Categories for प्राकृतिक संसाधन

कूथापाडी-कुलथरामपट्टी वनम की ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित पानी के टबों से पानी पीता अलाम्बडी नस्ल के मवेशियों का एक झुंड। धर्मपुरी जिले के पेनागरम तालुक के पहाड़ी क्षेत्र और कृष्णगिरि जिले के देनकनिकोट्टाई में आलम्बादी मवेशियों का असमान वितरण है। तस्वीर: डी. मुनीराज, मोंगाबे के लिए

तमिलनाडु में चराई पर प्रतिबंध से वनवासियों के अधिकारों और आजीविका को खतरा

थानथाई पेरियार वन्यजीव अभयारण्य की घोषणा और 2022 के मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा वन क्षेत्रों में मवेशियों को चराने पर प्रतिबंध लगाने के बाद से तमिलनाडु के इरोड जिले में…
कूथापाडी-कुलथरामपट्टी वनम की ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित पानी के टबों से पानी पीता अलाम्बडी नस्ल के मवेशियों का एक झुंड। धर्मपुरी जिले के पेनागरम तालुक के पहाड़ी क्षेत्र और कृष्णगिरि जिले के देनकनिकोट्टाई में आलम्बादी मवेशियों का असमान वितरण है। तस्वीर: डी. मुनीराज, मोंगाबे के लिए
मुतपा गांव में ग्राम सभा का आयोजन। तस्वीर- जॉन केरकेट्टा

झारखंड: 3.77 लाख करोड़ सालाना से भी ज़्यादा है राज्य के कॉमन्स से मिलने वाली सेवाओं की कीमत

“आज भी जंगल से हमें जरूरत की तीन-चौथाई चीजें मिल जाती हैं। पंद्रह साल पहले तक जंगल से ही हमें हमारी जरूरत की सभी चीजें मिल जाती थी।” झारखंड के…
मुतपा गांव में ग्राम सभा का आयोजन। तस्वीर- जॉन केरकेट्टा
सुंदरबन में दुर्लभ जलीय कृषि स्थलों में से एक जहां वैज्ञानिक तरीकों का पालन किया जा रहा है। तस्वीर- मोंगाबे के लिए नीलाद्री सरकार।

अनियंत्रित झींगा पालन से बदलता सुंदरबन में भूमि उपयोग

पश्चिम बंगाल के सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व (एसबीआर) में स्थित नागेंद्रपुर गांव में एक संकरी, छह फुट चौड़ी गली एक बड़ी आद्रभूमि (वेटलैंड), जिसका इस्तेमाल जलकृषि के लिए किया जाता है,…
सुंदरबन में दुर्लभ जलीय कृषि स्थलों में से एक जहां वैज्ञानिक तरीकों का पालन किया जा रहा है। तस्वीर- मोंगाबे के लिए नीलाद्री सरकार।
रुद्रप्रयाग संगम पर मंदाकिनी नदी पर बने फुटब्रिज का टूटा हुआ सिरा। भूस्खलन की संवेदनशीलता का नया नक्शा पूर्वी घाट की भूस्खलन की संवेदनशीलता को दिखाता है, जो इस क्षेत्र के जोखिमों को समझने के लिए अहम जानकारी है। विकिमीडिया कॉमन्स के जरिए मुखर्जी की तस्वीर (CC BY-SA 3.0)।

भारत के नए भूस्खलन मानचित्र में हुआ पूर्वी घाटों का उल्लेख

भूस्खलन को जमीन पर सबसे विनाशकारी खतरों में से एक माना जाता है। इससे जान-माल का बहुत ज्यादा नुकसान होता है। कई विकासशील देशों में भूस्खलन से होने वाला आर्थिक…
रुद्रप्रयाग संगम पर मंदाकिनी नदी पर बने फुटब्रिज का टूटा हुआ सिरा। भूस्खलन की संवेदनशीलता का नया नक्शा पूर्वी घाट की भूस्खलन की संवेदनशीलता को दिखाता है, जो इस क्षेत्र के जोखिमों को समझने के लिए अहम जानकारी है। विकिमीडिया कॉमन्स के जरिए मुखर्जी की तस्वीर (CC BY-SA 3.0)।
हरियाणा के सिरसा में तालाब से मिट्टी हटाने का काम करते हुए मनरेगा मजदूर। तस्वीर- मुल्ख सिंह/विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।

