- आनुवंशिक परीक्षण बैंडेड करैत (जहरीला सांप) की एक से अधिक प्रजातियों की संभावना के बारे में बताता है।
- बैंडेड करैत की कम से कम तीन अलग-अलग प्रजातियों को पहले वर्गीकृत किया गया था। हालांकि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में एक ही तरह की प्रजाति पाई जाती है।
- सांप की प्रजातियों खासकर जहरीले सांपों को अलग-अलग करना और उनकी सही पहचान करना जरूरी है। इससे सांप के जहर की संरचना का पता चलेगा और कुशल एंटी-वेनम विकसित करने में मदद मिलेगी।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि अत्यधिक विषैला बैंडेड करैत (बुंगारस फासिआटस/ सांप जिसके शरीर पर पट्टियां होती हैं) की पूरे एशिया में अलग-अलग प्रजातियां होने की संभावना है।
हाल के सालों में, वर्टेब्रेट (हड्डी वाले जीव-जंतु) में क्रिप्टिक प्रजातियों (प्रजातियां जो एक जैसी दिख सकती हैं लेकिन क्रमिक रूप से अलग वंशावली से हैं) की पहचान करने के लिए अनुवांशिक विश्लेषण विधियों का तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है। सरीसृपों (रेंगने वाले जीव) और सांपों में आनुवंशिक रूप से अलग-अलग प्रजातियों की पहचान करने के लिए भी इन विधियों का इस्तेमाल किया गया है।
बैंडेड करैत निशाचर (रात में सक्रिय रहने वाला), आसानी से पहचान में आने वाला सांप है। यह खास ऊंचाई वाली जगहों, कृषि भूमि, जंगलों और घर के बगीचों जैसी अलग-अलग जगहों में पाया जाता है। इसके शरीर पर पीली (या दुधिया) और काली पट्टियां होती हैं। यह विषैला सांप बहुत जगहों पर पाया जाता है। पूर्वी भारत से लेकर नेपाल, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश में, पूर्व में लाओस, वियतनाम और चीन में और दक्षिण में थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर में।
आईयूसीएन (IUCN) की रेड लिस्ट फिलहाल इसे बहुत कम चिंता वाली प्रजाति के तौर पर देखती है। इस प्रजाति पर शोध का फोकस इसके चिकित्सीय महत्व, इसके विष के गुणों और पारिस्थितिक महत्व पर रहा है।
हालांकि कुछ अध्ययनों ने जेनेटिक बारकोडिंग जैसे तरीकों का इस्तेमाल करके प्रजातियों के बीच अंतर की संभावना पर ध्यान दिया है। अब तक इसके वर्गीकरण पर कोई व्यवस्थित अध्ययन नहीं हुआ है।
इस तरह के अध्ययन सांप की प्रजातियों खासकर विषैले सांपों की सटीक पहचान और चित्रण के लिए आवश्यक हैं। साथ ही सांप के जहर की संरचना के निहितार्थ और कुशल एंटी-वेनम विकसित करने में भी इसका योगदान है।
क्या एक प्रजाति असल में तीन है?
यह अध्ययन मिजोरम विश्वविद्यालय के लाल बियाकजुआला और एक टीम द्वारा किया गया है। इसमें बैंडेड करैत प्रजातियों के भीतर आनुवंशिक विविधता और विकासवादी संबंधों पर रोशनी डाली गई है। टीम में सोसाइटी फॉर नेचर कंजर्वेशन, पश्चिम बंगाल का रिसर्च एंड कम्युनिटी एंगेजमेंट, यूनिवर्सिटी इंडोनेशिया और बांगोर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता शामिल थे।
अनुवांशिक और शारीरिक संरचना विश्लेषण के संयोजन का इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने एक-दूसरे से अलग क्षेत्रों में रहने वाले बैंडेड करैत के तीन अलग-अलग विकासवादी समूहों की पहचान की – भारत-म्यांमार (पूर्व और पूर्वोत्तर भारत और म्यांमार), सुंदिक (ग्रेटर सुंडा द्वीप) और पूर्व एशियाई (दक्षिणी चीन सहित मैनलैंड सुंदालैंड)।
इस अध्ययन के लिए सांपों की शारीरिक संरचना के लिए आंकड़े 2007 और 2022 के बीच उत्तर-पूर्वी भारत में पकड़े गए और इंसानों द्वारा मारे गए 15 नमूनों से एकत्र किए गए थे। पश्चिम बंगाल में पकड़े गए इन सांपों से रक्त के नमूने भी लिए गए थे और उनकी शारीरिक विशेषताओं को नोट किया गया था। इसके बाद उन्हें वापस छोड़ा गया। इसके बाद मिले नतीजों की तुलना अप्रकाशित और उपलब्ध आंकड़े दोनों से की गई।
तीनों समूहों में एक सामान्य जीन के विश्लेषण से एक दिलचस्प बात पता चली कि इंडो-म्यांमार और सुंडाइक वंशावली में आनुवंशिक अंतर बहुत कम थे। वहीं पूर्वी एशियाई वंश में आनुवंशिक अंतर बहुत ज्यादा थे।
इस आधार पर लेखकों का अनुमान है कि पूर्व एशियाई वंश में ज्यादा विविधता हो सकती है। हालांकि यह उनके शारीरिक बनावट के आधार पर स्पष्ट नहीं है और उन्हें अलग-अलग करने के लिए आगे अध्ययन की जररूत है।
नमूनों की शारीरिक बनावट ने भारत-म्यांमार और सुंडाइक आबादी के बीच अंतर दिखाया, जो टीम के नतीजों का समर्थन करता है।
