंद्र राज बजराचार्य/आईसीआईएमओडी