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मारुथाचलम के खेत में तेज गर्मी में भी अजोला पनपता है, जो उनके चार एकड़ के जैविक खेत में उपलब्ध प्राकृतिक रेत और ताजे पानी की बदौलत नारियल के पेड़ों की छाया में मज़बूती से बढ़ता है। तस्वीर- गौतमी सुब्रमण्यम द्वारा मोंगाबे के लिए।

जलीय पौधे अज़ोला से हो सकता है चारे की कमी का समाधान

लगभग सात साल पहले, तमिलनाडु के थेनी के 41 वर्षीय पोल्ट्री किसान सुरुलीनाथन एस. ने मुर्गियों के चारे के रूप में अज़ोला नामक जलीय पौधे का उपयोग करना सीखा। वह…
मारुथाचलम के खेत में तेज गर्मी में भी अजोला पनपता है, जो उनके चार एकड़ के जैविक खेत में उपलब्ध प्राकृतिक रेत और ताजे पानी की बदौलत नारियल के पेड़ों की छाया में मज़बूती से बढ़ता है। तस्वीर- गौतमी सुब्रमण्यम द्वारा मोंगाबे के लिए।
सूखे की स्थिति और मिट्टी की सतह के टूटने या सूखने से मिट्टी का कार्बन ऑक्सीडेशन के संपर्क में आता है, जिससे वातावरण में उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। फ्लिकर के जरिए वंदन देसाई की तस्वीर (CC BY-NC-ND 2.0)।

सूखे और मिट्टी की खराब होती सेहत से बढ़ रहा कार्बन उत्सर्जन

जलवायु विज्ञान से जुड़े शोधकर्ता जलवायु परिवर्तन का असर बढ़ाने वाले फीडबैक लूप के गंभीर होने के बारे में चिंतित हैं। गंभीर या पॉजिटिव फीडबैक लूप ऐसे तंत्र हैं जो…
सूखे की स्थिति और मिट्टी की सतह के टूटने या सूखने से मिट्टी का कार्बन ऑक्सीडेशन के संपर्क में आता है, जिससे वातावरण में उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। फ्लिकर के जरिए वंदन देसाई की तस्वीर (CC BY-NC-ND 2.0)।
बार-बार मौसम की प्रतिकूल घटनाओं और फसल के नुकसान ने वायनाड के किसानों को नया कृषि कैलेंडर तैयार करने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें खेती-बाड़ी के पारंपरिक ज्ञान और मौसम में बदलाव को शामिल किया गया है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा/मोंगाबे।

मौसम में बदलाव से पार पाने के लिए नए कृषि कैलेंडर से किसानों को उम्मीदें

वायनाड के किसान राजेश कृष्णन कहते हैं, " शायद हम जिंदगी में बहुत सारी चीजें अपनी चिंता की वजह से करते हैं।" वह खेती के उन "मुश्किल सालों" को याद…
बार-बार मौसम की प्रतिकूल घटनाओं और फसल के नुकसान ने वायनाड के किसानों को नया कृषि कैलेंडर तैयार करने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें खेती-बाड़ी के पारंपरिक ज्ञान और मौसम में बदलाव को शामिल किया गया है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा/मोंगाबे।
कृत्रिम रीफ लगाते हुए। 2023 में, केंद्र सरकार ने मछली की आबादी को बढ़ावा देने के लिए भारत के समुद्र तट पर कृत्रिम रीफ लगाने की घोषणा की थी। तस्वीर- कुडल लाइफ फाउंडेशन

मछलीपालन को बढ़ावा देने लिए आर्टिफिशियल रीफ कितनी कामयाब

मुंबई में इस साल फरवरी में वर्ली कोलीवाड़ा में 200 से अधिक आर्टिफिशियल रीफ यानी कृत्रिम रीफ का पहला सेट स्थापित किया गया। ये कृत्रिम संरचनाएं प्राकृतिक रीफ की तरह…
कृत्रिम रीफ लगाते हुए। 2023 में, केंद्र सरकार ने मछली की आबादी को बढ़ावा देने के लिए भारत के समुद्र तट पर कृत्रिम रीफ लगाने की घोषणा की थी। तस्वीर- कुडल लाइफ फाउंडेशन
हरियाणा के सिरसा में तालाब से मिट्टी हटाने का काम करते हुए मनरेगा मजदूर। तस्वीर- मुल्ख सिंह/विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।

