झींगा

गुजरात के मोरबी जिले में लिटिल रण ऑफ कच्छ (एलआरके) के किनारे स्थित एक गांव वेनासर के मछुआरों का कहना है कि हाल के वक्त में शायद ही कोई मछली पकड़ी गई है। मछली पकड़ने के उपकरण घर वापस ले जाने के लिए किराए लायक कमाई भी नहीं हो पाई है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे। 

नमक निर्माण या झींगा पालनः दो आजीविका के बीच द्वंद

“मिट्ठू बराबर छे?” (क्या नमक ठीक है?) रुकसाना ने झींगा चावल परोसते हुए पूछा। इस सवाल पर सभी खाने वालों के चेहरे पर एक व्यंग्यपूर्ण मुस्कुराहट आई। इसकी वजह है…
गुजरात के मोरबी जिले में लिटिल रण ऑफ कच्छ (एलआरके) के किनारे स्थित एक गांव वेनासर के मछुआरों का कहना है कि हाल के वक्त में शायद ही कोई मछली पकड़ी गई है। मछली पकड़ने के उपकरण घर वापस ले जाने के लिए किराए लायक कमाई भी नहीं हो पाई है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे। 
मालिया मछली बाज़ार। जिंजर झींगा (मेटापेनियस कचेंसिस) कच्छ की खाड़ी की एक स्थानिक प्रजाति है और इसकी मछली पकड़ना यहां आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे

कच्छ में बढ़ते नमक उत्पादन से सिमट रहा झींगा कारोबार

गुजरात के कच्छ का सूरजबाड़ी ब्रिज डीजल का धुआं, धूल, ट्रक और ट्रेन की आवाज से आपका स्वागत करता है। आगे बढ़ने पर उस ब्रिज से नमक का मैदान दिखना…
मालिया मछली बाज़ार। जिंजर झींगा (मेटापेनियस कचेंसिस) कच्छ की खाड़ी की एक स्थानिक प्रजाति है और इसकी मछली पकड़ना यहां आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे
विरोध-प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं का मानना है कि झींगा उद्योग के मुनाफे के लिए सीमांत मछुआरों के हितों की बलि दी गई है। तस्वीर - टिमोथी ए. गोंसाल्वेस/विकिमीडिया कॉमन्स। 

कानून में बदलाव से मछुआरों की बढ़ी चिंता, झींगा फार्म को पिछले उल्लंघनों से मिल गई छूट

"ट्रैवलिंग-प्रोजेक्ट भाई भाई, एक डोरी-ते फांसी चाय" (ट्रॉउलिंग और झींगा कल्चर भाई-भाई हैं और दोनों को एक ही रस्सी से लटकाने की जरूरत है) बांग्ला में लिखी गई ये लाइनें…
विरोध-प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं का मानना है कि झींगा उद्योग के मुनाफे के लिए सीमांत मछुआरों के हितों की बलि दी गई है। तस्वीर - टिमोथी ए. गोंसाल्वेस/विकिमीडिया कॉमन्स। 
रामेश्वरम के मछुआरे पकड़ी हुई मछलियों को किनारे पर लाते हुए। तस्वीर- नारायण स्वामी सुब्बारमन/मोंगाबे

प्रदूषण, नियमों की अनदेखी और भूमि रूपांतरण की वजह बनते रामेश्वरम के झींगा फार्म

भारत में, पिछले कुछ वर्षों में, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं चलाई गई हैं। इन अनुकूल नीतियों के चलते  देश में…
रामेश्वरम के मछुआरे पकड़ी हुई मछलियों को किनारे पर लाते हुए। तस्वीर- नारायण स्वामी सुब्बारमन/मोंगाबे