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ओडिशा में लगभग 7,829 महिला स्वयं सहायता समूह पिछले पांच सालों से गांव के तालाबों में पोषण-संवेदनशील मछली पालन में शामिल हैं। तस्वीर- डेटौर ओडिशा/वर्ल्डफिश 

मछली पालन से पोषण को प्रोत्साहित करती ओडिशा की महिलाएं

लगभग डेढ़ दशक पहले तक ‘मोला मछली’ ओड़िया खाने का अभिन्न अंग थी। यह एक स्वदेशी प्रजाति की मछली है जिसे एंबलीफेरिंगोडोन मोला भी कहा जाता है। लेकिन बदलती जलवायु…
ओडिशा में लगभग 7,829 महिला स्वयं सहायता समूह पिछले पांच सालों से गांव के तालाबों में पोषण-संवेदनशील मछली पालन में शामिल हैं। तस्वीर- डेटौर ओडिशा/वर्ल्डफिश 

‘म्युनिसिपल बॉन्ड’ लाने के लिए कितने ‘स्मार्ट’ हैं हमारे शहर?

इंदौर नगर निगम ने जब अपना ग्रीन बॉन्ड जारी किया तो औद्योगिक और कॉर्पोरेट निवेशकों की ओर से उसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली। इससे उन शहरी स्थानीय निकायों को भी हौसला…
पूरे फसल के मौसम में गन्ना काटने वाले मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपकरण, चिकित्सा सुविधाओं या सफाई व्यवस्था के काम करते हैं। तस्वीर- जयसिंह चव्हाण/मोंगाबे

[वीडियो] सूखे की वजह से गन्ना मजदूर बनते मराठवाड़ा के किसान

रात के 8 बजे हैं। अक्टूबर का महीना है और तेज बारिश हो रही है। बीड से 10 लोगों का एक परिवार दक्षिण-पश्चिमी महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादक जिले कोल्हापुर के…
पूरे फसल के मौसम में गन्ना काटने वाले मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपकरण, चिकित्सा सुविधाओं या सफाई व्यवस्था के काम करते हैं। तस्वीर- जयसिंह चव्हाण/मोंगाबे
छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग की पशुपालन से संबंधित टॉस्क फोर्स की 2022 की एक रिपोर्ट कहती है कि राज्य के मवेशी अत्यंत कमज़ोर, अनुत्पादक, अल्प-उत्पादक व अलाभप्रद हैं।  तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल

कुपोषण से जूझ रहे हैं छत्तीसगढ़ के मवेशी, उत्पादकता और प्रजनन क्षमता पर असर

छत्तीसगढ़ के धमतरी के रहने वाले महेश चंद्राकर की गाय पिछले कई सप्ताह से बुखार से तप रही थी। उसका खाना-पीना कम हो गया था और वह बेहद कमज़ोर हो…
छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग की पशुपालन से संबंधित टॉस्क फोर्स की 2022 की एक रिपोर्ट कहती है कि राज्य के मवेशी अत्यंत कमज़ोर, अनुत्पादक, अल्प-उत्पादक व अलाभप्रद हैं।  तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल
सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व में अपनी जिप्सी पर संगीता सोलंकी और वर्षा ठाकुर।

महिलाओं के लिए पर्यटन को सुरक्षित बनाती सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व की महिला सफारी चालक

मध्यप्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में अलसुबह पर्यटक, देनवा नदी को पार करके मढ़ई के जंगलों में पहुँच रहे हैं और सफारी के लिए जिप्सियाँ तैयार हो रही हैं। एक-एक…
सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व में अपनी जिप्सी पर संगीता सोलंकी और वर्षा ठाकुर।
उत्तरी लखीमपुर, असम में मिसिंग जनजाति का एक घर। बाढ़ग्रस्त इलाकों में रह रहे लोग बाढ़ से बचने के लिए चांग घोर अवधारणा को अपना रहे हैं। तस्वीर- pranabnlp /विकिमीडिया कॉमन्स

कैसे असम का मिसिंग समुदाय वास्तुशिल्प डिजाइन के जरिए बाढ़ से मुकाबला कर रहा है

ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे मेधिपामुआ गांव में दिसंबर की गुनगुनी धूप हर तरफ फैली है। गांव के कुछ पुरुष, महिलाएं और बच्चे झुंड बनाकर जमीन से कुछ फीट ऊपर…
उत्तरी लखीमपुर, असम में मिसिंग जनजाति का एक घर। बाढ़ग्रस्त इलाकों में रह रहे लोग बाढ़ से बचने के लिए चांग घोर अवधारणा को अपना रहे हैं। तस्वीर- pranabnlp /विकिमीडिया कॉमन्स
उत्तर प्रदेश के कई किसानों की भारी बारिश के चलते फसल बर्बाद हो गई, लेकिन खेत पर मालिकाना हक न होने की वजह से फसल के नुकसान के बाद उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। तस्वीर- अरविंद शुक्ला

[वीडियो] मौसम की मार से फसल बर्बाद होने के बावजूद मुआवजे से वंचित भूमिहीन किसान

उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के तुरकौली गांव में रहने वाले 64 वर्षीय किसान राम सागर की अक्टूबर 2022 में भारी और बेमौसम बारिश के कारण साढ़े तीन एकड़ धान…
उत्तर प्रदेश के कई किसानों की भारी बारिश के चलते फसल बर्बाद हो गई, लेकिन खेत पर मालिकाना हक न होने की वजह से फसल के नुकसान के बाद उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। तस्वीर- अरविंद शुक्ला
हरिद्वार के श्यामपुर रेंज में राजाजी नेशनल पार्क की सीमा पर लगा वॉच टॉवर। तस्वीर- वर्षा सिंह (बाएं) गुलदार की प्रतीकात्मक तस्वीर। तस्वीर- उदय किरण/विकिमीडिया कॉमन्स

कोशिशों पर करोड़ों खर्च, उत्तराखंड में काबू के बाहर मानव-वन्यजीव संघर्ष

इस साल एक जनवरी को जब सभी लोग नए साल की ख़ुशियां मना रहे थे, तभी उत्तराखंड के पौड़ी के चौबट्टाखाल तहसील का पांथर गांव गुस्से में था। इस गाँव…
हरिद्वार के श्यामपुर रेंज में राजाजी नेशनल पार्क की सीमा पर लगा वॉच टॉवर। तस्वीर- वर्षा सिंह (बाएं) गुलदार की प्रतीकात्मक तस्वीर। तस्वीर- उदय किरण/विकिमीडिया कॉमन्स
जोशीमठ के बाद अब उत्तराखंड के कर्णप्रयाग से भी मकान धंसने की तस्वीरें आ रही हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार

[वीडियो] उत्तराखंड में जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग में भी सामने आईं दरारें

उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में रहने वाली सुशीला कोठियाल के घर में कभी पांच सदस्य रहते थे, लेकिन अब सिर्फ पति-पत्नी रहते हैं। वजह है उनका दरकता हुआ मकान। उन्होंने मकान…
जोशीमठ के बाद अब उत्तराखंड के कर्णप्रयाग से भी मकान धंसने की तस्वीरें आ रही हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार
स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ जगह की कमी की समस्या नहीं है, बल्कि, डॉक्टरों की कमी, खून उपलब्ध न होना, और अल्ट्रा साउंड मशीन के तकनीकी स्टाफ का न होना भी मरीजों की परेशानी का कारण है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

जोशीमठ संकटः खतरे की जद में जोशीमठ का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, परेशानी में गर्भवती महिलाएं

जोशीमठ निवासी उषा शाही पर मकानों में आई दरार की समस्या का असर कहीं अधिक हुआ। दरारों की वजह से खतरनाक हो चुके मकानों को छोड़कर जब लोग सुरक्षित स्थानों…
स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ जगह की कमी की समस्या नहीं है, बल्कि, डॉक्टरों की कमी, खून उपलब्ध न होना, और अल्ट्रा साउंड मशीन के तकनीकी स्टाफ का न होना भी मरीजों की परेशानी का कारण है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
जोशीमठ में दरारों की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर में अब तक 849 मकानों में दरारें देखी गईं। शहर के 838 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

जोशीमठ संकटः 46 सालों से बनती आ रही कमेटियां, क्या इस बार नहीं होगी सुझावों की अनदेखी

जैसे ही उत्तराखंड के जोशीमठ से मकानों में दरारों की ख़बरों की शुरुआत हुई, वैसे ही राज्य और केंद्र सरकारें हरकत में आयीं और आनन-फानन में जोशीमठ में हो रहे…
जोशीमठ में दरारों की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर में अब तक 849 मकानों में दरारें देखी गईं। शहर के 838 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
जोशीमठ के तकरीबन 700 सौ मकानों में दरारें आ रही हैं। यहां के मकान तेजी से धंस रहे हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार

उत्तराखंड का एक दरकता शहरः कैसे बदतर हुए जोशीमठ के हालात

ऋषि देवी (37) के परिवार के लिए जोशीमठ का सरकारी स्कूल इन दिनों आशियाना बना हुआ है। सर्द रातों में जब पारा -3 डिग्री सेल्सियस पहुँच जाता है, ऋषि देवी…
जोशीमठ के तकरीबन 700 सौ मकानों में दरारें आ रही हैं। यहां के मकान तेजी से धंस रहे हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार
जोशीमठ में 678 मकान जर्जर हो गए हैं। वहां से लोगों को अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया जा रहा है। तस्वीर- सत्यम कुमार

[वीडियो] ढह रहा उत्तराखंड का जोशीमठ, किस हाल में हैं वहां के लोग?

उत्तराखंड के शहर जोशीमठ में हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। कोई अपने घर से फर्नीचर निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचा रहा है तो कोई अपने परिवार समेत घर छोड़ने की…
जोशीमठ में 678 मकान जर्जर हो गए हैं। वहां से लोगों को अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया जा रहा है। तस्वीर- सत्यम कुमार
मछुआरा समुदाय की महिलाएं मछली को नमक से धो कर उन्हें धूप में सुखाती हैं। इन सूखी मछलियों को 'सुखुआ' या सूखी मछली के रूप में बेचा जाता है। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे

आजीविका और वजूद की लड़ाई लड़ रहीं ओड़िशा की तटीय महिलाएं

देश के पूर्वी समुद्र-तट पर स्थित ओड़िशा राज्य की 480 किलोमीटर लंबी तटरेखा पर मछली पकड़ने पर साल में दो तरह का प्रतिबंध लगाया जाता है। मछलियों के संरक्षण के…
मछुआरा समुदाय की महिलाएं मछली को नमक से धो कर उन्हें धूप में सुखाती हैं। इन सूखी मछलियों को 'सुखुआ' या सूखी मछली के रूप में बेचा जाता है। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे
मानसून धान के खेत में स्वेच्छा से कोंकणी रान माणूस अतिथि। तस्वीर- कोंकणी रान माणूस

पर्यावरण को सहेजते हुए आगे बढ़ता कोंकण का इको-टूरिज्म

महाराष्ट्र में पर्यटन को लेकर एक नई पहल लोकप्रिय हो रही है। इसमें पर्यटकों को स्थानीय समुदायों की जीवन शैली और उनके कम कार्बन-फुटप्रिंट यानी किसी इकाई (व्यक्ति या संस्था)…
मानसून धान के खेत में स्वेच्छा से कोंकणी रान माणूस अतिथि। तस्वीर- कोंकणी रान माणूस
बडासियालिनी गांव के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की एक महिला दो किस्म के बाजरा दिखाती हुई, रागी (बाएं) और ज्वार (दाएं)। तस्वीर: ऐश्वर्या मोहंती।

मोटे अनाज की खेती से बदल रही ओडिशा के आदिवासी महिलाओं की जिंदगी

30 साल की कल्पना सेठी अपनी दो एकड़ जमीन को उत्साह से दिखाती हैं, यह जमीन कभी एक बंजर भूमि थी लेकिन अब यह जमीन उनके बच्चों की शिक्षा में…
बडासियालिनी गांव के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की एक महिला दो किस्म के बाजरा दिखाती हुई, रागी (बाएं) और ज्वार (दाएं)। तस्वीर: ऐश्वर्या मोहंती।
श्रीलंका की व्यावसायिक राजधानी कोलंबो के मध्य में राष्ट्रपति कार्यालय के सामने बड़े पैमाने पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन। तस्वीर : दिलरुक्षी हंडुनेट्टी 

श्रीलंका: पर्यावरण नीतियों की विफलताओं ने भी जन-क्रांति को दी हवा

जून की शुरुआत में श्रीलंका में एक जन-आंदोलन ने वहां के शायद अब तक के सबसे अलोकप्रिय राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को पद से हटने पर मजबूर कर दिया। इस आंदोलन…
श्रीलंका की व्यावसायिक राजधानी कोलंबो के मध्य में राष्ट्रपति कार्यालय के सामने बड़े पैमाने पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन। तस्वीर : दिलरुक्षी हंडुनेट्टी 
पिछले कुछ सालों में बंदरों की समस्या तेज़ी से बढ़ी है। खेत की फसलों को तो ये बंदर चट कर ही रहे हैं, घरों के पीछे लगी बाड़ी की सब्जियों को इन बंदरों से बचाना मुश्किल हो रहा है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल

[वीडियो] छत्तीसगढ़ में बंदरों के आतंक से किसान परेशान, दलहन-तिलहन की खेती प्रभावित

छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाको के किसान, बंदरों से परेशान हैं। बंदरों का झुंड खेत में तैयार फसलों को चट कर जा रहा है। बंदरों से होने वाले नुकसान के कारण…
पिछले कुछ सालों में बंदरों की समस्या तेज़ी से बढ़ी है। खेत की फसलों को तो ये बंदर चट कर ही रहे हैं, घरों के पीछे लगी बाड़ी की सब्जियों को इन बंदरों से बचाना मुश्किल हो रहा है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल
सरखेत गांव के प्राथमिक विद्यालय का आधा से ज्यादा हिस्सा मलबे दब गया है। तस्वीर-त्रिलोचन भट्ट

गुजरते मॉनसून ने उत्तराखंड में मचाई तबाही, जान-माल का भारी नुकसान

भले ही इस साल उत्तराखंड में मॉनसून में बारिश औसत से कम हुई है। लेकिन बारिश और भूस्खलन से जान-माल का नुकसान जारी है। राज्य में 15 जून से 28…
सरखेत गांव के प्राथमिक विद्यालय का आधा से ज्यादा हिस्सा मलबे दब गया है। तस्वीर-त्रिलोचन भट्ट
जंगल जाती एक बैगा महिला। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल

सात साल में कितना बदला देश में पहले हैबिटेट राइट्स वाला बैगाचक?

घुमावदार रास्तों से सिलपिड़ी गांव में पहुंचने के बाद हमें चर्रा सिंह रठूरिया का घर तलाशने में थोड़ी मुश्किल इसलिए हुई कि पिछली बार की हमारी मुलाकात गांव के एक…
जंगल जाती एक बैगा महिला। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल
मेंधालेखा में ग्राम सभा की बैठक। तस्वीर- मेंधालेखा / विकिमीडिया कॉमन्स

[कॉमेंट्री ] पंचायती राज: 30 साल में कितना मजबूत हुआ लोकतंत्र?

भारत में लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करने के लिहाज से साल 1992 को मील का पत्थर माना जाता है। तीन दशक पहले इसी साल संविधान में 73वां (पंचायती…
मेंधालेखा में ग्राम सभा की बैठक। तस्वीर- मेंधालेखा / विकिमीडिया कॉमन्स
तिलाड़ी मेमोरियल की तस्वीर। तिलाड़ी विद्रोह टिहरी राजशाही की क्रूरता और जंगल से लोगों को बेदखल किये जाने के खिलाफ था। तस्वीर- हृदयेश जोशी

तिलाड़ी विद्रोह की 92वीं बरसी, आज भी जंगल और वन अधिकारों का वही संघर्ष

करीब 100 साल पहले जिस वक्त महाराष्ट्र में मुलशी पेटा के किसान देश का पहला बांध विरोधी आंदोलन चला रहे थे, सुदूर उत्तर के हिमालयी पहाड़ों में भी जन-संघर्ष मुखर…
तिलाड़ी मेमोरियल की तस्वीर। तिलाड़ी विद्रोह टिहरी राजशाही की क्रूरता और जंगल से लोगों को बेदखल किये जाने के खिलाफ था। तस्वीर- हृदयेश जोशी
तेंदू यानी डायोसपायरस मेलेनोक्ज़ायलोन के पत्तों का उपयोग बीड़ी बनाने के लिए किया जाता है। आदिवासी इलाकों में इसे हरा सोना भी कहा जाता है क्योंकि वनोपज संग्रह पर निर्भर एक बड़ी आबादी के लिए तेंदूपत्ता आय का सबसे बड़ा स्रोत है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल/मोंगाबे

छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता खुद बेचना चाहते है आदिवासी, सरकार को है ऐतराज

छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले के डोटोमेटा के सरपंच जलकू नेताम खुश हैं कि इस बार उनके गांव के लोगों को तेंदूपत्ता की सही क़ीमत मिलेगी। उनका आरोप है कि वनोपज…
तेंदू यानी डायोसपायरस मेलेनोक्ज़ायलोन के पत्तों का उपयोग बीड़ी बनाने के लिए किया जाता है। आदिवासी इलाकों में इसे हरा सोना भी कहा जाता है क्योंकि वनोपज संग्रह पर निर्भर एक बड़ी आबादी के लिए तेंदूपत्ता आय का सबसे बड़ा स्रोत है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल/मोंगाबे
कोसी अपने साथ भारी मात्रा में गाद लाती है, जिसकी वजह से यह नदी बहुत तेजी से अपना रास्ता बदलती है और किसानों के खेतों से होकर बहने लगती है। तस्वीर- उमेश कुमार राय/मोंगाबे

बिहारः कोसी क्षेत्र के किसान क्यों कर रहे भू-सर्वेक्षण का विरोध?

60 वर्षीय सत्यनारायण यादव ने पिछले साल जिस 2.75 एकड़ खेत में खेती की थी, उस जमीन पर कोसी नदी की धारा बह रही है। “खेत में नदी बह रही…
कोसी अपने साथ भारी मात्रा में गाद लाती है, जिसकी वजह से यह नदी बहुत तेजी से अपना रास्ता बदलती है और किसानों के खेतों से होकर बहने लगती है। तस्वीर- उमेश कुमार राय/मोंगाबे
लातेहार समाहरणालय के बाहर रांकीकला पंचायत के आदिवासी बहुल लंका गांव के लोग। इनके हाथों में निजी पट्टा के दस्तावेज हैं। तस्वीर- असगर खान

झारखंड में वन अधिकार कानून बेहाल, दावा एकड़ में लेकिन पट्टा डिसमिल में

जतन सिंह खरवार की उम्र साठ छूने वाली है और इन पर परिवार के आठ लोगों की जिम्मेदारी है। जीविका का साधन सिर्फ खेती है। जिस जमीन को जोतकर जतन…
लातेहार समाहरणालय के बाहर रांकीकला पंचायत के आदिवासी बहुल लंका गांव के लोग। इनके हाथों में निजी पट्टा के दस्तावेज हैं। तस्वीर- असगर खान
30 साल के दिवाकर मांझी (बाएं) को फ्लोराइड की वजह से कई बीमारियां हो गई हैं। वह बिना छड़ी के सहारे चल नहीं सकते। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

सरकारी उदासीनता से बढ़ रहा है झारखंड, छत्तीसगढ़ में फ्लोराइड का प्रकोप

बुधराम भुइयां, झारखंड के लातेहार जिले के सकलकट्टा गांव के रहने वाले हैं। उनके जिले से सटा एक जिला है - पलामू, जहां फ्लोराइड की समस्या बहुत अधिक है। इसकी…
30 साल के दिवाकर मांझी (बाएं) को फ्लोराइड की वजह से कई बीमारियां हो गई हैं। वह बिना छड़ी के सहारे चल नहीं सकते। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों की आवाज रिकॉर्ड करतीं नंदिनी ओझा। तस्वीर साभार- नंदिनी ओझा

वाचिक परंपरा से बताई जाती है यहां नर्मदा बचाओ आंदोलन की गाथा

गुजरात की केवडिया कॉलोनी के पास स्थित नवाग्राम गांव में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1961 में नवागाम बांध का शिलान्यास किया था। इसे बाद में सरदार सरोवर…
नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों की आवाज रिकॉर्ड करतीं नंदिनी ओझा। तस्वीर साभार- नंदिनी ओझा
[कॉमेंट्री] उदारीकरण के 30 साल: क्या कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय मध्य वर्ग की दिशा बदलेगी?

कोविड, किसान आंदोलन, उदारीकरण, पेसा, नेट जीरो से जोड़कर देखा जाएगा साल 2021

अभी 2022 दहलीज पर खड़ा है और इसके साथ ओमीक्रॉन भी। पूरी मानव सभ्यता इस उम्मीद में है कि कोविड के डेल्टा ने 2021 में जो तबाही मचाई वैसे आगे…
[कॉमेंट्री] उदारीकरण के 30 साल: क्या कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय मध्य वर्ग की दिशा बदलेगी?
मदारी समुदाय के लोग अब ऐसे ही कॉस्टयूम से काम चलाते हैं। तस्वीर- माधव शर्मा

[वीडियो] कहां चले गए भालू-बंदरों का खेल दिखाने वाले मदारी?

राजस्थान के टोंक शहर के एक मोहल्ले में डमरू बजाते हुए नूर मोहम्मद, भालू को निर्देश दे रहे हैं। मदारी का खेल दिखाने वाले नूर के कहने पर भालू कभी…
मदारी समुदाय के लोग अब ऐसे ही कॉस्टयूम से काम चलाते हैं। तस्वीर- माधव शर्मा