वनक्षेत्र को बढ़ाने में मददगार हैं मनरेगा जैसी ग्रामीण रोजगार योजनाएं

वृक्षारोपण और आजीविका के बीच संबंधों की पड़ताल करने वाले एक नए शोध पत्र से पता चलता है कि मनरेगा जैसी सामाजिक कल्याणकारी योजनाएं आय और रोजगार प्रदान करने के…
हरियाणा के सिरसा में तालाब से मिट्टी हटाने का काम करते हुए मनरेगा मजदूर। तस्वीर- मुल्ख सिंह/विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए

बिहार में बाढ़ की एक बड़ी वजह कोसी में जमी गाद, क्या है समाधान?

नेपाल के सप्तरी जिले के 63 वर्षीय रामेश्वर यादव माहुली नदी के एक नंबर पुल से कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठे हैं। उनके साथ हैं 74…
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए
चक्रवात आलिया के बाद बाढ़ के पानी में चलती हुई महिला। तस्वीर अनिल गुलाटी/इंडिया वाटर पोर्टल/ फ्लिकर  (CC BY-NC-SA 2.0)।

क्या है प्राकृतिक आपदाओं से निपटने वाला पैरामीट्रिक इंश्योरेंस और भारत में क्यों हो रहा प्रचलित?

पिछले दो दशकों यानी साल 2000 से 2019 के बीच भारत कुदरती आपदाओं का सामना करने के मामले में तीसरे नंबर पर है। आने वाले समय और ज़्यादा भयावह होने…
चक्रवात आलिया के बाद बाढ़ के पानी में चलती हुई महिला। तस्वीर अनिल गुलाटी/इंडिया वाटर पोर्टल/ फ्लिकर  (CC BY-NC-SA 2.0)।
देवमति सिंह अपने घर के नजदीक किचन गार्डन में अपने बच्चों के साथ। तस्वीर-ऐश्वर्या मोहंती

सौर ऊर्जा से जीवन में बड़ा बदलाव, दूर हुआ कुपोषण

छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव में रहने वाली 30 वर्षीय देवमती सिंह पिछले कई सालों से अपनी एक एकड़ की जमीन पर धान और आलू की खेती करती आ…
देवमति सिंह अपने घर के नजदीक किचन गार्डन में अपने बच्चों के साथ। तस्वीर-ऐश्वर्या मोहंती
गांव के तालाब में पानी पीते मवेशी और कपड़े धोती हुई महिलाएं। तस्वीर- स्टीवी मान/विकिमीडिया कॉमन्स।

गर्मी की मार से डेयरी किसान बेहाल, महिला संगठन ने मदद के लिए बढ़ाया हाथ

अप्रैल के आखिरी दिनों में तेज धूप से आंगन तप रहा था। तापमान 43.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। एम. थायरम्मा पास के एक कुएं से पानी भर कर लाईं…
गांव के तालाब में पानी पीते मवेशी और कपड़े धोती हुई महिलाएं। तस्वीर- स्टीवी मान/विकिमीडिया कॉमन्स।
तमिलनाडु के अनामलाई पहाड़ियों में सड़क पार करते हुए एक हाथी और उसका बच्चा। खराब तरीके से बनाई गई सड़कों और रेलवे लाइनों की वजह से एशियाई हाथियों की गाड़ियों से टक्कर हो रही है, जिससे वे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन/NCF

हाथियों की सड़क और रेलवे पटरियों पर होने वाली मौतों को रोकने के लिए नई हैंडबुक जारी

इस साल की शुरुआत में, कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास एक ट्रेन से एक हाथी और उसके बच्चे को टक्कर मार दी, जिससे दोनों की मौत हो गई। कुछ महीने…
तमिलनाडु के अनामलाई पहाड़ियों में सड़क पार करते हुए एक हाथी और उसका बच्चा। खराब तरीके से बनाई गई सड़कों और रेलवे लाइनों की वजह से एशियाई हाथियों की गाड़ियों से टक्कर हो रही है, जिससे वे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन/NCF
लास वेगास में सुपरमार्केट। तस्वीर- हैरिसन कीली/ विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY 4.0 DEED)। 

पर्यावरण हितैषी उत्पादों के नाम पर ग्रीनवाशिंग रोकने में कितने कारगर होंगे नए गाइडलाइन्स

क्या पर्यावरण हितैषी होने का दावा करने वाले उत्पाद पर्यावरण के लिहाज से उतने ही अच्छे हैं जितना कि बताया जाता है? जैसे-जैसे पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है,…
लास वेगास में सुपरमार्केट। तस्वीर- हैरिसन कीली/ विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY 4.0 DEED)। 
असम के बारपेटा में बिहार के प्रवासी मधुमक्खी पालक। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 

[वीडियो] शहद की तलाश में मधुमक्खियों के साथ यात्रा कर रहे किसान, बेहतर हुआ शहद उत्पादन

असम के नुमालीगढ़ क्षेत्र के बोरसापोरी गांव के दूर क्षितिज पर सूरज डूब रहा था। दूर-दूर तक फैले सरसों के खेतों में मधुमक्खियों की भिनभिनाहट के बीच लीला चरण दत्ता…
असम के बारपेटा में बिहार के प्रवासी मधुमक्खी पालक। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 
पंजाब के नांगल में सड़क किनारे इकट्ठा हुआ नारियल का कचरा। तस्वीर- रवलीन कौर

नारियल के कचरे से निपटना हुआ मुश्किल

उदयवीर सिंह पिछले छह सालों से पंजाब के शहर नांगल में नारियल का स्टॉल चला रहे हैं। कर्नाटक से नारियल की सप्लाई करने वाले एक एजेंट से वह इन्हें खरीदते…
पंजाब के नांगल में सड़क किनारे इकट्ठा हुआ नारियल का कचरा। तस्वीर- रवलीन कौर
बेंगलुरु के रहने वाले वॉटर डिवाइनर एस. सैमसन तांबे के उपकरण से बोर पॉइंट खोजने की कोशिश कर रहे हैं। पास ही खड़े बच्चे उन्हें काम करते हुए देख रहे हैं। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 

वाटर डिवाइनिंगः नारियल और सूखी टहनियों से भूजल खोजने का पारंपरिक तरीका

शनमुगन ने अपनी धोती ऊपर उठाई और बड़ी ही सावधानी से अपना एक पैर जमीन पर रखा। कुछ महसूस न होने पर वह दूसरी दिशा की ओर बढ़ गए। फिर…
बेंगलुरु के रहने वाले वॉटर डिवाइनर एस. सैमसन तांबे के उपकरण से बोर पॉइंट खोजने की कोशिश कर रहे हैं। पास ही खड़े बच्चे उन्हें काम करते हुए देख रहे हैं। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 
ऑटोमेटिक सिंचाई सिस्टम के पास खड़े हुए बिनोद कुमार महतो। तस्वीर- विशाल कुमार जैन

झारखंड में तकनीक की मदद से खेती में मिलती सिंचाई, मौसम और बीमारियों की सटीक जानकारी

बात साल 2020 की है, जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी और काम-धंधे बंद हो रहे थे। इन सबके बीच 10 साल से पुणे में बैंक मार्केटिंग का…
ऑटोमेटिक सिंचाई सिस्टम के पास खड़े हुए बिनोद कुमार महतो। तस्वीर- विशाल कुमार जैन
राम-मोल किसान खरपतवार हटाने के लिए हल्की जुताई जैसी प्राकृतिक खेती तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसे स्थानीय भाषा में विखेड़ा कहा जाता है। तस्वीर- सात्विक-प्रमोटिंग इकोलॉजिकल एग्रीकल्चर के सौजन्य से।

सूखे इलाकों में फसल उगाने के लिए परंपरागत राम-मोल कृषि तकनीक पर भरोसा

मई का महीना करीब है और कच्छ के धरमपुर गांव में सूरज अभी से आग बरसा रहा था। इसकी परवाह किए बिना मवाभाई डांगर अपने अरंडी की फसल का जायजा…
राम-मोल किसान खरपतवार हटाने के लिए हल्की जुताई जैसी प्राकृतिक खेती तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसे स्थानीय भाषा में विखेड़ा कहा जाता है। तस्वीर- सात्विक-प्रमोटिंग इकोलॉजिकल एग्रीकल्चर के सौजन्य से।
हाथीपाखना गांव का निवासी हुंडी या मंदिर में प्रार्थना कर रहा है। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 

घटते फॉरेस्ट कॉमन्स, कोरापुट के आदिवासी समुदायों के लिए त्यौहार मनाना हुआ मुश्किल

ओडिशा के कोरापुट जिले में चैता परब का मौसम है। इन दिनों ज्यादातर आदिवासी महुआ के पेड़ के फूलों से बनी स्थानीय शराब महुली का लुत्फ उठाने के लिए बेताब…
हाथीपाखना गांव का निवासी हुंडी या मंदिर में प्रार्थना कर रहा है। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 
उरावु लैब्स में पानी की शुद्धता की जांच करता हुआ एक कर्मचारी। उरावु लिक्विड डेसीकेंट तकनीक का इस्तेमाल करता है जो हवा से नमी को सोखता है। फिर इसे फिल्टर और विशोषण प्रक्रिया के जरिए भेजा जाता है, ताकि पानी में दूषित पदार्थ न हों। मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा ली गई तस्वीर।

नई तकनीक से हवा से तैयार हो रहा किफायती पीने योग्य पानी

बेंगलुरु जैसे भारतीय महानगर पिछले कुछ समय से डे जीरो (किसी दिन पूरी तरह पानी नहीं मिलना) के संभावित खतरे से दो-चार हैं। शहर में जल संसाधनों का कुप्रबंधन इतना…
उरावु लैब्स में पानी की शुद्धता की जांच करता हुआ एक कर्मचारी। उरावु लिक्विड डेसीकेंट तकनीक का इस्तेमाल करता है जो हवा से नमी को सोखता है। फिर इसे फिल्टर और विशोषण प्रक्रिया के जरिए भेजा जाता है, ताकि पानी में दूषित पदार्थ न हों। मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा ली गई तस्वीर।
एस4एस टेक्नोलॉजीज के सोलर डिहाइड्रेटर जो कृषि उत्पादों को लंबे समय तक इस्तेमाल के लायक बनाते हैं। तस्वीर: सौम्या खंडेलवाल/एस4एस टेक्नोलॉजीज।

खाद्यान का नुकसान कम करने और किसानों की आय बढ़ाने वाली तकनीकें

कल्पना कीजिए कि आप टमाटर की खेती करने वाले किसान हैं। आपको सूखे का सामना करना पड़ा है। इससे पैदावार कम हुई है। फसल की गुणवत्ता भी खराब हुई है।…
एस4एस टेक्नोलॉजीज के सोलर डिहाइड्रेटर जो कृषि उत्पादों को लंबे समय तक इस्तेमाल के लायक बनाते हैं। तस्वीर: सौम्या खंडेलवाल/एस4एस टेक्नोलॉजीज।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ता कंगनी (फोक्सटेल मिलेट) के पौधे की ऊंचाई मापते हुए। तस्वीर - हैदराबाद विश्वविद्यालय के टमाटर जीनोमिक्स रिसोर्सेज की रिपॉजिटरी से।

बदलते मौसम में खेती-बाड़ी के लिए विकसित होती बेहतर तकनीक

भारत में किसान हमेशा मौसम के हिसाब से खेती-बाड़ी का काम करते रहे हैं। हालांकि, हाल के सालों में बारिश और मौसम से जुड़ी भविष्यवाणी करना चुनौती बन गया है।…
हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ता कंगनी (फोक्सटेल मिलेट) के पौधे की ऊंचाई मापते हुए। तस्वीर - हैदराबाद विश्वविद्यालय के टमाटर जीनोमिक्स रिसोर्सेज की रिपॉजिटरी से।
नौशेरा फॉरेस्ट डिवीजन के सुंदरबनी जंगल में बिखरी चीड़-देवदार की पत्तियों को इकट्ठा किया जा रहा है। तस्वीर- राकेश वर्मा