लेखकों के अनुसार, “हम कम से कम तीन अलग-अलग वर्गीकरण के अस्तित्व को बी. फैसिआटस के नाम से मानते हैं और यह भी पुष्टि करते हैं कि पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर भारत में एक ही प्रजाति से संबंधित हैं।”
दूसरे शब्दों में, कम से कम तीन अलग-अलग प्रजातियां हैं जिन्हें पहले बैंडेड करैत के रूप में वर्गीकृत किया गया था और यह कि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में आबादी एक ही प्रजाति की है।
अध्ययन में कहा गया है कि अगर इन तीन अलग-अलग समूहों को स्वतंत्र प्रजातियों के रूप में स्वीकार किया जाता है, तो इंडो-म्यांमार समूह मूल बैंडेड करैत प्रजाति है जिसके बारे में पहली बार 1794 में बताया गया था; हालांकि, ज्यादा सामान्य तौर पर पूर्व एशियाई और सुंडाइक समूहों को भी बैंडेड करैत के रूप में संदर्भित किया जा सकता है।
मूल बैंडेड करैत प्रजाति की यह परिभाषा पैट्रिक रसेल ने अपनी पुस्तक एन अकाउंट ऑफ इंडियन सर्पेंट्स में, पहली बार बताई थी और यह इन्हीं जानकारियों पर आधारित है। इसमें जहर के साथ प्रयोगों और उन पर टिप्पणी के साथ हर प्रजाति के विवरण और चित्र शामिल हैं। इन जानकारियों को कोरोमंडल तट पर जमा किया गया था।
टीम की आगे की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर मिजोरम विश्वविद्यालय के प्राणी विज्ञान विभाग में विकासवादी बायोलॉजी एंड हर्पेटोलॉजी लेबोरेटरी के हमर टी. लालरेमसंगा ने कहा, “वर्तमान में, नई प्रजातियों का विवरण प्रक्रियाधीन है, जो कि तीन क्लेड में पूर्वी एशियाई वंश और सुंडाइक क्लैड नई प्रजातियां मानी जाती हैं। क्लैड जीवों का एक समूह है जो एक सामान्य पूर्वज और उसके सभी वंशजों से बना है।
बैंडेड करैत और एंटी-वेनम के लिए इसका मतलब?
बैंडेड करैत वास्तव में तीन अलग-अलग प्रजातियां हो सकती हैं, यह खोज इसके संरक्षण की स्थिति के लिए काम की नहीं लगती हैं। लालरेमसंगा के अनुसार, “मुझे नहीं लगता कि तीन क्लैड में परिसीमन का इस प्रजाति के संरक्षण की स्थिति पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि वे अपनी पाए जाने की स्थिति के हिसाब में काफी सामान्य हैं।”
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर में विकासवादी वेनॉमिक्स लैब के कार्तिक सुनगर कहते हैं, “टैक्सोनॉमी (वर्गीकरण) विज्ञान की सबसे पुरानी धाराओं में से एक है जो आज भी बहुत ज्यादा काम की है। बेहतर संरक्षण रणनीतियां बनाने के लिए जीवन की छिपी हुई विविधता की पहचान करना जरूरी है। अगर आप जानते हैं कि किसी विशेष आबादी/प्रजाति का भौगोलिक वितरण सीमित है या यह वह जिस आवास में पाई जाती है, उसके संदर्भ में प्रतिबंधित है, तो ऐसी प्रजातियों के संरक्षण के लिए विशेष कोशिशों की जरूरत है।” सुनगर इस अध्ययन से जुड़े नहीं थे।
बैंडेड करैत के तीन अलग-अलग समूहों की इस पहचान से एंटी-वेनम तैयारी में मदद मिल सकती है। इस बात पर, लालरेमसंगा कहते हैं, “टीम द्वारा किए गए पिछले शोध में निकट संबंध वाली प्रजातियों और अलग-अलग बैंडेड करैत के बीच जहर में भिन्नता पाई गई है। टैक्सोनॉमी की मदद से, आगे की जांच और विभिन्न क्षेत्रों में एंटीवेनम के विकास की जरूरत है।”
सुनागर कहते हैं, “भारत में सांप काटने के बाद इलाज के लिए क्षेत्रीय एंटीवेनम बनाने पर जोर होना चाहिए। हम उद्योग भागीदारों के साथ काम करके और भारत के पहले क्षेत्रीय एंटीवेनम उत्पादों का उत्पादन करके यह कदम उठा रहे हैं। ये बदलाव 100 से अधिक सालों में हमारे एंटीवेनम में संभवत: पहला बड़ा परिवर्तन दिखाते हैं।”
इसके अलावा, “सांप काटने के बाद बेहतर इलाज को डिजाइन करने के लिए फाइलोजेनेटिक्स अहम है, लेकिन इस संदर्भ में, इसका शायद सीमित प्रभाव है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंडेड करैत उन जगहों पर चिकित्सा खतरा नहीं है जहां यह पाया जाता है। यह शायद ही कभी लोगों को काटता है। हमारे पिछले काम से पता चला है कि क्योंकि यह विशेष रूप से/मुख्य रूप से अन्य सांपों को खाता है, इसका जहर स्तनधारियों के लिए कम जहरीला होता है। लेकिन अन्य सांपों के लिए यह बहुत जहरीला होता है।
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बैनर तस्वीरः भारत में बैंडेड करैत की तस्वीर। तस्वीर – डेविडवराजू/विकिमीडिया कॉमन्स।
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