Categories for प्राकृतिक संसाधन

श्रीनगर की डल झील में खड़ा एक शिकारा। तस्वीर- अथर परवेज 

डल झील में बढ़ते प्रदूषण और चिनार के पेड़ों की कटाई से संरक्षणवादी चिंतित

अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर कश्मीर, आज भी लोगों के लिए एक पसंदीदा पर्यटन स्थल है। लेकिन धीरे-धीरे डल झील में बढ़ता प्रदूषण और विकास के नाम पर चिनार…
श्रीनगर की डल झील में खड़ा एक शिकारा। तस्वीर- अथर परवेज 
युवा सोलिगा, शशि अपने घर के पास जंगली साग-सब्जियां खोजती हुई। आदिवासी बुजुर्गों का कहना है कि युवा पीढ़ी में जंगली खाद्य पौधों के बारे में पारंपरिक ज्ञान कम होता जा रहा है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।

जंगल के खाने में छुपा पोषण का रहस्य

शंखमादम्मा और डुंडम्मा कर्नाटक की आदिवासी बस्ती कीरनहोला पोडु में अपने घर के बरामदे में बैठकर दोपहर का खाना खा रही हैं। चटक नीले रंग के इस घर की दीवारों…
युवा सोलिगा, शशि अपने घर के पास जंगली साग-सब्जियां खोजती हुई। आदिवासी बुजुर्गों का कहना है कि युवा पीढ़ी में जंगली खाद्य पौधों के बारे में पारंपरिक ज्ञान कम होता जा रहा है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।

धान के खेतों में उगते साग को थाली तक लाने की कोशिश

साल 2014 में तमिलनाडु के पोलाची शहर में अपने खेतों से गुजरते समय श्रीदेवी लक्ष्मीकुट्टी ने दिलचस्प बात देखी। आस-पास के खेतों की कई महिलाएं खर-पतवार के रूप में उगने…
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।
सेमियालता पौधा अधिकतम सात फीट तक होता है। इसकी आयु 10 वर्ष होती है। तस्वीर- आदित्य कुमार

झारखंडः कुसुम, पलाश और बेर के पेड़ की कमी, लाख कीटों का नया ठिकाना सेमियालता

झारखंड के लातेहार जिला के सुदूर मनिका प्रखंड में शीला उरांव अपने खेत में छोटे-छोटे पौधों के चारों ओर मिट्टी हटा रही हैं। बगल वाली क्यारी में उनकी बेटी रीना…
सेमियालता पौधा अधिकतम सात फीट तक होता है। इसकी आयु 10 वर्ष होती है। तस्वीर- आदित्य कुमार
हल्दिया में जेटी बनाये जाने से गाद की समस्या बढ़ रही है। इससे मछुआरों को मछलियां पकड़ने में दिक्कत होती है। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए

बढ़ते जल परिवहन, औद्योगिक प्रदूषण से जूझते हल्दिया के छोटे मछुआरे

यह रिपोर्ट देश के विभिन्न राष्ट्रीय जलमार्गों पर मोंगाबे हिंदी की सीरीज का पहला भाग है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से करीब 120 किमी दूर स्थित औद्योगिक नगरी हल्दिया…
हल्दिया में जेटी बनाये जाने से गाद की समस्या बढ़ रही है। इससे मछुआरों को मछलियां पकड़ने में दिक्कत होती है। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए
प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग करके जर्मनी में उगाई गई स्ट्रॉबेरी। दुनिया भर में प्लास्टिक खाद्य उत्पादन, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और उपभोग का एक अहम हिस्सा बन गई है। इसका इस्तेमाल मल्च फिल्म, शेड नेट, पॉलीहाउस, सिंचाई पाइप, पॉन्ड्स लाइनर और स्टोरेड साइलो में भी किया जाता है। तस्वीर- Fischer.H विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) 

