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बाघ तस्करो के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश, असम से महाराष्ट्र तक फैला था सिंडिकेट

महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघ और उसके शावक की 2016 की तस्वीर। तस्वीर- अजिंक्य विश्वेकर/विकिमीडिया कॉमन्स।

महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघ और उसके शावक की 2016 की तस्वीर। तस्वीर- अजिंक्य विश्वेकर/विकिमीडिया कॉमन्स।

  • पिछले दिनों बाघों का शिकार करने वाले एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया गया है। यह नेटवर्क महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से लेकर असम के गुवाहाटी तक फैला हुआ था।
  • शिलांग जा रहे पांच लोगों के पास से गुवाहाटी में बाघ की खाल, हड्डियां और पंजे बरामद किए गए। जांच में पता चला कि ये चीजें महाराष्ट्र के ताड़ोबा बाघ अभायरण्य से लाई जा रही थी।
  • आगे की जांच के बाद 13 और लोगों को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली-चंद्रपुर इलाके से पकड़ा गया। इन लोगों ने मिलकर चार बाघों का शिकार किया था।

हाल के दिनों में मिली एक बड़ी सफलता में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से असम के गुवाहाटी तक फैले अवैध शिकार के सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया गया। यह वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) के साथ-साथ महाराष्ट्र और असम के वन विभागों की साझा कार्रवाई से संभव हो पाया। 

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में बाघों की आबादी फिलहाल 3,682 है। यह दुनिया भर की आबादी का तीन-चौथाई है। हालांकि, भारत में बाघों पर खतरा लागातर मंडरा रहा है, क्योंकि इसकी बड़ी वजह अवैध शिकार का संगठित रैकेट हैं।

यह ऑपरेशन गुवाहाटी के बाहरी इलाके में हुआ। यहां की अजारा पुलिस ने बाघ की खाल और पंजे रखने के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किया। इसके तुरंत बाद, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने गश्त तेज करने के लिए सभी बाघ अभयारण्यों और बाघ वाले क्षेत्रों में रेड अलर्ट जारी किया। आगे की जांच के बाद अधिकारी महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले तक पहुंचे, जहां ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) में एक बाघ को मारे जाने का शक था।

इस साल 28 जून को अज़ारा के धारापुर में पुलिस छापे के बाद चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था।  यहां बाघ की खाल, हड्डियों और पंजे सहित शरीर के अन्य अंग मिले थे। इसके बाद मामला वन विभाग को सौंप दिया गया।

2016 में ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में शिकार पर निकली एक बाघिन। तस्वीर- सिद्धेश सावंत/विकिमीडिया कॉमन्स।
2016 में ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में शिकार पर निकली एक बाघिन। तस्वीर– सिद्धेश सावंत/विकिमीडिया कॉमन्स।

मामले की जांच करने वाली असम के कामरूप पूर्व की प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) रोहिणी सैकिया ने मोंगाबे-इंडिया को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोग सप्लायर नहीं थे। ये लोग खेप ले जा रहे थे । सैकिया ने कहा,हमने सबसे पहले बाघ की खाल की जांच की और पाया कि यह असली है, क्योंकि कई मौकों पर तस्कर अपने प्रतियोगियों को नकली खाल देकर उन्हें धोखा देने की भी कोशिश करते हैं। ये लोग हरियाणा के एक संगठित शिकार गिरोह का हिस्सा थे। उन्होंने (आरोपियों) बताया कि उन्हें खाल बिहार से मिली थी और पैसे  लेकर यहां लाने को कहा गया था। यहां उन्हें शिलांग (मेघालय) के एक व्यापारी को खाल पहुंचानी थी। हालांकि, उन्होंने (आरोपियों) कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि शिलांग से खाल कहां पहुंचनी थी। हमें संदेह है कि व्यापारी ने इसे किसी और को सौंप दिया होगा और वहां से यह म्यांमार सीमा के मार्फत भारत से बाहर चला जाता। 

सैकिया ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोग काफी समय से इस सिंडिकेट में शामिल थे। “दरअसल, उन्होंने इस साल एक और बाघ की खाल बेचने की बात कबूल की है।”

इसके बाद न्यायिक हिरासत में लिए गए चारों आरोपियों के साथ एक बच्चा भी था। उन्होंने कहा,आरोपियों में से एक बच्चे की दादी थी। हमें बाल कल्याण आयोग से संपर्क करना पड़ा और माता-पिता से भी संपर्क करने की कोशिश की गई। आख़िरकार, हम मां तक पहुँचने में कामयाब रहे। वह हरियाणा के एक गांव में रहती थीं। हमने उससे यहां आने और अपने बच्चे को ले जाने के लिए कहा।


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तभी उन्हें अपना पांचवां संदिग्ध मिला। बच्चे की मां एक आदमी के साथ आई थी। हमने उस आदमी से पूछताछ की, क्योंकि हमें उसके बारे में कुछ गड़बड़ होने का संदेह था। सैकिया ने कहा, जब हमें पता चला कि वह भी उसी नेटवर्क का हिस्सा है, जिसके सदस्यों को हमने पहले हिरासत में लिया था, तो हमने उसे भी हिरासत में ले लिया।

