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जोशीमठ संकटः खतरे की जद में जोशीमठ का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, परेशानी में गर्भवती महिलाएं

स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ जगह की कमी की समस्या नहीं है, बल्कि, डॉक्टरों की कमी, खून उपलब्ध न होना, और अल्ट्रा साउंड मशीन के तकनीकी स्टाफ का न होना भी मरीजों की परेशानी का कारण है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ जगह की कमी की समस्या नहीं है, बल्कि, डॉक्टरों की कमी, खून उपलब्ध न होना, और अल्ट्रा साउंड मशीन के तकनीकी स्टाफ का न होना भी मरीजों की परेशानी का कारण है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

  • जोशीमठ के इकलौते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भी अब दरारें आ चुकी है। इसके कारण इसका मुख्य भवन स्थित 28 बेड और आपातकालीन सुविधाएं बाधित हुईं हैं।
  • इस स्वास्थ्य केंद्र पर दुर्गम और पहाड़ी इलाकों के लोग निर्भर हैं। आसपास के इलाकों के लिए यही एक 24 घंटे चलने वाला अस्पताल है जिसपर इलाके में संस्थागत प्रसव और आपातकालीन चिकित्सा की जिम्मेदारी है।
  • आपदा के समय स्वास्थ्य केंद्र की अनदेखी ने संस्थागत प्रसव को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। बर्फबारी और बिस्तरों की कमी यहां समस्याओं को और बढ़ा रही है।

जोशीमठ निवासी उषा शाही पर मकानों में आई दरार की समस्या का असर कहीं अधिक हुआ। दरारों की वजह से खतरनाक हो चुके मकानों को छोड़कर जब लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे थे, उषा का परिवार स्वास्थ्य सुविधाओं से जूझ रहा था। 

जोशीमठ में जल संस्थान के पास रहने वाली 26 साल की उषा के प्रसव की तारीख 26 जनवरी की थी। पंद्रह जनवरी को कुछ समस्या महसूस होने पर वह स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पहुंची। सीएचसी में डॉक्टर के मौजूद न होने की वजह से उन्हें शहर के गांधी फील्ड के कैंप में निरीक्षण के लिए जाने को कहा गया जहां अधिकतर डॉक्टर उस दिन मौजूद थे।

उषा के रिश्तेदार संदीप शाही ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया कि उस दिन सुबह कैंप में डॉक्टरों ने उषा की स्थिति सामान्य बताई। उसी रात लगभग 1:30 बजे प्रसव पीड़ा होने पर उन्हें सीएचसी ले जाया गया। समस्या तब हुई जब उन्हें रात में ही 60 किलोमीटर दूर गोपेश्वर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल में उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मिली और उषा की सामान्य डिलेवरी हुई। 

“वहां (जिला अस्पताल) के डाक्टर ने भी हमें कहा कि जब सब कुछ सामान्य था तब ऐसी स्थिति में सीएचसी से जिला अस्पताल भेजने की कोई जरूरत नहीं थी,” संदीप कहते हैं। 

उन्होंने आगे कहा,“ऐसे समय जब पूरा जोशीमठ आपदा से जूझ रहा हो स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र मुंह मोड लेना समझ के परे है। इससे न केवल संस्थागत प्रसव प्रभावित होगा बल्कि लोगों का इस पर से भरोसा भी टूटेगा। आपातकालीन समय में मरीज को यहां-वहां ले जाने में उनकी जान को भी खतरा हो सकता है।” 

जोशीमठ का स्वास्थ्य केंद्र। अस्पताल के मुख्य भवन में आपातकालीन सुविधा के लिए 28 बिस्तर मौजूद थे, लेकिन दरारों की वजह से उसे बंद कर दिया गया। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
जोशीमठ का स्वास्थ्य केंद्र। अस्पताल के मुख्य भवन में आपातकालीन सुविधा के लिए 28 बिस्तर मौजूद थे, लेकिन दरारों की वजह से उसे बंद कर दिया गया। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

जोशीमठ के धंसने के संकट की जद में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी आया है। अस्पताल के मुख्य भवन में आपातकालीन सुविधा के लिए 28 बिस्तर मौजूद थे, लेकिन दरारों की वजह से उसे बंद कर दिया गया। अब अस्पताल प्रशासन ऊपर के एक कमरे में आपातकालीन सेवा और भर्ती के लिए एक कमरे से काम चला रहा है। 

