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प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए बादलदार तेंदुए ने विकसित किए अपने तरीके

मानस नेशनल पार्क में बादलदार तेंदुए की कैमरा-ट्रैप तस्वीर। बादलदार तेंदुए काफी हद तक जंगली, शर्मीले जानवर हैं जिन्हें दुनिया में "सबसे छोटी बड़ी बिल्ली" माना जाता है। तस्वीर- साल्वाडोर लिंगदोह/डब्ल्यूआईआई।

मानस नेशनल पार्क में बादलदार तेंदुए की कैमरा-ट्रैप तस्वीर। बादलदार तेंदुए काफी हद तक जंगली, शर्मीले जानवर हैं जिन्हें दुनिया में "सबसे छोटी बड़ी बिल्ली" माना जाता है। तस्वीर- साल्वाडोर लिंगदोह/डब्ल्यूआईआई।

  • असम के मानस नेशनल पार्क में बादलदार तेंदुओं पर किए गए कैमरा-ट्रैप अध्ययन से पता चलता है कि बादलदार तेंदुओं की प्रजाति ने जीवित रहने के लिए सह-अस्तित्व की रणनीति अपनाई है।
  • बादलदार तेंदुओं की आबादी, आवास उपयोग और पारिस्थितिकी पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि इस बिल्ली का जनसंख्या घनत्व प्रति 100 वर्ग किमी में 1.73 है।
  • शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रजाति पर उपलब्ध कम जानकारी और डेटा असरदार संरक्षण रणनीतियां बनाने में बाधा हैं।

बादलदार तेंदुओं (क्लाउडेड तेंदुआ) ने जंगल में खुद को बचाए रखने के लिए सह-अस्तित्व की बारीक रणनीतियां विकसित की हैं। इसमें चरम गतिविधि का समय अन्य मांसाहारी जीवों के साथ ओवरलैप नहीं होता है। साथ ही, संभावित रूप से ताकतवर, बड़े प्रतिस्पर्धियों के साथ साझा की जाने वाली जगहों पर वे उनके साथ “लुका-छिपी” का खेल भी खेलते हैं। पूर्वोत्तर राज्य असम में मानस टाइगर रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यान में हुए एक अध्ययन से ये बातें सामने आई हैं। बादलदार तेंदुआ (नियोफ़ेलिस प्रजाति) दुनिया की “सबसे छोटी बड़ी बिल्ली” है।  हालांकि, इसे अक्सर गलती से छोटी बिल्ली की प्रजाति समझ लिया जाता है।

बादलदार तेंदुए की कई खास विशेषताएं, बिल्ली की अन्य प्रजातियों से इसे अलग करती हैंजैसे, बादल जैसे बड़े धब्बों के साथ उनके फर का आकर्षक पैर्टन। इसके अलावा, बादलदार तेंदुओं के दांत बिल्ली की अन्य प्रजातियों के मुकाबले सबसे लंबे होते हैं। इनके दांतों का प्रकार इनके सिर के अनुपात में भी बड़ा होता है। इस प्रजाति में पेड़ के ऊपर चढ़ने और नेविगेट करने सहित पेड़ों से जुड़ी असाधारण क्षमताएं हैं, जो अन्य छोटी बिल्लियों में कम ही देखने को मिलती हैं।

यह प्रजाति मध्य नेपाल और दक्षिणी चीन से लेकर प्रायद्वीपीय मलेशिया और सुमात्रा और बोर्नियो द्वीपों में पाई जाती है। डीएनए और मॉर्फोलॉजिकल (रूपात्मक) विश्लेषणों  के आधार पर बादलदार तेंदुए को दो प्रजातियों में वर्गीकृत किया गया है – मेनलैंड बादलदार तेंदुआ (नियोफेलिस नेबुलोसा) और बोर्नियो और सुमात्रा के मूल निवासी सुंडा बादलदार तेंदुआ (नियोफेलिस डायर्डी)।

भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोधकर्ताओं की ओर से किए गए इस ताजा अध्ययन में मानस नेशनल पार्क के जंगली आवासों में कैमरा ट्रैप लगाकर बादलदार तेंदुए की आबादी के घनत्व, प्राकृतिक आवास के इस्तेमाल और पारिस्थितिकी के बारे में पता लगाया गया। इस अध्ययन में पिछले अध्ययनों के नतीजों को दोहराया गया है कि बादलदार तेंदुए हरे-भरे, स्वस्थ वनस्पति, घनी छतरियों और पर्याप्त मात्रा में छोटे शिकार वाले निवास स्थान को पसंद करते हैं। इसने बादलदार तेंदुओं के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण शिकार प्रजातियों जैसे खरगोश, गैलिनेशियस पक्षी, साही और प्राइमेट के संरक्षण की अहमियत को रेखांकित किया है।

