अरुणाचल प्रदेश News

अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई वाले पहाड़ पर चराई करता याक। छुरपी जैसे याक के दूध से बनी चीजें याक पालने वाले ब्रोकपा पशुपालक समुदाय के लिए आजीविका का बेहतर विकल्प बन रहे हैं। तस्वीर - सुरजीत शर्मा/मोंगाबे।

[वीडियो] याक के दूध से बनी चीजें ब्रोकपा समुदाय को दे रही आय के नए साधन

अरुणाचल प्रदेश के बाज़ारों में घूमते हुए आपको मौसमी कीवी, ख़ुरमा, मेवे वगैरह सहित कई तरह के स्थानीय व्यंजन मिल जाएंगे। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही राज्य में आने…
अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई वाले पहाड़ पर चराई करता याक। छुरपी जैसे याक के दूध से बनी चीजें याक पालने वाले ब्रोकपा पशुपालक समुदाय के लिए आजीविका का बेहतर विकल्प बन रहे हैं। तस्वीर - सुरजीत शर्मा/मोंगाबे।
गेपो आली की संस्थापक, डिमम पर्टिन (बीच में) अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के सिबुक गांव की महिला किसानों के साथ। गेपो आली स्थानीय महिलाओं की मदद से अन्यत जैसे पारंपरिक मोटे अनाज को नया जीवन देने के लिए काम करती हैं। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज/मोंगाबे।

अन्यत मिलेटः अरुणाचल की थाली में वापस आ रहा पारंपरिक खान-पान से जुड़ा मोटा अनाज

माटी पर्टिन अब इस दुनिया में नहीं है। 97 साल की उम्र में उनका निधन हुआ।  जैसे-जैसे पर्टिन की उम्र बढ़ती गईं, उन्हें अन्यत (एक तरह का मोटा अनाज) की…
गेपो आली की संस्थापक, डिमम पर्टिन (बीच में) अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के सिबुक गांव की महिला किसानों के साथ। गेपो आली स्थानीय महिलाओं की मदद से अन्यत जैसे पारंपरिक मोटे अनाज को नया जीवन देने के लिए काम करती हैं। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज/मोंगाबे।
दिबांग घाटी में एक बाघ की 2017 की कैमरा में कैद की गई तस्वीर। हालांकि इदु मिशमिस ने हमेशा दावा किया है कि वे लंबे समय से बाघों के साथ रह रहे हैं, लेकिन इन इलाकों में बड़ी बिल्ली यानी बाघों की मौजूदगी के प्रमाण की पुष्टि 2012 में ही हुई थी। फोटो-वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) 

अरुणाचल की इदु मिश्मी जनजाति क्यों कर रही है प्रस्तावित दिबांग वन्यजीव अभयारण्य का विरोध

अरुणाचल प्रदेश में दिबांग वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने की योजना ने स्वदेशी इदु मिशमी जनजाति के बीच हलचल मचा रखी है। समुदाय को लगता…
दिबांग घाटी में एक बाघ की 2017 की कैमरा में कैद की गई तस्वीर। हालांकि इदु मिशमिस ने हमेशा दावा किया है कि वे लंबे समय से बाघों के साथ रह रहे हैं, लेकिन इन इलाकों में बड़ी बिल्ली यानी बाघों की मौजूदगी के प्रमाण की पुष्टि 2012 में ही हुई थी। फोटो-वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) 
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स

मंजूरी नहीं मिलने से अटकी अरुणाचल की एटालिन पनबिजली परियोजना, खतरे में थे 2.5 लाख पेड़

अरुणाचल प्रदेश के दिबांग नदी घाटी क्षेत्र में पनबिजली परियोजना को लेकर चिंतित पर्यावरणविदों और स्थानीय आबादी को बड़ी राहत मिली है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की…
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स