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स्टडी ने ध्वस्त किए किंग कोबरा के जहर से जुड़े मिथक, एंटी वेनम बनाने में होगी आसानी

पश्चिमी घाट में एक किंग कोबरा। संयोजन में सरल होने के बावजूद किंग कोबरा का जहर काफी असरदार होता है। तस्वीर- गैरी मार्टिन।

पश्चिमी घाट में एक किंग कोबरा। संयोजन में सरल होने के बावजूद किंग कोबरा का जहर काफी असरदार होता है। तस्वीर- गैरी मार्टिन।

  • पश्चिमी घाट के बारे में की गई एक स्टडी में पता चला है कि किंग कोबरा का जहर स्पेक्टैकल्ड कोबरा के जहर जितना ही खतरनाक होता है लेकिन इसका संयोजन थोड़ा सरल होता है।
  • स्टडी में यह भी पाया गया है कि किंग कोबरा के जहर को काटने में मार्केट में उपलब्ध एंटी वेनम असरदार नहीं होते हैं।
  • वैज्ञानिकों का प्रस्ताव है कि किंग कोबरा के मोनोवैलेंट वेनम के छोटे बैच बनाए जाएं ताकि इस संवेदनशील प्रजाति के सांपों को संरक्षित किया जा सके।

एक नई स्टडी में पता चला है कि किंग कोबरा के जहर का संयोजन स्पैक्टैकल्ड कोबरा के जहर की तुलना में आसान होता है क्योंकि किंग कोबरा सिर्फ वही चीजें खाते हैं जो सांपों को खानी चाहिए। हालांकि, इस स्टडी ने यह भी कहा है कि इसके बावजूद यह स्पष्ट है कि किंग कोबरा का जर भी स्पैक्टैकल्ड कोबरा के जहर जितना ही खतरनाक होता है। इस स्टडी ने उस मिथक को भी तोड़ा है जिसमें यह कहा जाता है कि किंग कोबरा अपने जहर को ज्यादा असरदार बनाने के लिए ज्यादा मात्रा में जहर पैदा करते हैं। जब यह अध्ययन किया गया था तब तक दक्षिण भारत में किंग कोबरा के जहर को काटने वाला कोई भी एंटी वेनम मार्केट में उपलब्ध नहीं था।

स्टडी के मुताबिक, सांपों के काटने से होने वाली मौत के मामलों में भारत कुख्यात है और हर साल 58 हजार लोग इससे अपनी जान गंवाते हैं। भारत में जहर और उनके एंटी वेनम पर की जाने वाली रिसर्च चार मुख्य सांपों पर आधारित होती है- ये चार स्पैक्टैकल्ड कोबरा (Naja naja), कॉमन करैत (Bungarus caeruleus), रसेल्स वाइपर (Daboia russelii) और सॉ-स्केल्ड वाइपर (Echis carinatus) हैं। भारत में सांप काटने की वजह से होने वाली मौत भी इन्हीं चार के चलते होती है। एक पुरानी स्टडी में यह सामने आया था कि किंग कोबरा (Ophiophagus hannah) समेत तमाम जहरीले सांपों की अनदेखी की जाती है और उन्हें सामूहिक रूप से ‘अनदेखा’ कहा जाता है जिसका नतीजा यह होता है कि सांप के काटने के मामलों में ये एंटी वेनम प्रभावी नहीं होते हैं।

प्रभावी एंटी वेनम के लिए जहर की पारिस्थितिकी समझना जरूरी

इस स्टडी का हिस्सा रहे द लियाना ट्रस्ट, कर्नाटक के गैरी मार्टिन कहते हैं, “किंग कोबरा के काटने की घटनाओं के बढ़ने, चिड़ियाघर में काम करने वालों, सांप पकड़ने वालों और जानवरों के डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ते खतरों के चलते किंग कोबरा के जहर के संयोजन को समझने की जरूरत समझी जाती है ताकि प्रभावी एंटी वेनम बनाया जा सके।”

बाजार में मौजूद कोई भी ऐंटी वेनम ऐसा नहीं है जो कि किंग कोबरा के जहर को काट सके। किंग कोबरा का जहर स्पेक्टैकल्ड कोबरा के जहर जितना ही खतरनाक होता है। तस्वीर- कल्याण वर्मा।
बाजार में मौजूद कोई भी एंटी वेनम ऐसा नहीं है जो कि किंग कोबरा के जहर को काट सके। किंग कोबरा का जहर स्पेक्टैकल्ड कोबरा के जहर जितना ही खतरनाक होता है। तस्वीर- कल्याण वर्मा।

नाम और दिखने में एक जैसे होने के बावजूद स्पेक्टैकल्ड कोबरा (Naja naja) और किंग कोबरा (Ophiophagus hannah) दो अलग प्रजातियां हैं और दोनों के जहर की पारिस्थितिकी अलग होती है।  शोधार्थियों ने दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले किंग कोबरा के जहर की पारिस्थितिकी, बायोकेमिस्ट्री, फार्माकोलॉजिकल गतिविधि और जहर की क्षमता की तुलना स्पेक्टैकल्ड कोबरा के जहर से की।

आमतौर पर कहा जाता है कि किंग कोबरा का जहर स्पेक्टैकल्ड कोबरा के जहर जितना प्रभावी नहीं होता है। इसका कारण यह बताया जाता है कि जहर की मात्रा ज्यादा होती है और एक बार सांप के काटने पर 900 मिली ग्राम जहर निकलता है। हालांकि, स्टडी में यह सामने आया है कि किंग कोबरा का जहर बेहद सरल होता है क्योंकि इसमें जहर के प्रकार कम होते हैं। स्टडी की अगुवाई करने वाले आईआईटी, बेंगलुरु के सेंटर फॉर ईकोलॉजिकल साइंसेज के वैज्ञानिक कार्तिक सुनागर ने मोंगाबे इंडिया से कहा कि इसके बावजूद, यह स्पेक्टैकल्ड कोबरा के जहर जितना ही प्रभावी होता है।

वह आगे कहते हैं, “इस स्टडी में एक और बात पता चली है कि मौजूदा एंटी वेनम किंग कोबरा के जहर को काट नहीं पाते हैं।” किंग कोबरा के काटने से बचने के लिए लोग थाई रेड क्रॉस मोनोवैलेंट एंटी वेनम (थाईलैंड में बना एंटी वेनम जो थाईलैंड और मलेशिया में पाए जाने वाले किंग कोबरा के जहर पर प्रभावी होता है) रखते हैं लेकिन इसका असर भारतीय किंग कोबरा के काटने पर नहीं होता है। पुरानी बायोजियोग्राफिकल स्टडी में यह साबित हुआ है कि अलग-अलग जगहों के हिसाब से सांपों के जहर की संरचना नाटकीय ढंग से बदल जाती है। भारत में बनने वाला पॉलीवैलेंट एंटी वेनम भी कोबरा के जहर पर असरदार नहीं होता है क्योंकि किंग कोबरा का जहर इस इम्युनाइजेशन मिक्सचर का हिस्सा नहीं है। 

स्टडी के लिए किंग कोबरा का जहर निकालते रिसर्चर गैरी मार्टिन और रोमुलस व्हाइटेकर। किंग कोबरा और स्पेक्टैकल्ड कोबरा का जहर वयस्क नर सापों से निकाला गया। इसके लिए कर्नाटक के अगुंबे और मैसूर से दोनों प्रजातियों के एक-एक सांप पकड़े गए। तस्वीर- हेमंत ब्यात्रोय।
स्टडी के लिए किंग कोबरा का जहर निकालते रिसर्चर गैरी मार्टिन और रोमुलस व्हाइटेकर। किंग कोबरा और स्पेक्टैकल्ड कोबरा का जहर वयस्क नर सापों से निकाला गया। इसके लिए कर्नाटक के अगुंबे और मैसूर से दोनों प्रजातियों के एक-एक सांप पकड़े गए। तस्वीर- हेमंत ब्यात्रोय।

दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप किंग कोबरा शर्मीला होता है और इंसानों के संपर्क में आने से बचता है। गलती के सांप काटने और जहर से मौत होने के कारण बेहद असामान्य हैं क्योंकि इनका आकार बड़ा होता है और ये ऐसे संकेत देते हैं जिससे कि इसकी संभावना बहुत कम होती है कि वे नजर न आएं। दूसरी अनुसूची की प्रजाति होने के नाते इस सांप को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन ऐक्ट 1972 के तहत खास संरक्षण प्राप्त है। रिसर्चर्स का कहना है कि इस संरक्षण के चलते ही इन सांपों का जहर इकट्ठा करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। यही वे वजहें है जिनके चलते भारत में किंग कोबरा के जहर पर होने वाली स्टडी लगभग नगण्य है।

आप जो खाते हैं वही होते हैं

किंग कोबरा और स्पेक्टैकल्ड कोबरा के जहर के संयोजन का तुलनात्मक अध्ययन करने पर यह पता चला कि स्पेक्टैकल्ड कोबरा के जहर में किंग कोबरा के जहर की तुलना में ज्यादा टॉक्सिन सुपरफैमिली पाई जाती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सांपों के जहर में पाई जाने वाली यह विविधता उनके भोजन की वजह से होती है। दरअसल, किंग कोबरा एक खास किस्म का शिकारी सां होता है और ज्यादातर सांपों को ही खाता है। सुनागर कहते हैं कि इसका मतलब यह है कि इसे सिर्फ कुछ तरह के जहर की जरूरत होती है, वहीं स्पेक्टैकल्ड कोबरा कई तरह की चीजें खाता है जिसके चलते उसे कई तरह के जहर की जरूरत होती है। यही वजह हो सकती है कि किंग कोबरा के जहर की मात्रा ज्यादा होती है क्योंकि कई बार जहरीले सांपों को पचाने के लिए ज्यादा जहर की जरूरत पड़ती है। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि किंग कोबरा की जबर की थैलियां बड़ी होती हैं।


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सुनागर कहते हैं कि ये सभी नतीजे सिर्फ पश्चिमी घाट पर लागू होते हैं क्योंकि सांप के जहर में अलग-अलग जगह के हिसाब से अंतर होता है। स्टडी के नतीजों के आधार पर उनका प्रस्ताव हैकि किंग कोबरा के मोनोवैलेंट एंटी वेनम के छोटे बैच का उत्पादन किया जाए जो कि किंग कोबरा के काटने पर जिंदगी बचा सकते हैं। वह यह भी कहते हैं कि इसी तरह की स्टडी बाकी के क्षेत्रों में भी की जानी चाहिए, जहां किंग कोबरा सांप पाए जाते हैं।

 

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बैनर तस्वीरः पश्चिमी घाट में एक किंग कोबरा। संयोजन में सरल होने के बावजूद किंग कोबरा का जहर काफी असरदार होता है। तस्वीर- गैरी मार्टिन।

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