लद्दाख

भारत में हिम तेंदुओं की संख्या का अनुमान आखिरी बार 1980 के दशक में लगाया गया था। इसके मुताबिक, देश में हिम तेंदुओं की संख्या 400 से 700 थी। तस्वीर-इस्माइल शरीफ। 

[वीडियो] हिम तेंदुओं की संख्या 700 पार हुई, अगला कदम दीर्घकालिक निगरानी

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से इस महीने की शुरुआत में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हिम तेंदुओं की संख्या 718 हो गई हैं। इस…
भारत में हिम तेंदुओं की संख्या का अनुमान आखिरी बार 1980 के दशक में लगाया गया था। इसके मुताबिक, देश में हिम तेंदुओं की संख्या 400 से 700 थी। तस्वीर-इस्माइल शरीफ। 
लद्दाख के हेमिस नेशनल पार्क में यूरेशियन लिन्क्स की एक कैमरा ट्रैप तस्वीर। तस्वीर- वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विभाग, लद्दाख।

संरक्षण के लिए यूरेशियन लिन्क्स पर ज्यादा रिसर्च की जरूरत

इस साल फरवरी में लद्दाख में कुत्तों से घिरी जंगली बिल्ली का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। कई समाचार संगठनों ने इस क्लिप को अपने…
लद्दाख के हेमिस नेशनल पार्क में यूरेशियन लिन्क्स की एक कैमरा ट्रैप तस्वीर। तस्वीर- वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विभाग, लद्दाख।
नुब्रा वैली में सी बकथ्रॉन की झाड़ियों के बीच एक यूरेशियाई लिंक्स। तस्वीर- स्टैनज़िन चंबा।

लद्दाख: आम नागरिकों की पहल से कारगर हो रहा वन्यजीव संरक्षण

लेह में रहने वाले 35 वर्षीय स्टैनज़िन चंबा प्रकृति की खोज में लद्दाख के नुब्रा घाटी में बीते पांच साल से जा रहे हैं। लेह शहर से लगभग 160 किलोमीटर…
नुब्रा वैली में सी बकथ्रॉन की झाड़ियों के बीच एक यूरेशियाई लिंक्स। तस्वीर- स्टैनज़िन चंबा।
शोध के अनुसार काराकोरम पर्वतमाला में काफी संख्या में नई हिमनद झीलों के निर्माण होने की संभावनाएं है। तस्वीरः Kmbilall/ विकिमीडिया कॉमन्स  

हिमालय में ग्लेशियरों के घटने से विनाशकारी बाढ़ का खतरा बढ़ा

एक हालिया अध्ययन के अनुसार, हिमालय में बढ़ते तापमान और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण जहां एक तरफ नई हिमनद झीलों का निर्माण हुआ है और वहीं दूसरी तरफ मौजूदा…
शोध के अनुसार काराकोरम पर्वतमाला में काफी संख्या में नई हिमनद झीलों के निर्माण होने की संभावनाएं है। तस्वीरः Kmbilall/ विकिमीडिया कॉमन्स  
लद्दाख की राजधानी लेह स्थित मौसम केंद्र। यह केंद्र समुद्र तल से 11,562 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

[वीडियो] लद्दाखः भारत के सबसे ऊंचे मौसम केंद्र से ग्राउंड रिपोर्ट, चुनौतियों से भरा है पल-पल बदलते मौसम का पूर्वानुमान

मौसम विज्ञानी अभय सिंह हवा की दिशा और रफ्तार, बादलों की स्थिति का आकलन कर रहे हैं। किसी भी मौसम केंद्र के लिए यह एक आम दिनचर्या है, लेकिन सिंह…
लद्दाख की राजधानी लेह स्थित मौसम केंद्र। यह केंद्र समुद्र तल से 11,562 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
लद्दाख के नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अभियान के तहत सोनम वांगचुक ने जून 2023 में क्लाइमेट फास्ट (जलवायु उपवास) रखा। तस्वीर- सोनम वांगचुक/ट्विटर

[साक्षात्कार] छठवी अनुसूची में संरक्षण मिलने से कैसे बचेगी नाजुक लद्दाख की आबोहवा, समझा रहे हैं पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक

ग्लेशियर की वजह से लद्दाख में जीवन संभव है। सबसे बड़ा मुद्दा ग्लेशियर के तेजी से पिघलने का है। यह एक ठंडा रेगिस्तान है और यहां जिंदगी मुमकिन है तो…
लद्दाख के नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अभियान के तहत सोनम वांगचुक ने जून 2023 में क्लाइमेट फास्ट (जलवायु उपवास) रखा। तस्वीर- सोनम वांगचुक/ट्विटर
लेह और हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन से बढ़ता कचरा। तस्वीर- जुआन डेल रियो/लोकल फ्यूचर्स।

लेह में पर्यटकों की बढ़ती भीड़ से पर्यावरण प्रभावित होने की आशंका

अक्टूबर 2020 में रोहतांग दर्रे पर अटल सुरंग (टनल) खुलने के बाद पिछले दो वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में वाहनों का आवागमन बहुत बढ़ा है। लद्दाख के लेह शहर…
लेह और हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन से बढ़ता कचरा। तस्वीर- जुआन डेल रियो/लोकल फ्यूचर्स।
लेह, कुशोक बकुला रिन्पोचे हवाई अड्डे का 2009 का हवाई दृश्य। फोटो- कैफीनएएम/विकिमीडिया कॉमन्स।

कार्बन न्यूट्रालिटी की तरफ लेह हवाई अड्डे के बढ़ते कदम

पिछले साल 13 नवम्बर को, एक इंजीनियर से शिक्षा सुधारक और पर्यावरणविद बने सोनम वांगचुक ने सोशल मीडिया के ट्विटर प्लेटफार्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए एक…
लेह, कुशोक बकुला रिन्पोचे हवाई अड्डे का 2009 का हवाई दृश्य। फोटो- कैफीनएएम/विकिमीडिया कॉमन्स।
लद्दाख के इस इलाके के लोग भेड़ियों का शिकार करने के लिए शंडोंग का प्रयोग करते रहे हैं। यह एक उल्टा कीप आकार का गड्ढा होता है जिसमें भेड़ियों को फंसाया जाता है। हालांकि, संरक्षण की कोशिशों की वजह से अब ज्यादातर शंडोंग काम नहीं कर रहे हैं। तस्वीर- करमा सोनम

जानलेवा शंडोंग से शांति देने वाले स्तूप तक: लद्दाख में भेड़ियों के संरक्षण की कहानी

आज से चार दशक पहले सर्दी की एक सुबह एक 10-12 साल का लड़का लद्दाख के बीहड़ क्षेत्र में अपने पिता के साथ घोड़े पर यात्रा कर रहा था। वे…
लद्दाख के इस इलाके के लोग भेड़ियों का शिकार करने के लिए शंडोंग का प्रयोग करते रहे हैं। यह एक उल्टा कीप आकार का गड्ढा होता है जिसमें भेड़ियों को फंसाया जाता है। हालांकि, संरक्षण की कोशिशों की वजह से अब ज्यादातर शंडोंग काम नहीं कर रहे हैं। तस्वीर- करमा सोनम