नदी News

उरावु लैब्स में पानी की शुद्धता की जांच करता हुआ एक कर्मचारी। उरावु लिक्विड डेसीकेंट तकनीक का इस्तेमाल करता है जो हवा से नमी को सोखता है। फिर इसे फिल्टर और विशोषण प्रक्रिया के जरिए भेजा जाता है, ताकि पानी में दूषित पदार्थ न हों। मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा ली गई तस्वीर।

नई तकनीक से हवा से तैयार हो रहा किफायती पीने योग्य पानी

बेंगलुरु जैसे भारतीय महानगर पिछले कुछ समय से डे जीरो (किसी दिन पूरी तरह पानी नहीं मिलना) के संभावित खतरे से दो-चार हैं। शहर में जल संसाधनों का कुप्रबंधन इतना…
उरावु लैब्स में पानी की शुद्धता की जांच करता हुआ एक कर्मचारी। उरावु लिक्विड डेसीकेंट तकनीक का इस्तेमाल करता है जो हवा से नमी को सोखता है। फिर इसे फिल्टर और विशोषण प्रक्रिया के जरिए भेजा जाता है, ताकि पानी में दूषित पदार्थ न हों। मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा ली गई तस्वीर।
वायनाड के प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य जारी है। तस्वीर- विशेष व्यवस्था।

वायनाड से सबक: केरल में आपदा प्रबंधन रणनीति के बजाय जोखिम कम करने की जरूरत

जहां कभी लोगों की बस्तियां थीं, हरियाली थी, वह इलाका अब पूरी तरह से उजाड़ हो चुका है। हर तरफ मलबा, मिट्टी और बड़े-बड़े पत्थर बिखरे दिख रहे हैं। ऐसा…
वायनाड के प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य जारी है। तस्वीर- विशेष व्यवस्था।
बड़वानी जिले के कुकरा राजघाट गांव की रहनेवाली सुमित्रा दरबार। यह गांव बड़वानी जिले की बड़वानी तहसील के बिरखेड़ा पंचायत में पड़ता है और पिछले साल की बाढ़ के दौरान टापू बन गया था। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

सरदार सरोवर के जलस्तर में बदलाव से अधर में लटकी हजारों परिवारों की जिंदगियां

मध्य प्रदेश के धार जिले के एकलवाड़ा गाँव के 73 वर्षीय जगदीश सिंह तोमर को पिछले साल सितंबर में नर्मदा नदी में आई बाढ़ के बाद अपना पुश्तैनी मकान छोड़ना…
बड़वानी जिले के कुकरा राजघाट गांव की रहनेवाली सुमित्रा दरबार। यह गांव बड़वानी जिले की बड़वानी तहसील के बिरखेड़ा पंचायत में पड़ता है और पिछले साल की बाढ़ के दौरान टापू बन गया था। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
बाराजान पठार से बहने वाली एक प्राकृतिक जलधारा पर निर्माणाधीन एक छोटा बांध। तस्वीर-मैत्रेय पृथ्वीराज घोरपड़े

उत्तरी गोवा के गांवों में बढ़ती पानी की किल्लत, नए हवाई अड्डे को जिम्मेदार ठहराते लोग

पिछले कई दिनों से, हर सुबह उदय महाले एक उम्मीद के साथ अपने बाथरूम का नल खोलते हैं कि शायद आज उसमें पानी आ जाए। लेकिन ऐसा होता नहीं है।…
बाराजान पठार से बहने वाली एक प्राकृतिक जलधारा पर निर्माणाधीन एक छोटा बांध। तस्वीर-मैत्रेय पृथ्वीराज घोरपड़े
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 