वनक्षेत्र को बढ़ाने में मददगार हैं मनरेगा जैसी ग्रामीण रोजगार योजनाएं

वृक्षारोपण और आजीविका के बीच संबंधों की पड़ताल करने वाले एक नए शोध पत्र से पता चलता है कि मनरेगा जैसी सामाजिक कल्याणकारी योजनाएं आय और रोजगार प्रदान करने के…
हरियाणा के सिरसा में तालाब से मिट्टी हटाने का काम करते हुए मनरेगा मजदूर। तस्वीर- मुल्ख सिंह/विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए

बिहार में बाढ़ की एक बड़ी वजह कोसी में जमी गाद, क्या है समाधान?

नेपाल के सप्तरी जिले के 63 वर्षीय रामेश्वर यादव माहुली नदी के एक नंबर पुल से कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठे हैं। उनके साथ हैं 74…
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए
केरल का एक समुद्र तट। तस्वीर- पीडीपीक्स/विकिमीडिया कॉमन्स 

मध्य केरल में तटीय आपदा जोखिमों का आकलन

मध्य केरल के तट पर आपदा जोखिम का आकलन करने वाले एक नए अध्ययन में कहा गया है कि तटीय सुरक्षा, जल निकासी में सुधार और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली जैसे…
केरल का एक समुद्र तट। तस्वीर- पीडीपीक्स/विकिमीडिया कॉमन्स 
बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के लिए सही जमीन की पहचान करना और मांग को बढ़ावा देने जैसी पहलें कश्मीर के बल्ला उद्योग को बनाए रखने और इसके विकास के लिए अहम हैं। तस्वीर सौजन्य: फवजुल कबीर।

क्रिकेट का कश्मीर कनेक्शन: हर साल बन रहे तीस लाख कश्मीरी विलो के बल्ले

भारत में क्रिकेट की शुरुआत एक सदी से भी पहले हुई थी। जैसे-जैसे देश में यह खेल लोकप्रिय होता गया, बल्ला उद्योग भी आगे बढ़ने लगा। अब, बल्ला बनाने के…
बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के लिए सही जमीन की पहचान करना और मांग को बढ़ावा देने जैसी पहलें कश्मीर के बल्ला उद्योग को बनाए रखने और इसके विकास के लिए अहम हैं। तस्वीर सौजन्य: फवजुल कबीर।
तमिलनाडु के अनामलाई पहाड़ियों में सड़क पार करते हुए एक हाथी और उसका बच्चा। खराब तरीके से बनाई गई सड़कों और रेलवे लाइनों की वजह से एशियाई हाथियों की गाड़ियों से टक्कर हो रही है, जिससे वे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन/NCF

हाथियों की सड़क और रेलवे पटरियों पर होने वाली मौतों को रोकने के लिए नई हैंडबुक जारी

इस साल की शुरुआत में, कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास एक ट्रेन से एक हाथी और उसके बच्चे को टक्कर मार दी, जिससे दोनों की मौत हो गई। कुछ महीने…
तमिलनाडु के अनामलाई पहाड़ियों में सड़क पार करते हुए एक हाथी और उसका बच्चा। खराब तरीके से बनाई गई सड़कों और रेलवे लाइनों की वजह से एशियाई हाथियों की गाड़ियों से टक्कर हो रही है, जिससे वे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन/NCF
नर्डल्स मछली के अंडों की तरह दिखते हैं। समुद्री पक्षी, मछलियाँ और क्रस्टेशियन उन्हें खाकर भूख से मर जाते हैं और अंग काम करना बंद कर देते हैं। तस्वीर- शौनक मोदी/तटीय संरक्षण फाउंडेशन।

समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण केवल कचरे की समस्या नहीं है; उत्पादन में कमी लाना भी जरूरी है

पिछले साल जुलाई 2023 का रविवार था, जब मुंबई में एक लाइफगार्ड ने शहर के अक्सा बीच पर पारदर्शी छोटी-छोटी बूंदें देखीं। यह समझ पाने में असमर्थ कि वे क्या…
नर्डल्स मछली के अंडों की तरह दिखते हैं। समुद्री पक्षी, मछलियाँ और क्रस्टेशियन उन्हें खाकर भूख से मर जाते हैं और अंग काम करना बंद कर देते हैं। तस्वीर- शौनक मोदी/तटीय संरक्षण फाउंडेशन।
मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के आदिवासी गांवों से होकर बहती नर्मदा नदी। तस्वीर - रचित तिवारी।

[कमेंट्री] नर्मदा नदी पर क्रूज: क्या यह वैध, उचित या न्यायोचित है?

