Categories for जलवायु परिवर्तन

लंबे समय से बर्तन बनाने वाले कारीगर सैय्यद अहमद उन बर्तनों को तैयार करते हुए जिन्हें अगले दो दिन में भट्ठी के लिए भेजना है। तस्वीर-विशेष इंतजाम।

खुर्जा में चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने के सतत तरीकों के प्रयास जारी

50 साल के सैय्यद अहमद का मिट्टी के बर्तनों को आकार देने का तरीका पारंपरिक तरीके से अलग है जबकि ज्यादातर कारीगर पारंपरिक तरीके से ही बर्तन बनाते हैं। बर्तनों…
लंबे समय से बर्तन बनाने वाले कारीगर सैय्यद अहमद उन बर्तनों को तैयार करते हुए जिन्हें अगले दो दिन में भट्ठी के लिए भेजना है। तस्वीर-विशेष इंतजाम।
बजट की तैयारी में शामिल अधिकारियों की ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया शुरू होने से पहले हर साल एक पारंपरिक हलवा समारोह आयोजित किया जाता है। तस्वीर साभार- पीआईबी

एनडीए-3 का पहला बजट पर्यावरण अनुकूल, लेकिन अमल को लेकर संदेह बरकरार

पिछले महीने संपन्न हुए आम चुनावों में मिले झटकों के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपना सातवां बजट पेश किया। यह मौजूदा सरकार का पहला बजट…
बजट की तैयारी में शामिल अधिकारियों की ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया शुरू होने से पहले हर साल एक पारंपरिक हलवा समारोह आयोजित किया जाता है। तस्वीर साभार- पीआईबी
भारत सिंथेटिक कपड़ों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। तस्वीर: रवलीन कौर/मोंगाबे।

मौसम में बदलाव के बीच टिकाऊ तरीक़ों को बढ़ावा देता सूरत का कपड़ा उद्योग

साजिदा शेख की उम्र 45 साल है। वो 17 साल से गुजरात के सूरत जिले के पलसाना में स्थित कपड़ा क्लस्टर गुजरात ईको टेक्सटाइल पार्क में रंगाई के लिए आने…
भारत सिंथेटिक कपड़ों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। तस्वीर: रवलीन कौर/मोंगाबे।
झाबुआ के सरकारी फार्म पर कड़कनाथ मुर्गा। इसका रंग काला होता है, इनका हर अंग यहां तक कि खून भी काला होता है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

जंगल से जीआई टैग तक, झाबुआ के काले मुर्गे कड़कनाथ की कहानी

किसान वीर सिंह (44) दानों से भरी एक टोकरी लेकर कुट-कुट, कुट-कुट की आवाज लगा रहे हैं। देखते ही देखते कई दर्जन काले मुर्गे चारों तरफ से उनकी तरफ दौड़ते…
झाबुआ के सरकारी फार्म पर कड़कनाथ मुर्गा। इसका रंग काला होता है, इनका हर अंग यहां तक कि खून भी काला होता है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
सुरक्षा गार्ड की नौकरी करने वाले 54 साल के देव प्रसाद अहिरवार जो हीटस्ट्रोक से बचने में सफल रहे। इलेस्ट्रेशन - हितेश सोनार/मोंगाबे।

भीषण गर्मी में तैनात सुरक्षा गार्ड के हीट-स्ट्रोक से बचने की कहानी

इस साल दिल्ली में गर्मी के दौरान लंबे समय तक चली लू में दिल्ली के अस्पतालों को एक कड़वी सच्चाई का सामना करना पड़ा। जब हीट-स्ट्रोक से गंभीर रूप से…
सुरक्षा गार्ड की नौकरी करने वाले 54 साल के देव प्रसाद अहिरवार जो हीटस्ट्रोक से बचने में सफल रहे। इलेस्ट्रेशन - हितेश सोनार/मोंगाबे।
अप्रैल 2016 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चितई के पास चीड़ के जंगलों में लगी आग। फाइल तस्वीर- Ramwik/विकिमीडिया कॉमन्स

बकाया वेतन, संसाधनों का अभाव, जंगल की आग से कैसे लड़ेंगे उत्तराखंड के अग्नि प्रहरी

इस साल उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों में वनाग्नि के मामले दर्ज किये गए। राज्य की दोनों प्रशासनिक इकाइयों में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, देहरादून…
अप्रैल 2016 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चितई के पास चीड़ के जंगलों में लगी आग। फाइल तस्वीर- Ramwik/विकिमीडिया कॉमन्स

एक नए सूचकांक के मुताबिक, पूर्व की तुलना में पश्चिमी हिमालय ज्यादा खतरे में है

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT-M) के शोधार्थियों द्वारा बनाए गए एक नए क्लाइमेट रिक्स इंडेक्स यानि जलवायु के संकट को मापने वाले सूचकांक के जरिए पता चला है कि पूर्वी…
नासिक जिले के किसान दिगंबर अशोक काटे अपने अंगूर के बागान की सुरक्षा प्लास्टिक कवर से करते हैं। तस्वीर- अरविंद शुक्ला।

अंगूर को अचानक बदलने वाले मौसम से बचाते हैं फसल के कवर

महाराष्ट्र के नासिक जिले में पिछले साल नवंबर में कई बार बेमौसम बारिश हुई और ओले भी पड़े। यह बारिश इतनी जोरदार थी कि सारे खेत ओलों से पट गए…
नासिक जिले के किसान दिगंबर अशोक काटे अपने अंगूर के बागान की सुरक्षा प्लास्टिक कवर से करते हैं। तस्वीर- अरविंद शुक्ला।
एकलव्य फाउंडेशन की ग्रीन बिल्डिंग धूप में पकाई गई मिट्टी और चूने से बनी ईंटो से बनी है जिस से यह दूसरी इमारतों के मुकाबले ठंडी रहती है। तस्वीर- एकलव्य फाउंडेशन

भोपाल की यह ईको-फ्रेंडली इमारत है पर्यावरण के लिए लाभकारी

मई और जून के महीनों में बाहर पड़ रही भीषण गर्मी के बावजूद भी भोपाल के एकलव्य फाउंडेशन के कर्मचारी एक पंखे के नीचे खुश हैं। उन्हें दूसरे दफ्तरों के…
एकलव्य फाउंडेशन की ग्रीन बिल्डिंग धूप में पकाई गई मिट्टी और चूने से बनी ईंटो से बनी है जिस से यह दूसरी इमारतों के मुकाबले ठंडी रहती है। तस्वीर- एकलव्य फाउंडेशन

बेंगलुरु के पार्कों का दोपहर में बंद होना और हाशिए पर रहने वाले कर्मचारियों पर इसका प्रभाव

इस साल अप्रैल महीने में बेंगलुरु में तापमान 37.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। फिर भी गार्डन सिटी के नाम से मशहूर इस शहर में कई सार्वजनिक बगीचों को तपती…
डिब्रूगढ़, असम में बाढ़। तस्वीर- अरुनभ0368/विकिमीडिया कॉमन्स 

जलवायु परिवर्तन के कारण मेघालय में चरम बारिश की घटनाएं चार गुना बढ़ी- अध्ययन

1979 के बाद से, चार दशकों में मेघालय राज्य सहित बांग्लादेश और भारत क्षेत्र के पूर्वोत्तर हिस्सों में एक दिन में होने वाली चरम बारिश की घटनाएं चार गुना बढ़…
डिब्रूगढ़, असम में बाढ़। तस्वीर- अरुनभ0368/विकिमीडिया कॉमन्स 
रांची के एक अस्पताल में लगे एयर कंडीशनर। तस्वीर - विशाल कुमार जैन/मोंगाबे

