जैविक खेती

वैशाली जिले के रूसुलपुर तुर्की गांव में 414 एकड़ खेत जैविक कॉरिडोर का हिस्सा है और इसमें कुल 351 किसान जुड़े हुए हैं।। फोटो: उमेश कुमार राय

बिहार की जैविक कॉरिडोर योजना हो रही है फेल, केंद्र के लिए भी सबक

बीते फरवरी महीने में आम बजट पेश करते हुए केंद्र सरकार ने देशभर में खासकर गंगा नदी की धारा के पांच किलोमीटर के दायरे में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने…
वैशाली जिले के रूसुलपुर तुर्की गांव में 414 एकड़ खेत जैविक कॉरिडोर का हिस्सा है और इसमें कुल 351 किसान जुड़े हुए हैं।। फोटो: उमेश कुमार राय
साल 2020 में जैविक खेती अपनाने वाले नारायण गायकवाड़ 2021 में पहली फसल से हुए गन्ने को दिखाते हुए। वो कहते हैं, "अगर हम अब भी जैविक खेती को नहीं अपनाते हैं तो बहुत देर हो जाएगी।” तस्वीर- संकेत जैन/मोंगाबे

[फ़ोटो] गन्ने की जैविक खेती से जमीन और ज़िंदगी संवारता 74 साल का एक किसान

चौहत्तर साल के नारायण गायकवाड़ ने कभी नहीं सोचा था कि खेती के अपने तौर-तरीकों पर उन्हें फिर से विचार करना होगा। वे 60 सालों से भी ज्यादा समय से…
साल 2020 में जैविक खेती अपनाने वाले नारायण गायकवाड़ 2021 में पहली फसल से हुए गन्ने को दिखाते हुए। वो कहते हैं, "अगर हम अब भी जैविक खेती को नहीं अपनाते हैं तो बहुत देर हो जाएगी।” तस्वीर- संकेत जैन/मोंगाबे
भुवनेश्वरी चंदोला, रावतगांव की आखिरी बची हुई ग्रामीणों में से एक हैं। वह अपने पति ओमप्रकाश चंदोला और मेजर गोर्की के साथ ऐसे फल और सब्जियां उगाने की कोशिश कर रहीं हैं जो अब उनके गांव में नहीं उगती हैं। तस्वीर- अर्चना सिंह

एक फौजी की कोशिश से दोबारा आबाद हुए उत्तराखंड के ‘भुतहा गांव’

उत्तराखंड को देव भूमि के नाम से जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में यह राज्य जलवायु परिवर्तन, कुदरती हादसों और उसकी वजह से हो रहे पलायन को लेकर…
भुवनेश्वरी चंदोला, रावतगांव की आखिरी बची हुई ग्रामीणों में से एक हैं। वह अपने पति ओमप्रकाश चंदोला और मेजर गोर्की के साथ ऐसे फल और सब्जियां उगाने की कोशिश कर रहीं हैं जो अब उनके गांव में नहीं उगती हैं। तस्वीर- अर्चना सिंह
सुखेत मॉडल के तहत गांव के किसानों से 1200 किलो गोबर और खेतों-घरों से निकलने वाला कचरा लिया जाता है। इन किसानों को बदले में रसोई गैस सिलेंडर के लिए पैसे दिए जाते हैं। तस्वीर- राहुल कुमार गौरव

जैविक खेती में बिहार के सुखेत मॉडल से कैसा दिखता है भविष्य?

बिहार के जैविक पंचायत के नाम से मशहूर सुखेत पंचायत के रहने वाले सत्तन यादव खेत खाली होने के बाद भी कई दिनों तक गेंहू की बुआई नहीं कर पाये…
सुखेत मॉडल के तहत गांव के किसानों से 1200 किलो गोबर और खेतों-घरों से निकलने वाला कचरा लिया जाता है। इन किसानों को बदले में रसोई गैस सिलेंडर के लिए पैसे दिए जाते हैं। तस्वीर- राहुल कुमार गौरव
सूखे शौचालय से निकला खाद। तस्वीर- रक्षक कुमार आचार्य

हिमालय क्षेत्र में जैविक खाद की बढ़ी संभावना, सफल रहा शौचालय के साथ प्रयोग

सुनने में भी भले ही यह अटपटा लगे, लेकिन मानव मल का इस्तेमाल खाद के तौर पर हिमालय क्षेत्र में लंबे समय से होता आ रहा है। यहां इतनी ठंड…
सूखे शौचालय से निकला खाद। तस्वीर- रक्षक कुमार आचार्य