मध्य प्रदेश के पर्यटन विभाग ने साल 2022 की शुरुआत में नर्मदा नदी पर पर्यटकों के लिए क्रूज शिप सेवा शुरू करने का प्रस्ताव रखा था। ये क्रूज अभी तक…
मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के आदिवासी गांवों से होकर बहती नर्मदा नदी। तस्वीर - रचित तिवारी।
बेंगलुरु के रहने वाले वॉटर डिवाइनर एस. सैमसन तांबे के उपकरण से बोर पॉइंट खोजने की कोशिश कर रहे हैं। पास ही खड़े बच्चे उन्हें काम करते हुए देख रहे हैं। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 

वाटर डिवाइनिंगः नारियल और सूखी टहनियों से भूजल खोजने का पारंपरिक तरीका

शनमुगन ने अपनी धोती ऊपर उठाई और बड़ी ही सावधानी से अपना एक पैर जमीन पर रखा। कुछ महसूस न होने पर वह दूसरी दिशा की ओर बढ़ गए। फिर…
बेंगलुरु के रहने वाले वॉटर डिवाइनर एस. सैमसन तांबे के उपकरण से बोर पॉइंट खोजने की कोशिश कर रहे हैं। पास ही खड़े बच्चे उन्हें काम करते हुए देख रहे हैं। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 
हाथीपाखना गांव का निवासी हुंडी या मंदिर में प्रार्थना कर रहा है। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 

घटते फॉरेस्ट कॉमन्स, कोरापुट के आदिवासी समुदायों के लिए त्यौहार मनाना हुआ मुश्किल

ओडिशा के कोरापुट जिले में चैता परब का मौसम है। इन दिनों ज्यादातर आदिवासी महुआ के पेड़ के फूलों से बनी स्थानीय शराब महुली का लुत्फ उठाने के लिए बेताब…
हाथीपाखना गांव का निवासी हुंडी या मंदिर में प्रार्थना कर रहा है। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 
बेयरफुट इकोलॉजिस्टों को वैज्ञानिक डेटा संग्रह और विश्लेषण में प्रशिक्षित किया जाता है जिसे वे प्रभावी संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान के साथ एकीकृत कर सकते हैं। तस्वीर- मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा 

पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का मेल: जलवायु परिवर्तन का दस्तावेजीकरण करते पर्यावरणविद्

तमिलनाडु के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के गलिथिम्बम गांव के महालिंगम बालन हफ्ते में एक बार कई अलग-अलग वन क्षेत्रों का दौरा करते हैं और विभिन्न पारिस्थितिक पहलुओं का बारीकी से…
बेयरफुट इकोलॉजिस्टों को वैज्ञानिक डेटा संग्रह और विश्लेषण में प्रशिक्षित किया जाता है जिसे वे प्रभावी संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान के साथ एकीकृत कर सकते हैं। तस्वीर- मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा 
उरावु लैब्स में पानी की शुद्धता की जांच करता हुआ एक कर्मचारी। उरावु लिक्विड डेसीकेंट तकनीक का इस्तेमाल करता है जो हवा से नमी को सोखता है। फिर इसे फिल्टर और विशोषण प्रक्रिया के जरिए भेजा जाता है, ताकि पानी में दूषित पदार्थ न हों। मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा ली गई तस्वीर।

