ग्लोबल वार्मिंग

शोधकर्ता नेपाल की लंगटांग घाटी में रिखा सांबा ग्लेशियर की निगरानी कर रहे हैं। इस ग्लेशियर की ऊंचाई 5,420-6,440 मीटर है। तस्वीर - दिबश श्रेष्ठ।

हिमालय के ग्लेशियरों की स्थिति जानने के लिए जरूरी है लम्बी निगरानी

हिमालय-काराकोरम (एचके रीजन), 2500 किलोमीटर लम्बी पर्वत श्रृंखला, पूर्व में भारत की सीमा, भूटान और नेपाल, और पश्चिम में पाकिस्तान में फैली हुई है। इस क्षेत्र में 39,660 ग्लेशियर हैं…
शोधकर्ता नेपाल की लंगटांग घाटी में रिखा सांबा ग्लेशियर की निगरानी कर रहे हैं। इस ग्लेशियर की ऊंचाई 5,420-6,440 मीटर है। तस्वीर - दिबश श्रेष्ठ।
12 जुलाई, 2011 की नासा की एक तस्वीर जो गर्मियों में पिघलते समय आर्कटिक की समुद्री बर्फ को दिखाती है। यह पिघली हुई बर्फ को दिखाती है, मीठे पानी के तालाब जो बर्फ की सतह पर गड्ढों में बनते हैं। ICESCAPE मिशन के शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं कि ये पिघले हुए तालाब आर्कटिक के महासागर रसायन विज्ञान, प्लवक की बढ़ोतरी और सूरज की रोशनी आने पर किस तरह प्रभावित करते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY 2.0) के जरिए नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर की ओर से ली गई तस्वीर।

पिघलते ग्लेशियर: एक्शन प्लान पर जल्द सहमति बनाने की जरूरत

भारतीय हिमालय में उत्तरी सिक्किम के छोटे से शहर चुंगथांग में 4 अक्टूबर, 2023 की आधी रात के आसपास लोग मूसलाधार बारिश के बीच भयावह आवाज से जागे। कुछ ही…
12 जुलाई, 2011 की नासा की एक तस्वीर जो गर्मियों में पिघलते समय आर्कटिक की समुद्री बर्फ को दिखाती है। यह पिघली हुई बर्फ को दिखाती है, मीठे पानी के तालाब जो बर्फ की सतह पर गड्ढों में बनते हैं। ICESCAPE मिशन के शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं कि ये पिघले हुए तालाब आर्कटिक के महासागर रसायन विज्ञान, प्लवक की बढ़ोतरी और सूरज की रोशनी आने पर किस तरह प्रभावित करते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY 2.0) के जरिए नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर की ओर से ली गई तस्वीर।
गांव के तालाब में पानी पीते मवेशी और कपड़े धोती हुई महिलाएं। तस्वीर- स्टीवी मान/विकिमीडिया कॉमन्स।

गर्मी की मार से डेयरी किसान बेहाल, महिला संगठन ने मदद के लिए बढ़ाया हाथ

अप्रैल के आखिरी दिनों में तेज धूप से आंगन तप रहा था। तापमान 43.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। एम. थायरम्मा पास के एक कुएं से पानी भर कर लाईं…
गांव के तालाब में पानी पीते मवेशी और कपड़े धोती हुई महिलाएं। तस्वीर- स्टीवी मान/विकिमीडिया कॉमन्स।
गावों में खुले में चूल्हा  जिसमें आमतौर पर जलावन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे बहुत ज्यादा धुआं निकलता है जिसमें बहुत ज्यादा बारीक कण (पीएम2.5) और ब्लैक कार्बन जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं। तस्वीर - தகவலுழவன்/विकिमीडिया कॉमन्स। 

ब्लैक कार्बन: हवा को प्रदूषित करने के साथ ही वातावरण को कर रहा गर्म, पर नीति से गायब

वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की बढ़ती मात्रा के चलते भारत और चीन जैसे एशियाई देशों में बहुत ज्यादा बारिश हो रही है। ब्लैक कार्बन उत्सर्जन भी बारिश के पैटर्न पर…
गावों में खुले में चूल्हा  जिसमें आमतौर पर जलावन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे बहुत ज्यादा धुआं निकलता है जिसमें बहुत ज्यादा बारीक कण (पीएम2.5) और ब्लैक कार्बन जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं। तस्वीर - தகவலுழவன்/विकिमीडिया कॉमन्स। 
पैंगोंग हिमनद झील, लद्दाख। पर्माफ्रॉस्ट डिग्रेडेशन हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम में पर्याप्त बदलाव के लिए जिम्मेदार है। तस्वीर- वजाहत इकबाल/विकिमीडिया कॉमन्स।