प्लास्टिकल्चर की वजह से पर्यावरण और भविष्य की फसलों को लेकर चिंताएं बढ़ीं

कर्नाटक के बेलगावी शहर के पास अलरवाड़ा गांव में, एक युवा किसान श्रीधर जयगौड़ा धान की मानसून की फसल की तैयारी कर रहे हैं। उनके परिवार ने हाल ही में…
प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग करके जर्मनी में उगाई गई स्ट्रॉबेरी। दुनिया भर में प्लास्टिक खाद्य उत्पादन, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और उपभोग का एक अहम हिस्सा बन गई है। इसका इस्तेमाल मल्च फिल्म, शेड नेट, पॉलीहाउस, सिंचाई पाइप, पॉन्ड्स लाइनर और स्टोरेड साइलो में भी किया जाता है। तस्वीर- Fischer.H विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) 
उन्नाव के एक चमड़ा कारखाने में काम करते मजदूर। तस्वीर- ज़ोया हुसैन, मोंगाबे 

प्रदूषण कम करने के लिए नए तरीके अपना रहा है कानपुर का चमड़ा उद्योग

उन्नाव के किंग्स इंटरनेशनल टैनरी में काम करने वाले 34 वर्षीय मोहम्मद शकील अहमद, गोदाम के उस खाली हिस्से की ओर इशारा करते हैं, जो आमतौर पर कच्चे चमड़े से…
उन्नाव के एक चमड़ा कारखाने में काम करते मजदूर। तस्वीर- ज़ोया हुसैन, मोंगाबे 
एक सरकारी सर्वेक्षण से पता चलता है कि भूजल के एकत्र किए गए नमूनों में से लगभग पांचवें हिस्से में प्रदूषण की सीमा तय मात्रा से ज्यादा है, जिसमें नाइट्रेट और रेडियोधर्मी यूरेनियम की बड़ी मात्रा शामिल है। फ्लिकर (CC-BY-2.0) के जरिए सुसाना सचिवालय की तस्वीर।

पूरे देश में भूजल प्रदूषण गहराया, सरकारी रिपोर्ट से खुलासा

दुनिया भर में भारत भूजल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाला देश है। यहां सिंचाई के लिए 87% और घरेलू इस्तेमाल के लिए 11% पानी का उपयोग होता है। हालांकि,…
एक सरकारी सर्वेक्षण से पता चलता है कि भूजल के एकत्र किए गए नमूनों में से लगभग पांचवें हिस्से में प्रदूषण की सीमा तय मात्रा से ज्यादा है, जिसमें नाइट्रेट और रेडियोधर्मी यूरेनियम की बड़ी मात्रा शामिल है। फ्लिकर (CC-BY-2.0) के जरिए सुसाना सचिवालय की तस्वीर।
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के भांडेली गांव के किसान मुकेश मीणा के खेत में सोयाबीन की फसल में कीटनाशकों का छिड़काव करते मजदूर। तस्वीर- मुकेश मीणा 

बढ़ती लागत, घटता भरोसा- नैनो यूरिया की राह में चुनौतियां भी कम नहीं

जब 2021 में उर्वरक की कमी के चलते किसान हताश हो गए और सोशल मीडिया पर ट्रकों से उर्वरक की बोरियां लूटने के वीडियो वायरल होने लगे, तब मध्य प्रदेश…
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के भांडेली गांव के किसान मुकेश मीणा के खेत में सोयाबीन की फसल में कीटनाशकों का छिड़काव करते मजदूर। तस्वीर- मुकेश मीणा 
तेजी से शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, पर्यटन और जलवायु परिवर्तन ने लद्दाख क्षेत्र में भूजल संसाधनों पर तनाव बढ़ा दिया है। तस्वीर -विकिमीडिया कॉमन्स (CC-BY-SA-4.0) के माध्यम से एल्डोजोस19 द्वारा।

शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से लद्दाख में भूजल संसाधनों पर बढ़ता खतरा

हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि कृषि, घरों और होटलों के लिए मीठे पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत, भूजल कम हो रहा है और इसके…
तेजी से शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, पर्यटन और जलवायु परिवर्तन ने लद्दाख क्षेत्र में भूजल संसाधनों पर तनाव बढ़ा दिया है। तस्वीर -विकिमीडिया कॉमन्स (CC-BY-SA-4.0) के माध्यम से एल्डोजोस19 द्वारा।
अनियमित पर्यटन को इस क्षेत्र में बाढ़ से होने वाले भारी आर्थिक नुकसान के मुख्य कारणों में से एक के रूप में पहचाना गया है। तस्वीर- केसर चंद

हिमालय घाटी में बाढ़ की एक वजह अनियमित पर्यटन – अध्ययन

शहर की भागदौड़ से दूर, लोग सुकून की तलाश में कुल्लू घाटी की ओर रुख करते हैं और छुट्टियां बिताकर वापस लौट जाते हैं। स्थानीय लोगों का स्वभाव, सुहावना मौसम…
अनियमित पर्यटन को इस क्षेत्र में बाढ़ से होने वाले भारी आर्थिक नुकसान के मुख्य कारणों में से एक के रूप में पहचाना गया है। तस्वीर- केसर चंद
छत्तीसगढ़ में हसदेव झरना। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए उमेश रात्रे की तस्वीर।

छत्तीसगढ़: अनुसूचित जनजाति आयोग ने हसदेव अरण्य में खनन के लिए सहमति को बताया फर्जी

छत्तीसगढ़ सरकार की एक संस्था की ओर से की गई जांच में आरोप लगाया गया है कि राज्य के हसदेव अरण्य में खनन के लिए मंजूरी हासिल करने के लिए…
छत्तीसगढ़ में हसदेव झरना। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए उमेश रात्रे की तस्वीर।
गंगा नदी में प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ विरोध दर्ज कराती एक कार्यकर्ता। तस्वीर- आकाशरनीसन, विकिमीडिया कॉमन्स [CC BY-SA 4.0] 

भारत की प्रदूषित नदियां दुनियाभर के लिए समस्या बनीं

भारत में दशकों से चले आ रहे खराब तरीके से कचरे के प्रबंधन के कारण कूड़े के बड़े-बड़े पहाड़ हर जगह दिखाई पड़ जाते हैं। लेकिन इस बढ़ते हुए ‘बिना…
गंगा नदी में प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ विरोध दर्ज कराती एक कार्यकर्ता। तस्वीर- आकाशरनीसन, विकिमीडिया कॉमन्स [CC BY-SA 4.0] 
अन्वेषणात्मक खनन परीक्षण के लिए अंडमान सागर में तैनात वराह-3। तस्वीर सौजन्य: राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी)।

गहरे समुद्र में खनन से जुड़ी तकनीक में आगे बढ़ रहा भारत

इस साल अक्टूबर में राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) ने अंडमान सागर में समुद्र तल से पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स हासिल करने के लिए सफल अन्वेषणात्मक खनन परीक्षण किया। यह महासागर में…
अन्वेषणात्मक खनन परीक्षण के लिए अंडमान सागर में तैनात वराह-3। तस्वीर सौजन्य: राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी)।
कुरीपिल्ली हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी में सरिता और आयशा। 2018 में बाढ़ के दौरान सोसाइटी के अध्यक्ष और सचिव के रूप में, उन्होंने सोसाइटी को फिर से खड़ा करने के लिए सभी संसाधन जुटाए। तस्वीर: आरती मेनन/मोंगाबे।

