Categories for प्राकृतिक संसाधन

दक्षिण सिक्किम के टेमी टी एस्टेट में काम करते चाय बागान कर्मी। रिसर्चर्स का कहना है कि फसलों और खेती से जुड़ी ज्यादातर नीतियां मैदानी क्षेत्रों के हिसाब से होती हैं और इनमें पहाड़ी समुदायों के हितों का ध्यान नहीं रखा जाता है। तस्वीर- आदित्य प्रधान।

पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं को कैसे देखते हैं स्थानीय लोग, अध्ययनों ने की जानने की कोशिश

पिछले कुछ दशकों में पूरी दुनिया में प्रकृति का संरक्षण प्रकृति की ओर से मिलने वाली पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के आर्थिक मूल्यों पर आधारित रहा है। इसके जरिए संरक्षण…
दक्षिण सिक्किम के टेमी टी एस्टेट में काम करते चाय बागान कर्मी। रिसर्चर्स का कहना है कि फसलों और खेती से जुड़ी ज्यादातर नीतियां मैदानी क्षेत्रों के हिसाब से होती हैं और इनमें पहाड़ी समुदायों के हितों का ध्यान नहीं रखा जाता है। तस्वीर- आदित्य प्रधान।
इस रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के जरिए जम्मू-कश्मीर में तवी नदी को रोजगार के खास मौके पैदा करने वाली बनाया जाएगा। तस्वीर- पॉल ला पोर्टे/विकीमीडिया कॉम्नस।

जम्मू के तवी रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट से हो सकता है नदी को नुकसान, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से बनाए जा रहे तवी रिवरफ्रंट को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी चिंता जताई है कि इससे पर्यावरण को खतरा है और जलवायु परिवर्तन के…
इस रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के जरिए जम्मू-कश्मीर में तवी नदी को रोजगार के खास मौके पैदा करने वाली बनाया जाएगा। तस्वीर- पॉल ला पोर्टे/विकीमीडिया कॉम्नस।
एव्स द्वीस पर पाए गए प्लास्टीग्लोमेरेट में मिले ग्रीन प्लास्टिक फ्रैगमेंट का सबूत। तस्वीर- प्रसून गोस्वामी और पुण्यस्लोके भादुरी।

अंडमान द्वीप समूह में मिले प्लास्टिक-रॉक हाइब्रिड, प्लास्टिक प्रदूषण का बेहद नया रूप

कोलकाता स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च ने अपनी एक स्टडी में अंडमान द्वीप समूह के एव्स (Aves) द्वीप प्लीस्टीग्लोमेरेट्स की मौजूदगी की पुष्टि की है। जिन सैंपल का…
एव्स द्वीस पर पाए गए प्लास्टीग्लोमेरेट में मिले ग्रीन प्लास्टिक फ्रैगमेंट का सबूत। तस्वीर- प्रसून गोस्वामी और पुण्यस्लोके भादुरी।
नर हूलॉक गिब्बन। तस्वीर- मिराज हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स 

मेघालय में स्तनपायी जीवों की आबादी पर समुदाय-आधारित संरक्षण प्रयासों का अच्छा असर

एक अध्ययन में पाया गया है कि कम्युनिटी रिजर्व (सीआर) यानी आदिवासी समुदायों द्वारा प्रबंधित संरक्षित क्षेत्र, संरक्षण प्राथमिकताओं और समुदायों की आजीविका की जरूरतों को संतुलित करने के लिए…
नर हूलॉक गिब्बन। तस्वीर- मिराज हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स 
ताड़ के पत्तों से बने नर्सरी बैग लिए हुए महिलाएं। तस्वीर- बालाजी वेदराजन।

मैंग्रोव रोपाई के लिए प्लास्टिक की जगह लेते ताड़ के पत्तों से बने नर्सरी बैग

फूस से बनी अपनी झोपड़ी के पास बैठकर, अचिक्कन्नु मछली पकड़ने के टूटे हुए जाल से बने बाड़ पर रखे ताड़ के सूखे पत्ते (बोरासस फ्लेबेलिफ़र) की तरफ हाथ बढ़ाती…
ताड़ के पत्तों से बने नर्सरी बैग लिए हुए महिलाएं। तस्वीर- बालाजी वेदराजन।
ओडिशा में महानदी। नदी पर हजारों मछुआरे और किसान आश्रित हैं। साल 1937 में पहली बार महानदी के पानी को लेकर बात शुरु हुई थी, जब ओडिशा में हीराकुंड बांध बनाने की बात चली। तस्वीर- कमलाकांत नायक/विकिमीडिया कॉमन्स

महानदी: 86 सालों बाद भी क्यों नहीं सुलझ पा रहा छत्तीसगढ़, ओडिशा जल विवाद

बारिश के इस मौसम में छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाइगढ़ ज़िले के कलमा बैराज के दोनों तरफ़ पानी नज़र आ रहा है। लेकिन दो-तीन महीने पहले तक तस्वीर ऐसी नहीं थी। छत्तीसगढ़…
ओडिशा में महानदी। नदी पर हजारों मछुआरे और किसान आश्रित हैं। साल 1937 में पहली बार महानदी के पानी को लेकर बात शुरु हुई थी, जब ओडिशा में हीराकुंड बांध बनाने की बात चली। तस्वीर- कमलाकांत नायक/विकिमीडिया कॉमन्स
चकैया गांव के किसान, जिनका कहना है कि बारिश के महीने में यह इलाका पानी में डूब जाता है। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

रामसर साईट की दौड़ में पीछे छूटते बिहार के बड़े वेटलैंड्स, मानव निर्मित नागी-नकटी झील दावेदारी में आगे

मई के आखिरी दिनों में बिहार की सबसे बड़ी झीलों या वेटलैंड (आर्द्र भूमि) में से एक बरैला ताल में जलस्रोत की तलाश करना काफी मशक्कत भरा काम था। बिहार…
चकैया गांव के किसान, जिनका कहना है कि बारिश के महीने में यह इलाका पानी में डूब जाता है। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
कोटागिरी में कन्निगदेवी कॉलोनी में खुले मैदान में पड़ा कचरे का ढ़ेर एक लैंडमार्क बन चुका है। यह वन्यजीवों को आकर्षित करता है। इसकी वजह से अक्सर इंसान और जानवरों का आमना-सामना हो जाता है या फिर जानवर इसके आसपास रहने वाले लोगों के घरों में घुस आते हैं। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे 

खराब अपशिष्ट प्रबंधन की कीमत चुकाता नीलगिरी जिले का एक पहाड़ी शहर

38 साल की जयासुधा इसे अपना सौभाग्य मानती हैं कि 11 दिसंबर, 2020 की रात वह घर पर नहीं थीं। उस रात तमिल नाडू के नीलगिरी जिले के कोटागिरी शहर…
कोटागिरी में कन्निगदेवी कॉलोनी में खुले मैदान में पड़ा कचरे का ढ़ेर एक लैंडमार्क बन चुका है। यह वन्यजीवों को आकर्षित करता है। इसकी वजह से अक्सर इंसान और जानवरों का आमना-सामना हो जाता है या फिर जानवर इसके आसपास रहने वाले लोगों के घरों में घुस आते हैं। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे 
नर्सरी से लाने के बाद पौधों को लगाते लोग। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे ।

मैंग्रोव के निर्माण से लाभान्वित हो रहा गुजरात का तटीय समुदाय, आजीविका के साथ पर्यावरण को फायदा

ऐसा लग रहा था कि यह दलदल कभी ख़त्म नहीं होगा। जब मैं घुटनों तक दलदल में चली गई, तो सिर्फ़ केकड़ ही मेरे साथ थे। मुझसे महज 10 फुट…
नर्सरी से लाने के बाद पौधों को लगाते लोग। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे ।
स्थानीय तौर पर बुरांश के नाम से जाना जाने वाला Rhododendron arboreum खूबसूरत और हरा-भरा पेड़ होता है जिस पर गाढ़े लाल रंग के फूल आते हैं और इसका तना गुलाबी भूरे रंग का होता है। तस्वीर: अनिल विजयेश्वर डंगवाल।

(कमेंट्री) हिमालयी फूल बुरांश की संभावनाओं और क्षमताओं की खोज

वनों पर निर्भर समुदायों की जीविका वनों में मिलने वाली जैव विविधता से और समृद्ध होती है। इससे वह वनों में आसानी से जीवित रहते हैं और उनका जीवन आसान…
स्थानीय तौर पर बुरांश के नाम से जाना जाने वाला Rhododendron arboreum खूबसूरत और हरा-भरा पेड़ होता है जिस पर गाढ़े लाल रंग के फूल आते हैं और इसका तना गुलाबी भूरे रंग का होता है। तस्वीर: अनिल विजयेश्वर डंगवाल।
थिरुनेली सीड फेस्टिवल में दर्शाई गईं चावल की विभिन्न किस्में। तस्वीर- मैक्स मार्टिन/मोंगाबे

जलवायु अनुकूल पारंपरिक बीज और कृषि उपज का जश्न मनाता थिरुनेली का सीड फेस्टिवल

पंचरिमेलम की संगीत मंडली ने त्योहार की गूंज को केरल के मंदिर में सुरों के रंगों से सजाया हुआ था। वहीं खड़े एक बुजुर्ग अपने युवा प्रशंसकों से बीज के…
थिरुनेली सीड फेस्टिवल में दर्शाई गईं चावल की विभिन्न किस्में। तस्वीर- मैक्स मार्टिन/मोंगाबे
हिंद महासागर में डाला गया एक एफएडी। तस्वीर- ग्रीनपीस।

मछलियों को आकर्षित करने वाले उपकरणों से हिंद महासागर की टूना प्रजाति पर बढ़ता खतरा

हिंद महासागर में टूना मछलियों की तीन व्यावसायिक प्रजातियां पाई जाती हैं और इस समय तीनों की लुप्त होने की कगार पर हैं। दुनियाभर में टूना मछलियों के कारोबार के…
हिंद महासागर में डाला गया एक एफएडी। तस्वीर- ग्रीनपीस।
रामेश्वरम के मछुआरे पकड़ी हुई मछलियों को किनारे पर लाते हुए। तस्वीर- नारायण स्वामी सुब्बारमन/मोंगाबे

प्रदूषण, नियमों की अनदेखी और भूमि रूपांतरण की वजह बनते रामेश्वरम के झींगा फार्म

भारत में, पिछले कुछ वर्षों में, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं चलाई गई हैं। इन अनुकूल नीतियों के चलते  देश में…
रामेश्वरम के मछुआरे पकड़ी हुई मछलियों को किनारे पर लाते हुए। तस्वीर- नारायण स्वामी सुब्बारमन/मोंगाबे
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स

मंजूरी नहीं मिलने से अटकी अरुणाचल की एटालिन पनबिजली परियोजना, खतरे में थे 2.5 लाख पेड़

अरुणाचल प्रदेश के दिबांग नदी घाटी क्षेत्र में पनबिजली परियोजना को लेकर चिंतित पर्यावरणविदों और स्थानीय आबादी को बड़ी राहत मिली है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की…
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स
ओडिशा के नुआपाड़ा जिलें के खोलीभीतर गाँव में लगा एक विकेंद्रीकित सौर ऊर्जा का एक प्लांट। तस्वीर-मनीष कुमार/मोंगाबे

प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो तो बढ़ सकती है ओडिशा की नवीन ऊर्जा क्षमता

नई दिल्ली के थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फॉर एन्वायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (iFOREST) ने अपनी हालिया स्टडी में दावा किया है नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय ने ओडिशा में सौर…
ओडिशा के नुआपाड़ा जिलें के खोलीभीतर गाँव में लगा एक विकेंद्रीकित सौर ऊर्जा का एक प्लांट। तस्वीर-मनीष कुमार/मोंगाबे

कीटनाशक बनाने वाली कंपनी पर किसानों ने लगाया फसलें खराब करने का आरोप, कार्रवाई की मांग

सलीम पटेल, 43, गुजरात के भरूच जिले के वागरा तालुका के त्रालसा गांव में कपास की खेती करते हैं। वह पिछले 16 साल से ज्यादा समय से कपास उगा रहे…
भारत के एक खेत में कीटनाशक का छिड़काव करते किसान की प्रतीकात्मक तस्वीर। भारत में फसलों की रक्षा करने वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल ज्यादातर कपास, गेहूं, धान और सब्जियों की फसलों पर होता है। तस्वीर- देवेंद्र/पिक्साहाइव।

एग्रोकेमिकल उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ा भारत, औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण पर सवाल बरकरार

सितंबर 2021 को देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक भाषण में कहा कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एग्रोकेमिकल उत्पादक देश है। देश की 15 क्रॉप…
भारत के एक खेत में कीटनाशक का छिड़काव करते किसान की प्रतीकात्मक तस्वीर। भारत में फसलों की रक्षा करने वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल ज्यादातर कपास, गेहूं, धान और सब्जियों की फसलों पर होता है। तस्वीर- देवेंद्र/पिक्साहाइव।
मध्य भारत के एक टाइगर रिजर्व में एक बाघ। तस्वीर- समीर कुमार सिन्हा

[समीक्षा] बाघ के अतीत और वर्तमान की रोचक कहानियां बताती किताब ‘बाघ, विरासत और सरोकार’

“कथाओं के इस देश में  मैं भी एक कथा हूं एक कथा है बाघ भी इसलिए कई बार  जब उसे छिपने को नहीं मिलती  कोई ठीक-ठाक जगह तो वह धीरे-से…
मध्य भारत के एक टाइगर रिजर्व में एक बाघ। तस्वीर- समीर कुमार सिन्हा
अपने गन्ने के खेत दिखाता एक किसान। तस्वीर- सुप्रिया वोहरा/मोंगाबे

गन्ना फसल में पानी की खपत भारत के इथेनॉल लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़ी चुनौती

पिछले साल 2 नवंबर को, केंद्र ने अपने इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के तहत 1 दिसंबर, 2022 से 31 अक्टूबर, 2023 तक विभिन्न गन्ना-आधारित कच्चे माल से प्राप्त इथेनॉल के…
अपने गन्ने के खेत दिखाता एक किसान। तस्वीर- सुप्रिया वोहरा/मोंगाबे
पोषक तत्वों से भरपूर करेवा केसर व बादाम की खेती के लिए के लिए अहम है। तस्वीर- शाज़ सैयद/मोंगाबे 

[वीडियो] बुनियादी ढांचे के नीचे दम तोड़ती कश्मीर के करेवा की उपजाऊ जमीन

केसर की धरती कहे जाने वाले पंपोर इलाके के बीच से एक राष्ट्रीय राजमार्ग (NH44) होकर गुजर रहा है। केसर की खेती करने वाले इश्फाक अहमद यहां खड़े होकर इस…
पोषक तत्वों से भरपूर करेवा केसर व बादाम की खेती के लिए के लिए अहम है। तस्वीर- शाज़ सैयद/मोंगाबे 

भारत में लिथियम खोज एक उम्मीद की किरण, खदान से बैटरी बनने तक एक लंबी यात्रा बाकी

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा जम्मू और कश्मीर में लिथियम भंडार की प्रारंभिक खोज पर हाल ही में की गई घोषणा ने दुर्लभ क्षार धातु पर निर्भर कई उद्योगों को…
शुष्क मौसम के दौरान उथली हो जाने वाली बांग्लादेश के जाफलोंग में स्थित गोयैन नदी गाद व तलछट को नीचे की ओर बहा ले जाती है। फोटो- डेविड स्टेनली वाया फ़्लिकर 

साझा जलमार्गों के बेहतर प्रबंधन से होगा भारत और बांग्लादेश को आर्थिक फायदा

भारत और बांग्लादेश के बीच के नदी मार्ग दोनों देशों के लिए आर्थिक और भौगोलिक स्तर पर काफी मायने रखते हैं। हालांकि पर्यावरण प्रबंधन से जुड़े मसलों ने इनमें से…
शुष्क मौसम के दौरान उथली हो जाने वाली बांग्लादेश के जाफलोंग में स्थित गोयैन नदी गाद व तलछट को नीचे की ओर बहा ले जाती है। फोटो- डेविड स्टेनली वाया फ़्लिकर 
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के सल्लार क्षेत्र का एक जंगल। तस्वीर- आमिर बिन रफ़ी

कश्मीर में खुद से संवर रहे जंगल, बेहतर हो रही मिट्टी की सेहत और कार्बन सिंक

शहर के शोर-शराबे से दूर, दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में सालार जंगल दिसंबर की हांड़ कंपा देने वाली सर्दियों में भी वसंत के मौसम की तरह गुलजार है। कोहरे…
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के सल्लार क्षेत्र का एक जंगल। तस्वीर- आमिर बिन रफ़ी
2019 में बिना खरपतवार वाली सिरपुर आर्द्रभूमि। तस्वीर साभार- भालू मोंधे।

चार रामसर साइट्स के बावजूद क्यों धीमा है मध्य प्रदेश में वेटलैंड संरक्षण

मध्य प्रदेश 2022 में अपने तीन नए वेटलैंड्स (आद्रभूमि) को रामसर साइट का दर्जा दिए जाने का जश्न मना रहा है। लेकिन रामसर साइट में शामिल होने के लिए इंतजार…
2019 में बिना खरपतवार वाली सिरपुर आर्द्रभूमि। तस्वीर साभार- भालू मोंधे।
बिरला इंडस्ट्रियल एंड टेक्नोलॉजिकल म्यूजियम, कोलकाता में फोटो खिंचवाते कोयला खदान के श्रमिकों का भित्ति चित्र। तस्वीर- बिश्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स

भारत में बढ़ती सौर ऊर्जा के बावजूद कोयला ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बना रहेगा

भारत के ऊर्जा स्रोतों में सौर ऊर्जा एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभरेगा, लेकिन कोयला अभी भी देश के ऊर्जा क्षेत्र का मुख्य आधार बना रहेगा। आने वाले दशक…
बिरला इंडस्ट्रियल एंड टेक्नोलॉजिकल म्यूजियम, कोलकाता में फोटो खिंचवाते कोयला खदान के श्रमिकों का भित्ति चित्र। तस्वीर- बिश्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स
20वीं सदी की शुरुआत से ही हंगुल की संख्या में गिरावट आ रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हंगुल आवास के पास कारखानों से होने वाले उत्सर्जन ने हंगुल के शरीर विज्ञान और भोजन के पैटर्न को प्रभावित किया है। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद

सिकुड़ते जंगलों की वजह से विलुप्ति की कगार पर जाता कश्मीरी का शर्मीला हिरण हंगुल

जंगलों से आच्छादित हिमालय की तलहटी में पाया जाने वाला एक शर्मीला हिरण अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। कश्मीर के जंगली हंगुल के आवास और संख्या पर औद्योगीकरण,…
20वीं सदी की शुरुआत से ही हंगुल की संख्या में गिरावट आ रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हंगुल आवास के पास कारखानों से होने वाले उत्सर्जन ने हंगुल के शरीर विज्ञान और भोजन के पैटर्न को प्रभावित किया है। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद
प्याज की फसल की कटाई करते किसान। जीबी-9 ने ‘फसल विविधता के संरक्षक’ के रूप में किसानों की भूमिका को मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव का अंतिम रूप दिया। तस्वीर- मीना631/विकिमीडिया कॉमन्स।

प्लांट जेनेटिक पर अंतरराष्ट्रीय संधि में किसानों के अधिकारों पर बनी आम सहमति

खाद्य और कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों (प्लांट जेनेटिक रिसोर्से फॉर फ़ूड एंड एग्रीकल्चर) पर हुई अंतरराष्ट्रीय संधि में खाद्य और कृषि में पौधों के आनुवंशिक संसाधनों पर किसानों…
प्याज की फसल की कटाई करते किसान। जीबी-9 ने ‘फसल विविधता के संरक्षक’ के रूप में किसानों की भूमिका को मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव का अंतिम रूप दिया। तस्वीर- मीना631/विकिमीडिया कॉमन्स।
भारत और बांग्लादेश ने हाल ही में कुशियारा नदी से पानी साझा करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। तस्वीर- अबू सिद्दीकी / मोंगाबे।

भारत और बांग्लादेश के बीच पानी साझा करने पर प्रभावी समझौते की मांग

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस वर्ष उनकी भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। समझौते के तहत दोनों सरकारें नवंबर से…
भारत और बांग्लादेश ने हाल ही में कुशियारा नदी से पानी साझा करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। तस्वीर- अबू सिद्दीकी / मोंगाबे।
मानसून धान के खेत में स्वेच्छा से कोंकणी रान माणूस अतिथि। तस्वीर- कोंकणी रान माणूस

पर्यावरण को सहेजते हुए आगे बढ़ता कोंकण का इको-टूरिज्म

महाराष्ट्र में पर्यटन को लेकर एक नई पहल लोकप्रिय हो रही है। इसमें पर्यटकों को स्थानीय समुदायों की जीवन शैली और उनके कम कार्बन-फुटप्रिंट यानी किसी इकाई (व्यक्ति या संस्था)…
मानसून धान के खेत में स्वेच्छा से कोंकणी रान माणूस अतिथि। तस्वीर- कोंकणी रान माणूस
गणेश प्रतिमाओं से इस साल दो मिट्टी एकत्रित हुई है उसे अगले साल मूर्तियां बनाने में इस्तेमाल में लाया जाएगा। तस्वीर- वेदसूत्र / विकिमीडिया कॉमन्स

पुणे में गणेश प्रतिमाओं की मिट्टी को दोबारा उपयोग में लाकर पर्यावरण बचाने की पहल

दिनेश गोले महाराष्ट्र के पेण में रहने वाले एक मूर्तिकार हैं जो कई वर्षों से गणेश उत्सव के लिए मूर्तियां बनाते हैं। पेण, पुणे से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी…
गणेश प्रतिमाओं से इस साल दो मिट्टी एकत्रित हुई है उसे अगले साल मूर्तियां बनाने में इस्तेमाल में लाया जाएगा। तस्वीर- वेदसूत्र / विकिमीडिया कॉमन्स