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कार्बन न्यूट्रालिटी की तरफ लेह हवाई अड्डे के बढ़ते कदम

लेह, कुशोक बकुला रिन्पोचे हवाई अड्डे का 2009 का हवाई दृश्य। फोटो- कैफीनएएम/विकिमीडिया कॉमन्स।

लेह, कुशोक बकुला रिन्पोचे हवाई अड्डे का 2009 का हवाई दृश्य। फोटो- कैफीनएएम/विकिमीडिया कॉमन्स।

  • कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख को जलवायु न्यूट्रल क्षेत्र के तौर पर विकसित करने की बात कर चुके हैं। जलवायु न्यूट्रल क्षेत्र से तात्पर्य ऐसे क्षेत्र से है जहां से प्रदूषण फैलाने वाले गैस का उत्सर्जन शून्य के बराबर हो।
  • लद्दाख में लेह हवाई अड्डे को कार्बन न्यूट्रल हवाई अड्डे के रूप निर्मित किया जा रहा है। हालांकि सोनम वांगचुक जैसे पर्यावरणविद इसके डिजाईन में बदलाव की बात करते हैं ताकि लेह की आबोहवा का फायदा उठाया जा सके और यह हवाईअड्डा सच में कार्बन न्यूट्रल हो सके।
  • कार्बन न्यूट्रल से तात्पर्य है कि जितना ग्रीनहाउस का उत्सर्जन हो रहा है उतना सोख लिया जाए ताकि पृथ्वी पर इसका कम से कम नुकसान हो।

पिछले साल 13 नवम्बर को, एक इंजीनियर से शिक्षा सुधारक और पर्यावरणविद बने सोनम वांगचुक ने सोशल मीडिया के ट्विटर प्लेटफार्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए एक अपील पोस्ट की, जिसमें उनके द्वारा प्रधानमंत्री से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में बनने वाले लेह हवाई अड्डे को बचाने की अपील की गयी। उस समय की प्रगति के अनुसार वांगचुक का मानना था कि निर्माणाधीन हवाई अड्डा, ‘कार्बन न्यूट्रल लद्दाख’ बनने के दिशा में नहीं जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर अपने संबोधन के दौरान कहा है कि लद्दाख को ‘कार्बन-न्यूट्रल क्षेत्र’ के रूप में विकसित किया जाएगा।

वांगचुक ने अपने विडियो सन्देश में उस विडंबना की ओर इशारा किया जिसमें एयर कंडीशनिंग के लिए तीन मेगावाट के डीजल बायलर और जनरेटर सिस्टम के इस्तेमाल की बात कही गयी थी। जबकि लेह जैसी जगह में खुली खिड़कियां किसी भी एयर कंडीशनर से बेहतर काम करेंगी। वांगचुक ने अपने विडियो सन्देश में कहा, “जो हवाईअड्डा दुनिया के लिए नज़ीर बन सकता था, अब वह इसका उदाहरण बनेगा कि ऐसे रोशनी वाले क्षेत्र में हवाईअड्डा कैसे न बनाएं।”

यह फरवरी 2020 की बात है जब संसद में जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लद्दाख एक कार्बन-न्यूट्रल क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके बाद भारत के स्वतंत्रता दिवस के दिन भी राष्ट्र को अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर से दोहराते हुए कहा, “जिस तरह से पूर्वोत्तर के राज्य में सिक्किम ने एक जैविक राज्य के रूप अपनी पहचान बनायी है, ठीक उसी तरह लद्दाख, लेह और कारगिल भी कार्बन न्यूट्रल इकाई के रूप में अपनी पहचान बना सकता है।” लद्दाख में सौर पार्क बनाने की योजना पर काम आगे बढ़ रहा है।

जम्मू और कश्मीर से अलग होकर एक केंद्र शासित राज्य के रूप में लद्दाख का गठन अक्टूबर 2019 में हुआ था। इसे जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के बाद अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में घोषित किया गया था।

प्रधानमंत्री द्वारा कार्बन-न्यूट्रल लद्दाख की घोषणा के बाद से इस दिशा में बहुत सी परियोजनाओं जैसें घरों में सौर कुकिंग डिवाइस की स्थापना, सौर रहित भवनों के निर्माण को बढ़ावा देना, टिकाऊ होम स्टे, पर्यटन के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर ऊर्जा से चलने वाले चार्जिंग स्टेशन की शुरुआत हुई। इसके अलावा ड्रिप सिंचाई व्यवस्था और सूक्ष्म-सिंचाई के दूसरे उर्जा से लेस तरीकों, जैसे कि तालाबों या मौजूदा जल संसाधनों के उपयोग को बढ़ाने के लिए योजना बना कर काम करने पर ध्यान दिया जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन के सवालों पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के लिए भारत की तीसरी द्विवार्षिक नई रिपोर्ट के अनुसार, “लद्दाख के लिए कार्बन न्यूट्रलटी, जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक लक्ष्य भर नहीं है बल्कि विकास का एक नजरिया है। सबसे बड़ी चुनौती यह है एक ऐसे विकास के तरीके को अपनाया जाए जो इस नाजुक परन्तु निराले क्षेत्र की रक्षा करे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि आधुनिकता की सुविधाएं और लाभ यहां के लोगों तक पहुंचे।”

लद्दाख के लेह स्थित लरेडा (LREDA) कार्यालय में सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल। भारत सरकार, लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश को कार्बन न्यूट्रल क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। तस्वीर- फ्रिंज 2013/विकिमीडिया कॉमन्स
लद्दाख के लेह स्थित लरेडा (LREDA) कार्यालय में सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल। भारत सरकार, लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश को कार्बन न्यूट्रल क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। तस्वीर– फ्रिंज 2013/विकिमीडिया कॉमन्स

वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने लद्दाख के लिए एक विशेष विकास पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज में सरकार के माध्यम से सौर पार्क, जियोथर्मल एनर्जी,सौर उर्जा आधारित सूक्ष्म सिंचाई इत्यादि बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देना शामिल था।

केंद्र सरकार द्वारा लद्दाख पर ध्यान केन्द्रित करना और कार्बन-न्यूट्रल लक्ष्य को देखते हुए, जब वांगचुक ने सोशल मीडिया पर हवाई अड्डे का मुद्दा उठाया तो इसने न केवल लोगों को आकर्षित किया बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय का एक दल तत्काल लेह के लिए रवाना हुआ तथा उस जगह का निरक्षण किया जिसका जिक्र वांगचुक ने ट्विटर पर किया था।

वांगचुक के अनुसार, हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ़ अल्टरनेटिव लर्निंग (HAIL) ने प्रधानमंत्री कार्यालय से आये अधिकारियों के समक्ष सौर हीटिंग मॉडल को प्रदर्शित किया। “हमने अधिकारियों से निवेदन किया कि ग्लास के डिजाईन को बेहतर करें ताकि हवाई अड्डे को पर्याप्त ऊर्जा सीधे तौर पर सूरज के प्रकाश से प्राप्त हो सके। डीजल और डीजल बायलर पर धन खर्च करने के बजाय इंसुलेशन पर खर्च किया जाना चाहिये। वर्तमान में एयर कंडीशनिंग के लिए प्रस्तावित जनरेटर की संख्या को आधा कर दिया जाना चाहिये और उनका इस्तेमाल तब ही किया जाना चाहिये जब या तो मौसम ख़राब हो या फिर इलेक्ट्रिक ग्रिड फेल हो जाये। लेह का मौसम ऐसा है कि गर्मियों में भी एयर कंडीशनिंग की जरूरत नहीं है और यदि किसी कारण से जरूरत पड़ भी जाये, तो एयर कंडीशनिंग के लिए ब्लोअर में भूमिगत जल का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह जल आमतौर पर बहुत ठंडा होता है। इन तरीकों से लद्दाख का हवाई अड्डा गर्माहट और एयर कंडीशनिंग दोनों को अर्जित कर सकता है वह भी बिना ऊर्जा खर्च किये,” वांगचुक ने अधिकारियों को इस तरह से एक बीच का सुझाव पेश किया।

कार्बन न्यूट्रलटी का लक्ष्य

केंद्र शासित लद्दाख, देश में सबसे अधिक मात्रा में सूरज की किरण प्राप्त करने वाला प्रदेश है और इसके साथ ही यहां पर वर्ष के अधिकतर दिनों में मौसम साफ़ रहता है। इसके चलते सौर उर्जा के दोहन की अच्छी संभावनायें बनी रहती हैं।

वास्तुकला की डिजाईन और कार्बन न्यूट्रल हवाई अड्डे की दिशा में उठाये गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए लेह हवाई अड्डे के निदेशक मलकीत सिंह ने बताया, “इमारत का दक्षिणी हिस्सा पूरी तरह से शीशों की दोहरी परत का बना हुआ है। पूर्वी और पश्चिमी सिरों के 100 मिलीमीटर के छिद्र को आटोक्लेवड ऐरेटेड कंक्रीट (अत्युषण वाष्प शोधक वातित कंक्रीट) वाले ब्लाक से दीवारों को छेद के साथ डिजाइन किया गया है। छतों के लिए 125 मिलीमीटर के कांच रूपी ऊनी इन्सुलेशन का इस्तेमाल करने पर विचार किया गया है। हवाई अड्डे में इस्तेमाल किये जाने वाले सभी उपकरण ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) के मानकों का पालन करते हैं। उर्जा की बचत करने वाले भवन में छत या प्राकृतिक रोशनी को आने के लिए रोशनदान बनाया गया है। जरूरत के अनुरूप अप्रैल, मई, सितम्बर और अक्टूबर जैसे सामान्य महीनों के दौरान मानवीय सहूलियत के लिए टर्मिनल के अन्दर ब्लोअर के माध्यम से ताज़ी हवा का संचार किया जायेगा।


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हवाई अड्डे पर इस्तेमाल की जाने वाली सभी लाइट उर्जा बचाने वाली एलईडी लाइट हैं जो सेंसर के माध्यम से भी काम करती हैं। विभिन्न स्थानों की छतों पर सोलर फोटोवोल्टिक सिस्टम लगाया जा रहा है। सीवेज ट्रीटेड पानी का उपयोग कर वृक्षारोपण किया जायेगा और भूजल को रिचार्ज करने के लिए वर्षा जल को इकठ्ठा करने के लिए संचयन इकाइयां बनाई जाएंगी।” सिंह ने आगे बताया कि बेहतर ऊर्जा दक्षता के लिए पावर फैक्टर में सुधार के लिए स्वचालितपावर फैक्टर कंट्रोल (एपीएफसी) पैनल का प्रावधान रखा गया है और ऊर्जा दक्षता के लिए वैरिएबल फ्रीक्वेंसी ड्राइव (वीएफडी) आधारित पंपों का उपयोग किया जाता है।

 

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बैनर तस्वीरः लेह, कुशोक बकुला रिन्पोचे हवाई अड्डे का 2009 का हवाई दृश्य। तस्वीर– कैफीनएएम/विकिमीडिया कॉमन्स।

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