अनिश्चित मौसम से बढ़ती केरला के हथकरघा बुनकरों की परेशानियां

चेंदमंगलम, केरला के एर्नाकुलम जिले में एक पुराना शहर जो कोच्चि शहर से लगभग 40 किमी उत्तर में है, को 2012 में अपने कैथरी या हथकरघा के लिए भारत सरकार…
कुरीपिल्ली हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी में सरिता और आयशा। 2018 में बाढ़ के दौरान सोसाइटी के अध्यक्ष और सचिव के रूप में, उन्होंने सोसाइटी को फिर से खड़ा करने के लिए सभी संसाधन जुटाए। तस्वीर: आरती मेनन/मोंगाबे।
कूथापाडी-कुलथरामपट्टी वनम की ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित पानी के टबों से पानी पीता अलाम्बडी नस्ल के मवेशियों का एक झुंड। धर्मपुरी जिले के पेनागरम तालुक के पहाड़ी क्षेत्र और कृष्णगिरि जिले के देनकनिकोट्टाई में आलम्बादी मवेशियों का असमान वितरण है। तस्वीर: डी. मुनीराज, मोंगाबे के लिए

तमिलनाडु में चराई पर प्रतिबंध से वनवासियों के अधिकारों और आजीविका को खतरा

थानथाई पेरियार वन्यजीव अभयारण्य की घोषणा और 2022 के मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा वन क्षेत्रों में मवेशियों को चराने पर प्रतिबंध लगाने के बाद से तमिलनाडु के इरोड जिले में…
कूथापाडी-कुलथरामपट्टी वनम की ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित पानी के टबों से पानी पीता अलाम्बडी नस्ल के मवेशियों का एक झुंड। धर्मपुरी जिले के पेनागरम तालुक के पहाड़ी क्षेत्र और कृष्णगिरि जिले के देनकनिकोट्टाई में आलम्बादी मवेशियों का असमान वितरण है। तस्वीर: डी. मुनीराज, मोंगाबे के लिए
मुतपा गांव में ग्राम सभा का आयोजन। तस्वीर- जॉन केरकेट्टा

झारखंड: 3.77 लाख करोड़ सालाना से भी ज़्यादा है राज्य के कॉमन्स से मिलने वाली सेवाओं की कीमत

“आज भी जंगल से हमें जरूरत की तीन-चौथाई चीजें मिल जाती हैं। पंद्रह साल पहले तक जंगल से ही हमें हमारी जरूरत की सभी चीजें मिल जाती थी।” झारखंड के…
मुतपा गांव में ग्राम सभा का आयोजन। तस्वीर- जॉन केरकेट्टा
सुंदरबन में दुर्लभ जलीय कृषि स्थलों में से एक जहां वैज्ञानिक तरीकों का पालन किया जा रहा है। तस्वीर- मोंगाबे के लिए नीलाद्री सरकार।

अनियंत्रित झींगा पालन से बदलता सुंदरबन में भूमि उपयोग

पश्चिम बंगाल के सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व (एसबीआर) में स्थित नागेंद्रपुर गांव में एक संकरी, छह फुट चौड़ी गली एक बड़ी आद्रभूमि (वेटलैंड), जिसका इस्तेमाल जलकृषि के लिए किया जाता है,…
सुंदरबन में दुर्लभ जलीय कृषि स्थलों में से एक जहां वैज्ञानिक तरीकों का पालन किया जा रहा है। तस्वीर- मोंगाबे के लिए नीलाद्री सरकार।
रुद्रप्रयाग संगम पर मंदाकिनी नदी पर बने फुटब्रिज का टूटा हुआ सिरा। भूस्खलन की संवेदनशीलता का नया नक्शा पूर्वी घाट की भूस्खलन की संवेदनशीलता को दिखाता है, जो इस क्षेत्र के जोखिमों को समझने के लिए अहम जानकारी है। विकिमीडिया कॉमन्स के जरिए मुखर्जी की तस्वीर (CC BY-SA 3.0)।

भारत के नए भूस्खलन मानचित्र में हुआ पूर्वी घाटों का उल्लेख

भूस्खलन को जमीन पर सबसे विनाशकारी खतरों में से एक माना जाता है। इससे जान-माल का बहुत ज्यादा नुकसान होता है। कई विकासशील देशों में भूस्खलन से होने वाला आर्थिक…
रुद्रप्रयाग संगम पर मंदाकिनी नदी पर बने फुटब्रिज का टूटा हुआ सिरा। भूस्खलन की संवेदनशीलता का नया नक्शा पूर्वी घाट की भूस्खलन की संवेदनशीलता को दिखाता है, जो इस क्षेत्र के जोखिमों को समझने के लिए अहम जानकारी है। विकिमीडिया कॉमन्स के जरिए मुखर्जी की तस्वीर (CC BY-SA 3.0)।
हरियाणा के सिरसा में तालाब से मिट्टी हटाने का काम करते हुए मनरेगा मजदूर। तस्वीर- मुल्ख सिंह/विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।

