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ओडिशा: कोणार्क के सोलर योजना के लिए काटे जाएंगे कालाहांडी के वृक्ष

कोणार्क में लगा सौर ऊर्जा से संचालित वाटर एटीएम। शहर मे 40 सौर पेयजल एटीएम लगाने का लक्ष्य था। इसमें 25 एटीएम ने काम करना भी शुरू भी कर दिया है। तस्वीर- मनीष कुमार

कोणार्क में लगा सौर ऊर्जा से संचालित वाटर एटीएम। शहर मे 40 सौर पेयजल एटीएम लगाने का लक्ष्य था। इसमें 25 एटीएम ने काम करना भी शुरू भी कर दिया है। तस्वीर- मनीष कुमार

  • भारत के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 2020 तक कोणार्क की ऊर्जा जरूरतों को 100% सौर ऊर्जा से पूरा करने की योजना बनाई थी। केंद्र एवं राज्य सरकार ने इस शहर को सितंबर 2022 तक जीरो इमिशन यानी कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने का लक्ष्य रखा है।
  • इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए ओडिशा सरकार ने कालाहांडी जिला के जूनागढ़ ब्लॉक मे बड़े स्तर पर पेड़ों की कटाई करने की योजना बनाई है ताकि वहां एक सोलर पावर प्लांट स्थापित किया जा सके। कालाहांडी देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल हैं।
  • सरकार की योजना है कि कोणार्क शहर की स्वच्छ ऊर्जा की भरपाई कालाहांडी ज़िले की पावर प्लांट से करे। पर्यावरणविदो का कहना है कि एक शहर में स्वच्छ ऊर्जा पहुंचाने के लिए किसी और क्षेत्र में पेड़ों का काटा जाना अच्छा संकेत नहीं है।

पिछले एक दशक से विपुल बहेरा कोणार्क मंदिर के पास अपनी एक छोटी सी दुकान चला रहे हैं। कोणार्क मंदिर, भारत के उन 3,691 इमारतों में शामिल है जिसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) करता है। पिछले एक साल मे, बहेरा ने, अपने शहर मे कई बदलाव होते देखे है। इस शहर की सूरत बदलती नज़र आ रही है।

“पिछले एक साल मे मैंने शहर मे कई ऐसे चीजों को लगते देखा है जिसे हमने न किसी फिल्म मे देखा है, ना ही इंटरनेट पर। हमने इसकी कल्पना भी नहीं की थी। सौर वृक्ष (सोलर ट्री), सौर पेयजल एटीएम, सौर ऊर्जा से चलने वाले बिजली के बल्ब आदि हमने इस शहर मे पिछले एक साल मे लगते देखा है,” बहरा ने मोंगाबे-हिन्दी से बातचीत में बताया।

भारत मे नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के 2020 की एक योजना के अनुसार कोणार्क के 100% ऊर्जा, सौर ऊर्जा से लेने की परिकल्पना की गई थी। इसी वजह से इस शहर का कायापलट संभव हो पा रहा है और यहां खपत होने वाली ऊर्जा के लिए ताप एवं अन्य पुराने ऊर्जा के स्रोत से स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बदलाव संभव हो पा रहा है। भारत मे नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के 2020 ने यह योजना बनाई थी। इस योजना के तहत कोणार्क सूर्य मंदिर और कोणार्क शहर के साथ कुछ अन्य जगहों की ऊर्जा जरूरत को सौर ऊर्जा से पूरा करने का प्लान है। भारत सरकार ने इसके लिए 25 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देना का प्रावधान भी रखा है।

केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम मे ओडिशा सरकार जमीनी सहायता प्रदान कर रही है। राज्य की ओडिशा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (ओआरईडीए) इस कार्यक्रम को संचालित कर रही है। कोणार्क को सितंबर 2022 तक कार्बन उत्सर्जन मुक्त यानी जीरो एमिशन शहर बनाने का लक्ष्य भी रखा गया है।

कोणार्क का मशहूर सूर्य मंदिर। कोणार्क मंदिर भारत के उन 3,691 इमारतों में शामिल है जिसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) करता है। यहां की ऊर्जा जरूरत को सौर ऊर्जा से पूरा करने का लक्ष्य है। तस्वीर- मनीष कुमार
कोणार्क का मशहूर सूर्य मंदिर। कोणार्क मंदिर भारत के उन 3,691 इमारतों में शामिल है जिसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) करता है। यहां की ऊर्जा जरूरत को सौर ऊर्जा से पूरा करने का लक्ष्य है। तस्वीर- मनीष कुमार

