नदी News

अडयार नदी के बाढ़ क्षेत्र पर बना चेन्नई हवाई अड्डा 2015 की बाढ़ के दौरान बाढ़ में डूब गया था। तस्वीर- भारतीय वायु सेना / विकिमीडिया कॉमन्स 

(एक्सप्लेनर) बाढ़ के मैदान और भारत में उनका प्रबंधन?

पानी और परिवहन तक आसान पहुंच के लिए शहर और कस्बे अक्सर नदी तटों और बाढ़ के मैदानों के करीब बनाए जाते हैं। ऐतिहासिक रूप से, भारत में मौसमी नदियों…
अडयार नदी के बाढ़ क्षेत्र पर बना चेन्नई हवाई अड्डा 2015 की बाढ़ के दौरान बाढ़ में डूब गया था। तस्वीर- भारतीय वायु सेना / विकिमीडिया कॉमन्स 
ओडिशा में महानदी। नदी पर हजारों मछुआरे और किसान आश्रित हैं। साल 1937 में पहली बार महानदी के पानी को लेकर बात शुरु हुई थी, जब ओडिशा में हीराकुंड बांध बनाने की बात चली। तस्वीर- कमलाकांत नायक/विकिमीडिया कॉमन्स

महानदी: 86 सालों बाद भी क्यों नहीं सुलझ पा रहा छत्तीसगढ़, ओडिशा जल विवाद

बारिश के इस मौसम में छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाइगढ़ ज़िले के कलमा बैराज के दोनों तरफ़ पानी नज़र आ रहा है। लेकिन दो-तीन महीने पहले तक तस्वीर ऐसी नहीं थी। छत्तीसगढ़…
ओडिशा में महानदी। नदी पर हजारों मछुआरे और किसान आश्रित हैं। साल 1937 में पहली बार महानदी के पानी को लेकर बात शुरु हुई थी, जब ओडिशा में हीराकुंड बांध बनाने की बात चली। तस्वीर- कमलाकांत नायक/विकिमीडिया कॉमन्स
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे

[वीडियो] मिथिला मखानः सांस्कृतिक पहचान को बचाने की राह में अनेक चुनौतियां

मखाना, वेटलैंड्स या आद्रभूमि में होने वाली फसल है। इसे मुख्यतः बिहार के पोखर, तालाबों और जलजमाव वाले क्षेत्रों में उपजाया जाता है। मखाना का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र मिथिला है…
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स

मंजूरी नहीं मिलने से अटकी अरुणाचल की एटालिन पनबिजली परियोजना, खतरे में थे 2.5 लाख पेड़

अरुणाचल प्रदेश के दिबांग नदी घाटी क्षेत्र में पनबिजली परियोजना को लेकर चिंतित पर्यावरणविदों और स्थानीय आबादी को बड़ी राहत मिली है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की…
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स
मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे

उत्तराखंड में किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा जैविक खेती का लाभ

उत्तराखंड में कोटद्वार से लगभग 100 किलोमीटर दूर पोखरा ब्लॉक के वीणाधार गांव में रहने वाली लता देवी पूरे दिन व्यस्त रहती हैं। अहले सुबह वो अपनी गाय को दूहती…
मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे
ओडिशा में लगभग 7,829 महिला स्वयं सहायता समूह पिछले पांच सालों से गांव के तालाबों में पोषण-संवेदनशील मछली पालन में शामिल हैं। तस्वीर- डेटौर ओडिशा/वर्ल्डफिश 

मछली पालन से पोषण को प्रोत्साहित करती ओडिशा की महिलाएं

लगभग डेढ़ दशक पहले तक ‘मोला मछली’ ओड़िया खाने का अभिन्न अंग थी। यह एक स्वदेशी प्रजाति की मछली है जिसे एंबलीफेरिंगोडोन मोला भी कहा जाता है। लेकिन बदलती जलवायु…
ओडिशा में लगभग 7,829 महिला स्वयं सहायता समूह पिछले पांच सालों से गांव के तालाबों में पोषण-संवेदनशील मछली पालन में शामिल हैं। तस्वीर- डेटौर ओडिशा/वर्ल्डफिश 
मध्य प्रदेश के सतना जिले के धतूरा गांव में टमाटर की तुड़ाई करता एक किसान। इस गांव में किसानो ने खेती के तरीकों में बदलाव किया है। पानी की खपत कम करने के लिए मंचिंग पॉलीथिन का प्रयोग किया गया जिससे पानी की बचत हुई। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

[वीडियो] क्लाइमेट स्मार्ट विलेज: जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए कैसे तैयार हो रहे हैं मध्य प्रदेश के ये गांव

मध्यप्रदेश के सतना जिले में धतूरा गांव के किसान देवशरण पटेल (53) कंधे पर बैट्री से चलने वाली कीटनाशक छिड़कने की मशीन लादे खेतों की ओर जा रहे हैं। कुछ…
मध्य प्रदेश के सतना जिले के धतूरा गांव में टमाटर की तुड़ाई करता एक किसान। इस गांव में किसानो ने खेती के तरीकों में बदलाव किया है। पानी की खपत कम करने के लिए मंचिंग पॉलीथिन का प्रयोग किया गया जिससे पानी की बचत हुई। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
शुष्क मौसम के दौरान उथली हो जाने वाली बांग्लादेश के जाफलोंग में स्थित गोयैन नदी गाद व तलछट को नीचे की ओर बहा ले जाती है। फोटो- डेविड स्टेनली वाया फ़्लिकर 

साझा जलमार्गों के बेहतर प्रबंधन से होगा भारत और बांग्लादेश को आर्थिक फायदा

भारत और बांग्लादेश के बीच के नदी मार्ग दोनों देशों के लिए आर्थिक और भौगोलिक स्तर पर काफी मायने रखते हैं। हालांकि पर्यावरण प्रबंधन से जुड़े मसलों ने इनमें से…
शुष्क मौसम के दौरान उथली हो जाने वाली बांग्लादेश के जाफलोंग में स्थित गोयैन नदी गाद व तलछट को नीचे की ओर बहा ले जाती है। फोटो- डेविड स्टेनली वाया फ़्लिकर 
जोशीमठ में दरारों की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर में अब तक 849 मकानों में दरारें देखी गईं। शहर के 838 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

जोशीमठ संकटः 46 सालों से बनती आ रही कमेटियां, क्या इस बार नहीं होगी सुझावों की अनदेखी

जैसे ही उत्तराखंड के जोशीमठ से मकानों में दरारों की ख़बरों की शुरुआत हुई, वैसे ही राज्य और केंद्र सरकारें हरकत में आयीं और आनन-फानन में जोशीमठ में हो रहे…
जोशीमठ में दरारों की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर में अब तक 849 मकानों में दरारें देखी गईं। शहर के 838 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
जोशीमठ के तकरीबन 700 सौ मकानों में दरारें आ रही हैं। यहां के मकान तेजी से धंस रहे हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार

उत्तराखंड का एक दरकता शहरः कैसे बदतर हुए जोशीमठ के हालात

ऋषि देवी (37) के परिवार के लिए जोशीमठ का सरकारी स्कूल इन दिनों आशियाना बना हुआ है। सर्द रातों में जब पारा -3 डिग्री सेल्सियस पहुँच जाता है, ऋषि देवी…
जोशीमठ के तकरीबन 700 सौ मकानों में दरारें आ रही हैं। यहां के मकान तेजी से धंस रहे हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार
जोशीमठ में 678 मकान जर्जर हो गए हैं। वहां से लोगों को अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया जा रहा है। तस्वीर- सत्यम कुमार

[वीडियो] ढह रहा उत्तराखंड का जोशीमठ, किस हाल में हैं वहां के लोग?

उत्तराखंड के शहर जोशीमठ में हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। कोई अपने घर से फर्नीचर निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचा रहा है तो कोई अपने परिवार समेत घर छोड़ने की…
जोशीमठ में 678 मकान जर्जर हो गए हैं। वहां से लोगों को अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया जा रहा है। तस्वीर- सत्यम कुमार
फरक्का बैराज के पास गंगा नदी। गंगा के लोअर स्ट्रेच या लोअर स्ट्रीम में फरक्का से फ्रेजरगंज तक मछुआरों के सामाजिक-आर्थिक आकलन में पता चला है कि हिलसा जैसी मछलियां मछुआरों की आय में 38.84% का योगदान करती हैं। तस्वीर- राहुल सिंह

भारत में कैसे कम हुई हिलसा मछली, इस दुर्लभ प्रजाति को बचाने में क्या हैं चुनौतियां?

पश्चिम बंगाल में फरक्का के प्रसनजीत मंडल (30) का पुश्तैनी काम मछली पकड़ना है। लेकिन इन दिनों वह रिक्शा चला कर भी गुजारा करते हैं। साथ ही अपने दोस्तों के…
फरक्का बैराज के पास गंगा नदी। गंगा के लोअर स्ट्रेच या लोअर स्ट्रीम में फरक्का से फ्रेजरगंज तक मछुआरों के सामाजिक-आर्थिक आकलन में पता चला है कि हिलसा जैसी मछलियां मछुआरों की आय में 38.84% का योगदान करती हैं। तस्वीर- राहुल सिंह
बल्ली द्वीप पर मृत मैंग्रोव के बगल में लगाए गए नए मैंग्रोव। विशेषज्ञों का कहना है कि उन क्षेत्रों में जहां लहर का वेग अधिक है, और कटाव तेज है, वहां मैंग्रोव तब तक नहीं बचेंगे जब तक कि मैंग्रोव को लहरों से सुरक्षित नहीं किया जाता। तस्वीर- सुभ्रजीत सेन/मोंगाबे।

[वीडियो] सुंदरबनः तटीय कटाव और मवेशियों की वजह से मुश्किल में मैंग्रोव के नए पौधे

भारत के सुंदरबन में स्थित एक द्वीप पखिरालय घाट के पश्चिम में 700 से 800 मीटर हिस्से में मैंग्रोव (समुद्री तट पर उगने वाला पौधा या झाड़ी) को लगाना, 2020…
बल्ली द्वीप पर मृत मैंग्रोव के बगल में लगाए गए नए मैंग्रोव। विशेषज्ञों का कहना है कि उन क्षेत्रों में जहां लहर का वेग अधिक है, और कटाव तेज है, वहां मैंग्रोव तब तक नहीं बचेंगे जब तक कि मैंग्रोव को लहरों से सुरक्षित नहीं किया जाता। तस्वीर- सुभ्रजीत सेन/मोंगाबे।

[कमेंट्री] हिमालय के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में समृद्ध जैव-विविधता के संरक्षण के विविध पहलू

हिमालय के पूर्वी क्षेत्र में जैव-विविधता से समृद्ध हिंदुकुश हिमालय दुर्लभ, स्थानीय और संकटग्रस्त वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियों का आवास है। वैश्विक जैव विविधता के तीन हॉटस्पॉट, हिमालय,…
तेलंगाना के खम्मम जिले में अपने तेल ताड़ के खेत में एक ताड़ का किसान। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे

धान से लेकर पाम तक: पानी की अधिक खपत करने वाली फसलों की ओर तेलंगाना का रुख

बासठ साल के बी.बुच्छया तेलंगाना के खम्मम जिले में पाम या ताड़ की खेती करने वाले एक किसान हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी 12 एकड़ की जमीन पर ताड़…
तेलंगाना के खम्मम जिले में अपने तेल ताड़ के खेत में एक ताड़ का किसान। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे
लेह और हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन से बढ़ता कचरा। तस्वीर- जुआन डेल रियो/लोकल फ्यूचर्स।

लेह में पर्यटकों की बढ़ती भीड़ से पर्यावरण प्रभावित होने की आशंका

अक्टूबर 2020 में रोहतांग दर्रे पर अटल सुरंग (टनल) खुलने के बाद पिछले दो वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में वाहनों का आवागमन बहुत बढ़ा है। लद्दाख के लेह शहर…
लेह और हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन से बढ़ता कचरा। तस्वीर- जुआन डेल रियो/लोकल फ्यूचर्स।

[वीडियो] पृथ्वी के लिए ‘कोड रेड’, ताजे पानी के जलीय जीवों की संख्या में 83% की गिरावट: रिपोर्ट

बीते 50 वर्षों में दुनिया में ताजे पानी के जलीय जीवों की संख्या में 83% की कमी आई है। जंगली जीवों के मामले में यह आंकड़ा 69% का है। यानी…
हैचलिंग की रखवाली करता एक नर घड़ियाल। तस्वीर:घड़ियाल पारिस्थितिकी परियोजना / एमसीबीटी।

नेपाल: क्या बाघों की बढ़ती संख्या विलुप्त होते घड़ियालों के संरक्षण के लिए एक चुनौती है?

जुलाई 31 की सुबह नेपाल के चितवन नेशनल पार्क स्थित कसारा घड़ियाल प्रजनन केंद्र के बाड़े में एक बाघ (वैज्ञानिक नाम-पैंथेरा टाइग्रिस) घुस गया। इसने कुछ देर तक घड़ियालों के…
हैचलिंग की रखवाली करता एक नर घड़ियाल। तस्वीर:घड़ियाल पारिस्थितिकी परियोजना / एमसीबीटी।
हिमाचल के ठंडे रेगिस्तान में खेती की चुनौती: बदलता जलवायु और बदलती फसल

हिमाचल के ठंडे रेगिस्तान में खेती की चुनौती: बदलता जलवायु और बदलती फसल

हिमाचल प्रदेश के ठंडे रेगिस्तान में स्थित तांदी गांव के 30 किसानों के लिए 2022 की गर्मी बेरहम साबित हुई। सिंचाई के लिए पानी की कमी के कारण लाहौल और…
हिमाचल के ठंडे रेगिस्तान में खेती की चुनौती: बदलता जलवायु और बदलती फसल
कहलगांव के 65 वर्षीय दशरथ सहनी डॉल्फिन मित्र के तौर पर संरक्षण का काम करते हैं। वह हर दिन नाव से आठ से दस किमी की गश्त करके संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

[वीडियो] गंगा डॉल्फिन को बचाने की डगर में कई मुश्किलें, प्रदूषण और बांध बड़ी समस्या

कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन के बाद मीडिया ने गंगा में इंसानी गतिविधियों में कमी के चलते नदी के स्वच्छ होने की खबरें दीं। कहा गया कि इससे देश के…
कहलगांव के 65 वर्षीय दशरथ सहनी डॉल्फिन मित्र के तौर पर संरक्षण का काम करते हैं। वह हर दिन नाव से आठ से दस किमी की गश्त करके संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
कारगिल के जंस्कर स्थित एक प्रोग्लेशियल झील। तस्वीर- इरफ़ान राशिद

[व्याख्या] ग्लेशियल झील में बाढ़ का विस्फोट क्यों होता है और वह हिमालय को किस तरह से प्रभावित करता है?

हिमालय क्षेत्र झीलों के अचानक टूटने से भीषण आपदा आती है। इसे अंग्रेजी में जीएलओएफ कहते हैं। जीएलओएफ का मतलब ग्लेशियल लेक आउटब्रस्ट फ्लड यानी हिमनद झील की वजह से…
कारगिल के जंस्कर स्थित एक प्रोग्लेशियल झील। तस्वीर- इरफ़ान राशिद
सिलचर का करीब 80 फीसदी हिस्सा जलमग्न हो गया। तस्वीर- सुभदीप दत्ता

[वीडियो] भीषण बाढ़ से असम में जन-जीवन अस्त-व्यस्त, जाल-माल को भारी क्षति

असम में नेशनल हाईवे 31 के किनारे जिस ओर नजर जाती है, पानी ही पानी दिखता है। यहां कुछ दिन पहले तक धान की लहलहाती फसल दिखती थी। इसी हाइवे…
सिलचर का करीब 80 फीसदी हिस्सा जलमग्न हो गया। तस्वीर- सुभदीप दत्ता
रांची शहर की तस्वीर रांची हिल्स से ली गई है। यह समुद्र तल से 2064 फुट की ऊंचाई पर बसा है। तस्वीर- बिश्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स

हिल स्टेशन रांची में पानी के लिए क्यों मच रहा हाहाकार?

रांची में रहने वाली चालीस साल की सुगन बिन्हा ने पानी का भीषण संकट कई बार देखा है लेकिन इस बार जैसी परेशानी उन्होंने पहले कभी नहीं झेली। इस गर्मी…
रांची शहर की तस्वीर रांची हिल्स से ली गई है। यह समुद्र तल से 2064 फुट की ऊंचाई पर बसा है। तस्वीर- बिश्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स
जौनपुर शहर में गोमती नदी में कुल 14 नाले गिरते हैं और इन नालों से प्रतिदिन 30 एमएलडी कचरा डिस्चार्ज होता है। तस्वीर- आनंद देव/मोंगाबे

जौनपुर से गोमती में बहने वाले कचरे का अनुमान भी नहीं लगा पा रहा प्रशासन, कैसे होगी नदी साफ?

गंगा की सहायक नदी है गोमती। गंगा नदी की सफाई के लिए केंद्र स्तर पर नमामि गंगे नाम से योजना चलाई जा रही है। इसके तहत सहायक नदियों की सफाई…
जौनपुर शहर में गोमती नदी में कुल 14 नाले गिरते हैं और इन नालों से प्रतिदिन 30 एमएलडी कचरा डिस्चार्ज होता है। तस्वीर- आनंद देव/मोंगाबे
कोसी अपने साथ भारी मात्रा में गाद लाती है, जिसकी वजह से यह नदी बहुत तेजी से अपना रास्ता बदलती है और किसानों के खेतों से होकर बहने लगती है। तस्वीर- उमेश कुमार राय/मोंगाबे

बिहारः कोसी क्षेत्र के किसान क्यों कर रहे भू-सर्वेक्षण का विरोध?

60 वर्षीय सत्यनारायण यादव ने पिछले साल जिस 2.75 एकड़ खेत में खेती की थी, उस जमीन पर कोसी नदी की धारा बह रही है। “खेत में नदी बह रही…
कोसी अपने साथ भारी मात्रा में गाद लाती है, जिसकी वजह से यह नदी बहुत तेजी से अपना रास्ता बदलती है और किसानों के खेतों से होकर बहने लगती है। तस्वीर- उमेश कुमार राय/मोंगाबे
दतिया जिले में एक कस्बा है लांच जहां सिंध नदी पर पुल 2021 की बाढ़ में ढह गया था। तस्वीर- राहुल सिंह

गंदी होती नदियों के बीच दिलासा देती है स्वच्छ सिंध, लेकिन रेत खनन से हैं चुनौतियां

जब चारों तरफ नदियों के प्रदूषित होने की चिंता शामिल हो वैसे में मूलतः मध्य प्रदेश में बहने वाली सिंध नदी एक खुशनुमा एहसास कराती है। बहुतायत में अब भी…
दतिया जिले में एक कस्बा है लांच जहां सिंध नदी पर पुल 2021 की बाढ़ में ढह गया था। तस्वीर- राहुल सिंह
बारापुल्ला नाले की पहले और बाद की स्थिति। तस्वीर- एकेटीसी

दिल्ली की 700 साल पुरानी निजामुद्दीन बस्ती में लौट रही पुरानी रौनक

दिल्ली की निजामुद्दीन बस्ती अपने आप में एक अलग दुनिया है। इसे सूफी संतों और धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। लोधी कॉलोनी और खान मार्केट जैसे पड़ोसी…
बारापुल्ला नाले की पहले और बाद की स्थिति। तस्वीर- एकेटीसी
छत्तीसगढ़ में इंद्रावती नदी पर चित्रकोट जलप्रपात। इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट परियोजना 40 वर्षों से लंबित है और इस वर्ष इसे नए सिरे से गति मिली है। तस्वीर- इशांत 46एनटी / विकिमीडिया कॉमन्स

देश में मेगा पनबिजली परियोजनाओं की हो रही वापसी, क्या यह व्यवहारिक है

बीते कुछ सालों में, पुरानी पनबिजली परियोजनाओं में राज्य सरकारों की दिलचस्पी बढ़ी है। चाहे किसी भी दल की सरकार हो, इन परियोजनाओं के लिए कई राज्यों में एक साझा…
छत्तीसगढ़ में इंद्रावती नदी पर चित्रकोट जलप्रपात। इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट परियोजना 40 वर्षों से लंबित है और इस वर्ष इसे नए सिरे से गति मिली है। तस्वीर- इशांत 46एनटी / विकिमीडिया कॉमन्स
बैनर तस्वीर: बाजोली-होली जलविद्युत परियोजना का एक दृश्य। तस्वीर- विशेष प्रबंध

हिमाचल में आदिवासियों को उजाड़ती पनबिजली परियोजना

25 मार्च 2014 की तारीख, हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला स्थित झरौता गांव के लोग इस तारीख को भूल नहीं सकते। इसी दिन कम से कम 31 महिलाओं को पुलिस…
बैनर तस्वीर: बाजोली-होली जलविद्युत परियोजना का एक दृश्य। तस्वीर- विशेष प्रबंध
महाशीर सर्वे के दौरान नदी से एक महाशीर को निकाला गया। परिक्षण के बाद उसे वापस नदी में छोड़ दिया गया। तस्वीर-ए जे टी जॉनसिंह, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया और एनसीएफ/विकिमीडिया कॉमन्स

[वीडियो] क्या पानी के टाइगर महाशीर के लायक नहीं रह गया नर्मदा का पानी?

मध्यप्रदेश में बड़वानी जिले के नर्मदा नदी के किनारे मछली पकड़ रहीं द्वारकी, पास पड़ी टोकरी की तरफ, इशारा करती हैं। दिन भर की मशक्कत के बाद भी उनकी यह…
महाशीर सर्वे के दौरान नदी से एक महाशीर को निकाला गया। परिक्षण के बाद उसे वापस नदी में छोड़ दिया गया। तस्वीर-ए जे टी जॉनसिंह, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया और एनसीएफ/विकिमीडिया कॉमन्स