बाद में, जुलाई में मामला वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो को सौंप दिया गया, क्योंकि बाघ की खाल महाराष्ट्र की बताई गई थी। सैकिया ने कहा, “कॉल डेटा रिकॉर्ड और अन्य सबूतों से, हमें पता चला कि खाल महाराष्ट्र में ताडोबा बाघ अभयारण्य की थी।”

महाराष्ट्र से जुड़ते तार

जांच से पता चला कि असम में बरामद बाघ की खाल महाराष्ट्र के गढ़चिरौली-चंद्रपुर क्षेत्र से है। इसलिए राज्य वन विभाग भी इसमें शामिल था। गुवाहाटी में गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ करने और उनकी हिरासत लेने के लिए तीन सदस्यीय टीम को असम भेजा गया था।

मोंगाबे-इंडिया से बात करते हुए, ताडोबा बाघ अभयारण्य के कानून अधिकारी और टीम का हिस्सा रहे एस वेंगुओपाल  ने कहा, “असम में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर, गढ़चिरौली में 13 और सदस्यों को पकड़ा गया। उन्होंने हमें यह भी बताया कि नए संदिग्धों ने गढ़चिरौली-चंद्रपुर क्षेत्र में चार बाघों को मार डाला था। उनके पास से पैरों को फंसाने वाले जाल और अन्य धारदार हथियार भी मिले, जिनका उन्होंने इस्तेमाल किया था। हमने असम में गिरफ्तार किए गए इन पांच लोगों को हिरासत में ले लिया और 12 अगस्त को हम उन्हें वापस महाराष्ट्र ले आए। यह पहली बार है जब हम गढ़चिरौली-चंद्रपुर क्षेत्र में बाघ शिकारियों के इतने बड़े समूह को पकड़ने में कामयाब रहे।

वेणुगोपाल ने बताया कि मामले में अब तक पकड़े गए सभी आरोपियों को 14 अगस्त को गढ़चिरौली में न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।

वेणुगोपाल ने कहा,हम सरगना सोनू सिंह बावरिया को भी गिरफ्तार करने में कामयाब रहे, जो बड़ी सफलता है। सोनू का पिता रणजीत सिंह बावरिया बाघों का कुख्यात शिकारी था। उसे 2013 में महाराष्ट्र के मेलाघाट इलाके में गिरफ्तार किया गया था। उसे दोषी ठहराया गया था और बाद में जेल में उसकी मौत हो गई। उसकी मौत के बाद उनका समूह ठंडा पड़ गया था और इतने सालों बाद बेटे जरिए फिर से सामने आया है।”

उन्होंने यह भी बताया कि सोनू का पिता संसार चंद का करीबी सहयोगी था। संसार चंद कभी उत्तर भारत में बाघों के शिकार सिंडिकेट का सरगना था। सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाघों के खत्म होने के लिए उसे मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जाता है। आखिरकार, उसे 2005 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।

ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व। तस्वीर - विकिमीडिया कॉमन्स।
ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व। तस्वीर – विकिमीडिया कॉमन्स।

वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने उस जानकारी का खुलासा किया जो उन्हें 81 साल के पूर्व वन रक्षक मिश्राम जाखड़ तक ले गई। भारतीय वन्यजीव संरक्षण सोसायटी के साथ भी काम कर चुके जाखड़ को द्वारका से गिरफ्तार किया गया था।

नाम नहीं बताने की शर्त पर वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के एक अधिकारी ने कहा, “स्पष्ट रूप से जाखड़ बाघ के शरीर के अंगों के अवैध व्यापार को नियंत्रित कर रहा था। वह शिकारियों और तस्करों को ब्लैकमेल करके भी कमाई करता था। जब हमने जाखड़ को गिरफ्तार किया, तो उसके पास से 14.81 लाख रुपये नकद जब्त किए गए।

दिलचस्प बात यह है कि जब जाखड़ इस अवैध धंधे को नियंत्रित कर रहा था, तो वह कानून लागू कारने वाली एजेंसियों के साथ मिलकर काम भी करता था और उन्हें जानकारी भी मुहैया कराता था। अधिकारी ने कहा,दिमाग का खेल ऐसा ही है। कई बार एजेंसियों को ऐसे लोगों से जानकारी मिलती है जिनकी मंशा शक के दायरे में हो सकती है। कभी-कभी एजेंसियां भी गलती कर बैठती हैं।

अधिकारी ने कहा कि इस धंधे में और भी लोग शामिल हो सकते हैं और इस बारे में आगे की जांच जारी है।

 

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बैनर तस्वीर: महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघ और उसके शावक की 2016 की तस्वीर। तस्वीर– अजिंक्य विश्वेकर/विकिमीडिया कॉमन्स।

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