नई तकनीक से हवा से तैयार हो रहा किफायती पीने योग्य पानी

बेंगलुरु जैसे भारतीय महानगर पिछले कुछ समय से डे जीरो (किसी दिन पूरी तरह पानी नहीं मिलना) के संभावित खतरे से दो-चार हैं। शहर में जल संसाधनों का कुप्रबंधन इतना…
उरावु लैब्स में पानी की शुद्धता की जांच करता हुआ एक कर्मचारी। उरावु लिक्विड डेसीकेंट तकनीक का इस्तेमाल करता है जो हवा से नमी को सोखता है। फिर इसे फिल्टर और विशोषण प्रक्रिया के जरिए भेजा जाता है, ताकि पानी में दूषित पदार्थ न हों। मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा ली गई तस्वीर।
कोयला खदान। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्यों के पास खनन भूमि पर टैक्स लगाने का पूरा अधिकार है। तस्वीर- राहुल सिंह

खनिजों पर टैक्स वसूल सकेंगे राज्य, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और झारखंड के विधेयक से उद्योग चिंतित

अब खनिज-बहुल राज्य पिछली तारीख यानी 1 अप्रैल, 2005 से खनिज भूमि पर टैक्स वसूल सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों के टैक्स से जुड़े अधिकारों के आलोक में…
कोयला खदान। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्यों के पास खनन भूमि पर टैक्स लगाने का पूरा अधिकार है। तस्वीर- राहुल सिंह
नौशेरा फॉरेस्ट डिवीजन के सुंदरबनी जंगल में बिखरी चीड़-देवदार की पत्तियों को इकट्ठा किया जा रहा है। तस्वीर- राकेश वर्मा

आग की जगह आजीविका के अवसर देतीं चीड़ की ज्वलनशील पत्तियां

जैसे ही जम्मू-कश्मीर के सुंदरबनी के जंगलों में बसंत का सूरज लंबे-लंबे चीड़ (Pinus roxburgii) के पेड़ों पर चमकना शुरू होता है, वैसे ही जंगल के पास रहने वाले लोग…
नौशेरा फॉरेस्ट डिवीजन के सुंदरबनी जंगल में बिखरी चीड़-देवदार की पत्तियों को इकट्ठा किया जा रहा है। तस्वीर- राकेश वर्मा
बजट की तैयारी में शामिल अधिकारियों की ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया शुरू होने से पहले हर साल एक पारंपरिक हलवा समारोह आयोजित किया जाता है। तस्वीर साभार- पीआईबी

एनडीए-3 का पहला बजट पर्यावरण अनुकूल, लेकिन अमल को लेकर संदेह बरकरार

पिछले महीने संपन्न हुए आम चुनावों में मिले झटकों के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपना सातवां बजट पेश किया। यह मौजूदा सरकार का पहला बजट…
बजट की तैयारी में शामिल अधिकारियों की ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया शुरू होने से पहले हर साल एक पारंपरिक हलवा समारोह आयोजित किया जाता है। तस्वीर साभार- पीआईबी
अप्रैल 2016 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चितई के पास चीड़ के जंगलों में लगी आग। फाइल तस्वीर- Ramwik/विकिमीडिया कॉमन्स

बकाया वेतन, संसाधनों का अभाव, जंगल की आग से कैसे लड़ेंगे उत्तराखंड के अग्नि प्रहरी

इस साल उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों में वनाग्नि के मामले दर्ज किये गए। राज्य की दोनों प्रशासनिक इकाइयों में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, देहरादून…
अप्रैल 2016 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चितई के पास चीड़ के जंगलों में लगी आग। फाइल तस्वीर- Ramwik/विकिमीडिया कॉमन्स
बड़वानी जिले के कुकरा राजघाट गांव की रहनेवाली सुमित्रा दरबार। यह गांव बड़वानी जिले की बड़वानी तहसील के बिरखेड़ा पंचायत में पड़ता है और पिछले साल की बाढ़ के दौरान टापू बन गया था। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

सरदार सरोवर के जलस्तर में बदलाव से अधर में लटकी हजारों परिवारों की जिंदगियां

मध्य प्रदेश के धार जिले के एकलवाड़ा गाँव के 73 वर्षीय जगदीश सिंह तोमर को पिछले साल सितंबर में नर्मदा नदी में आई बाढ़ के बाद अपना पुश्तैनी मकान छोड़ना…
बड़वानी जिले के कुकरा राजघाट गांव की रहनेवाली सुमित्रा दरबार। यह गांव बड़वानी जिले की बड़वानी तहसील के बिरखेड़ा पंचायत में पड़ता है और पिछले साल की बाढ़ के दौरान टापू बन गया था। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
बाराजान पठार से बहने वाली एक प्राकृतिक जलधारा पर निर्माणाधीन एक छोटा बांध। तस्वीर-मैत्रेय पृथ्वीराज घोरपड़े