छोटे शहरों में फैलता एयर कंडीशनर का बाजार, मौसम में तेज बदलाव से बढ़ती जरूरत

चंदन कुमार रांची में रहते हैं। एक साल पहले ही वह परिवार के साथ दिल्ली से झारखंड की राजधानी में शिफ्ट हुए हैं। चंदन रांची के जिस नामकुम इलाके में…
रांची के एक अस्पताल में लगे एयर कंडीशनर। तस्वीर - विशाल कुमार जैन/मोंगाबे
ऑटो के रियरव्यू मिरर पर बंधा हुआ तौलिया। ड्राइवर अक्सर गर्मी से राहत पाने के लिए अपना चेहरा ढकने के लिए गीले तौलिये या कपड़े का इस्तेमाल करते हैं। तस्वीर - पल्लवी घोष।

भीषण लू से ऑटो रिक्शा चालकों की आय और स्वास्थ्य पर असर

दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में लू का प्रकोप जारी है। मौसम विभाग ने लोगों को दोपहर के वक्त छाया या घर में रहने की सलाह दी है। इस समय…
ऑटो के रियरव्यू मिरर पर बंधा हुआ तौलिया। ड्राइवर अक्सर गर्मी से राहत पाने के लिए अपना चेहरा ढकने के लिए गीले तौलिये या कपड़े का इस्तेमाल करते हैं। तस्वीर - पल्लवी घोष।
मुंबई में प्रदूषित समुद्र तट का नजारा। भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज़्यादा प्रदूषित देश है। साथ ही इसके इतिहास में पहली बार अमीरी और गरीबी के बीच सबसे ज्यादा अंतर देखा गया है। तस्वीर - वायन वोटा/फ़्लिकर।

भारत में अमीरों और गरीबों के उपभोग का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव अलग-अलग- अध्ययन

हाल ही में इकोलॉजिकल इकोनॉमिक्स जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि भारतीयों का खान-पान पर्यावरण पर होने वाले दुष्प्रभावों पर सबसे ज्यादा असर डालता है। खास…
मुंबई में प्रदूषित समुद्र तट का नजारा। भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज़्यादा प्रदूषित देश है। साथ ही इसके इतिहास में पहली बार अमीरी और गरीबी के बीच सबसे ज्यादा अंतर देखा गया है। तस्वीर - वायन वोटा/फ़्लिकर।
मेघालय के री भोई जिले में धान के खेत। मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों की प्रजातियां इस क्षेत्र में संरचना बदल रही हैं और चावल के खेतों में तेजी से प्रजनन कर रही हैं। तस्वीर-वंदना के.

मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों ने बदला अपना बसेरा, जंगलों को छोड़ धान के खेतों में ढूंढी नई जगह

मलेरिया का जिक्र आते ही अक्सर घरों और आस पास भिनभिनाने वाले मच्छरों की तस्वीर हमारे दिमाग में घूमने लग जाती है। आपको ये जानकर थोड़ा हैरानी होगी कि पूर्वोत्तर…
मेघालय के री भोई जिले में धान के खेत। मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों की प्रजातियां इस क्षेत्र में संरचना बदल रही हैं और चावल के खेतों में तेजी से प्रजनन कर रही हैं। तस्वीर-वंदना के.
पृथ्वी का तापमान 1850-1900 के "पूर्व-औद्योगिक" औसत की तुलना में 1.5 और 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करना शुरू कर रहा है। इससे लोगों को गर्मी से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। तस्वीर-योगेंद्र सिंह/Pexels।

उफ़्फ़ ये गर्मी! क्यों बढ़ता ही जा रहा है पृथ्वी का पारा?