[वीडियो] क्या अरुणाचल के बढ़ते बिजली संकट को हल कर पाएंगी पारंपरिक पनचक्कियां

रूपा बौद्ध मठ में काफी चहल पहल है। उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा उप-मंडल में रहने वाली एक प्रमुख जनजाति शेरटुकपेन अपने सबसे लोकप्रिय…
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 
मुंबई में एक मैंग्रोव की प्रतीकात्मक तस्वीर। मैंग्रोव में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की सबसे अहम वजह उस क्षेत्र में इंसानी गतिविधियों को माना जाता है और ये अलग-अलग इलाकों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती हैं। तस्वीर- सौमित्र शिंदे/मोंगाबे।

दक्षिण पश्चिमी भारत के मैंग्रोव में मिले फाइबर जैसे माइक्रोप्लास्टिक

भारत में हुई एक नई स्टडी में दक्षिण-पश्चिमी भारत के मैंग्रोव में पाए गए कई तरह के माइक्रोप्लास्टिक और उनके डिस्ट्रीब्यूशन के बारे में जानकारी दी गई है। इससे, इन…
मुंबई में एक मैंग्रोव की प्रतीकात्मक तस्वीर। मैंग्रोव में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की सबसे अहम वजह उस क्षेत्र में इंसानी गतिविधियों को माना जाता है और ये अलग-अलग इलाकों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती हैं। तस्वीर- सौमित्र शिंदे/मोंगाबे।
हसदेव समुदाय की महिलाओं के साथ गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से नवाजे गए आलोक शुक्ला। तस्वीर गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार के जरिए।

[इंटरव्यू] गोल्डमैन पुरस्कार से नवाजे गए आलोक शुक्ला ने कहा, “यह जल, जंगल, जमीन के लिए संघर्ष कर रहे आदिवासियों का सम्मान”

छत्तीसगढ़ में पर्यावरण को बचाने के लिए काम करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए 29 अप्रैल का दिन खास रहा। इस दिन राज्य के पर्यावरण कार्यकर्ता आलोक शुक्ला को संकटग्रस्त…
हसदेव समुदाय की महिलाओं के साथ गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से नवाजे गए आलोक शुक्ला। तस्वीर गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार के जरिए।
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स

[एक्सप्लेनर] हीटवेव में हो रही है बढ़ोतरी, क्या प्रभावी हैं भारत के हीट एक्शन प्लान?

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अप्रैल में आई हीटवेव कई संवेदनशील और पिछले समुदायों के लिए…
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स
गोपाल सरकार अक्टूबर 2023 के बाद रेत और गाद से ढके अपने खेत को पुराने रूप में लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बाढ़  पड़ोसी राज्य सिक्किम से शुरू हुई थी और इसने पश्चिम बंगाल में तीस्ता नदी के किनारे जलपाईगुड़ी जिले के एक हिस्से पर असर डाला। तस्वीर - अरुणिमा कर।

सिक्किम की बाढ़ के बाद गाद और रसायनों से प्रभावित उत्तरी बंगाल के किसान

पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में जलपाईगुड़ी जिले के 54 वर्षीय किसान गोपाल सरकार को पिछली सर्दियों में सब्जियों की खेती करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनका एक…
गोपाल सरकार अक्टूबर 2023 के बाद रेत और गाद से ढके अपने खेत को पुराने रूप में लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बाढ़  पड़ोसी राज्य सिक्किम से शुरू हुई थी और इसने पश्चिम बंगाल में तीस्ता नदी के किनारे जलपाईगुड़ी जिले के एक हिस्से पर असर डाला। तस्वीर - अरुणिमा कर।
पश्चिम बंगाल की संतरागाछी झील में मौजूद प्रवासी पक्षी। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।  

पश्चिम बंगाल के दक्षिण-मध्य में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोक

इसी साल 15 फरवरी को पश्चिम बंगाल के वन विभाग के अधिकारियों ने एक शख्स को पश्चिम बंगाल के मध्य में स्थित मुर्शिदाबाद जिले के 100 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र…
पश्चिम बंगाल की संतरागाछी झील में मौजूद प्रवासी पक्षी। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।  
पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला

चामी मुर्मू: पेड़ और पानी से होते हुए पद्म श्री तक का सफर

32 साल में लगाए 30 लाख पेड़। हर दिन करीब 257 पौधे।   71 गांवों में चार अमृत सरोवर सहित कुल 217 तालाबों का निर्माण।  263 गांवों में बनाए 2873 स्वयं…
पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से के 70 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है।। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल

हसदेव अरण्य: विधानसभा के संकल्प, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के बावजूद बढ़ता कोयला खनन

छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है। राज्यपाल से लेकर विधानसभा तक ने, हसदेव अरण्य में कोयला खदानों पर रोक लगाने की बात कही…
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से के 70 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है।। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल
बेतवा नदी मध्य प्रदेश के अशोकनगर से होकर उत्तर प्रदेश की सीमा के पास बहती है। तस्वीर- पंकज सक्सेना/विकिमीडिया कॉमन्स

केन-बेतवा परियोजना आगे बढ़ी, लेकिन नदियों को जोड़ने से सूखे की आशंका

केन-बेतवा लिंक परियोजना को 'सैद्धांतिक' मंजूरी दिए जाने के तकरीबन छह साल बाद ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ की तरफ से 3 अक्टूबर को अंतिम वन मंजूरी दे दी…
बेतवा नदी मध्य प्रदेश के अशोकनगर से होकर उत्तर प्रदेश की सीमा के पास बहती है। तस्वीर- पंकज सक्सेना/विकिमीडिया कॉमन्स
गुजरात के मोरबी जिले में लिटिल रण ऑफ कच्छ (एलआरके) के किनारे स्थित एक गांव वेनासर के मछुआरों का कहना है कि हाल के वक्त में शायद ही कोई मछली पकड़ी गई है। मछली पकड़ने के उपकरण घर वापस ले जाने के लिए किराए लायक कमाई भी नहीं हो पाई है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे। 

नमक निर्माण या झींगा पालनः दो आजीविका के बीच द्वंद

“मिट्ठू बराबर छे?” (क्या नमक ठीक है?) रुकसाना ने झींगा चावल परोसते हुए पूछा। इस सवाल पर सभी खाने वालों के चेहरे पर एक व्यंग्यपूर्ण मुस्कुराहट आई। इसकी वजह है…
गुजरात के मोरबी जिले में लिटिल रण ऑफ कच्छ (एलआरके) के किनारे स्थित एक गांव वेनासर के मछुआरों का कहना है कि हाल के वक्त में शायद ही कोई मछली पकड़ी गई है। मछली पकड़ने के उपकरण घर वापस ले जाने के लिए किराए लायक कमाई भी नहीं हो पाई है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे। 
मालिया मछली बाज़ार। जिंजर झींगा (मेटापेनियस कचेंसिस) कच्छ की खाड़ी की एक स्थानिक प्रजाति है और इसकी मछली पकड़ना यहां आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे

कच्छ में बढ़ते नमक उत्पादन से सिमट रहा झींगा कारोबार

गुजरात के कच्छ का सूरजबाड़ी ब्रिज डीजल का धुआं, धूल, ट्रक और ट्रेन की आवाज से आपका स्वागत करता है। आगे बढ़ने पर उस ब्रिज से नमक का मैदान दिखना…
मालिया मछली बाज़ार। जिंजर झींगा (मेटापेनियस कचेंसिस) कच्छ की खाड़ी की एक स्थानिक प्रजाति है और इसकी मछली पकड़ना यहां आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे
कश्मीर में बर्फ से सूनी पहाड़ी ढलानें। तस्वीर - मुदस्सिर कुल्लू।