उत्तरी गोवा के गांवों में बढ़ती पानी की किल्लत, नए हवाई अड्डे को जिम्मेदार ठहराते लोग

पिछले कई दिनों से, हर सुबह उदय महाले एक उम्मीद के साथ अपने बाथरूम का नल खोलते हैं कि शायद आज उसमें पानी आ जाए। लेकिन ऐसा होता नहीं है।…
बाराजान पठार से बहने वाली एक प्राकृतिक जलधारा पर निर्माणाधीन एक छोटा बांध। तस्वीर-मैत्रेय पृथ्वीराज घोरपड़े
वधावन तट से शैलफिश और मोलस्क इकट्ठा करती मछुआरिन। तस्वीर - मीना मेनन।

मछुआरों के विरोध के बावजूद महाराष्ट्र में बंदरगाह परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी

महाराष्ट्र का वधावन गांव दहानू तालुका में स्थित है। यहां अंतर-ज्वारीय क्षेत्र पांच वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह क्षेत्र हरे समुद्री शैवाल या उलवा और नरम मैरून और…
वधावन तट से शैलफिश और मोलस्क इकट्ठा करती मछुआरिन। तस्वीर - मीना मेनन।
ब्लैक वेटल (अकेशिया मेरनसी)। तस्वीर- फॉरेस्ट और किम स्टार/विकिकिमीडिया कॉमन्स

विलायती बबूल की छाया में पनप रहे देसी शोला के पौधे

पश्चिमी घाट में वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया कि विदेशी पेड़ों की छाया में शोला वनों की मूल प्रजातियों के पुनर्जनन यानी फिर से फलने फूलने की संभावना होती…
ब्लैक वेटल (अकेशिया मेरनसी)। तस्वीर- फॉरेस्ट और किम स्टार/विकिकिमीडिया कॉमन्स
सामुदायिक संरक्षण क्षेत्र 70 वर्ग किलोमीटर में फैला है। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज

अरुणाचल प्रदेशः पैतृक भूमि को बचाए रखने के लिए इदु मिश्मी का सामुदायिक संरक्षण

पुराने समय में बुजुर्ग कैसे पहाड़ों में बसे एलोपा और एटुगु गांवों से हर दिन लंबी यात्राएं करते थे, जंगलों को पार करते थे और जंगली जानवरों के झुंडों का…
सामुदायिक संरक्षण क्षेत्र 70 वर्ग किलोमीटर में फैला है। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 

[वीडियो] क्या अरुणाचल के बढ़ते बिजली संकट को हल कर पाएंगी पारंपरिक पनचक्कियां

रूपा बौद्ध मठ में काफी चहल पहल है। उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा उप-मंडल में रहने वाली एक प्रमुख जनजाति शेरटुकपेन अपने सबसे लोकप्रिय…
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 
सोमालिया में खराब पड़े टायर। प्रतीकात्मक तस्वीर। साल 2021 में भारत में हर दिन 2,75,000 टायर खराब हो रहे थे और इन खराब हो रहे टायरों की कोई ट्रैकिंग ही नहीं होती है। तस्वीर- वंगारी पैट्रिकके/विकिमीडिया कॉमन्स।

खराब और पुराने टायर क्यों हैं पर्यावरण के लिए गंभीर मुद्दा?

दिसंबर 2022 में भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन गया। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में ऑटोमोबाइल सेक्टर का योगदान लगभग…
सोमालिया में खराब पड़े टायर। प्रतीकात्मक तस्वीर। साल 2021 में भारत में हर दिन 2,75,000 टायर खराब हो रहे थे और इन खराब हो रहे टायरों की कोई ट्रैकिंग ही नहीं होती है। तस्वीर- वंगारी पैट्रिकके/विकिमीडिया कॉमन्स।
मुंबई में एक मैंग्रोव की प्रतीकात्मक तस्वीर। मैंग्रोव में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की सबसे अहम वजह उस क्षेत्र में इंसानी गतिविधियों को माना जाता है और ये अलग-अलग इलाकों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती हैं। तस्वीर- सौमित्र शिंदे/मोंगाबे।

दक्षिण पश्चिमी भारत के मैंग्रोव में मिले फाइबर जैसे माइक्रोप्लास्टिक

भारत में हुई एक नई स्टडी में दक्षिण-पश्चिमी भारत के मैंग्रोव में पाए गए कई तरह के माइक्रोप्लास्टिक और उनके डिस्ट्रीब्यूशन के बारे में जानकारी दी गई है। इससे, इन…
मुंबई में एक मैंग्रोव की प्रतीकात्मक तस्वीर। मैंग्रोव में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की सबसे अहम वजह उस क्षेत्र में इंसानी गतिविधियों को माना जाता है और ये अलग-अलग इलाकों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती हैं। तस्वीर- सौमित्र शिंदे/मोंगाबे।
हसदेव समुदाय की महिलाओं के साथ गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से नवाजे गए आलोक शुक्ला। तस्वीर गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार के जरिए।

[इंटरव्यू] गोल्डमैन पुरस्कार से नवाजे गए आलोक शुक्ला ने कहा, “यह जल, जंगल, जमीन के लिए संघर्ष कर रहे आदिवासियों का सम्मान”

छत्तीसगढ़ में पर्यावरण को बचाने के लिए काम करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए 29 अप्रैल का दिन खास रहा। इस दिन राज्य के पर्यावरण कार्यकर्ता आलोक शुक्ला को संकटग्रस्त…
हसदेव समुदाय की महिलाओं के साथ गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से नवाजे गए आलोक शुक्ला। तस्वीर गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार के जरिए।
लीची के फूल पर मंडराती एक मधुमक्खी। बिहार के मुजफ्फरपुर में सबसे अधिक 8400 मिट्रीक टन शहद का उत्पादन होता है। मुजफ्फरपुर में अधिक शहद उत्पादन की सबसे बड़ी वजह यहां लीची के साथ फूल और सरसो की अच्छी खेती है। तस्वीर- फ़ॉरेस्ट और किम स्टार/विकिमीडिया कॉमन्स

लीची शहद के लिए मशहूर बिहार उत्पादन में आगे, पर दूसरे राज्यों पर निर्भर किसान

बिहार के गया जिले में परैया मरांची गांव के चितरंजन कुमार 18-20 टन शहद का उत्पादन करते हैं। ठीक ऐसे ही, इस ही गाँव के निरंजन प्रसाद भी साल में…
लीची के फूल पर मंडराती एक मधुमक्खी। बिहार के मुजफ्फरपुर में सबसे अधिक 8400 मिट्रीक टन शहद का उत्पादन होता है। मुजफ्फरपुर में अधिक शहद उत्पादन की सबसे बड़ी वजह यहां लीची के साथ फूल और सरसो की अच्छी खेती है। तस्वीर- फ़ॉरेस्ट और किम स्टार/विकिमीडिया कॉमन्स
देश से बाहर भेजने के लिए नमक की पैकेजिंग करते मजदूर। नमक उत्पादन को बेमौसम बारिश से बचाने के लिए यांत्रिक टर्बुलेशन, सौर पैनलों की मदद से गर्मी को रेगुलेट करने और खारे पानी के तापमान को बढ़ाने और वाष्पीकरण में मदद करने वाली रासायनिक रंगों जैसी तकनीकों का पता लगाया जा रहा है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे।

गुजरातः नमक उत्पादन पर अनिश्चित मौसम की मार, बढ़ रही लागत

आषाढ़ी बीज, कच्छी समुदाय का नया साल है। यह दिन गुजरात के कच्छ क्षेत्र में मानसून की शुरुआत का प्रतीक भी है। यह त्योहार जून के आखिर में आता है।…
देश से बाहर भेजने के लिए नमक की पैकेजिंग करते मजदूर। नमक उत्पादन को बेमौसम बारिश से बचाने के लिए यांत्रिक टर्बुलेशन, सौर पैनलों की मदद से गर्मी को रेगुलेट करने और खारे पानी के तापमान को बढ़ाने और वाष्पीकरण में मदद करने वाली रासायनिक रंगों जैसी तकनीकों का पता लगाया जा रहा है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे।