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मछलियों को आकर्षित करने वाले उपकरणों से हिंद महासागर की टूना प्रजाति पर बढ़ता खतरा

हिंद महासागर में डाला गया एक एफएडी। तस्वीर- ग्रीनपीस।

हिंद महासागर में डाला गया एक एफएडी। तस्वीर- ग्रीनपीस।

  • हिंद महासागर में टूना की सभी तीन व्यवसायिक प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। कई आलोचक इस स्थिति के लिए फिशिंग लॉबी और यूरोपियन यूनियन के गठजोर को जिम्मेदार मानते हैं।
  • टूना को सबसे अधिक खतरा फिश-अग्रीगेटिंग डिवाइस (FAD) से है। यह उपकरण समुद्र में तैरता है और मछलियों को जाल में फंसाने के लिए अपनी ओर आकर्षित करता है।
  • इंडियन ओशन टूना कमीशन (IOTC) के सदस्य इस बात पर सहमत हो गए हैं कि FAD का इस्तेमाल कम किया जाएगा। इस पर 3 महीने की रोक भी लगाई जाएगी। हालांकि, यूरोपियन यूनियन इसका विरोध कर रही है।
  • हिंद महासागर में टूना मछलियों के मामले में यूरोपियन यूनियन का दबदबा है। टूना मछलियों में यूरोपियन यूनियन के औद्योगिक जहाजों और बेड़ों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है।

हिंद महासागर में टूना मछलियों की तीन व्यावसायिक प्रजातियां पाई जाती हैं और इस समय तीनों की लुप्त होने की कगार पर हैं। दुनियाभर में टूना मछलियों के कारोबार के लिए सबसे बड़ा मुद्दा फिश-एग्रीगेटिंग डिवाइस यानी FAD हैं। तैरने वाला यह उपकरण मछलियों को आकर्षित करता है। 5 फरवरी को कई देशों ने केन्या के मोम्बासा में FAD को लेकर एक समझौता किया। IOTC के ये सदस्य तैरने वाले FAD की संख्या को कम करने और इसके इस्तेमाल पर 3 महीने की रोक लगाने के लिए सहमत हुए।

आलोचकों का कहना है कि यूरोपियन यूनियन लगातार प्रयास कर रहा है कि गंभीर मुद्दों से जुड़ी महत्वाकांक्षाओं को शांत किया जा सके, इसके बावजूद यह समझौता किया गया। इसके लिए वह डेलिगेशन में शामिल ताकतों को भी संतुलित करने की कोशिश कर रहा है जिसमें इंडस्ट्री के कई प्रतिनिधि भी शामिल हैं और उनकी संख्या काफी कम-ज्यादा है।

हिंद महासागर में टूना मछलियों को पकड़ने के मामले में इसी ब्लॉक की हिस्सेदारी रहती है और इनके बड़े जहाज दूर-दूर तक जाकर मछलियां पकड़ते हैं। इसमें, ज्यादातर जहाज ऐसे हैं जिनमें FAD का इस्तेमाल किया जाता है।

ब्लू असोसिएशन एनजीओ के साइंटिफिक डायरेक्टर फेडेरिक ले मनाच ने एक बयान जारी करके कहा है, ‘यूरोपियन यूनियन के अधिकारी और इंडस्ट्रियल लॉबीस्ट एक ही संस्था में मिल गए हैं और ये समुद्री जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र को खराब कर रहे हैं और दक्षिण के उन देशों को नुकसान पहुंचा रहे हैं जो विकसित हो रहे हैं।’

ब्लूम की एक जांच के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन ने पिछले कुछ सालों में टूना के बारे में और हिंद महासागर में येलोफिन टूना को बचाने के लिए होने वाली उच्च स्तरीय चर्चाओं में अधिकारियों से ज्यादा लॉबीइंग करने वाले लोगों को भेजा है।

टूना स्टॉक का लेखाजोखा रखने वाली अंतर सरकारीय संस्था IOTC ने साल 2015 में येलोफिन टूना (Thunnus albacares) के बारे में घोषणा की थी कि उसकी फिशिंग जरूरत से ज्यादा की जा चुकी है। इसी के साथ मछली पकड़ने का कोटा तय करने की कोशिश की गई और खतरनाक फिशिंग गियर जैसे कि FAD के इस्तेमाल को नियंत्रित किया गया। उसी साल IOTC की सालाना मीटिंग में आए यूरोपियन यूनियन के डेलिगेशन में 12 सरकारी अधिकारी और इंडस्ट्रियल फिशिंग लॉबी के 6 सदस्य शामिल थे। 2018 तक, यूरोपियन यूनियन के डेलीगेशन में लॉबीस्ट की संख्या बढ़ती गई और 12 अधिकारियों के मुकाबले लॉबी के 14 लोग हो गए। उसके बाद से सिर्फ साल 2020 को छोड़कर यह रुझान हर साल जारी है।

ले मनाच कहते हैं कि ये आंकड़े “खतरनाक मिलीभगत” का प्रतीक हैं। साथ ही, ये यह भी दर्शाते हैं कि हिंद महासागर और अफ्रीकी समुद्र के उन तटीय देशों में यह ब्लॉक मत्स्य पालन उद्योग को कितने खराब तरीके से हैंडल करता है जो यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों की कॉलोनी रह चुके हैं।

अगर हिंद महासागर में टूना मछलियों के कारोबार की बात करें तो यूरोपियन यूनियन इसका अहम पक्ष है। ऐतिहासिक रूप से यूरोपियन यूनियन ने यहां से सबसे ज्यादा मछलियां पकड़ी हैं। पिछले कुछ सालों में इसकी हिस्सेदारी कम होने के बावजूद टूना मछलियों में इसके बड़े औद्योगिक जहाजों (EU के देशों या EU की कंपनियों के जहाजों) की हिस्सेदारी अभी भी सबसे ज्यादा 33 प्रतिशत है। हिंद महासागर के तटों से लगे ज्यादातर देश बहुत कम मछली पकड़ पाते हैं जहां लाखों की संख्या में छोटे मछुआरे काम करते हैं। हिंद महासागर में मछली के कारोबार के लिए मशहूर इंडोनेशिया, जिसकी जनसंख्या फ्रांस से 4 गुना ज्यादा है, ने 16 प्रतिशत से कम मछलियां पकड़ीं और इनमें से ज्यादातर मछलियां छोटे मछुआरों ने पकड़ीं।

IOTC में देशों के मुताबिक डेलिगेट्स की औसत संख्या। मैप: ब्लूम एसोसिएशन।
IOTC में देशों के मुताबिक डेलिगेट्स की औसत संख्या। मैप: ब्लूम एसोसिएशन।

टूना मछलियों के बारे में बढ़ती चिंताओं के जवाब में IOTC के अन्य सदस्य देशों जैसे कि इंडोनेशिया ने भी अपने डेलिगेट्स की संख्या बढ़ाई है। ब्लूम का विश्लेषण बताता है कि हाल में हुए विस्तारों से ऐसी बैठकों में प्रतिनिधियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। साल 2016 से 2020 के बीच यूरोपियन यूनियन ने औसतन 40 प्रतिनिधि भेजे जबकि दूसरे नंबर पर रहा इंडोनेशिया ने 20 प्रतिनिधि भेजे। वहीं, बाकी के 27 सदस्य इस मामले में काफी पीछे रहे। 2002 से 2020 के बीच कुल प्रतिनिधियों की संख्या के 20 प्रतिशत यूरोपियन यूनियन की ओर से भेजे गए थे जबकि यूरोपियन यूनियन देशों की ओर से भेजे गए जहाजों की संख्या कुल जहाजों की संख्या का सिर्फ 2 प्रतिशत है।

अपना नाम न बताने की शर्त पर यूरोपियन कमीशन (EC) के एक प्रवक्ता ने कमीशन की नीति के हवाले से बताया कि महामारी की वजह से प्रतिनिधियों की संख्या में आंशिक तौर पर बढ़ोतरी हुई। साल 2020 के बाद से IOTC में ऐसी बैठकों में ऑनलाइन हिस्सेदारी शुरू कर दी। प्रवक्ता ने बताया कि इसी वजह से हिस्सा लेने वाले यूरोपियन यूनियन समेत अन्य प्रतिनिधियों की संख्या बीते कुछ सालों में बढ़ गई है। इससे हिस्सा लेने वाले लोग वर्चुअली ही शामिल हो जाते हैं और आने-जाने का खर्च भी बचता है।

उनका कहना है कि IOTC के मामलों में हिस्सेदारों की रुचि बढ़ती जा रही है लेकिन अगर सख्ती से बात की जाए तो सिर्फ यूरोपियन यूनियन के अधिकारी ही EU के डेलिगेशन का हिस्सा हैं। बयान में कहा गया कि मत्स्य पालन उद्योग के प्रतिनिधि भी यूरोपियन यूनियन के डिलेगेशन में ऑब्जर्वर की तरह शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्हें मोलभाव करने की इजाजत नहीं है।

हालांकि, IOTC के आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक, फ्रांस और स्पेन के कई टूना गुटों के लॉबीस्ट को यूरोपियन यूनियन में ऑब्जर्वर नहीं ‘सलाहकार’ के रूप में दर्ज किया गया है और महामारी के पहले ही डेलिगेट्स की संख्या बढ़ने लगी थी।

यूरोपियन यूनियन के फ्लीट में कई पर्स सीनर्स (Purse Seiners) भी शामिल होते हैं। इसमें से ज्यादातर फ्रांस और स्पेन के होते हैं जो FAD का इस्तेमाल करके मछलियां पकड़ते हैं। इनमें राफ्ट जैसी संचनाएं होती हैं जिनमें पानी के नीचे जाल, रस्सी और अन्य चीजों से बनी पूंछ जैसी संरचना होती है। कुछ FAD एक ही जगह पर रुके होते हैं और कुछ ड्रिफ्टिंग FAD होते हैं जिन्हें खुले समुद्र में छोड़ दिया जाता है। ये हजारों की संख्या में छोटी और अवयस्क मछलियां भी पकड़ते हैं जिससे पर्स सीनर्स के लिए उन्हें पकड़ना आसान होता है। अवयस्क टूना मछलियों को पकड़ने से उनकी प्रजातियां प्रभावित होती हैं क्योंकि वे प्रजनन नहीं कर सकी होती हैं। इसके चलते उनकी संख्या रिकवर करना और मुश्किल हो जाता है।

जैसा कि मोंगोबे ने पहले भी रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि FAD, खासकर बिना एंकर वाले FAD भी कुछ खास इलाकों में समुद्री प्रदूषण में अहम योगदान देते हैं।

येलोफिश टूना। तस्वीर- एलेन क्यूलेअर्ट्स / ओशन इमेज बैंक 
येलोफिश टूना। तस्वीर– एलेन क्यूलेअर्ट्स / ओशन इमेज बैंक

2015 तक IOTC ने टूना की प्रजातियों और जनसंख्या के लिए FAD फिशिंग को खतरा बताया। इनमें बिगआई (Thunnus obesus) और स्किपजैक (Katsuwonus pelamis) जैसी प्रजातियां भी थीं जिन्हें येलोफिन टूना के साथ पकड़ा जाता है।

वैज्ञानिकों की ओर से FAD फिशिंग के खतरों को लेकर कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद हर साल पर्स सीनर्स हजारों की संख्या में FAD डिवाइस छोड़ते हैं। साल 2022 में IOTC ने ऐलान किया कि हिंद महासागर में Bigeye को जरूरत से ज्यादा पकड़ा जा चुका है और यह भी माना कि स्किपजैक का भी दोहन हो रहा है।

3 से 5 फरवरी के बीच IOTC  के सदस्य केन्या में आयोजित एक विशेष सत्र के लिए जुटे। यह सत्र फिशिंग एड्स के इस्तेमाल पर चर्चा के लिए बुलाया गया था। इस बैठक में भारत ने ड्रिफ्टिंग FAD के इस्तेमाल पर बैन की मांग की और कहा कि येलोफिन टूना के हालात देखते हुए यह जरूरी है कि सतर्कता के सिद्धांतों को लागू किया जाए। इसके अलावा, मालदीव, इंडोनेशिया और भारत जैसे कई देशों ने ड्रिफ्टिंग FAD के इस्तेमाल पर तीन महीने की रोक की मांग की। इसमें कहा गया कि एक जहाज से गिराए जाने डिवाइसों की संख्या को घटाकर 300 से 150 किया जाए।

