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मेंढ़क के शरीर पर उग आया मशरूम, वैज्ञानिकों ने बताया बेहद दुर्लभ घटना

उडुपी के माला गांव में एक तालाब के पास अपने शरीर पर उगे बोनट मशरूम के साथ देखा गया राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड फ्रॉग। तस्वीर- लोहित वाई.टी.

उडुपी के माला गांव में एक तालाब के पास अपने शरीर पर उगे बोनट मशरूम के साथ देखा गया राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड फ्रॉग। तस्वीर- लोहित वाई.टी.

  • पांच सरीसृप वैज्ञानिकों (हर्पेटोलॉजिस्ट) ने हाल ही में पश्चिमी घाट में एक ऐसे मेंढक की पहचान की, जिसकी त्वचा पर मशरूम उगा है।
  • शोधकर्ताओं के मुताबिक, हालांकि अक्सर परजीवी के रूप में कुछ फंगस मेंढकों की त्वचा पर रहते हैं, लेकिन पहली बार जीवित मेंढक के शरीर पर मशरूम उगने की घटना दर्ज की गई है।
  • वे इसका कारण पता लगाने के लिए आगे की जांच की सलाह देते हैं।

हर्पेटोलॉजी (सरीसृप और उभयचरों का अध्ययन) के प्रति जुनून रखने वाले पांच दोस्तों के लिए यह एक सामान्य मानसूनी रात थी। पश्चिमी घाट के कुद्रेमुख पर्वतमाला की तलहटी में तूफान जोरों पर था। हवा के साथ साथ दक्षिण भारत के स्थानिक राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड मेंढ़कों के कोरस की गूंज भी सुनाई दे रही थी। WWF इंडिया के साथ नदियों और आद्रभूमि पर काम करने वाले विशेषज्ञ लोहित वाई.टी ने बारिश शुरू होने से पहले, जैसे ही अपने साथियों के साथ वापस लौटने का मन बनाया, अचानक से उनकी नजर एक असाधारण जीव पर पड़ी। इसने टीम को वहां रुकने और ठहरने के लिए मजबूर कर दिया। 

उन्होंने जो देखा, वो काफी अलग था। पास की एक टहनी पर एक राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड फ्रॉग (हिलाराना इंटरमीडिया) आराम कर रहा था। ऐसा लगा जैसे वह अपने शरीर पर कुछ ले जा रहा हो। करीब जाने पर पता चला कि यह एक मशरूम है, जो उसके शरीर पर उग आया था। 

लोहित जून 2023 के अपने अनुभव को याद करते हुए बताते हैं, “हम कर्नाटक के उडुपी में माला गांव के पास विभिन्न आवासों की खोज कर रहे थे। हमें पता था कि यहां पास ही एक तालाब है और हम विभिन्न सरीसृप और उभयचरों की तलाश में इस ओर चले आए। उस रात मानसून पूरे जोरों पर था और राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड काफी सक्रिय थे।” उन्होंने मोंगाबे-इंडिया को बताया कि उन्हें सिर्फ एक मेंढक की पीठ पर ही मशरूम दिखाई दिया था। 

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टीम के पास उसका नमूना लेने के लिए जरूरी उपकरण नहीं थे, सो उन्होंने मेंढक को जाने दिया। बाद में लोहित ने इस असामान्य खोज को वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा किया। मेंढकों के जानकारों ने तुरंत उस मेंढक की प्रजाति को पहचान लिया। उन्होंने बताया कि यह एच. इंटरमीडिया है। इंडिया बायोडायवर्सिटी पोर्टल और आईनेचुरलिस्ट जैसे प्लेटफॉर्म पर मेंढक पर उगे मशरूम की पहचान माइसेना या बोटेम मशरूम के तौर पर की गई।

केरल के वैज्ञानिक और उभयचर विशेषज्ञ संदीप दास ने मोंगाबे-इंडिया को बताया, “यह सच है कि कुछ फंगस अक्सर मेंढकों की त्वचा पर रहते हैं, कभी-कभी परजीवी के रूप में और कभी-कभी ये जानलेवा भी हो जाते हैं। लेकिन जीवित मेंढक के शरीर पर पूरा मशरूम उगने की घटना पहले कभी नहीं देखी गई।” 

बत्राकोलॉजिस्ट के.वी. गुरुराजा भी इस घटना से उतने ही हैरान हैं और इसे एक “बेहद दुर्लभ” घटना बताते हैं। उनके मुताबिक, हालांकि कुछ फंगस मेंढकों की त्वचा पर अक्सर देखे गए हैं, लेकिन उभयचर की त्वचा में ऐसे गुणों होते है जो फंगस को त्वचा में अंदर जाने से रोकते हैं और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचने देते। लेकिन इस मामले में, मशरूम उगना एक अनोखा मामला है।

गुरुराजा का अनुमान है कि मेंढक लंबे समय तक एक ही स्थान पर स्थिर रहा होगा, जिससे मशरूम के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का एक विशिष्ट समूह उत्पन्न हो सका। उन्होंने कहा, “मशरूम आमतौर पर गर्मी और कार्बन की उपस्थिति वाले नम वातावरण में पनपते हैं,” उनका अनुमान है कि मिट्टी के रूप में कार्बन का जमाव, नमी के साथ मिलकर मेंढक के शरीर पर मशरूम के विकास के लिए आवश्यक परिस्थितियां प्रदान की होंगी। विशेषज्ञ इस घटना की और जांच करने का सुझाव देते हैं, क्योंकि इससे जीव विज्ञान और पर्यावरण के बीच संबंधों के बारे में और जानने में मदद मिल सकती है। 


यह खबर मोंगाबे-इंडिया टीम द्वारा रिपोर्ट की गई थी और पहली बार हमारी अंग्रेजी वेबसाइट पर 1 मई 2024 को प्रकाशित हुई थी।


बैनर तस्वीर: उडुपी के माला गांव में एक तालाब के पास अपने शरीर पर उगे बोनट मशरूम के साथ देखा गया राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड फ्रॉग। तस्वीर- लोहित वाई.टी.

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