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कश्मीर की गर्म सर्दियों की वजह से जल्दी खिल रहे हैं गुल तूर के फूल

गुल तूर के पीले फूलों का खिलना, कश्मीर में दर्द भरी आंखों के लिए एक सुकून रहा है। कश्मीर में लंबी सर्दियों के बाद यह रंग गायब है। आम तौर…
केरल, तिरुवनंतपुरम के विझिंजम बाजार में मछलियां बेचती मछुआरने। तस्वीर- इंडिया वाटर पोर्टल/ फ़्लिकर 

समुद्र तट के पास कम हो रही मछलियां, गहरे पानी में जाने का जोखिम उठा रहे परंपरागत मछुआरे

डेविडसन एंथोनी एडिमा ने दक्षिण-पश्चिमी भारत के तटीय इलाके में 12 साल की उम्र में मछली पकड़ना शुरू किया था। तब उनके पास लकड़ी के लट्ठे से बनी नाव ‘कट्टुमरम’…
केरल, तिरुवनंतपुरम के विझिंजम बाजार में मछलियां बेचती मछुआरने। तस्वीर- इंडिया वाटर पोर्टल/ फ़्लिकर 
पोषक तत्वों से भरपूर करेवा केसर व बादाम की खेती के लिए के लिए अहम है। तस्वीर- शाज़ सैयद/मोंगाबे 

[वीडियो] बुनियादी ढांचे के नीचे दम तोड़ती कश्मीर के करेवा की उपजाऊ जमीन

केसर की धरती कहे जाने वाले पंपोर इलाके के बीच से एक राष्ट्रीय राजमार्ग (NH44) होकर गुजर रहा है। केसर की खेती करने वाले इश्फाक अहमद यहां खड़े होकर इस…
पोषक तत्वों से भरपूर करेवा केसर व बादाम की खेती के लिए के लिए अहम है। तस्वीर- शाज़ सैयद/मोंगाबे 
उत्तराखंड में देवप्रयाग में ढलान के किनारे बने भवन। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे

उत्तराखंड : हिमालयी क्षेत्र में आपदाओं को न्योता देती बिना योजना के बन रही इमारतें

अड़तालीस साल की बिमला देवी जोशीमठ में रहती हैं। उनका घर इस पहाड़ी शहर तक आने वाली रोड से कुछ दूर ऊबड़-खाबड़ ढलान पर है। बिमला देवी का दो मंजिला…
उत्तराखंड में देवप्रयाग में ढलान के किनारे बने भवन। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे
मध्य प्रदेश के सतना जिले के धतूरा गांव में टमाटर की तुड़ाई करता एक किसान। इस गांव में किसानो ने खेती के तरीकों में बदलाव किया है। पानी की खपत कम करने के लिए मंचिंग पॉलीथिन का प्रयोग किया गया जिससे पानी की बचत हुई। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

[वीडियो] क्लाइमेट स्मार्ट विलेज: जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए कैसे तैयार हो रहे हैं मध्य प्रदेश के ये गांव

मध्यप्रदेश के सतना जिले में धतूरा गांव के किसान देवशरण पटेल (53) कंधे पर बैट्री से चलने वाली कीटनाशक छिड़कने की मशीन लादे खेतों की ओर जा रहे हैं। कुछ…
मध्य प्रदेश के सतना जिले के धतूरा गांव में टमाटर की तुड़ाई करता एक किसान। इस गांव में किसानो ने खेती के तरीकों में बदलाव किया है। पानी की खपत कम करने के लिए मंचिंग पॉलीथिन का प्रयोग किया गया जिससे पानी की बचत हुई। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
श्रीनगर और उसके आसपास के इलाकों में हवा को प्रदूषित करतीं सीमेंट फैक्ट्रियां। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद।

प्रदूषित हुआ धरती का स्वर्ग: कश्मीर में खराब होती हवा की गुणवत्ता सांस के मरीजों के लिए बड़ा खतरा

दिसंबर का महीना काफी कोहरे वाला था। यहां के युवा और बूढ़े लोग श्रीनगर के डलगेट में मौजूद चेस्ट एंड डिजीज (CD) हॉस्पिटल जाने के लिए पहाड़ चढ़ रहे थे।…
श्रीनगर और उसके आसपास के इलाकों में हवा को प्रदूषित करतीं सीमेंट फैक्ट्रियां। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद।
जोशीमठ के बाजार में चहलकदमी करता एक आदमी। फोटो: मनीष कुमार/मोंगाबे।

उत्तराखंडः धंसती जमीन और अस्थायी पुनर्वास के बीच फंसे जोशीमठ के लोग

फौज से रिटायर होने के बाद अब्बल सिंह (65) ने जोशीमठ में अपने सपनों का घर बनाया। कस्बे की पहाड़ी ढलानों पर बने इस तीन मंजिला घर में उन्होंने लगभग…
जोशीमठ के बाजार में चहलकदमी करता एक आदमी। फोटो: मनीष कुमार/मोंगाबे।
मणिपुर का लोकतक तालाब 38 स्थानीय मछलियों का घर है। वेटलैंड्स जैव-विविधता को पनाह देने के साथ-साथ इंसानों के लिए रोजगार के मौके भी प्रदान करता है। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली/मोंगाबे-हिन्दी

आर्थिक सर्वेक्षण: जलवायु वित्त पर भारत का जोर, जी-20 में विकासशील देशों के रुख को मिलेगी मजबूती

भारत ने संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए विकासशील देशों के लिए ग्रीन फाइनेंस (पर्यावरण को बचाने के लिए धन की व्यवस्था) की खातिर मुखरता से अपनी बात रखी है। इसमें कहा गया है…
मणिपुर का लोकतक तालाब 38 स्थानीय मछलियों का घर है। वेटलैंड्स जैव-विविधता को पनाह देने के साथ-साथ इंसानों के लिए रोजगार के मौके भी प्रदान करता है। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली/मोंगाबे-हिन्दी
पैंगोंग हिमनद झील, लद्दाख। पर्माफ्रॉस्ट डिग्रेडेशन हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम में पर्याप्त बदलाव के लिए जिम्मेदार है। तस्वीर- वजाहत इकबाल/विकिमीडिया कॉमन्स।

खतरे की आहट: ग्लोबल वार्मिंग से हिमालय में भूमिगत हलचल

अप्रैल 2022 के अंत तक नेपाल के एवरेस्ट क्षेत्र में समुद्र तल से 3555 मीटर की ऊँचाई पर बेस शहर – नामचे बाज़ार – में जीवन और व्यवसाय पहले जैसा…
पैंगोंग हिमनद झील, लद्दाख। पर्माफ्रॉस्ट डिग्रेडेशन हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम में पर्याप्त बदलाव के लिए जिम्मेदार है। तस्वीर- वजाहत इकबाल/विकिमीडिया कॉमन्स।
कार्बन उत्सर्जन की कीमत इसलिए है क्योंकि कार्बन आधारित गैसें, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड है, उत्सर्जन में सबसे प्रचुर मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें हैं। तस्वीर-  मार्सिनजोज़्विआक/पिक्साबे

कार्बन मूल्य-निर्धारण क्या है?

उन्नीस सौ बीस के दशक में एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री आर्थर पिगौ ने उद्योगों को उनके द्वारा किए गए प्रदूषण की लागत के लिए भुगतान करने के सामाजिक लाभों पर प्रकाश…
कार्बन उत्सर्जन की कीमत इसलिए है क्योंकि कार्बन आधारित गैसें, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड है, उत्सर्जन में सबसे प्रचुर मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें हैं। तस्वीर-  मार्सिनजोज़्विआक/पिक्साबे