खतरे की आहट: ग्लोबल वार्मिंग से हिमालय में भूमिगत हलचल

अप्रैल 2022 के अंत तक नेपाल के एवरेस्ट क्षेत्र में समुद्र तल से 3555 मीटर की ऊँचाई पर बेस शहर – नामचे बाज़ार – में जीवन और व्यवसाय पहले जैसा…
पैंगोंग हिमनद झील, लद्दाख। पर्माफ्रॉस्ट डिग्रेडेशन हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम में पर्याप्त बदलाव के लिए जिम्मेदार है। तस्वीर- वजाहत इकबाल/विकिमीडिया कॉमन्स।
एक नए अध्ययन में हर साल के अधिकतर दिनों में उच्च स्तर की खतरनाक गर्मी होने का संकेत दिया गया है। इससे गर्मी से होने वाली बीमारियों में काफी इजाफ़ा होगा। ख़ास तौर से बुजुर्गों, आउटडोर काम करने वाले श्रमिकों और कम आय वाले लोगों में। तस्वीर- माइकल कैनन/विकिमीडिया कॉमन्स।

लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा बढ़ती गर्मी का असर, बड़े प्रयासों की जरूरत

“गर्मी में पंखा चलाने पर, कमरे के अंदर की हवा आग की तरह उठती है,” भारत में कोलकाता महानगर के उत्तरी भाग में प्लास्टिक के तिरपाल, बांस और टिन से…
एक नए अध्ययन में हर साल के अधिकतर दिनों में उच्च स्तर की खतरनाक गर्मी होने का संकेत दिया गया है। इससे गर्मी से होने वाली बीमारियों में काफी इजाफ़ा होगा। ख़ास तौर से बुजुर्गों, आउटडोर काम करने वाले श्रमिकों और कम आय वाले लोगों में। तस्वीर- माइकल कैनन/विकिमीडिया कॉमन्स।
भारत में रणथंभौर के शुष्क पर्णपाती वन। 2001 से 2010 के बीच वनों ने वैश्विक CO2 उत्सर्जन का लगभग 20-30% अवशोषित कर लिया है। 2001 और 2019 के बीच वनों ने प्रति वर्ष लगभग 7.6 गीगाटन CO2 को अवशोषित किया। तस्वीर- पाहुल महाजन/विकिमीडिया कॉमन्स।

कार्बन सिंक क्या हैं?

कार्बन सिंक ऐसे स्थान या उत्पाद हैं जो कार्बन को ऑर्गेनिक या इनऑर्गेनिक यौगिकों के रूप में अलग-अलग समय के लिए संग्रहित करते हैं। प्राकृतिक या कृत्रिम प्रक्रियाओं के माध्यम…
भारत में रणथंभौर के शुष्क पर्णपाती वन। 2001 से 2010 के बीच वनों ने वैश्विक CO2 उत्सर्जन का लगभग 20-30% अवशोषित कर लिया है। 2001 और 2019 के बीच वनों ने प्रति वर्ष लगभग 7.6 गीगाटन CO2 को अवशोषित किया। तस्वीर- पाहुल महाजन/विकिमीडिया कॉमन्स।
भारत के राज्य तेलंगाना में बना सौर ऊर्जा का प्लांट। फोटो- थॉमस लॉयड ग्रुप/विकिमीडिया कॉमन्स

आईपीसीसी की नई रिपोर्ट ने कहा, ग्लोबल वार्मिंग रोकना लगभग असंभव, आशा की किरण भी दिखाई

जलवायु परिवर्तन के बढ़ते सबूतों की ओर इशारा करते हुए, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक ग्रीनहाउस उत्सर्जन 2025 तक तक…
भारत के राज्य तेलंगाना में बना सौर ऊर्जा का प्लांट। फोटो- थॉमस लॉयड ग्रुप/विकिमीडिया कॉमन्स
खेत में फसल के साथ पशुधन, पेड़, बागवानी के साथ एक किसान का घर। यह कृषि वानिकी का एक उदाहरण है। ऐसे मॉडल अपनाने से जलवायु परिवर्तन की रफ्तार कम हो सकती है। तस्वीर- वर्ल्ड एग्रोफोरेस्ट्री सेंटर/देवश्री नायक/फ़्लिकर

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में कारगर हैं प्रकृति आधारित समाधान

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) और प्रकृति संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) की हाल ही में जारी रिपोर्ट चर्चा में है। रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि भारत…
खेत में फसल के साथ पशुधन, पेड़, बागवानी के साथ एक किसान का घर। यह कृषि वानिकी का एक उदाहरण है। ऐसे मॉडल अपनाने से जलवायु परिवर्तन की रफ्तार कम हो सकती है। तस्वीर- वर्ल्ड एग्रोफोरेस्ट्री सेंटर/देवश्री नायक/फ़्लिकर