वनक्षेत्र को बढ़ाने में मददगार हैं मनरेगा जैसी ग्रामीण रोजगार योजनाएं

वृक्षारोपण और आजीविका के बीच संबंधों की पड़ताल करने वाले एक नए शोध पत्र से पता चलता है कि मनरेगा जैसी सामाजिक कल्याणकारी योजनाएं आय और रोजगार प्रदान करने के…
हरियाणा के सिरसा में तालाब से मिट्टी हटाने का काम करते हुए मनरेगा मजदूर। तस्वीर- मुल्ख सिंह/विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए

बिहार में बाढ़ की एक बड़ी वजह कोसी में जमी गाद, क्या है समाधान?

नेपाल के सप्तरी जिले के 63 वर्षीय रामेश्वर यादव माहुली नदी के एक नंबर पुल से कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठे हैं। उनके साथ हैं 74…
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए
केरल का एक समुद्र तट। तस्वीर- पीडीपीक्स/विकिमीडिया कॉमन्स 

मध्य केरल में तटीय आपदा जोखिमों का आकलन

मध्य केरल के तट पर आपदा जोखिम का आकलन करने वाले एक नए अध्ययन में कहा गया है कि तटीय सुरक्षा, जल निकासी में सुधार और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली जैसे…
केरल का एक समुद्र तट। तस्वीर- पीडीपीक्स/विकिमीडिया कॉमन्स 
बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के लिए सही जमीन की पहचान करना और मांग को बढ़ावा देने जैसी पहलें कश्मीर के बल्ला उद्योग को बनाए रखने और इसके विकास के लिए अहम हैं। तस्वीर सौजन्य: फवजुल कबीर।

क्रिकेट का कश्मीर कनेक्शन: हर साल बन रहे तीस लाख कश्मीरी विलो के बल्ले

भारत में क्रिकेट की शुरुआत एक सदी से भी पहले हुई थी। जैसे-जैसे देश में यह खेल लोकप्रिय होता गया, बल्ला उद्योग भी आगे बढ़ने लगा। अब, बल्ला बनाने के…
बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के लिए सही जमीन की पहचान करना और मांग को बढ़ावा देने जैसी पहलें कश्मीर के बल्ला उद्योग को बनाए रखने और इसके विकास के लिए अहम हैं। तस्वीर सौजन्य: फवजुल कबीर।
तमिलनाडु के अनामलाई पहाड़ियों में सड़क पार करते हुए एक हाथी और उसका बच्चा। खराब तरीके से बनाई गई सड़कों और रेलवे लाइनों की वजह से एशियाई हाथियों की गाड़ियों से टक्कर हो रही है, जिससे वे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन/NCF

हाथियों की सड़क और रेलवे पटरियों पर होने वाली मौतों को रोकने के लिए नई हैंडबुक जारी

इस साल की शुरुआत में, कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास एक ट्रेन से एक हाथी और उसके बच्चे को टक्कर मार दी, जिससे दोनों की मौत हो गई। कुछ महीने…
तमिलनाडु के अनामलाई पहाड़ियों में सड़क पार करते हुए एक हाथी और उसका बच्चा। खराब तरीके से बनाई गई सड़कों और रेलवे लाइनों की वजह से एशियाई हाथियों की गाड़ियों से टक्कर हो रही है, जिससे वे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन/NCF
नर्डल्स मछली के अंडों की तरह दिखते हैं। समुद्री पक्षी, मछलियाँ और क्रस्टेशियन उन्हें खाकर भूख से मर जाते हैं और अंग काम करना बंद कर देते हैं। तस्वीर- शौनक मोदी/तटीय संरक्षण फाउंडेशन।

समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण केवल कचरे की समस्या नहीं है; उत्पादन में कमी लाना भी जरूरी है

पिछले साल जुलाई 2023 का रविवार था, जब मुंबई में एक लाइफगार्ड ने शहर के अक्सा बीच पर पारदर्शी छोटी-छोटी बूंदें देखीं। यह समझ पाने में असमर्थ कि वे क्या…
नर्डल्स मछली के अंडों की तरह दिखते हैं। समुद्री पक्षी, मछलियाँ और क्रस्टेशियन उन्हें खाकर भूख से मर जाते हैं और अंग काम करना बंद कर देते हैं। तस्वीर- शौनक मोदी/तटीय संरक्षण फाउंडेशन।
मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के आदिवासी गांवों से होकर बहती नर्मदा नदी। तस्वीर - रचित तिवारी।

[कमेंट्री] नर्मदा नदी पर क्रूज: क्या यह वैध, उचित या न्यायोचित है?

मध्य प्रदेश के पर्यटन विभाग ने साल 2022 की शुरुआत में नर्मदा नदी पर पर्यटकों के लिए क्रूज शिप सेवा शुरू करने का प्रस्ताव रखा था। ये क्रूज अभी तक…
मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के आदिवासी गांवों से होकर बहती नर्मदा नदी। तस्वीर - रचित तिवारी।
बेंगलुरु के रहने वाले वॉटर डिवाइनर एस. सैमसन तांबे के उपकरण से बोर पॉइंट खोजने की कोशिश कर रहे हैं। पास ही खड़े बच्चे उन्हें काम करते हुए देख रहे हैं। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 

वाटर डिवाइनिंगः नारियल और सूखी टहनियों से भूजल खोजने का पारंपरिक तरीका

शनमुगन ने अपनी धोती ऊपर उठाई और बड़ी ही सावधानी से अपना एक पैर जमीन पर रखा। कुछ महसूस न होने पर वह दूसरी दिशा की ओर बढ़ गए। फिर…
बेंगलुरु के रहने वाले वॉटर डिवाइनर एस. सैमसन तांबे के उपकरण से बोर पॉइंट खोजने की कोशिश कर रहे हैं। पास ही खड़े बच्चे उन्हें काम करते हुए देख रहे हैं। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 
हाथीपाखना गांव का निवासी हुंडी या मंदिर में प्रार्थना कर रहा है। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 

घटते फॉरेस्ट कॉमन्स, कोरापुट के आदिवासी समुदायों के लिए त्यौहार मनाना हुआ मुश्किल

ओडिशा के कोरापुट जिले में चैता परब का मौसम है। इन दिनों ज्यादातर आदिवासी महुआ के पेड़ के फूलों से बनी स्थानीय शराब महुली का लुत्फ उठाने के लिए बेताब…
हाथीपाखना गांव का निवासी हुंडी या मंदिर में प्रार्थना कर रहा है। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 
बेयरफुट इकोलॉजिस्टों को वैज्ञानिक डेटा संग्रह और विश्लेषण में प्रशिक्षित किया जाता है जिसे वे प्रभावी संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान के साथ एकीकृत कर सकते हैं। तस्वीर- मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा 

पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का मेल: जलवायु परिवर्तन का दस्तावेजीकरण करते पर्यावरणविद्

तमिलनाडु के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के गलिथिम्बम गांव के महालिंगम बालन हफ्ते में एक बार कई अलग-अलग वन क्षेत्रों का दौरा करते हैं और विभिन्न पारिस्थितिक पहलुओं का बारीकी से…
बेयरफुट इकोलॉजिस्टों को वैज्ञानिक डेटा संग्रह और विश्लेषण में प्रशिक्षित किया जाता है जिसे वे प्रभावी संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान के साथ एकीकृत कर सकते हैं। तस्वीर- मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा