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नौशेरा फॉरेस्ट डिवीजन के सुंदरबनी जंगल में बिखरी चीड़-देवदार की पत्तियों को इकट्ठा किया जा रहा है। तस्वीर- राकेश वर्मा

आग की जगह आजीविका के अवसर देतीं चीड़ की ज्वलनशील पत्तियां

जैसे ही जम्मू-कश्मीर के सुंदरबनी के जंगलों में बसंत का सूरज लंबे-लंबे चीड़ (Pinus roxburgii) के पेड़ों पर चमकना शुरू होता है, वैसे ही जंगल के पास रहने वाले लोग…
नौशेरा फॉरेस्ट डिवीजन के सुंदरबनी जंगल में बिखरी चीड़-देवदार की पत्तियों को इकट्ठा किया जा रहा है। तस्वीर- राकेश वर्मा
लंबे समय से बर्तन बनाने वाले कारीगर सैय्यद अहमद उन बर्तनों को तैयार करते हुए जिन्हें अगले दो दिन में भट्ठी के लिए भेजना है। तस्वीर-विशेष इंतजाम।

खुर्जा में चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने के सतत तरीकों के प्रयास जारी

50 साल के सैय्यद अहमद का मिट्टी के बर्तनों को आकार देने का तरीका पारंपरिक तरीके से अलग है जबकि ज्यादातर कारीगर पारंपरिक तरीके से ही बर्तन बनाते हैं। बर्तनों…
लंबे समय से बर्तन बनाने वाले कारीगर सैय्यद अहमद उन बर्तनों को तैयार करते हुए जिन्हें अगले दो दिन में भट्ठी के लिए भेजना है। तस्वीर-विशेष इंतजाम।
अलीगढ़ में कबाड़ का एक गोदाम। अलीगढ़ में ताला बनाने वाले लोग कार के कबाड़ का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करते हैं। तस्वीर- जोया अदा हुसैन/मोंगाबे।

अलीगढ़ का मशहूर ताला बनाने के बेहतर और टिकाऊ तरीकों की खोज

एक आम सोमवार की सुबह 47 साल के साजिद अली एक रोलर में बड़ी बारीकी से स्टील की शीट डाल रहे हैं। यह मशीन इस शीट को चपटी कर देती…
अलीगढ़ में कबाड़ का एक गोदाम। अलीगढ़ में ताला बनाने वाले लोग कार के कबाड़ का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करते हैं। तस्वीर- जोया अदा हुसैन/मोंगाबे।
भारत सिंथेटिक कपड़ों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। तस्वीर: रवलीन कौर/मोंगाबे।

मौसम में बदलाव के बीच टिकाऊ तरीक़ों को बढ़ावा देता सूरत का कपड़ा उद्योग

साजिदा शेख की उम्र 45 साल है। वो 17 साल से गुजरात के सूरत जिले के पलसाना में स्थित कपड़ा क्लस्टर गुजरात ईको टेक्सटाइल पार्क में रंगाई के लिए आने…
भारत सिंथेटिक कपड़ों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। तस्वीर: रवलीन कौर/मोंगाबे।
अप्रैल 2016 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चितई के पास चीड़ के जंगलों में लगी आग। फाइल तस्वीर- Ramwik/विकिमीडिया कॉमन्स

बकाया वेतन, संसाधनों का अभाव, जंगल की आग से कैसे लड़ेंगे उत्तराखंड के अग्नि प्रहरी

इस साल उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों में वनाग्नि के मामले दर्ज किये गए। राज्य की दोनों प्रशासनिक इकाइयों में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, देहरादून…
अप्रैल 2016 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चितई के पास चीड़ के जंगलों में लगी आग। फाइल तस्वीर- Ramwik/विकिमीडिया कॉमन्स
एकलव्य फाउंडेशन की ग्रीन बिल्डिंग धूप में पकाई गई मिट्टी और चूने से बनी ईंटो से बनी है जिस से यह दूसरी इमारतों के मुकाबले ठंडी रहती है। तस्वीर- एकलव्य फाउंडेशन

भोपाल की यह ईको-फ्रेंडली इमारत है पर्यावरण के लिए लाभकारी

मई और जून के महीनों में बाहर पड़ रही भीषण गर्मी के बावजूद भी भोपाल के एकलव्य फाउंडेशन के कर्मचारी एक पंखे के नीचे खुश हैं। उन्हें दूसरे दफ्तरों के…
एकलव्य फाउंडेशन की ग्रीन बिल्डिंग धूप में पकाई गई मिट्टी और चूने से बनी ईंटो से बनी है जिस से यह दूसरी इमारतों के मुकाबले ठंडी रहती है। तस्वीर- एकलव्य फाउंडेशन
अपने बैलों के साथ सुंडी बाई उइके। बैल मोटे अनाज के सूखे डंठलों के चारों तरफ घूमते हैं। इस प्रक्रिया में अनाज के दाने डंठल से अगल हो जाते हैं। तस्वीर - शुचिता झा/मोंगाबे।

मोटे अनाज से क्यों दूर हो रहे हैं मध्य प्रदेश के आदिवासी?

