खेती

नेपाल के गैदाहवा के जंगल में देखी गई नीलगाय। तस्वीर - मुकेश पोखरेल।

नीलगाय के हमलों से किसानों को भारी नुकसान, खेती छोड़ने पर मजबूर

तीन साल पहले दक्षिण-पश्चिमी नेपाल के गैदाहवा गांव के किसान राम चंद्र कुर्मी ने अपने छोटे-से खेत में सब्जी उगाना छोड़ दिया। 39 साल के कुर्मी कभी खेती करके पांच…
नेपाल के गैदाहवा के जंगल में देखी गई नीलगाय। तस्वीर - मुकेश पोखरेल।
तेलंगाना में रागी का खेत। लंबे होते गर्मी के मौसम और ठंड के कम होते दिनों जैसे जलवायु के दुष्प्रभाव तमिलनाडु के किसानों को रागी जैसी लंबी अवधि के मोटे अनाज से चेना या कंगनी जैसे कम अवधि में तैयार होने वाले मोटे अनाज की ओर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। विकिमीडिया कॉमन्स  (CC BY-SA 4.0) के जरिए कावली चंद्रकांत KCK की तस्वीर।

मौसम के बारे में जानकारी, विविधता से मोटा अनाज उगाने वाले आदिवासियों को होगा फायदा

तमिलनाडु के नमक्कल जिले का पहाड़ी इलाका कोल्ली हिल्स समुद्र तल से 1,200 मीटर की ऊंचाई पर है। यह इलाका मोटे अनाज की खेती का गढ़ है। यहां की पहाड़ियों…
तेलंगाना में रागी का खेत। लंबे होते गर्मी के मौसम और ठंड के कम होते दिनों जैसे जलवायु के दुष्प्रभाव तमिलनाडु के किसानों को रागी जैसी लंबी अवधि के मोटे अनाज से चेना या कंगनी जैसे कम अवधि में तैयार होने वाले मोटे अनाज की ओर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। विकिमीडिया कॉमन्स  (CC BY-SA 4.0) के जरिए कावली चंद्रकांत KCK की तस्वीर।
धान के अपने खेत में देवलाल मुंडा। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे

प्राकृतिक खेती: उत्पादों के लिए बाजार सबसे बड़ी चुनौती, अलग एमएसपी की मांग

झारखंड में रामगढ़ जिले के कौड़ी गांव में रहने वाले देवलाल मुंडा डेढ़ एकड़ पुश्तैनी जमीन पर साल 2023 तक रसायनिक खेती कर रहे थे। जलवायु परिवर्तन और रासायनिक खाद…
धान के अपने खेत में देवलाल मुंडा। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।

धान के खेतों में उगते साग को थाली तक लाने की कोशिश

साल 2014 में तमिलनाडु के पोलाची शहर में अपने खेतों से गुजरते समय श्रीदेवी लक्ष्मीकुट्टी ने दिलचस्प बात देखी। आस-पास के खेतों की कई महिलाएं खर-पतवार के रूप में उगने…
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।
प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग करके जर्मनी में उगाई गई स्ट्रॉबेरी। दुनिया भर में प्लास्टिक खाद्य उत्पादन, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और उपभोग का एक अहम हिस्सा बन गई है। इसका इस्तेमाल मल्च फिल्म, शेड नेट, पॉलीहाउस, सिंचाई पाइप, पॉन्ड्स लाइनर और स्टोरेड साइलो में भी किया जाता है। तस्वीर- Fischer.H विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) 

प्लास्टिकल्चर की वजह से पर्यावरण और भविष्य की फसलों को लेकर चिंताएं बढ़ीं

कर्नाटक के बेलगावी शहर के पास अलरवाड़ा गांव में, एक युवा किसान श्रीधर जयगौड़ा धान की मानसून की फसल की तैयारी कर रहे हैं। उनके परिवार ने हाल ही में…
प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग करके जर्मनी में उगाई गई स्ट्रॉबेरी। दुनिया भर में प्लास्टिक खाद्य उत्पादन, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और उपभोग का एक अहम हिस्सा बन गई है। इसका इस्तेमाल मल्च फिल्म, शेड नेट, पॉलीहाउस, सिंचाई पाइप, पॉन्ड्स लाइनर और स्टोरेड साइलो में भी किया जाता है। तस्वीर- Fischer.H विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) 
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के भांडेली गांव के किसान मुकेश मीणा के खेत में सोयाबीन की फसल में कीटनाशकों का छिड़काव करते मजदूर। तस्वीर- मुकेश मीणा 

बढ़ती लागत, घटता भरोसा- नैनो यूरिया की राह में चुनौतियां भी कम नहीं

जब 2021 में उर्वरक की कमी के चलते किसान हताश हो गए और सोशल मीडिया पर ट्रकों से उर्वरक की बोरियां लूटने के वीडियो वायरल होने लगे, तब मध्य प्रदेश…
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के भांडेली गांव के किसान मुकेश मीणा के खेत में सोयाबीन की फसल में कीटनाशकों का छिड़काव करते मजदूर। तस्वीर- मुकेश मीणा 
केरल के पालक्कड़ में सड़क किनारे नारियल की दुकान। तस्वीर- विकिमीडिया कॉमन्स (CC0 1.0)/Effulgence 108 ।

बढ़ते तापमान के कारण घटता नारियल उत्पादन, कीमतों में वृद्धि

गोवा के पणजी में सड़क किनारे, 31 वर्षीय युवा नारियल विक्रेता समीर करंगी के ठेले पर सिर्फ 10 नारियल हैं, जबकि हमेशा की तरह उनके पास नारियल का बड़ा ढेर…
केरल के पालक्कड़ में सड़क किनारे नारियल की दुकान। तस्वीर- विकिमीडिया कॉमन्स (CC0 1.0)/Effulgence 108 ।
फुला के पति नितिन पवार की 2022 में मृत्यु हो गई। संजना खंडारे द्वारा ली गई तस्वीर।

मराठवाड़ा में पति की मृत्यु के बाद किसान विधवा के जीवन में एक दिन

यह कहानी कृषि संकट से संबंधित किसानों की मौतों की चर्चा करती है। यह कुछ पाठकों को परेशान कर सकती है।   स्थान: गांधीनगर बस्ती, मराठवाड़ा समय: सुबह फुलाबाई पवार…
फुला के पति नितिन पवार की 2022 में मृत्यु हो गई। संजना खंडारे द्वारा ली गई तस्वीर।
कश्मीर के खेतों में अपने छत्ता ले जाता हुआ एक मधुमक्खी पालक। तस्वीर- फैज़ल साइमन 

मौसमी प्रवास की वजह से कश्मीर में फलता-फूलता मधुमक्खी पालन

अक्टूबर के महीने में, जैसे ही घाटी में सर्दी का आगाज़ होता है, दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में रहने वाले 45 वर्षीय मधुमक्खी पालक मोहम्मद अमीन वानी, अपने दो सहयोगियों…
कश्मीर के खेतों में अपने छत्ता ले जाता हुआ एक मधुमक्खी पालक। तस्वीर- फैज़ल साइमन 
कूथापाडी-कुलथरामपट्टी वनम की ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित पानी के टबों से पानी पीता अलाम्बडी नस्ल के मवेशियों का एक झुंड। धर्मपुरी जिले के पेनागरम तालुक के पहाड़ी क्षेत्र और कृष्णगिरि जिले के देनकनिकोट्टाई में आलम्बादी मवेशियों का असमान वितरण है। तस्वीर: डी. मुनीराज, मोंगाबे के लिए

तमिलनाडु में चराई पर प्रतिबंध से वनवासियों के अधिकारों और आजीविका को खतरा

थानथाई पेरियार वन्यजीव अभयारण्य की घोषणा और 2022 के मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा वन क्षेत्रों में मवेशियों को चराने पर प्रतिबंध लगाने के बाद से तमिलनाडु के इरोड जिले में…
कूथापाडी-कुलथरामपट्टी वनम की ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित पानी के टबों से पानी पीता अलाम्बडी नस्ल के मवेशियों का एक झुंड। धर्मपुरी जिले के पेनागरम तालुक के पहाड़ी क्षेत्र और कृष्णगिरि जिले के देनकनिकोट्टाई में आलम्बादी मवेशियों का असमान वितरण है। तस्वीर: डी. मुनीराज, मोंगाबे के लिए
मुंबई में एक फूल विक्रेता। परिवहन और मजदूरी की लागत के अलावा, पिछले 5-10 सालों में मौसम की मार ने असली फूलों की कीमतें बढ़ा दी हैं। तस्वीर: डिंपल बहल।

गर्मी और अनियमित बारिश से फूल उत्पादकों और विक्रेताओं की आजीविका पर असर

महाराष्ट्र में मौसम के बदलते मिजाज ने फूल विक्रेताओं की रोजी-रोटी पर असर डाला है। एक तरफ जहां, बेमौसम बारिश और तेज गर्मी से फूलों की फसल खराब हो रही…
मुंबई में एक फूल विक्रेता। परिवहन और मजदूरी की लागत के अलावा, पिछले 5-10 सालों में मौसम की मार ने असली फूलों की कीमतें बढ़ा दी हैं। तस्वीर: डिंपल बहल।
बार-बार मौसम की प्रतिकूल घटनाओं और फसल के नुकसान ने वायनाड के किसानों को नया कृषि कैलेंडर तैयार करने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें खेती-बाड़ी के पारंपरिक ज्ञान और मौसम में बदलाव को शामिल किया गया है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा/मोंगाबे।

मौसम में बदलाव से पार पाने के लिए नए कृषि कैलेंडर से किसानों को उम्मीदें

वायनाड के किसान राजेश कृष्णन कहते हैं, " शायद हम जिंदगी में बहुत सारी चीजें अपनी चिंता की वजह से करते हैं।" वह खेती के उन "मुश्किल सालों" को याद…
बार-बार मौसम की प्रतिकूल घटनाओं और फसल के नुकसान ने वायनाड के किसानों को नया कृषि कैलेंडर तैयार करने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें खेती-बाड़ी के पारंपरिक ज्ञान और मौसम में बदलाव को शामिल किया गया है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा/मोंगाबे।
मध्य प्रदेश के नीमच जिले के रामपुरा ब्लॉक में खरबूजे से बीज निकालती महिलाएं। तस्वीर - ऐश्वर्या मोहंती।

खरबूजे की खेती: डूबे खेतों में सोना उगाते मध्य प्रदेश के किसान

मध्य प्रदेश के नीमच जिले के गांव देवरान की मंजूबाई राठौर (42) गांव के ही एक व्यक्ति के खेत पर दिहाड़ी मजदूरी करती हैं। उनका काम गर्मियों के महीनों तक…
मध्य प्रदेश के नीमच जिले के रामपुरा ब्लॉक में खरबूजे से बीज निकालती महिलाएं। तस्वीर - ऐश्वर्या मोहंती।
ऑटोमेटिक सिंचाई सिस्टम के पास खड़े हुए बिनोद कुमार महतो। तस्वीर- विशाल कुमार जैन

झारखंड में तकनीक की मदद से खेती में मिलती सिंचाई, मौसम और बीमारियों की सटीक जानकारी

बात साल 2020 की है, जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी और काम-धंधे बंद हो रहे थे। इन सबके बीच 10 साल से पुणे में बैंक मार्केटिंग का…
ऑटोमेटिक सिंचाई सिस्टम के पास खड़े हुए बिनोद कुमार महतो। तस्वीर- विशाल कुमार जैन
राम-मोल किसान खरपतवार हटाने के लिए हल्की जुताई जैसी प्राकृतिक खेती तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसे स्थानीय भाषा में विखेड़ा कहा जाता है। तस्वीर- सात्विक-प्रमोटिंग इकोलॉजिकल एग्रीकल्चर के सौजन्य से।

सूखे इलाकों में फसल उगाने के लिए परंपरागत राम-मोल कृषि तकनीक पर भरोसा

मई का महीना करीब है और कच्छ के धरमपुर गांव में सूरज अभी से आग बरसा रहा था। इसकी परवाह किए बिना मवाभाई डांगर अपने अरंडी की फसल का जायजा…
राम-मोल किसान खरपतवार हटाने के लिए हल्की जुताई जैसी प्राकृतिक खेती तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसे स्थानीय भाषा में विखेड़ा कहा जाता है। तस्वीर- सात्विक-प्रमोटिंग इकोलॉजिकल एग्रीकल्चर के सौजन्य से।
एस4एस टेक्नोलॉजीज के सोलर डिहाइड्रेटर जो कृषि उत्पादों को लंबे समय तक इस्तेमाल के लायक बनाते हैं। तस्वीर: सौम्या खंडेलवाल/एस4एस टेक्नोलॉजीज।

खाद्यान का नुकसान कम करने और किसानों की आय बढ़ाने वाली तकनीकें

कल्पना कीजिए कि आप टमाटर की खेती करने वाले किसान हैं। आपको सूखे का सामना करना पड़ा है। इससे पैदावार कम हुई है। फसल की गुणवत्ता भी खराब हुई है।…
एस4एस टेक्नोलॉजीज के सोलर डिहाइड्रेटर जो कृषि उत्पादों को लंबे समय तक इस्तेमाल के लायक बनाते हैं। तस्वीर: सौम्या खंडेलवाल/एस4एस टेक्नोलॉजीज।
झाबुआ के सरकारी फार्म पर कड़कनाथ मुर्गा। इसका रंग काला होता है, इनका हर अंग यहां तक कि खून भी काला होता है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

जंगल से जीआई टैग तक, झाबुआ के काले मुर्गे कड़कनाथ की कहानी

किसान वीर सिंह (44) दानों से भरी एक टोकरी लेकर कुट-कुट, कुट-कुट की आवाज लगा रहे हैं। देखते ही देखते कई दर्जन काले मुर्गे चारों तरफ से उनकी तरफ दौड़ते…
झाबुआ के सरकारी फार्म पर कड़कनाथ मुर्गा। इसका रंग काला होता है, इनका हर अंग यहां तक कि खून भी काला होता है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
धान की बुआई। छत्तीसगढ़ में धान मुख्यतः खरीफ की फसल है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल/मोंगाबे

धान के बढ़ते समर्थन मूल्य के कारण हाशिये पर दलहन, तिलहन

देश भर में सर्वाधिक क़ीमत पर धान की ख़रीदी से छत्तीसगढ़ के किसानों की बांछे भले खिली हुई हों लेकिन राज्य में दूसरी फसलों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो…
धान की बुआई। छत्तीसगढ़ में धान मुख्यतः खरीफ की फसल है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल/मोंगाबे
अपने बैलों के साथ सुंडी बाई उइके। बैल मोटे अनाज के सूखे डंठलों के चारों तरफ घूमते हैं। इस प्रक्रिया में अनाज के दाने डंठल से अगल हो जाते हैं। तस्वीर - शुचिता झा/मोंगाबे।

मोटे अनाज से क्यों दूर हो रहे हैं मध्य प्रदेश के आदिवासी?

सुंडी बाई उइके मध्य प्रदेश के मांडला जिले के केवलारी गांव में रहती हैं। गांव में उनकी झोपड़ी मिट्टी और गाय के गोबर से लीपकर बनाई गई है। झोपड़ी के…
अपने बैलों के साथ सुंडी बाई उइके। बैल मोटे अनाज के सूखे डंठलों के चारों तरफ घूमते हैं। इस प्रक्रिया में अनाज के दाने डंठल से अगल हो जाते हैं। तस्वीर - शुचिता झा/मोंगाबे।
ओडिशा के सुंदरगढ़ के फुलधुडी गांव में अपनी मशरूम की फसल के साथ खड़ी कुछ महिलाएं। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे।

भूसे और पराली से मशरूम की खेती ने ओडिशा के गांवों की बदली तस्वीर

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के फुलधुडी गांव में रहने वाली 30 साल की भारती प्रूसेच के घर के पीछे की जमीन कई साल से बंजर पड़ी थी। लेकिन आज यही…
ओडिशा के सुंदरगढ़ के फुलधुडी गांव में अपनी मशरूम की फसल के साथ खड़ी कुछ महिलाएं। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे।
छतर सिंह ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जैसलमेर में सैकड़ों खड़ीनों को पुनर्जीवित करने में मदद की है। तस्वीर- अमीर मलिक/मोंगाबे

[वीडियो] खड़ीन: राजस्थान में जल संग्रह की परंपरागत तकनीक से लहलहाती फसलें

"मान लो, आपकी हथेली जैसलमेर का कोई इलाका है और आपकी हथेली के बीच तक पहुंचने वाली ढलान खड़ीन है।” आसान से शब्दों में खड़ीन का मतलब समझाते हुए किसान…
छतर सिंह ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जैसलमेर में सैकड़ों खड़ीनों को पुनर्जीवित करने में मदद की है। तस्वीर- अमीर मलिक/मोंगाबे
जंगलों को कानूनी और गैर-कानूनी दोनों तरह से काटा जा रहा है, जिसकी वजह से मिट्टी का क्षरण हो रहा है। बारिश और बाढ़ में मिट्टी बह जाती है। तस्वीर- रमेश मेनन 

(कमेंट्री) भारत में मिट्टी को नहीं सहेजा तो यह लाखों लोगों के विनाश का कारण बन जाएगी

दुनिया में अग्रणी बनने के अपने सपने के साथ भारत आगे बढ़ रहा है। लेकिन कृषि जगत के कुछ जरूरी मुद्दों पर उसका ध्यान बेहद कम है। इन्हीं में से…
जंगलों को कानूनी और गैर-कानूनी दोनों तरह से काटा जा रहा है, जिसकी वजह से मिट्टी का क्षरण हो रहा है। बारिश और बाढ़ में मिट्टी बह जाती है। तस्वीर- रमेश मेनन 
एम.एस. स्वामीनाथन अपनी लायब्रेरी में। तस्वीर-एमएसएसआरएफ/फ़्लिकर

एम. एस. स्वामीनाथन की याद में…

जाने-माने कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन ने 28 सितंबर को आखिरी सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने 7 अगस्त को अपना 98वां जन्मदिन मनाया था। स्वामीनाथन का स्वास्थ्य पिछले कुछ सालों से…
एम.एस. स्वामीनाथन अपनी लायब्रेरी में। तस्वीर-एमएसएसआरएफ/फ़्लिकर
शहरी खेती को बढ़ावा देने के लिए छत पर की जाने वाली खेती। तस्वीर - Maheshcm76/विकिमीडिया कॉमन्स

कार्बन उत्सर्जन कम करने में महत्वपूर्ण है शहरी और कस्बाई खेती की भूमिका

कृषि कीटविज्ञानी (एंटोमोलोजिस्ट) राजेंद्र हेगड़े (53) बेंगलुरु में कुछ-कुछ हफ्तों में एक बड़ी सभा को संबोधित करते रहे हैं। अपनी इस सभा में वह लोगों के सामने एक प्रस्ताव रखते…
शहरी खेती को बढ़ावा देने के लिए छत पर की जाने वाली खेती। तस्वीर - Maheshcm76/विकिमीडिया कॉमन्स
भारत में किसान धान की फसल लेने के बाद पराली को इस तरह जलाते हैं। इसकी वजह से भी प्रदूषण में काफी बढ़ोतरी होती है। फोटो- नील पाल्मर (सीआईएटी)/ विकिमीडिया कॉमन्स

पंजाब के धुंए के पीछे छुपी मध्य प्रदेश की बढ़ती पराली जलाने की समस्या

मध्य प्रदेश गेहूं उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर आता है, यह बात प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। लेकिन इसके साथ ही मध्य प्रदेश अब फसल अवशेषों…
भारत में किसान धान की फसल लेने के बाद पराली को इस तरह जलाते हैं। इसकी वजह से भी प्रदूषण में काफी बढ़ोतरी होती है। फोटो- नील पाल्मर (सीआईएटी)/ विकिमीडिया कॉमन्स
तमिलनाडु में खाने-पीने की ऑर्गेनिक चीजों का स्टॉल। तस्वीर- थमिझप्परिथि मारी/विकिपीडिया कॉमन्स

क्या है ऑर्गेनिक फूड और कैसे करें इसकी पहचान?

आपने अपने मोहल्ले की किराना दुकान पर खाने-पीने की ऑर्गेनिक चीजें देखी होंगी। लेकिन इन उत्पादों को ऑर्गेनिक का तमगा किस तरह दिया जाता है? और इनकी कीमत बहुत ज़्यादा…
तमिलनाडु में खाने-पीने की ऑर्गेनिक चीजों का स्टॉल। तस्वीर- थमिझप्परिथि मारी/विकिपीडिया कॉमन्स
असम के नागांव के एक गांव पहुकाता में धान की खेती। तस्वीर: दिगंता तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।

बढ़ते जलवायु संबंधी खतरों के साथ, अनुकूलन के लिए तैयार होते किसान

फरवरी के अंत में, भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), गेहूं के लिए एक प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान, ने भारत में किसानों को तापमान में अचानक वृद्धि के मामले में…
असम के नागांव के एक गांव पहुकाता में धान की खेती। तस्वीर: दिगंता तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।
मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे

उत्तराखंड में किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा जैविक खेती का लाभ

उत्तराखंड में कोटद्वार से लगभग 100 किलोमीटर दूर पोखरा ब्लॉक के वीणाधार गांव में रहने वाली लता देवी पूरे दिन व्यस्त रहती हैं। अहले सुबह वो अपनी गाय को दूहती…
मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे

कीटनाशक बनाने वाली कंपनी पर किसानों ने लगाया फसलें खराब करने का आरोप, कार्रवाई की मांग

सलीम पटेल, 43, गुजरात के भरूच जिले के वागरा तालुका के त्रालसा गांव में कपास की खेती करते हैं। वह पिछले 16 साल से ज्यादा समय से कपास उगा रहे…
भारत के एक खेत में कीटनाशक का छिड़काव करते किसान की प्रतीकात्मक तस्वीर। भारत में फसलों की रक्षा करने वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल ज्यादातर कपास, गेहूं, धान और सब्जियों की फसलों पर होता है। तस्वीर- देवेंद्र/पिक्साहाइव।

एग्रोकेमिकल उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ा भारत, औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण पर सवाल बरकरार

सितंबर 2021 को देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक भाषण में कहा कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एग्रोकेमिकल उत्पादक देश है। देश की 15 क्रॉप…
भारत के एक खेत में कीटनाशक का छिड़काव करते किसान की प्रतीकात्मक तस्वीर। भारत में फसलों की रक्षा करने वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल ज्यादातर कपास, गेहूं, धान और सब्जियों की फसलों पर होता है। तस्वीर- देवेंद्र/पिक्साहाइव।