शुरुआत में यह प्रस्ताव केन्या और मालदीव की ओर से दिया गया था लेकिन चर्चा शुरू होने से ठीक पहले केन्या ने अचानक इससे अपना समर्थन वापस ले लिया। ब्लूम ने यूरोपियन यूनियन पर आरोप लगाए कि वह पूर्वी अफ्रीकन देशों पर दबाव बना रहा है कि वे अपना समर्थन वापस ले लें वरना ब्लू इकोनॉमी प्रोग्राम से उनकी फंडिंग रोक दी जाएगी।

यूरोपियन कमीशन के प्रवक्ता ने इन आरोपों से इनकार किया कि यूरोपियन यूनियन किसी तरह का आर्थिक दबाव बना रहा है या फिर पर्दे के पीछे से कोई दबाव बना रहा है। साथ ही, यह भी कहा कि ब्लॉक समय-समय पर अपने सभी सहयोगियों से मछली पकड़ने की सतत प्रक्रिया और अपने समुद्री एजेंडा पर व्यापक रूप से द्विपक्षीय वार्ता करता है।

IOTC में होने वाली चर्चाओं में अपने प्रतिनिधि भेजने वाले केन्या के मत्स्य विभाग से इन आरोपों के बारे में चर्चा के लिए मोंगाबे ने संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

यूरोपियन यूनियन ने खुद अपने ही प्रस्ताव में यह बात कही कि 2024 से FAD की संख्या को घटाकर 300 से 280 किया जाए और 2028 तक इसे 240 पर लाया जाए। ब्लॉक का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है जिससे FAD को बंद करना पड़े।


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आखिर में संशोधित प्रस्ताव को सीक्रेट बैलेट के जरिए मंजूरी दी गई। कुल 23 में से 16 वोट इसके पक्ष में पड़े और 2024 तक इसकी संख्या को 250 और 2026 तक 200 तक लाने को मंजूरी दी गई। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यूरोपियन यूनियन ने किस तरफ वोटिंग की।

IOTC की चर्चाओं में लगातार हिस्सा लेने वाले फ्रांस की टूना इंडस्ट्री के एक ग्रुप ऑर्थोंजेल के प्रवक्ता एंटोनिन वायलेट ने कहा, ‘यूरोपियन यूनियन ने हमेशा कोशिश की है कि चर्चा हो सके और FAD और ट्रॉपिकल टूना रेगुलेशन के लिए समझौते भी किए हैं।’ वह आगे कहते हैं कि यूरोपियन यूनियन का प्रस्ताव बहुत महत्वाकांक्षी है और इससे दोनों तरह के FAD के मैनेजमेंट, उसकी ट्रेसिंग, पारदर्शिता और बायोडिग्रेडिबिलिटी को सुधारा जा सकता है।

यूरोपियन कमीशन ने अपने बयान में यूरोपियिन यूनियन की ओर से बड़ी संख्या में आए प्रस्तावों को सबूत के तौर पर रखा और IOTC में ब्लॉक की सकारात्मक भूमिका बताई। साथ ही, यह भी कहा कि इन प्रस्तावों ने टूना के स्टॉक मैनेजमेंट से लेकर FAD के रेगुलेशन समेत कई अहम मुद्दों को हल किया। EC के प्रवक्ता ने कहा कि हो सकता है कि आप उम्मीद न कर रहे हों कि व्यावसायिक हित यूरोपियन यूनियन की स्थिति पर भारी पड़ रहे हैं।

ले मनाच के मुताबिक, अगर यूरोपियन यूनियन ने टूना की प्रजातियों के संरक्षण के लिए भारत और मालदीव जैसे देशों के प्रस्तावों का सच में समर्थन किया तो हर किसी के लिए स्थिति सुधरेगी क्योंकि यूरोपियन यूनियन इस क्षेत्र में काफी अहम है। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि इससे IOTC की चर्चाओं में लॉबीस्ट की मौजूदगी और उनके प्रभावों को कम करना होगा।

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बैनर तस्वीर: हिंद महासागर में डाला गया एक एफएडी। तस्वीर- ग्रीनपीस।

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