कश्मीर में मौसमी बर्फबारी में कमी, जंगल, ग्लेशियर और नदी-झीलों पर पड़ेगा असर

जम्मू और कश्मीर में दिसंबर और जनवरी के महीनों में सूखा मौसम देखा गया। इससे क्षेत्र की जैव विविधता के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। जानकार मौसम में…
कश्मीर में बर्फ से सूनी पहाड़ी ढलानें। तस्वीर - मुदस्सिर कुल्लू।
जमुई के गरही थाना में लगभग दो दर्जन ऐसे वाहन हैं जो बालू लदे स्थिति में जब्त किये गये हैं। इस थाने में सबसे अधिक मामले बालू के अवैध उत्खनन के अपराध के ही आते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे 

बिहार में बालू के बढ़ते खनन से बिगड़ती नदियों की सेहत, बढ़ता अपराध सरकार के लिए चुनौती

दक्षिण बिहार के जमुई जिले के आखिरी छोर पर स्थित गरही थाने में तैनात दारोगा प्रभात रंजन 14 नवंबर 2023 को अवैध बालू उठाव की एक गुप्त सूचना के बाद…
जमुई के गरही थाना में लगभग दो दर्जन ऐसे वाहन हैं जो बालू लदे स्थिति में जब्त किये गये हैं। इस थाने में सबसे अधिक मामले बालू के अवैध उत्खनन के अपराध के ही आते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे 
विभिन्न प्राकृतिक रंगों में रंगी टी-शर्ट। तस्वीर- बायोडाई इंडिया 

रासायनिक या प्राकृतिक? फैशन उद्योग के रंगरेज की उलझन

हाल के कुछ सालों में फैशन इंडस्ट्री प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक इस्तेमाल और सिंथेटिक रंगाई प्रक्रिया से निकलने वाले जहरीले कचरे की वजह से जांच के दायरे में आ गई…
विभिन्न प्राकृतिक रंगों में रंगी टी-शर्ट। तस्वीर- बायोडाई इंडिया 
एन्नोर में मछुआरों के नौ गांवों के 2,000 से ज्यादा मछुआरे दिसंबर की शुरुआत से पास की कोसस्थलैयार नदी, एन्नोर क्रीक और बंगाल की खाड़ी में नहीं गए हैं। तस्वीर - लास्या शेखर/मोंगाबे।

तेल रिसने से मछली पकड़ने का काम बंद, एन्नोर में मछुआरों पर आजीविका का संकट

कड़ाके की ठंड वाले दिसंबर की 21 तारीख की शाम को 38 साल के मछुआरे एम संतोष कुमार ने कातर नजरों से कोसस्थलैयार नदी का सामना किया। नदी चेन्नई शहर…
एन्नोर में मछुआरों के नौ गांवों के 2,000 से ज्यादा मछुआरे दिसंबर की शुरुआत से पास की कोसस्थलैयार नदी, एन्नोर क्रीक और बंगाल की खाड़ी में नहीं गए हैं। तस्वीर - लास्या शेखर/मोंगाबे।
कर्नाटका के कोलार जिले में जलकुंभी से पटी कोलारम्मा झील का ड्रोन शॉट। कर्नाटक सरकार का केसी वैली प्रोजेक्ट बेंगलुरु के सेकेंडरी ट्रीटेड वेस्टवाटर को कोलार क्षेत्र में लाता है और उसे जलाशयों औऱ झीलों में भरता है ताकि इससे भूजल रीचार्ज किया जा सके। तस्वीर- आंजनेय रेड्डी।

क्या शहरों का गंदा पानी पिएंगे ग्रामीण भारत के लोग?

अगस्त के शुरुआती दिनों में कोलार भूरे और हरे रंग का दिख रहा था। जुलाई के महीने हुई अप्रत्याशित बारिश ने यहां के किसानों की उम्मीदें जगा दी थीं। कर्नाटक…
कर्नाटका के कोलार जिले में जलकुंभी से पटी कोलारम्मा झील का ड्रोन शॉट। कर्नाटक सरकार का केसी वैली प्रोजेक्ट बेंगलुरु के सेकेंडरी ट्रीटेड वेस्टवाटर को कोलार क्षेत्र में लाता है और उसे जलाशयों औऱ झीलों में भरता है ताकि इससे भूजल रीचार्ज किया जा सके। तस्वीर- आंजनेय रेड्डी।
खेत में किसान। प्रतिकात्मक तस्वीर। तुम्मलापल्ले खदान के पास रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि यूरेनियम खदान के टेलिंग तालाब से अपशिष्ट भूजल में मिल रहा है, जिससे फसलों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। तस्वीर- सूरज मोंडोल/विकिमीडिया कॉमन्स 

यूरेनियम खदानों के पास रहने वाले लोगों ने कहा, प्रदूषण से उनकी सेहत और खेतों पर असर पड़ा

आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कडपा जिले के तुम्मलपल्ले और अन्य गांवों के पास यूरेनियम टेलिंग्स तालाब में यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) द्वारा खनन के संभावित प्रभावों के कारण,…
खेत में किसान। प्रतिकात्मक तस्वीर। तुम्मलापल्ले खदान के पास रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि यूरेनियम खदान के टेलिंग तालाब से अपशिष्ट भूजल में मिल रहा है, जिससे फसलों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। तस्वीर- सूरज मोंडोल/विकिमीडिया कॉमन्स 
4 अक्टूबर को सिक्किम में जीएलओएफ घटना के बाद बचाव प्रयास। फोटो: प्रेस सूचना ब्यूरो, भारत सरकार

बांध सुरक्षा और पूर्व चेतावनी प्रणाली की अनदेखी ने बनाया सिक्किम की बाढ़ को घातक

साल 2011 में सिक्किम में आए 6.9 तीव्रता के भूकंप की याद में हर साल 18 सितंबर को राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।…
4 अक्टूबर को सिक्किम में जीएलओएफ घटना के बाद बचाव प्रयास। फोटो: प्रेस सूचना ब्यूरो, भारत सरकार
इस रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के जरिए जम्मू-कश्मीर में तवी नदी को रोजगार के खास मौके पैदा करने वाली बनाया जाएगा। तस्वीर- पॉल ला पोर्टे/विकीमीडिया कॉम्नस।

जम्मू के तवी रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट से हो सकता है नदी को नुकसान, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से बनाए जा रहे तवी रिवरफ्रंट को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी चिंता जताई है कि इससे पर्यावरण को खतरा है और जलवायु परिवर्तन के…
इस रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के जरिए जम्मू-कश्मीर में तवी नदी को रोजगार के खास मौके पैदा करने वाली बनाया जाएगा। तस्वीर- पॉल ला पोर्टे/विकीमीडिया कॉम्नस।
अडयार नदी के बाढ़ क्षेत्र पर बना चेन्नई हवाई अड्डा 2015 की बाढ़ के दौरान बाढ़ में डूब गया था। तस्वीर- भारतीय वायु सेना / विकिमीडिया कॉमन्स 

(एक्सप्लेनर) बाढ़ के मैदान और भारत में उनका प्रबंधन?

पानी और परिवहन तक आसान पहुंच के लिए शहर और कस्बे अक्सर नदी तटों और बाढ़ के मैदानों के करीब बनाए जाते हैं। ऐतिहासिक रूप से, भारत में मौसमी नदियों…
अडयार नदी के बाढ़ क्षेत्र पर बना चेन्नई हवाई अड्डा 2015 की बाढ़ के दौरान बाढ़ में डूब गया था। तस्वीर- भारतीय वायु सेना / विकिमीडिया कॉमन्स 
ओडिशा में महानदी। नदी पर हजारों मछुआरे और किसान आश्रित हैं। साल 1937 में पहली बार महानदी के पानी को लेकर बात शुरु हुई थी, जब ओडिशा में हीराकुंड बांध बनाने की बात चली। तस्वीर- कमलाकांत नायक/विकिमीडिया कॉमन्स

महानदी: 86 सालों बाद भी क्यों नहीं सुलझ पा रहा छत्तीसगढ़, ओडिशा जल विवाद

बारिश के इस मौसम में छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाइगढ़ ज़िले के कलमा बैराज के दोनों तरफ़ पानी नज़र आ रहा है। लेकिन दो-तीन महीने पहले तक तस्वीर ऐसी नहीं थी। छत्तीसगढ़…
ओडिशा में महानदी। नदी पर हजारों मछुआरे और किसान आश्रित हैं। साल 1937 में पहली बार महानदी के पानी को लेकर बात शुरु हुई थी, जब ओडिशा में हीराकुंड बांध बनाने की बात चली। तस्वीर- कमलाकांत नायक/विकिमीडिया कॉमन्स
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे

[वीडियो] मिथिला मखानः सांस्कृतिक पहचान को बचाने की राह में अनेक चुनौतियां

मखाना, वेटलैंड्स या आद्रभूमि में होने वाली फसल है। इसे मुख्यतः बिहार के पोखर, तालाबों और जलजमाव वाले क्षेत्रों में उपजाया जाता है। मखाना का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र मिथिला है…
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स

मंजूरी नहीं मिलने से अटकी अरुणाचल की एटालिन पनबिजली परियोजना, खतरे में थे 2.5 लाख पेड़

अरुणाचल प्रदेश के दिबांग नदी घाटी क्षेत्र में पनबिजली परियोजना को लेकर चिंतित पर्यावरणविदों और स्थानीय आबादी को बड़ी राहत मिली है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की…
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स
मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे

उत्तराखंड में किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा जैविक खेती का लाभ

उत्तराखंड में कोटद्वार से लगभग 100 किलोमीटर दूर पोखरा ब्लॉक के वीणाधार गांव में रहने वाली लता देवी पूरे दिन व्यस्त रहती हैं। अहले सुबह वो अपनी गाय को दूहती…
मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे
ओडिशा में लगभग 7,829 महिला स्वयं सहायता समूह पिछले पांच सालों से गांव के तालाबों में पोषण-संवेदनशील मछली पालन में शामिल हैं। तस्वीर- डेटौर ओडिशा/वर्ल्डफिश 

मछली पालन से पोषण को प्रोत्साहित करती ओडिशा की महिलाएं

लगभग डेढ़ दशक पहले तक ‘मोला मछली’ ओड़िया खाने का अभिन्न अंग थी। यह एक स्वदेशी प्रजाति की मछली है जिसे एंबलीफेरिंगोडोन मोला भी कहा जाता है। लेकिन बदलती जलवायु…
ओडिशा में लगभग 7,829 महिला स्वयं सहायता समूह पिछले पांच सालों से गांव के तालाबों में पोषण-संवेदनशील मछली पालन में शामिल हैं। तस्वीर- डेटौर ओडिशा/वर्ल्डफिश 
मध्य प्रदेश के सतना जिले के धतूरा गांव में टमाटर की तुड़ाई करता एक किसान। इस गांव में किसानो ने खेती के तरीकों में बदलाव किया है। पानी की खपत कम करने के लिए मंचिंग पॉलीथिन का प्रयोग किया गया जिससे पानी की बचत हुई। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

[वीडियो] क्लाइमेट स्मार्ट विलेज: जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए कैसे तैयार हो रहे हैं मध्य प्रदेश के ये गांव

मध्यप्रदेश के सतना जिले में धतूरा गांव के किसान देवशरण पटेल (53) कंधे पर बैट्री से चलने वाली कीटनाशक छिड़कने की मशीन लादे खेतों की ओर जा रहे हैं। कुछ…
मध्य प्रदेश के सतना जिले के धतूरा गांव में टमाटर की तुड़ाई करता एक किसान। इस गांव में किसानो ने खेती के तरीकों में बदलाव किया है। पानी की खपत कम करने के लिए मंचिंग पॉलीथिन का प्रयोग किया गया जिससे पानी की बचत हुई। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे