अक्षय ऊर्जा

कॉप27: जलवायु एजेंडा में शामिल हुआ ‘लॉस एंड डैमेज’ का मुद्दा, रंग लाई भारत की कोशिशें

पूर्वी मिस्र में शर्म-अल-शेख में आयोजित कॉप27 (COP27) संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन से एक आशावादी जानकारी सामने आई है। सभी भाग लेने वाले देशों ने सम्मेलन के आधिकारिक एजेंडे पर…
इंडियन स्किमर पक्षी का एक झुंड। इनकी लंबी चोंच पानी को चीरने का काम करती है ताकि ये अंदर तैर रही मछलियों का शिकार कर सके। तस्वीर- वाइल्डमिश्रा/विकिमीडिया कॉमन्स

[कमेंट्री] रियो सम्मेलन के तीस साल, बिगड़ते हालात में भी दिख रही उम्मीद की किरण

इस गर्मी में रियो अर्थ समिट के तीस साल पूरे हो जाएंगे। इस समिट के हरेक दशक के पूरा होने पर संयुक्त राष्ट्र एक बड़ा आयोजन करता रहा है। पर…
इंडियन स्किमर पक्षी का एक झुंड। इनकी लंबी चोंच पानी को चीरने का काम करती है ताकि ये अंदर तैर रही मछलियों का शिकार कर सके। तस्वीर- वाइल्डमिश्रा/विकिमीडिया कॉमन्स
संगनारा गांव के 1400 लोगों की आबादी मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के साथ गोंद जैसे वनोपज बेचकर गुजर-बसर करती है। तस्वीर- रवलीन कौर

[वीडियो] गुजरातः कच्छ में पवन चक्की विस्तार से मुश्किल में दुर्लभ कांटेदार जंगल

जंगल में प्रवेश करते ही चना राना रबारी लकड़ी का एक टुकड़ा उठाते हैं। उन्हें लकड़ी के सहारे उबड़-खाबड़ और कांटेदार वनस्पतियों से भरे रास्ते को आसानी के साथ पार…
संगनारा गांव के 1400 लोगों की आबादी मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के साथ गोंद जैसे वनोपज बेचकर गुजर-बसर करती है। तस्वीर- रवलीन कौर
उद्घाटन के समय पार्क से 30,000 नौकरियां पैदा होने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज गांव के महज 60 लोग सुरक्षा गार्ड, तकनीशियन, घास कटाई और पैनल धोने का काम करते हैं। तस्वीर- रवलीन कौर

[वीडियो] देश का पहला सोलर पार्क, 10 साल बाद भी कई वादे हक़ीक़त से दूर

"आपको बारिश के दिनों में यहां आना चाहिए था। तब आपको पता चलता कि हमारी गौचर (चराई भूमि) कितनी बड़ी थी।" गुजरात में रहने वाली 60 साल की नानू रबारी…
उद्घाटन के समय पार्क से 30,000 नौकरियां पैदा होने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज गांव के महज 60 लोग सुरक्षा गार्ड, तकनीशियन, घास कटाई और पैनल धोने का काम करते हैं। तस्वीर- रवलीन कौर
सोलर पार्क से सटे खेत में टमाटर की टोकरी ढोते किसान। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे

अक्षय ऊर्जा में सब ‘अच्छा’ होने के मिथक को तोड़ता पावागढ़ सौर पार्क

कर्नाटक के तुमकुर जिले के पावागढ़ तालुका के किसानों के लिए सूरज की किरणों से वैसा लगाव नहीं रहा है जैसा अन्य क्षेत्र के लोगों का होता है। यह वही…
सोलर पार्क से सटे खेत में टमाटर की टोकरी ढोते किसान। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे
पंजाब में एक बायोमास पावर प्लांट के पास रखे धान की पराली के बंडल। तस्वीर- मनु मौदगिल / मोंगाबे

[वीडियो] पराली से प्रदूषण नहीं बल्कि बनेगी उर्जा पर इस राह में है काफी अड़चन

सर्दियों की शुरुआत में धान की कटाई और उससे जुड़े अवशेष की खूब चर्चा होती है। इस पुआल या पराली का निपटारा किसानों के लिए मुश्किल होता है। देश के…
पंजाब में एक बायोमास पावर प्लांट के पास रखे धान की पराली के बंडल। तस्वीर- मनु मौदगिल / मोंगाबे
[कॉमेंट्री] उदारीकरण के 30 साल: क्या कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय मध्य वर्ग की दिशा बदलेगी?

कोविड, किसान आंदोलन, उदारीकरण, पेसा, नेट जीरो से जोड़कर देखा जाएगा साल 2021

अभी 2022 दहलीज पर खड़ा है और इसके साथ ओमीक्रॉन भी। पूरी मानव सभ्यता इस उम्मीद में है कि कोविड के डेल्टा ने 2021 में जो तबाही मचाई वैसे आगे…
[कॉमेंट्री] उदारीकरण के 30 साल: क्या कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय मध्य वर्ग की दिशा बदलेगी?
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप-26: ग्लासगो वार्ता में बेचे गए बस सपने, आर्थिक मदद और ठोस कार्रवाई नदारद

दो सप्ताह की बातचीत के बाद ग्लासगो में चल रहा संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन शनिवार को समाप्त हो गया।  आखिर में जो हासिल हुआ उसे आयोजकों ने उपलब्धि बताई…
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
ग्लासगो शहर में चल रहे कॉप 26 शिखर वार्ता के दौरान कई तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ब्ला ब्ला ब्लाह के पोस्टर यहां काफी देखे जा रहे हैं, जिसका अर्थ है सम्मेलन में वैश्विक नेता बे मतलब की बातें कर रहे हैं, जबकि युवा तत्काल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई चाहते हैं। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप-26: बढ़ते प्राकृतिक आपदा के बीच क्या ग्लासगो भी एक खानापूर्ति का मंच बनकर रह जाएगा?

शनिवार और रविवार को ग्लासगो की सड़कों पर खासा रौनक थी। दुनिया भर से आए हजारों हजार लोग रंगीन पोस्टर, गीत-संगीत, नारेबाजी के माध्यम से कॉप-26 में मौजूद राजनीतिज्ञों, उद्योगपतियों…
ग्लासगो शहर में चल रहे कॉप 26 शिखर वार्ता के दौरान कई तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ब्ला ब्ला ब्लाह के पोस्टर यहां काफी देखे जा रहे हैं, जिसका अर्थ है सम्मेलन में वैश्विक नेता बे मतलब की बातें कर रहे हैं, जबकि युवा तत्काल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई चाहते हैं। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
ग्रीन पावर कंपनियों द्वारा ओरण में चल रहे कामकाज का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां बीते डेढ़ साल से कई सोलर कंपनियां ओरण के मायने बदलने की ही कोशिश कर रही हैं। तस्वीर- सुमेर सिंह भाटी

[वीडियो] ‘ग्रीन पावर’ से राजस्थान के ओरण और गोडावण के अस्तित्व को खतरा

‘ओरण उपजै औषधी, ओरण लाभ अनेक, ओरण बचावण आवसक, निश्चै कारज नैक।‘  यानी ओरण के अंदर कई प्रकार की औषधियां उत्पन्न होती है। ओरण के अनेक लाभ हैं। ओरण को…
ग्रीन पावर कंपनियों द्वारा ओरण में चल रहे कामकाज का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां बीते डेढ़ साल से कई सोलर कंपनियां ओरण के मायने बदलने की ही कोशिश कर रही हैं। तस्वीर- सुमेर सिंह भाटी