आग की जगह आजीविका के अवसर देतीं चीड़ की ज्वलनशील पत्तियां

जैसे ही जम्मू-कश्मीर के सुंदरबनी के जंगलों में बसंत का सूरज लंबे-लंबे चीड़ (Pinus roxburgii) के पेड़ों पर चमकना शुरू होता है, वैसे ही जंगल के पास रहने वाले लोग…
नौशेरा फॉरेस्ट डिवीजन के सुंदरबनी जंगल में बिखरी चीड़-देवदार की पत्तियों को इकट्ठा किया जा रहा है। तस्वीर- राकेश वर्मा
लंबे समय से बर्तन बनाने वाले कारीगर सैय्यद अहमद उन बर्तनों को तैयार करते हुए जिन्हें अगले दो दिन में भट्ठी के लिए भेजना है। तस्वीर-विशेष इंतजाम।

खुर्जा में चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने के सतत तरीकों के प्रयास जारी

50 साल के सैय्यद अहमद का मिट्टी के बर्तनों को आकार देने का तरीका पारंपरिक तरीके से अलग है जबकि ज्यादातर कारीगर पारंपरिक तरीके से ही बर्तन बनाते हैं। बर्तनों…
लंबे समय से बर्तन बनाने वाले कारीगर सैय्यद अहमद उन बर्तनों को तैयार करते हुए जिन्हें अगले दो दिन में भट्ठी के लिए भेजना है। तस्वीर-विशेष इंतजाम।
अलीगढ़ में कबाड़ का एक गोदाम। अलीगढ़ में ताला बनाने वाले लोग कार के कबाड़ का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करते हैं। तस्वीर- जोया अदा हुसैन/मोंगाबे।

अलीगढ़ का मशहूर ताला बनाने के बेहतर और टिकाऊ तरीकों की खोज

एक आम सोमवार की सुबह 47 साल के साजिद अली एक रोलर में बड़ी बारीकी से स्टील की शीट डाल रहे हैं। यह मशीन इस शीट को चपटी कर देती…
अलीगढ़ में कबाड़ का एक गोदाम। अलीगढ़ में ताला बनाने वाले लोग कार के कबाड़ का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करते हैं। तस्वीर- जोया अदा हुसैन/मोंगाबे।
भारत सिंथेटिक कपड़ों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। तस्वीर: रवलीन कौर/मोंगाबे।

मौसम में बदलाव के बीच टिकाऊ तरीक़ों को बढ़ावा देता सूरत का कपड़ा उद्योग

साजिदा शेख की उम्र 45 साल है। वो 17 साल से गुजरात के सूरत जिले के पलसाना में स्थित कपड़ा क्लस्टर गुजरात ईको टेक्सटाइल पार्क में रंगाई के लिए आने…
भारत सिंथेटिक कपड़ों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। तस्वीर: रवलीन कौर/मोंगाबे।
अप्रैल 2016 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चितई के पास चीड़ के जंगलों में लगी आग। फाइल तस्वीर- Ramwik/विकिमीडिया कॉमन्स

बकाया वेतन, संसाधनों का अभाव, जंगल की आग से कैसे लड़ेंगे उत्तराखंड के अग्नि प्रहरी

इस साल उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों में वनाग्नि के मामले दर्ज किये गए। राज्य की दोनों प्रशासनिक इकाइयों में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, देहरादून…
अप्रैल 2016 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चितई के पास चीड़ के जंगलों में लगी आग। फाइल तस्वीर- Ramwik/विकिमीडिया कॉमन्स
एकलव्य फाउंडेशन की ग्रीन बिल्डिंग धूप में पकाई गई मिट्टी और चूने से बनी ईंटो से बनी है जिस से यह दूसरी इमारतों के मुकाबले ठंडी रहती है। तस्वीर- एकलव्य फाउंडेशन