वैज्ञानिक शायराना अंदाज में कहते हैं, “धरती को बुखार हो गया है।” इसका मतलब यह है कि तापमान 1850-1900  के "औद्योगिक क्रांति से पहले" के औसत की तुलना में 1.5…
पृथ्वी का तापमान 1850-1900 के "पूर्व-औद्योगिक" औसत की तुलना में 1.5 और 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करना शुरू कर रहा है। इससे लोगों को गर्मी से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। तस्वीर-योगेंद्र सिंह/Pexels।
देश से बाहर भेजने के लिए नमक की पैकेजिंग करते मजदूर। नमक उत्पादन को बेमौसम बारिश से बचाने के लिए यांत्रिक टर्बुलेशन, सौर पैनलों की मदद से गर्मी को रेगुलेट करने और खारे पानी के तापमान को बढ़ाने और वाष्पीकरण में मदद करने वाली रासायनिक रंगों जैसी तकनीकों का पता लगाया जा रहा है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे।

गुजरातः नमक उत्पादन पर अनिश्चित मौसम की मार, बढ़ रही लागत

आषाढ़ी बीज, कच्छी समुदाय का नया साल है। यह दिन गुजरात के कच्छ क्षेत्र में मानसून की शुरुआत का प्रतीक भी है। यह त्योहार जून के आखिर में आता है।…
देश से बाहर भेजने के लिए नमक की पैकेजिंग करते मजदूर। नमक उत्पादन को बेमौसम बारिश से बचाने के लिए यांत्रिक टर्बुलेशन, सौर पैनलों की मदद से गर्मी को रेगुलेट करने और खारे पानी के तापमान को बढ़ाने और वाष्पीकरण में मदद करने वाली रासायनिक रंगों जैसी तकनीकों का पता लगाया जा रहा है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे।
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स

[एक्सप्लेनर] हीटवेव में हो रही है बढ़ोतरी, क्या प्रभावी हैं भारत के हीट एक्शन प्लान?

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अप्रैल में आई हीटवेव कई संवेदनशील और पिछले समुदायों के लिए…
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स
दिल्ली में धुंध वाली सर्दियों के एक दिन एक पुलिसकर्मी। तस्वीर- साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय भारत सरकार/विकिमीडिया कॉमन्स।

वायु प्रदूषण कम करने के लिए मॉनीटिरिंग बढ़ाने, सेहत को अहमियत देने की जरूरत: एक्सपर्ट

अक्टूबर महीने के आखिरी हफ्ते में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इसके आसपास के इलाकों को धुंधु की एक जहरीली परत ने ढक लिया था। इसी के साथ हर साल…
दिल्ली में धुंध वाली सर्दियों के एक दिन एक पुलिसकर्मी। तस्वीर- साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय भारत सरकार/विकिमीडिया कॉमन्स।
जंगलों को कानूनी और गैर-कानूनी दोनों तरह से काटा जा रहा है, जिसकी वजह से मिट्टी का क्षरण हो रहा है। बारिश और बाढ़ में मिट्टी बह जाती है। तस्वीर- रमेश मेनन 

(कमेंट्री) भारत में मिट्टी को नहीं सहेजा तो यह लाखों लोगों के विनाश का कारण बन जाएगी

दुनिया में अग्रणी बनने के अपने सपने के साथ भारत आगे बढ़ रहा है। लेकिन कृषि जगत के कुछ जरूरी मुद्दों पर उसका ध्यान बेहद कम है। इन्हीं में से…
जंगलों को कानूनी और गैर-कानूनी दोनों तरह से काटा जा रहा है, जिसकी वजह से मिट्टी का क्षरण हो रहा है। बारिश और बाढ़ में मिट्टी बह जाती है। तस्वीर- रमेश मेनन 
कन्याकुमारी में मछली पकड़ने के घाट पर खड़े रॉबिन्सन जॉनसन और अन्य मछुआरे। तस्वीर: नारायण स्वामी सुब्बारामन/मोंगाबे

तमिलनाडु में चक्रवात ओखी के छह साल बाद भी मानसिक स्वास्थ्य से जूझते लोग

इस लेख में आपदा से बचे लोगों की मानसिक सेहत पर चर्चा की जा रही है। कुछ घटनाएं पाठकों को परेशान कर देने वाली हो सकती हैं। 30 नवंबर, 2017…
कन्याकुमारी में मछली पकड़ने के घाट पर खड़े रॉबिन्सन जॉनसन और अन्य मछुआरे। तस्वीर: नारायण स्वामी सुब्बारामन/मोंगाबे
गावों में खुले में चूल्हा  जिसमें आमतौर पर जलावन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे बहुत ज्यादा धुआं निकलता है जिसमें बहुत ज्यादा बारीक कण (पीएम2.5) और ब्लैक कार्बन जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं। तस्वीर - தகவலுழவன்/विकिमीडिया कॉमन्स। 

ब्लैक कार्बन: हवा को प्रदूषित करने के साथ ही वातावरण को कर रहा गर्म, पर नीति से गायब

वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की बढ़ती मात्रा के चलते भारत और चीन जैसे एशियाई देशों में बहुत ज्यादा बारिश हो रही है। ब्लैक कार्बन उत्सर्जन भी बारिश के पैटर्न पर…
गावों में खुले में चूल्हा  जिसमें आमतौर पर जलावन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे बहुत ज्यादा धुआं निकलता है जिसमें बहुत ज्यादा बारीक कण (पीएम2.5) और ब्लैक कार्बन जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं। तस्वीर - தகவலுழவன்/विकिमीडिया कॉमन्स। 
मोरोक्को, अफ्रीका में बिजली गिरने की घटना। प्रतीकात्मक तस्वीर- अब्देलहामिद बौ इखेसायेन/विकिमीडिया कॉमन्स।

ओडिशा में ताड़ का पेड़ लगाकर आकाशीय बिजली से बचने की तैयारी

ओडिशा के खोरदा जिले में 44 साल के सनोज पात्रा अपने एक एकड़ के धान के खेतों को देखने गए थे और उसी वक्त बिजली गिरने से वहीं पर उनकी…
मोरोक्को, अफ्रीका में बिजली गिरने की घटना। प्रतीकात्मक तस्वीर- अब्देलहामिद बौ इखेसायेन/विकिमीडिया कॉमन्स।
कश्मीर में बर्फ से सूनी पहाड़ी ढलानें। तस्वीर - मुदस्सिर कुल्लू।

कश्मीर में मौसमी बर्फबारी में कमी, जंगल, ग्लेशियर और नदी-झीलों पर पड़ेगा असर

जम्मू और कश्मीर में दिसंबर और जनवरी के महीनों में सूखा मौसम देखा गया। इससे क्षेत्र की जैव विविधता के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। जानकार मौसम में…
कश्मीर में बर्फ से सूनी पहाड़ी ढलानें। तस्वीर - मुदस्सिर कुल्लू।
फुकरे-3 फिल्म का एक दृश्य जिसमें लोग टैंकर से पानी भरने के लिए गुत्म-गुत्था हो रहे हैं। तस्वीर साभार- एक्सेल इंटरटेनमेंट

लाइट, कैमरा, क्लाइमेट-एक्शन! पर्यावरण फिल्मों में बढ़ रही फिल्मकारों की दिलचस्पी

पानी का एक टैंकर खड़ा है और सैकड़ों लोग उसे घेरे खड़े हैं। गुत्थम-गुत्था हुए जा रहे हैं। चीखने-चिल्लाने की आवाजें आ रही हैं। टैंकर के पेट में सैकड़ों पाइप…
फुकरे-3 फिल्म का एक दृश्य जिसमें लोग टैंकर से पानी भरने के लिए गुत्म-गुत्था हो रहे हैं। तस्वीर साभार- एक्सेल इंटरटेनमेंट

कम और मध्यम आय वाले देशों में आपदाओं से तबाही का खतरा ज्यादा

साल 2023 ऐसा रहा है जिसमें आपदाओं ने राज्यों के बजट को काफी नुकसान पहुंचाया है। ग्लेशियर वाली झील फटने से आई बाढ़ से प्रभावित हुए सिक्किम में हजारों करोड़…
लाओस में साल 2019 में आई बाढ़। ग्लोबल साउथ में कुछ जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि कम आय वाले देशों को ज्यादा स्थानीय जलवायु अनुमान लाने होंगे ताकि वे बेहतर नीतियां विकसित कर सकें। तस्वीर- बेसिल मोरिन/विकिमीडिया कॉमन्स

आईपीसीसी रिपोर्ट के बजाए भारत को अपने जलवायु अनुमान की जरूरत, क्षेत्रीय क्लाइमेट मॉडल बेहतर

ग्लोबल नॉर्थ की तुलना में ग्लोबल साउथ खासकर दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील है। साथ ही, यह क्षेत्र ज्यादा समृद्ध और विकसित देशों की तुलना में ग्लोबल…
लाओस में साल 2019 में आई बाढ़। ग्लोबल साउथ में कुछ जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि कम आय वाले देशों को ज्यादा स्थानीय जलवायु अनुमान लाने होंगे ताकि वे बेहतर नीतियां विकसित कर सकें। तस्वीर- बेसिल मोरिन/विकिमीडिया कॉमन्स
13 दिसंबर, 2023 को संयुक्त अरब अमीरात के दुबई  स्थित एक्सपो सिटी में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप28 के समापन समारोह के दौरान प्रतिनिधि। तस्वीर- कॉप28/क्रिस्टोफ़ विसेक्स/फ़्लिकर।

कॉप28 में जीवाश्म ईंधन से ‘दूर जाने’ का वादा लेकिन पूंजी और समान भागीदारी बड़ी चुनौती

कॉप28 में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को खत्म करने पर ऐतिहासिक समझौता हुआ है। यह करार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की अध्यक्षता में हुए 28वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी28/कॉप28) में…
13 दिसंबर, 2023 को संयुक्त अरब अमीरात के दुबई  स्थित एक्सपो सिटी में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप28 के समापन समारोह के दौरान प्रतिनिधि। तस्वीर- कॉप28/क्रिस्टोफ़ विसेक्स/फ़्लिकर।
कई देशों, विशेष रूप से यूरोपीय संघ द्वारा समर्थित छोटे द्वीप राज्यों ने कॉप28 में जीवाश्म ईंधन को पूरी तरह से बंद करने का आह्वान किया है। तस्वीर-

कॉप28 के समापन तक भी देशों के बीच नहीं बनी आम सहमति

अट्ठाईसवें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप28) ने सम्मेलन के पहले दिन जलवायु हानि और क्षति के लिए एक फंड शुरू करने का निर्णय देकर इतिहास रच दिया। लेकिन जैसे-जैसे दो सप्ताह…
कई देशों, विशेष रूप से यूरोपीय संघ द्वारा समर्थित छोटे द्वीप राज्यों ने कॉप28 में जीवाश्म ईंधन को पूरी तरह से बंद करने का आह्वान किया है। तस्वीर-
कॉप28 के आयोजन स्थल पर विरोध प्रदर्शन करते लोग। जलवायु वित्त और किफायती नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे और भंडारण के अभाव में, विकासशील देशों का कहना है कि उन्हें विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा के भरोसेमंद स्रोत के रूप में जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहने की आवश्यकता है।  तस्वीर- सिमरिन सिरूर/मोंगाबे 

विकसित देशों को वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उत्सर्जन में कटौती की जरूरत: विशेषज्ञ

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय ग्रीनहाउस गैस सूची के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे अमीर विकसित देशों ने पिछले दो…
कॉप28 के आयोजन स्थल पर विरोध प्रदर्शन करते लोग। जलवायु वित्त और किफायती नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे और भंडारण के अभाव में, विकासशील देशों का कहना है कि उन्हें विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा के भरोसेमंद स्रोत के रूप में जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहने की आवश्यकता है।  तस्वीर- सिमरिन सिरूर/मोंगाबे