“कोणार्क में स्वच्छ ऊर्जा के विस्तार की दिशा में हमलोग दो लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं। एक ओर हमारा लक्ष्य इस साल तक कोणार्क शहर की जरूरत भर का 100% सौर ऊर्जा से प्रदान करना है तो वहीं दूसरी तरफ सितंबर 2022 तक इसे कार्बन उत्सर्जन से मुक्त बनाना है। हमारा लक्ष्य है कि इस शहर में खपत होने वाली सारी बिजली स्वच्छ ऊर्जा से आए,” ओआरईडीए के संयुक्त निदेशक अशोक चौधरी ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया।

कोणार्क अंचल के समुद्री तट से सटे 23 वर्ग किलोमीटर मे फैला है। इसमें कोणार्क शहर का दायरा 13.5 वर्ग किलोमीटर में है। अधिकारियों ने बताया कि स्वच्छ ऊर्जा की परियोजनाएं केवल कोणार्क शहर तक सीमित है।

एम श्रीनिवास, कोणार्क एनएसी के कार्यकारी अधिकारी हैं। इन्होंने बताया कि कोणार्क मे चल रहे सौर ऊर्जा की परियोजनाएं और जीरो कार्बन उत्सर्जन परियोजना में ग्रिड एवं ऑफ ग्रिड तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

“हमने काफी संख्या में , सौर पेयजल एटीएम, सौर लाइट लगाए हैं जबकि कुछ अन्य सुविधाएं लगाए जाने की प्रक्रिया जारी है। स्कूलों, अस्पतालों एवं अन्य सार्वजनिक इमारतों के छतों पर सोलर पैनल (रुफटॉप सोलर) लगा रहे हैं,” श्रीनिवास ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया।

सितंबर 30, 2021 के आंकड़ो के हिसाब से इस शहर मे 40 सौर पेयजल एटीएम लगाने का लक्ष्य था। इसमें 25 एटीएम ने काम करना शुरू भी कर दिया है। उसी तरह 50 सोलर ट्री की परिकल्पना की गई थी। इसमें से 25 सोलर ट्री की स्थापना की जा चुकी है। 200 सोलर स्ट्रीट लाइट का लक्ष्य था जिसमें 100 लगाए जा चुके हैं। राज्य सरकार ने इस कार्य को पूरा करने के लिए हैदराबाद स्थित एक कंपनी को टेंडर दे रखा है।


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हालांकि, ओडिशा के पर्यावरणविद इस परियोजना को संदेह की नजर से देखते हैं। भुवनेश्वर के रहने वाले पर्यावरणविद् सुदर्शन छोत्राय कहते है, “कोणार्क बंगाल की खाड़ी से कुछ ही दूरी पर स्थित है। बीते वर्षों में इस शहर को कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है। चक्रवात इत्यादि तो अब सामान्य बात है। ऐसी जगहों पर स्वच्छ ऊर्जा का आगमन एक अच्छा संकेत है। पर यह कितना टिकाऊ समाधान है, उसपर संदेह है। इस शहर को एक व्यापक योजना की जरूरत है जो वाकई दिखे और दूरगामी हो।”

कोणार्क के स्वच्छ ऊर्जा के लिए कटेंगे पेड़

कोणार्क की स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए इस शहर के आसपास कोई बड़ा सौर ऊर्जा का प्लांट नहीं लगने वाला। बल्कि, सरकार ने इसके लिए एक अनोखी योजना बनाई है।

“कोणार्क में हमें एक सोलर पावर प्लांट बनाने के अनुकूल जगह नहीं मिली जिससे हम यहां के ऊर्जा स्रोतों को ग्रिड से जोड़ सकें। शहर में रोजाना करीब 10 मेगावाट बिजली की खपत होती है। इसकी पूर्ति के लिए हमने कालाहांडी जिले के जूनागढ़ ब्लॉक में 10 मेगावाट का एक सोलर प्लांट बनाने की योजना बनाई है,” राज्य के ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया।

कोणार्क नोटिफाइड एरिया काउंसिल के प्रांगण में लगे सोलर पैनल। तस्वीर- मनीष कुमार
कोणार्क नोटिफाइड एरिया काउंसिल के प्रांगण में लगे सोलर पैनल। तस्वीर- मनीष कुमार

ऊर्जा विभाग के सूत्रों ने बताया की इस पूरे मिशन को सफल बनाने के लिए कालाहांडी के जूनागढ़ इलाके में लगभग 100 पेड़ो को काटने की योजना है। सरकार के टेंडर मे दी गई सूचना के हिसाब से जूनागढ़ के दुम्बरबहाल एवं एकनागुड़ा मौज़ा में ज़मीन अधिग्रहण कर यहां 10 मेगावाट का एक नया सौर ऊर्जा प्लांट लाने की योजना बनाई गई है।

