टाइगर

वाल्मिक थापर मुंबई में आयोजित सैंचुरी वाइल्डलाइफ़ अवॉर्ड्स को संबोधित करते हुए। तस्वीर- सैंचुरी नेचर फाउंडेशन के सौजन्य से।

बाघ संरक्षण के लिए समर्पित वाल्मिक थापर नहीं रहे, 73 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

प्रसिद्ध संरक्षणवादी, प्रकृतिवादी, टेलीविजन निर्माता और लेखक वाल्मिक थापर का 31 मई 2025 को नई दिल्ली में 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पांच दशकों तक वे भारत…
वाल्मिक थापर मुंबई में आयोजित सैंचुरी वाइल्डलाइफ़ अवॉर्ड्स को संबोधित करते हुए। तस्वीर- सैंचुरी नेचर फाउंडेशन के सौजन्य से।
बाघों की आबादी का बढ़ना तभी संभव है जब शिकार भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो और गलियारों के जरिए बेहतर आवाजाही बनी रहे। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए डेविड राजू की तस्वीर।

कम होने के बाद भारत में ऐसे बढ़ी बाघों की तादाद

भारत ने साल 2022 तक बाघों की घटती आबादी को सफलतापूर्वक दोगुना कर लिया। भारत में बाघों पर हुए एक नए अध्ययन में 2006 से 2018 तक आबादी के रुझानों…
बाघों की आबादी का बढ़ना तभी संभव है जब शिकार भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो और गलियारों के जरिए बेहतर आवाजाही बनी रहे। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए डेविड राजू की तस्वीर।
दिबांग घाटी में एक बाघ की 2017 की कैमरा में कैद की गई तस्वीर। हालांकि इदु मिशमिस ने हमेशा दावा किया है कि वे लंबे समय से बाघों के साथ रह रहे हैं, लेकिन इन इलाकों में बड़ी बिल्ली यानी बाघों की मौजूदगी के प्रमाण की पुष्टि 2012 में ही हुई थी। फोटो-वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) 

अरुणाचल की इदु मिश्मी जनजाति क्यों कर रही है प्रस्तावित दिबांग वन्यजीव अभयारण्य का विरोध

अरुणाचल प्रदेश में दिबांग वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने की योजना ने स्वदेशी इदु मिशमी जनजाति के बीच हलचल मचा रखी है। समुदाय को लगता…
दिबांग घाटी में एक बाघ की 2017 की कैमरा में कैद की गई तस्वीर। हालांकि इदु मिशमिस ने हमेशा दावा किया है कि वे लंबे समय से बाघों के साथ रह रहे हैं, लेकिन इन इलाकों में बड़ी बिल्ली यानी बाघों की मौजूदगी के प्रमाण की पुष्टि 2012 में ही हुई थी। फोटो-वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) 
भारत में अब अतिरिक्त 1,000-1,200 बाघों को ही रखा जा सकता है, न कि 10,000 बाघों को, जो एक सदी पहले हुआ करते थे। संख्या में बढ़ोतरी के बदले बाघों की आबादी में टिकाऊपन जरूरी है। तस्वीर- कंदुकुरु नागार्जुन/फ़्लिकर 

बाघों की बढ़ती आबादी को संभालने में कितने सक्षम हैं भारत के जंगल

पांच दशक पहले की बात है, देश में बाघों की पहली गिनती के नतीजों ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। बाघों की आबादी घटकर 1,827 पर…
भारत में अब अतिरिक्त 1,000-1,200 बाघों को ही रखा जा सकता है, न कि 10,000 बाघों को, जो एक सदी पहले हुआ करते थे। संख्या में बढ़ोतरी के बदले बाघों की आबादी में टिकाऊपन जरूरी है। तस्वीर- कंदुकुरु नागार्जुन/फ़्लिकर 
तडोबा टाइगर रिजर्व में सड़क पार करता एक वयस्क नर बाघ। एक बाघ 40 वर्ग किमी की सीमा तक कब्जा कर सकता है। इस बाघ के क्षेत्र में लगभग आठ गांव स्थित हैं। तस्वीर- सेंथिल कुमार।

वन्यजीवों के साथ इंसानी गतिविधियों को लंबे वक़्त से कैमरे में कैद करने वाले फोटोग्राफर से एक बातचीत

मानव-वन्यजीव संपर्क बढ़ रहा है। लेकिन उनमें से सभी सकारात्मक नहीं हैं। भारत में हर साल इंसानों और जानवरों के बीच टकराव के कारण सैकड़ों लोगों और जानवरों की मौत…
तडोबा टाइगर रिजर्व में सड़क पार करता एक वयस्क नर बाघ। एक बाघ 40 वर्ग किमी की सीमा तक कब्जा कर सकता है। इस बाघ के क्षेत्र में लगभग आठ गांव स्थित हैं। तस्वीर- सेंथिल कुमार।
नंदनकानन बायोलॉजिकल पार्क, भुवनेश्वर, भारत में एक कैप्टिव ब्लैक (स्यूडोमेलैनिस्टिक) बाघ और अपने भाई के साथ। तस्वीर- राजेश कुमार महापात्रा/नंदनकानन बायोलॉजिकल पार्क

[वीडियो] आनुवंशिक तौर पर अलग हो सकते हैं एक से दिखने वाले बाघ, संरक्षण के लिए जरूरी है यह जानकारी

कभी बाघ की बादशाहत पश्चिम में तुर्की से पूरब में अमुर नदी घाटी तक और दक्षिण पूर्व एशिया में बाली से लेकर इंडोनेशिया तक हुआ करती थी। विस्फोटक रूप से…
नंदनकानन बायोलॉजिकल पार्क, भुवनेश्वर, भारत में एक कैप्टिव ब्लैक (स्यूडोमेलैनिस्टिक) बाघ और अपने भाई के साथ। तस्वीर- राजेश कुमार महापात्रा/नंदनकानन बायोलॉजिकल पार्क