सुंडी बाई उइके मध्य प्रदेश के मांडला जिले के केवलारी गांव में रहती हैं। गांव में उनकी झोपड़ी मिट्टी और गाय के गोबर से लीपकर बनाई गई है। झोपड़ी के…
अपने बैलों के साथ सुंडी बाई उइके। बैल मोटे अनाज के सूखे डंठलों के चारों तरफ घूमते हैं। इस प्रक्रिया में अनाज के दाने डंठल से अगल हो जाते हैं। तस्वीर - शुचिता झा/मोंगाबे।
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 

[वीडियो] क्या अरुणाचल के बढ़ते बिजली संकट को हल कर पाएंगी पारंपरिक पनचक्कियां

रूपा बौद्ध मठ में काफी चहल पहल है। उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा उप-मंडल में रहने वाली एक प्रमुख जनजाति शेरटुकपेन अपने सबसे लोकप्रिय…
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 
भांगा मेले में अपने स्टॉल पर इस्माइल मोल्ला। मोल्ला बचपन से ही अपने पिता के साथ मेले में जाते रहे हैं। मेले से उनका गहरा भावनात्मक संबंध है। तस्वीर- जॉयमाला बागची/मोंगाबे 

बंगाल का ‘भांगा मेला’, जहां कचरा बेकार नहीं जाता

हर साल जनवरी में फसलों के त्योहार मकर संक्रांति को मनाने के साथ ही पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना का मथुरापुर गांव एक अनोखे मेले की तैयारियों में जुट…
भांगा मेले में अपने स्टॉल पर इस्माइल मोल्ला। मोल्ला बचपन से ही अपने पिता के साथ मेले में जाते रहे हैं। मेले से उनका गहरा भावनात्मक संबंध है। तस्वीर- जॉयमाला बागची/मोंगाबे 
कर्नाटक के कोक्करेबेल्लूर गांव में एक लड़की ने अपने कपड़े सूखने को डाले हैं और पास के पेड़ों पर रंगीन सारस और पेलिकन ने अपने घोंसले बना रखे हैं। शिम्शा नदी के किनारे मौजूद इस गांव में हर साल औसतन 500 पेलिकन और 2000 रंगीन सारस आते हैं और घोंसला लगाते हैं। तस्वीर- अभिषेक एन. चिन्नप्पा/मोंगाबे।

हर समय पक्षियों के झुंड की रक्षा करता है ये गांव

दिसंबर का महीना है और कोक्करेबेल्लूर गांव में सुबह-सुबह चमकदार सूरज निकला होने के बावजूद ठंड अपने चरम पर है। साल 2017 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कम्युनिटी…
कर्नाटक के कोक्करेबेल्लूर गांव में एक लड़की ने अपने कपड़े सूखने को डाले हैं और पास के पेड़ों पर रंगीन सारस और पेलिकन ने अपने घोंसले बना रखे हैं। शिम्शा नदी के किनारे मौजूद इस गांव में हर साल औसतन 500 पेलिकन और 2000 रंगीन सारस आते हैं और घोंसला लगाते हैं। तस्वीर- अभिषेक एन. चिन्नप्पा/मोंगाबे।
ओडिशा के सुंदरगढ़ के फुलधुडी गांव में अपनी मशरूम की फसल के साथ खड़ी कुछ महिलाएं। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे।

भूसे और पराली से मशरूम की खेती ने ओडिशा के गांवों की बदली तस्वीर

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के फुलधुडी गांव में रहने वाली 30 साल की भारती प्रूसेच के घर के पीछे की जमीन कई साल से बंजर पड़ी थी। लेकिन आज यही…
ओडिशा के सुंदरगढ़ के फुलधुडी गांव में अपनी मशरूम की फसल के साथ खड़ी कुछ महिलाएं। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे।
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसान आवारा पशुओं से परेशान हैं। तस्वीर- सुमित यादव

सोलर फेंसिंग मशीन: यूपी के किसानों की जरूरत, ‘खेत सुरक्षा योजना’ करवा रही है इंतजार

देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के किसान साल 2017 के बाद से खेतों की रखवाली करते हुए मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। आवारा गोवंशो और…
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसान आवारा पशुओं से परेशान हैं। तस्वीर- सुमित यादव
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स

[एक्सप्लेनर] हीटवेव में हो रही है बढ़ोतरी, क्या प्रभावी हैं भारत के हीट एक्शन प्लान?