कालाहांडी मे सौर ऊर्जा प्लांट को लेकर ग्रामीणो का विरोध पहले इस ज़िले के केसिंगा ब्लॉक मे देखने को मिल चुका है। नीति आयोग की पिछड़े इलाको की फेहरिस्त में कालाहांडी ज़िला भी शामिल है।

ओडिशा के पर्यावरणविद कोणार्क शहर की स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति के लिए कालाहांडी मे पेड़ काटने के विरोध में है। “माना जाता है कि ये पेड़ ग्रीन हाउस गैस सोखने में सक्षम है। ऐसे मे कोणार्क के शहरी इलाक़ो के स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत पूरी करने के लिए कालाहांडी की हरियाली बर्बाद करना, कहीं से जायज नहीं है। सरकार को किसी और विकल्प की ओर ध्यान देना चाहिए था। जैसे कि पास के चिल्का झील या किसी और जगह पर ऐसे प्लांट की स्थापना की जाती,” पर्यावरणविद सुंदर नारायण पात्रो ने मोंगाबे-हिन्दी को बताया।

योजना के रास्ते में अब भी हैं ढेरों चुनौतियां

इस योजना मे ऐसी कई सारे अड़चने है जिसकी वजह से विलंब हो सकता है। राज्य सरकार ने कोणार्क के ऑफ ग्रिड सोलर कार्यों को पूरा करने के लिए सितंबर 2021 का लक्ष्य रखा था। पर यह लक्ष्य अभी मीलों दूर लगता है। अब सरकार ने समयसीमा बढ़ाकर अक्टूबर 2021 कर दी है।

ओआरइडीए के अधिकारियों ने बताया कि कुछ जगहों पर सोलर रूफ़टॉप पैनल लगाने में बाधा आ रही है। सभी लोगो को साथ लेने एवं व्यावसायिक संस्थानों की छतों मे सोलर पैनल लगाने मे सहमति नहीं बन पा रही है। लेकिन इस क्षेत्र मे कार्य चल रहा है।


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स्वच्छ परिवहन की ओर बढ़ता कदम

कोणार्क पर्यटन की दृष्टि से राज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। पूरी शहर से इसकी दूरी मात्र 30 किलोमीटर है। प्रतिदिन हज़ारो पर्यटक यहां आते हैं।

जो विभाग इस शहर में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र मे काम कर रहे है उनका कहना है कि स्वच्छ ऊर्जा से चलने वाले परिवहन की भी व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए कोणार्क शहर मे इलेक्ट्रिक वाहनो के लिए सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। सरकार की योजना के मुताबित कुछ ही महीनो मे यहां ई-रिक्शा दौड़ने लगेंगे एवं कोणार्क से चंद्रभागा तट तक और कोणार्क से पूरी के लिए बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन भी चलेंगे।

कोणार्क शहर में लगे सोलर पैनल। कोणार्क को सितंबर 2022 तक उत्सर्जन मुक्त यानी जीरो एमिशन शहरबनाने का लक्ष्य भी रखा गया है। तस्वीर- मनीष कुमार
कोणार्क शहर में लगे सोलर पैनल। कोणार्क को सितंबर 2022 तक उत्सर्जन मुक्त यानी जीरो एमिशन शहरबनाने का लक्ष्य भी रखा गया है। तस्वीर- मनीष कुमार

“हमने ऐसे दो जगह इस शहर मे चिन्हित किए है जहा इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था की जा सके। जल्द ही इन मार्गो पर हम आम जनता के लिए इलेक्ट्रिक वाहनो को दौड़ते देखेंगे, जिससे कार्बन उत्सर्जन से कुछ हद तक निजात सकेगा,” अशोक चौधरी ने बताया।

कोणार्क शहर के अलावा केंद्र सरकार ने कोणार्क मंदिर को भी सोलर से ऊर्जा देने की योजना बनाई है। हालांकि यहा अब तक इस ओर अधिक काम नहीं किया गया है।

 

बैनर तस्वीरः कोणार्क में लगा सौर ऊर्जा से संचालित वाटर एटीएम। शहर मे 40 सौर पेयजल एटीएम लगाने का लक्ष्य था। इसमें 25 एटीएम ने काम करना भी शुरू भी कर दिया है। तस्वीर- मनीष कुमार

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