हालांकि, मुख्य भवन से सटा प्रसूति विभाग अब तक दरारों से बचा हुआ है। यहां प्रसूतिगृह के आलावा एक दो बिस्तर का वार्ड है जहां प्रसव के बाद तीन दिनों तक प्रसूताओं को रखने की व्यवस्था है। 

जोशीमठ ब्लॉक की आशा कार्यकर्ता अनीता पंवार ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया कि आपदा के समय में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एक नोटिस भी जारी किया गया है। नोटिस में कहा गया है कि जिन महिलाओं के प्रसव की तारीख जनवरी और फरवरी में हैं वो एक सप्ताह पहले अस्पताल में भर्ती हो जाएं। 

लेकिन सिर्फ दो बिस्तर के इस वार्ड में ये अतिरिक्त इंतजाम कैसे किया जायेगा उसका इस आदेश में कोई जिक्र नहीं किया गया है। 

स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ जगह की कमी की समस्या नहीं है, बल्कि, डॉक्टरों की कमी, खून उपलब्ध न होना, और अल्ट्रा साउंड मशीन के तकनीकी स्टाफ का न होना भी मरीजों की परेशानी का कारण है। 

जोशीमठ सीएचसी में काम कर रहें और आपदा प्रबंधन के इंचार्ज डॉ.गौतम भारद्वाज ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया, “हमारे पास खून की व्यवस्था नहीं है। सर्जन नहीं है। सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर है। अगर हमारे पास जटिल प्रसव का केस आता है तो हम उसे गोपेश्वर रेफर कर देते है क्योंकि वहां महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ, सर्जन और दूसरी एडवांस सुविधाएं हैं।”

इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टेंडर्ड (आइपीएचएस) के साल 2022 के संशोधित मानकों के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा विशेषज्ञ के अलावा चार विशेषज्ञ – सर्जन, प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ और एनेस्थिसियोलॉजिस्ट होने चाहिए।

अपनी मांगों को लेकर स्थानीय महिलाओं ने तहसील दफ्तर के सामने धरना भी दिया है। धरने पर बैठी महिलाओं में शामिल पूर्णि देवी ने कहा, “स्थानीय सीएचसी अक्सर बहुत से प्रसव के मरीजों को खुद न देखते हुए दूर के गोपेशवर जिला अस्पताल को रेफर कर देते हैं। आपदा के समय यह अतिरिक्त चुनौती है।” 

आंकड़ों की ओर देखें तो आपदा के समय कम प्रसव होने का प्रमाण मिल रहा है। अस्पताल के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल नवम्बर में यहां 20 प्रसव हुए जबकि दिसम्बर में 16 प्रसव हुए हैं। यहां जनवरी 20 तक सिर्फ पांच प्रसव की रिपोर्टिंग हुई है। 

जोशीमठ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के परिसर में दरार। अस्पताल का मुख्य भवन इन दरारों की वजह से बंद कर दिया गया है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
जोशीमठ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के परिसर में दरार। अस्पताल का मुख्य भवन इन दरारों की वजह से बंद कर दिया गया है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में अगर दरारों के संख्या बढ़ी तो जोशीमठ सीएचसी में प्रसव और दूसरी स्वास्थ्य सुविधाएं बाधित हो सकती हैं। “अभी दरारें हमारे मुख्य भवन में आई हैं और उसके लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्था भी की गई है। अगर और नुकसान हुआ तो हमें जोशीमठ सीएचसी को कही और शिफ्ट करना पड सकता है। ऐसी स्थिति में प्रसूति, आपातकालीन सुविधा एवं अन्य स्वास्थ्य सेवा बाधित हो सकती हैं,” जोशीमठ के मुख्य सहायक स्वास्थ्य प्रभारी डॉ. एमएस खाती ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया। 

आपदा के दौरान स्थानीय लोगों की मांग है कि संस्थागत प्रसव के लिए उचित व्यवस्था की जाए। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े अतुल सती ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया, “जोशीमठ का सीएचसी पर यहां के लोगों के अलावा आसपास के 55 ग्राम पंचायतों के लोग भी निर्भर हैं। इसके अलावा यहां भारी संख्या आने वाले पर्यटकों की भी। सीएचसी में दरारों के बाद अब सीएचसी गर्भवती महिलाओं को भर्ती करने से मना कर रहा है। हम चाहते हैं कि उनके लिए कुछ अतिरिक्त व्यवस्था की जाए ताकि संस्थागत प्रसव ऐसे आपदा के समय में प्रभावित न हों।” 

जोशीमठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का महत्व 

जोशीमठ चमोली जिले में भारत-तिब्बत बॉर्डर का आखरी बड़ा शहर है। यहां हर साल लोग बद्रीनाथ यात्रा के लिए आते हैं और सर्दियों में बहुत से पर्यटक औली में बर्फबारी देखने आते हैं। इनकी स्वास्थ्य की जरूरतों के अलावा यहां के आसपास के बहुत से गांवों के लोगों के आपातकालीन और 24 घंटे प्रसव की जरूरतों के लिए यह इकलौता बड़ा स्वास्थ्य केंद्र है। 

इस सीएचसी के अंतर्गत 19 स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं जहां भर्ती और प्रसव की सुविधा नहीं है। इन 19 उपकेन्द्रों की जनसंख्या पूरी तरह से इस सीएचसी पर प्रसव के लिए निर्भर है। इस इलाके की भौगोलिक कठिनाइयों को देखते हुए सरकारी अस्पताल के अलावा यहां ऐसी सुविधाओं वाला निजी अस्पताल भी मौजूद नहीं है।  

सीएचसी जोशीमठ में जांच के लिए खून का नमूना देती एक महिला। इस सीएचसी में गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद की जांच सहित कई रक्त जांच मुफ्त में की जाती हैं। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
सीएचसी जोशीमठ में जांच के लिए खून का नमूना देती एक महिला। इस सीएचसी में गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद की जांच सहित कई रक्त जांच मुफ्त में की जाती हैं। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

रेशमा कुंवर कोडिया गांव में रहतीं हैं और एक आशा कार्यकर्ता हैं। वह बताती हैं कि कोडिया गांव जोशीमठ से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। इस गांव में कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। यहां से 3 किलोमीटर की दूरी पर  एक एएनएम केंद्र है जहां गर्भवती महिलाओं के जांच संभव हो पाती है। गांव से पांच किलोमीटर की दूरी पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जहां डॉक्टर मौजूद होते हैं लेकिन प्रसव के लिए इस गाँव के लोगों को जोशीमठ सीएचसी ही आना पड़ता है। 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के आंकड़े कहते है कि उत्तराखंड में लगभग 67 प्रतिशत घर ग्रामीण इलाकों में बसे हैं। ग्रामीण इलाकों की जनसंख्या अक्सर ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों पर ही निर्भर रहती है। चमोली जिले के जोशीमठ में संस्थागत प्रसव राज्य के औसत 83 प्रतिशत से भी कम है। चमोली जिला पूरे राज्य में संस्थागत प्रसव मे सबसे पीछे है जहां केवल 72 प्रतिशत संस्थागत प्रसव दर्ज किये गए हैं। 


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जोशीमठ का सीएचसी केवल प्रसूति और आपातकालीन सुविधा के लिए ही नहीं जाना जाता बल्कि बहुत सी स्वास्थ्य सुविधाओं की मुख्य कड़ी है। जोशीमठ सीएचसी की स्वास्थ्य निरीक्षक बिमला पंवार ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया, “सीएचसी पास के 19 उपकेन्द्रों तक समय से बहुत तरह के टीके की व्यवस्था करता है। हमारे पास कोल्ड चेन और एलआरआई मशीन है जिसके कारण हम टीकों का संरक्षण कर पाते हैं और समय पर एएनएम (सहायक नर्स) बहने यहां से इन केंद्रों तक हर बुधवार को टीके ले जाती हैं।  गर्भवती  महिलाओं और बच्चों को समय से टिटनस, खसरा, रोटावाइरस, पोलियो आदि का टिकाकरण सुनिश्चित कर पाते हैं। अगर जोशीमठ सीएचसी को और नुकसान होता है तो यह इस पूरी चेन को प्रभावित कर सकता है।”

 

बैनर तस्वीरः स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ जगह की कमी की समस्या नहीं है, बल्कि, डॉक्टरों की कमी, खून उपलब्ध न होना, और अल्ट्रा साउंड मशीन के तकनीकी स्टाफ का न होना भी मरीजों की परेशानी का कारण है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

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