भोपाल की यह ईको-फ्रेंडली इमारत है पर्यावरण के लिए लाभकारी

मई और जून के महीनों में बाहर पड़ रही भीषण गर्मी के बावजूद भी भोपाल के एकलव्य फाउंडेशन के कर्मचारी एक पंखे के नीचे खुश हैं। उन्हें दूसरे दफ्तरों के…
एकलव्य फाउंडेशन की ग्रीन बिल्डिंग धूप में पकाई गई मिट्टी और चूने से बनी ईंटो से बनी है जिस से यह दूसरी इमारतों के मुकाबले ठंडी रहती है। तस्वीर- एकलव्य फाउंडेशन
अपने बैलों के साथ सुंडी बाई उइके। बैल मोटे अनाज के सूखे डंठलों के चारों तरफ घूमते हैं। इस प्रक्रिया में अनाज के दाने डंठल से अगल हो जाते हैं। तस्वीर - शुचिता झा/मोंगाबे।

मोटे अनाज से क्यों दूर हो रहे हैं मध्य प्रदेश के आदिवासी?

सुंडी बाई उइके मध्य प्रदेश के मांडला जिले के केवलारी गांव में रहती हैं। गांव में उनकी झोपड़ी मिट्टी और गाय के गोबर से लीपकर बनाई गई है। झोपड़ी के…
अपने बैलों के साथ सुंडी बाई उइके। बैल मोटे अनाज के सूखे डंठलों के चारों तरफ घूमते हैं। इस प्रक्रिया में अनाज के दाने डंठल से अगल हो जाते हैं। तस्वीर - शुचिता झा/मोंगाबे।
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 

[वीडियो] क्या अरुणाचल के बढ़ते बिजली संकट को हल कर पाएंगी पारंपरिक पनचक्कियां

रूपा बौद्ध मठ में काफी चहल पहल है। उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा उप-मंडल में रहने वाली एक प्रमुख जनजाति शेरटुकपेन अपने सबसे लोकप्रिय…
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 
भांगा मेले में अपने स्टॉल पर इस्माइल मोल्ला। मोल्ला बचपन से ही अपने पिता के साथ मेले में जाते रहे हैं। मेले से उनका गहरा भावनात्मक संबंध है। तस्वीर- जॉयमाला बागची/मोंगाबे 

बंगाल का ‘भांगा मेला’, जहां कचरा बेकार नहीं जाता

हर साल जनवरी में फसलों के त्योहार मकर संक्रांति को मनाने के साथ ही पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना का मथुरापुर गांव एक अनोखे मेले की तैयारियों में जुट…
भांगा मेले में अपने स्टॉल पर इस्माइल मोल्ला। मोल्ला बचपन से ही अपने पिता के साथ मेले में जाते रहे हैं। मेले से उनका गहरा भावनात्मक संबंध है। तस्वीर- जॉयमाला बागची/मोंगाबे 
कर्नाटक के कोक्करेबेल्लूर गांव में एक लड़की ने अपने कपड़े सूखने को डाले हैं और पास के पेड़ों पर रंगीन सारस और पेलिकन ने अपने घोंसले बना रखे हैं। शिम्शा नदी के किनारे मौजूद इस गांव में हर साल औसतन 500 पेलिकन और 2000 रंगीन सारस आते हैं और घोंसला लगाते हैं। तस्वीर- अभिषेक एन. चिन्नप्पा/मोंगाबे।

हर समय पक्षियों के झुंड की रक्षा करता है ये गांव

दिसंबर का महीना है और कोक्करेबेल्लूर गांव में सुबह-सुबह चमकदार सूरज निकला होने के बावजूद ठंड अपने चरम पर है। साल 2017 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कम्युनिटी…
कर्नाटक के कोक्करेबेल्लूर गांव में एक लड़की ने अपने कपड़े सूखने को डाले हैं और पास के पेड़ों पर रंगीन सारस और पेलिकन ने अपने घोंसले बना रखे हैं। शिम्शा नदी के किनारे मौजूद इस गांव में हर साल औसतन 500 पेलिकन और 2000 रंगीन सारस आते हैं और घोंसला लगाते हैं। तस्वीर- अभिषेक एन. चिन्नप्पा/मोंगाबे।