बिजली

गुमला जिले के गुनिया गांव के सीताराम उरांव अपने तरबूज के खेत में काम कर रहे हैं। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे

सर्द रातों में सिंचाई की समस्या का समाधान बनती सौर बिजली

राजस्थान के गंगानगर जिले में लुढ़कता पारा नए रिकॉर्ड बना रहा है। हालात ऐसे हैं कि लोग गर्म रजाई में भी ठिठुर रहे हैं। ऐसे वक्त में मोहनपुरा गांव के…
गुमला जिले के गुनिया गांव के सीताराम उरांव अपने तरबूज के खेत में काम कर रहे हैं। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे
औद्योगिक क्षेत्र से होने वाले कुल कार्बन उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई लौह और इस्पात क्षेत्र से होता है। तस्वीर- जॉन ब्यूफोर्ट/Publicdomainpictures.net

ऑटोमोबाइल से लेकर अंतरिक्ष अभियान तक उपयोग हो सकेगी ‘स्मार्ट मटेरियल्स’ से बनी बिजली

औद्योगिक गतिविधियों और ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रियाओं में बड़े पैमाने पर अपशिष्ट-ताप उत्सर्जित होता है। यह गर्मी वायुमंडल में अवशोषित हो जाती है। भारत में वैज्ञानिकों का एक समूह कुछ…
औद्योगिक क्षेत्र से होने वाले कुल कार्बन उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई लौह और इस्पात क्षेत्र से होता है। तस्वीर- जॉन ब्यूफोर्ट/Publicdomainpictures.net
मध्यप्रदेश के रीवा स्थित सोलर प्लांट। यहां बनने वाली बिजली का एक बड़ा भाग दिल्ली में मेट्रो परिचालन के लिए भेजा जाता है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली मेट्रो में 60 फीसदी बिजली की जरूरत इस पार्क से पूरी होती है। तस्वीर- मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम

क्या बैंकों द्वारा नवीन ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने से भारत के ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव आएगा?

2030 तक क्लीन एनर्जी के अपने तयशुदा लक्ष्य को पाने के लिए भारत को वर्तमान में निवेश की जा रही धन राशि की तुलना में कम से कम दोगुने धन…
मध्यप्रदेश के रीवा स्थित सोलर प्लांट। यहां बनने वाली बिजली का एक बड़ा भाग दिल्ली में मेट्रो परिचालन के लिए भेजा जाता है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली मेट्रो में 60 फीसदी बिजली की जरूरत इस पार्क से पूरी होती है। तस्वीर- मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम
छत्तीसगढ़ में इंद्रावती नदी पर चित्रकोट जलप्रपात। इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट परियोजना 40 वर्षों से लंबित है और इस वर्ष इसे नए सिरे से गति मिली है। तस्वीर- इशांत 46एनटी / विकिमीडिया कॉमन्स

देश में मेगा पनबिजली परियोजनाओं की हो रही वापसी, क्या यह व्यवहारिक है

बीते कुछ सालों में, पुरानी पनबिजली परियोजनाओं में राज्य सरकारों की दिलचस्पी बढ़ी है। चाहे किसी भी दल की सरकार हो, इन परियोजनाओं के लिए कई राज्यों में एक साझा…
छत्तीसगढ़ में इंद्रावती नदी पर चित्रकोट जलप्रपात। इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट परियोजना 40 वर्षों से लंबित है और इस वर्ष इसे नए सिरे से गति मिली है। तस्वीर- इशांत 46एनटी / विकिमीडिया कॉमन्स
योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन के समय तीन लाख रुपए की एकमुश्त राशि जमा करनी पड़ती है, जिसमें लोगों को मुश्किलें आ रही हैं। तस्वीर- वर्षा सिंह

बड़ी परियोजनाओं पर रहा ध्यान और हाशिए पर गया रूपटॉप सोलर

साल 2022 जितना नजदीक आ रहा है, भारत के लिए रूफटॉप सोलर ऊर्जा का लक्ष्य पाना मुश्किल होता जा रहा है। रूफटॉप सोलर यानी छतों पर सोलर पैनल लगाकर ऊर्जा…
योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन के समय तीन लाख रुपए की एकमुश्त राशि जमा करनी पड़ती है, जिसमें लोगों को मुश्किलें आ रही हैं। तस्वीर- वर्षा सिंह
हैदराबाद में एक इलेक्ट्रिक बस स्टैंड। आंकड़े बताते है की तेलंगाना राज्य मे देश मे ईवी के लिए सबसे ज्यादा चार्जिंग पॉइंट्स है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

नीति आयोग के निर्देश के तीन साल बाद भी इलेक्ट्रिक वाहन को लेकर नीति नहीं बना पा रहे राज्य

नीति आयोग ने 2018 मे सभी राज्यो को खुद की इलेक्ट्रिक वाहन नीति बनाने के लिए कहा था। अब 2022 आने को है पर छत्तीसगढ़ जैसे राज्य अभी तक, इस…
हैदराबाद में एक इलेक्ट्रिक बस स्टैंड। आंकड़े बताते है की तेलंगाना राज्य मे देश मे ईवी के लिए सबसे ज्यादा चार्जिंग पॉइंट्स है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
[व्याख्या] जस्ट ट्रांजिशन: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में पीछे छूटते लोगों की वकालत

[व्याख्या] जस्ट ट्रांजिशन: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में पीछे छूटते लोगों को साथ लेकर चलने की कोशिश

जस्ट ट्रांजिशन (जेटी) क्या है? आज के समय की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती है- जलवायु परिवर्तन। इसका असर बढ़ता ही जा रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए कार्बन…
[व्याख्या] जस्ट ट्रांजिशन: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में पीछे छूटते लोगों की वकालत
उदारीकरण के तीस साल: मूलभूत ऊर्जा जरूरतों के लिए संघर्षरत समाज, अभी और बिगड़ेगी स्थिति

उदारीकरण के तीस साल: मूलभूत ऊर्जा जरूरतों के लिए संघर्षरत समाज, अभी और बिगड़ेगी स्थिति

स्वतंत्र भारत के इतिहास में 1991 को एक अहम पड़ाव माना जाता है जब देश ने वैश्विक पूंजी के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की शुरुआत की। तब हक्की बाई करीब…
उदारीकरण के तीस साल: मूलभूत ऊर्जा जरूरतों के लिए संघर्षरत समाज, अभी और बिगड़ेगी स्थिति