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अप्रैल में आई हीटवेव कई संवेदनशील और पिछले समुदायों के लिए…
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स
अपनी बकरियों को चराने के लिए ले जाता हुआ एक चरवाहा। शुष्क क्षेत्रों में तेजी से फैलने वाली घास को कम करने में आग एक जरूरी भूमिका निभाती है। तस्वीर- सी.एस. सनीश 

चराई या आग: सवाना में बढ़ती घास से निपटने का कौन सा तरीका बेहतर

पूर्वी घाट के एक अध्ययन में मेसिक सवाना पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से फैल रही देसी सिम्बोपोगोन घास (लेमनग्रास) को लेकर चिंता जाहिर की और पारिस्थितिक तंत्र को पुरानी स्थिति…
अपनी बकरियों को चराने के लिए ले जाता हुआ एक चरवाहा। शुष्क क्षेत्रों में तेजी से फैलने वाली घास को कम करने में आग एक जरूरी भूमिका निभाती है। तस्वीर- सी.एस. सनीश 
फरवरी 2024 में नोएडा में आयोजित सरस मेले में बांस के उत्पादों को दिखाता एक कारीगर। सरकार सरस आजीविका मेला जैसी पहलों के जरिए मार्केट लिंकेज पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां कारीगर अपने उत्पादों का प्रदर्शन करते हैं। तस्वीर-कुंदन पांडे/मोंगाबे।

बांस के जरिए कारीगरों के लिए बेहतर भविष्य बनाने की कोशिश

ज्योत्सना देवनाथ का छोटी उम्र में पश्चिम त्रिपुरा के ब्रज नगर में नया सफर शुरू हुआ। यहां उनकी शादी हुई और वह एक ऐसे परिवार का हिस्सा बन गईं, जो…
फरवरी 2024 में नोएडा में आयोजित सरस मेले में बांस के उत्पादों को दिखाता एक कारीगर। सरकार सरस आजीविका मेला जैसी पहलों के जरिए मार्केट लिंकेज पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां कारीगर अपने उत्पादों का प्रदर्शन करते हैं। तस्वीर-कुंदन पांडे/मोंगाबे।
हाथ की चक्की पर बाजरे को पीसती हुई अट्टापडी में एक आदिवासी महिला। तस्वीर-मैक्स मार्टिन/मोंगाबे

लुप्त होती परंपरा बचाने के लिए केरल के आदिवासियों ने दोबारा शुरू की बाजरे की खेती

केरल के अट्टापडी हाइलैंड्स में आदिवासी बस्तियों के किनारे पहाड़ी जंगलों में एक बार फिर से बाजरा के लहलहाते खेत नजर आने लगे हैं। यह इलाका पश्चिमी घाट के वर्षा…
हाथ की चक्की पर बाजरे को पीसती हुई अट्टापडी में एक आदिवासी महिला। तस्वीर-मैक्स मार्टिन/मोंगाबे
वाइल्डलाइफ एसओएस के प्रांगण में टहलते हुए दो हाथी। तस्वीर साभार- वाइल्डलाइफ एसओएस

कैसे काम करता है भीख मांगने और सर्कस से बचाए गए हाथियों का संरक्षण केंद्र

आज से 14 साल पहले हरियाणा के पलवल हाईवे पर एक हथिनी चोटिल घूम रही थी। वन्यजीवों को बचाने वाली एक टीम ने उसकी देखभाल की। गंभीर चोट की वजह…
वाइल्डलाइफ एसओएस के प्रांगण में टहलते हुए दो हाथी। तस्वीर साभार- वाइल्डलाइफ एसओएस
चन्नापटना शहर में सड़क किनारे एक दुकान पर प्रदर्शित पारंपरिक चन्नापटना खिलौने। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे।

परंपरा और आधुनिक डिज़ाइन के बीच अटके चन्नापटना के लकड़ी के खिलौने और उनके कारीगर

एक साधारण से घर की चमकीली गुलाबी दीवार के सामने बरामदे में बैठीं बोरम्मा का सारा ध्यान एक धुरी पर है, जिसके ऊपर लकड़ी का एक टुकड़ा लगा हुआ है।…
चन्नापटना शहर में सड़क किनारे एक दुकान पर प्रदर्शित पारंपरिक चन्नापटना खिलौने। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे।
पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला

चामी मुर्मू: पेड़ और पानी से होते हुए पद्म श्री तक का सफर

32 साल में लगाए 30 लाख पेड़। हर दिन करीब 257 पौधे।   71 गांवों में चार अमृत सरोवर सहित कुल 217 तालाबों का निर्माण।  263 गांवों में बनाए 2873 स्वयं…
पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला
अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई वाले पहाड़ पर चराई करता याक। छुरपी जैसे याक के दूध से बनी चीजें याक पालने वाले ब्रोकपा पशुपालक समुदाय के लिए आजीविका का बेहतर विकल्प बन रहे हैं। तस्वीर - सुरजीत शर्मा/मोंगाबे।

[वीडियो] याक के दूध से बनी चीजें ब्रोकपा समुदाय को दे रही आय के नए साधन

अरुणाचल प्रदेश के बाज़ारों में घूमते हुए आपको मौसमी कीवी, ख़ुरमा, मेवे वगैरह सहित कई तरह के स्थानीय व्यंजन मिल जाएंगे। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही राज्य में आने…
अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई वाले पहाड़ पर चराई करता याक। छुरपी जैसे याक के दूध से बनी चीजें याक पालने वाले ब्रोकपा पशुपालक समुदाय के लिए आजीविका का बेहतर विकल्प बन रहे हैं। तस्वीर - सुरजीत शर्मा/मोंगाबे।
फुकरे-3 फिल्म का एक दृश्य जिसमें लोग टैंकर से पानी भरने के लिए गुत्म-गुत्था हो रहे हैं। तस्वीर साभार- एक्सेल इंटरटेनमेंट

लाइट, कैमरा, क्लाइमेट-एक्शन! पर्यावरण फिल्मों में बढ़ रही फिल्मकारों की दिलचस्पी

पानी का एक टैंकर खड़ा है और सैकड़ों लोग उसे घेरे खड़े हैं। गुत्थम-गुत्था हुए जा रहे हैं। चीखने-चिल्लाने की आवाजें आ रही हैं। टैंकर के पेट में सैकड़ों पाइप…
फुकरे-3 फिल्म का एक दृश्य जिसमें लोग टैंकर से पानी भरने के लिए गुत्म-गुत्था हो रहे हैं। तस्वीर साभार- एक्सेल इंटरटेनमेंट
गुजरात के कच्छ में पनीर बनाने वाले अर्पण कलोत्रा और पंचाल डेयरी के भीमसिंहभाई घांघल बकरी के दूध से पनीर बनाते हुए। तस्वीर - पांचाल डेयरी।

भेड़, बकरी और ऊंटनी के दूध से बने चीज़ में बढ़ रही दिलचस्पी, बड़ा हो रहा बाजार

पिछले दिनों चेन्नई में अलग-अलग मवेशियों के दूध से बने चीज़ को टेस्ट करने का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। यहां रखी गई चीज़ की किस्मों में से एक ताजा…
गुजरात के कच्छ में पनीर बनाने वाले अर्पण कलोत्रा और पंचाल डेयरी के भीमसिंहभाई घांघल बकरी के दूध से पनीर बनाते हुए। तस्वीर - पांचाल डेयरी।
विभिन्न प्राकृतिक रंगों में रंगी टी-शर्ट। तस्वीर- बायोडाई इंडिया 

रासायनिक या प्राकृतिक? फैशन उद्योग के रंगरेज की उलझन

हाल के कुछ सालों में फैशन इंडस्ट्री प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक इस्तेमाल और सिंथेटिक रंगाई प्रक्रिया से निकलने वाले जहरीले कचरे की वजह से जांच के दायरे में आ गई…
विभिन्न प्राकृतिक रंगों में रंगी टी-शर्ट। तस्वीर- बायोडाई इंडिया 
नगांव में धान रोपते किसान। असम में किए गए एक अध्ययन के दौरान चावल के खेतों में ग्रेटर फाल्स वैम्पायर बैट को देखा गया था। तस्वीर- दिगन्त तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।

धान की फसलों के लिए प्राकृतिक कीटनाशक हैं चमगादड़,असम में एक अध्ययन में आया सामने

असम में हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि चमगादड़ धान की फसल को होने वाले नुकसान को कम करने में सहायक हो सकते हैं।…
नगांव में धान रोपते किसान। असम में किए गए एक अध्ययन के दौरान चावल के खेतों में ग्रेटर फाल्स वैम्पायर बैट को देखा गया था। तस्वीर- दिगन्त तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।
अपने खेत में कॉमिफोरा वाइटी (गुग्गल) से लगाई गई बाड़ के पास खड़े किसान महिपतसिंह सिंधल। तस्वीर- अजरा परवीन रहमान 

कच्छ के औषधीय पौधे ‘गुग्गल’ की कहानी, विलुप्ति के खतरे से आया बाहर

"यह बिल्कुल एक इंसान की तरह है। जिस तरह एक व्यक्ति का खून बह जाने के बाद वह जिंदा नहीं रह पाता, उसी तरह गुग्गल भी अपनी राल खो देने…
अपने खेत में कॉमिफोरा वाइटी (गुग्गल) से लगाई गई बाड़ के पास खड़े किसान महिपतसिंह सिंधल। तस्वीर- अजरा परवीन रहमान 
यूके के लंदन में करीने से सजाए गए लैंटाना से बने आदमकद हाथी। तस्वीर - मॉरीन बार्लिन/फ़्लिकर।

लैंटाना से हाथी और फर्नीचर बनाकर इस आक्रामक पौधे को खत्म करने की कोशिश

दुनिया की सबसे कुख्यात आक्रामक प्रजातियों में से एक लैंटाना (लैंटाना कैमारा ) के फैलाव को रोकने की उम्मीद के साथ साल 2009 में एक प्रयोग शुरू हुआ था। यह…
यूके के लंदन में करीने से सजाए गए लैंटाना से बने आदमकद हाथी। तस्वीर - मॉरीन बार्लिन/फ़्लिकर।
सड़क पर आवारा कुत्तों का झुंड। तस्वीर - कोट्टाकलनेट/विकिमीडिया कॉमन्स। 

[कमेंट्री] भारत को वैज्ञानिक सोच के साथ आवारा कुत्तों से निपटना होगा

डेविड क्वामेन ने अपनी किताब ‘द सॉन्ग ऑफ द डोडो’ में लिखा है, "इस बीच, ब्रिटिश जहाजों से लाए गए घरेलू कुत्ते तस्मानिया में जंगली हो गए थे और वे…
सड़क पर आवारा कुत्तों का झुंड। तस्वीर - कोट्टाकलनेट/विकिमीडिया कॉमन्स। 
वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट्स का तर्क है कि अगर एक भी हाथी को कहीं और भेजा जाता है तो वहां के बाकी के हाथियों में परिवर्तन आएगा और मूल इलाके में वे वैसी ही समस्याएं पैदा करेंगे। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन

केरल में इंसान और हाथियों के संघर्ष को कम करने के लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता

केरल के लोग शायद इस साल की शुरुआत के उन दृश्यों को कभी भुला नहीं पाएंगे जिनमें देखा गया कि एक हाथी को ट्रक पर लादा गया था और ट्रक…
वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट्स का तर्क है कि अगर एक भी हाथी को कहीं और भेजा जाता है तो वहां के बाकी के हाथियों में परिवर्तन आएगा और मूल इलाके में वे वैसी ही समस्याएं पैदा करेंगे। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन
गेपो आली की संस्थापक, डिमम पर्टिन (बीच में) अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के सिबुक गांव की महिला किसानों के साथ। गेपो आली स्थानीय महिलाओं की मदद से अन्यत जैसे पारंपरिक मोटे अनाज को नया जीवन देने के लिए काम करती हैं। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज/मोंगाबे।

अन्यत मिलेटः अरुणाचल की थाली में वापस आ रहा पारंपरिक खान-पान से जुड़ा मोटा अनाज

माटी पर्टिन अब इस दुनिया में नहीं है। 97 साल की उम्र में उनका निधन हुआ।  जैसे-जैसे पर्टिन की उम्र बढ़ती गईं, उन्हें अन्यत (एक तरह का मोटा अनाज) की…
गेपो आली की संस्थापक, डिमम पर्टिन (बीच में) अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के सिबुक गांव की महिला किसानों के साथ। गेपो आली स्थानीय महिलाओं की मदद से अन्यत जैसे पारंपरिक मोटे अनाज को नया जीवन देने के लिए काम करती हैं। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज/मोंगाबे।
मोहाली में सड़क पार करते पैदल यात्री। पंजाब ने इसी साल के मई महीने से राइट टु वॉक को लागू करने का फैसला किया है। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।

पंजाब ने पैदल चलने वालों को प्राथमिकता देने के लिए लागू की नीति

पंजाब ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत राइट टू वॉक को इसी साल मई के महीने में लागू किया है। इसके लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट…
मोहाली में सड़क पार करते पैदल यात्री। पंजाब ने इसी साल के मई महीने से राइट टु वॉक को लागू करने का फैसला किया है। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।