मानस नेशनल पार्क में एक बादलदार तेंदुए के पैरों के निशान। एक नए अध्ययन से पता चला है कि बादलदार तेंदुओं ने जीवित रहने के कौशल के रूप में बड़े मांसाहारियों के साथ जगह और समय साझा करने की बारीक रणनीति विकसित की है। तस्वीर- उर्जित भट्ट।
मानस नेशनल पार्क में एक बादलदार तेंदुए के पैरों के निशान। एक नए अध्ययन से पता चला है कि बादलदार तेंदुओं ने जीवित रहने के कौशल के रूप में बड़े मांसाहारियों के साथ जगह और समय साझा करने की बारीक रणनीति विकसित की है। तस्वीर- उर्जित भट्ट।

ताकतवर मांसाहारी जीवों के साथ संसाधनों का बंटवारा 

खास तरीके से संसाधनों को बांटना जंगल में प्रजातियों के जिंदा रहने का एक अहम पहलू है। इसमें छोटे शिकारी ताकतवर मांसाहारी जीवों के साथ जगह और समय की ओवरलैपिंग से बचने के लिए अपने व्यवहार में बदलाव करते हैं। मानस नेशनल पार्क का जंगल पांच बड़े मांसाहारी जीवों के एक विविध मांसाहारी समुदाय की मदद करता है। इनमें बाघ (पैंथेरा टाइग्रिस), सामान्य तेंदुआ (पैंथेरा पार्डस), बादलदार तेंदुआ (नियोफेलिस नेबुलोसा), सोनकुत्ता (कुओन अल्पिनस) और एशियाई काला भालू (उर्सस थिबेटनस) शामिल हैं।

अध्ययन में पाया गया कि बादलदार तेंदुए और अन्य मांसाहारी जीवों के बीच अस्थायी ओवरलैप था, लेकिन कोई स्थानिक ओवरलैप नहीं थाशोधकर्ताओं के अनुसार, यह जीवित रहने के लिए सह-अस्तित्व की एक बारीक रणनीति है। अध्ययन के प्रमुख जांचकर्ता साल्वाडोर लिंगदोह ने बताया,हालांकि, बादलदार तेंदुए और अन्य मांसाहारी जीवों ने ओवरलैपिंग गतिविधि समय साझा किया, हर प्रजाति के पास चरम गतिविधि के अलग-अलग समय थे। यह बताता है कि वे अपने सबसे सक्रिय अवधि के दौरान सीधे संघर्ष या प्रतिस्पर्धा से बच सकते हैं। ”

उन्होंने कहा कि प्रजाति ने जगहों के बंटवारे को लेकर एक रेंडम (स्वतंत्र) व्यवहार दिखाया, जिसमें शिकार करने वाले अन्य जीवों से बचने या साथ में होने का कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं था। उन्होंने कहा, “इससे पता चलता है कि वे लुका-छिपी के खेल की तरह छिपने या सामने नहीं आने की रणनीति अपना सकते हैं।” शोधकर्ताओं का मानना है कि भले ही बादलदार तेंदुए और बड़े शिकारी अपनी गतिविधि का समय साझा करते हैं, लेकिन स्थानिक अलगाव का कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं दिखाते हैं, बादलदार तेंदुए पेड़ों पर चढ़ने की अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे, बड़े शिकारी जीवों के सामने आने पर पेड़ों की चोटी पर भाग जाना, जो उनके जिंदा रहने की संभावना को बढ़ा सकता है।

विलुप्त होने का खतरा

फील्ड स्टडी के दौरान, कैमरा ट्रैप के जरिए 11,388 रातों में 12 बादलदार तेंदुए की बार तस्वीरें ली गईं। इसके आधार पर मानस राष्ट्रीय उद्यान में प्रति 100 वर्ग किमी में आबादी का अनुमानित घनत्व 1.73 था। मिजोरम में डंपा टाइगर रिजर्व में साल 2017 के एक अध्ययन में बादलदार तेंदुओं (प्रति 100 वर्ग किमी में 5.14 व्यक्ति) के लिए सबसे ज़्यादा घनत्व दर्ज किया गया था। इसमें 4,962 ट्रैप रातों (रात जब एक कैमरा सक्रिय था) में बादलदार तेंदुओं की 84 तस्वीरें कैप्चर होने की जानकारी मिली थी।

मानस राष्ट्रीय उद्यान के आधे सदाबहार जंगल में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में बादलदार तेंदुओं का अनुमानित घनत्व 1.73 पाया गया है। बादलदार तेंदुए हरे-भरे, स्वस्थ वनस्पति, घनी छतरियों और पर्याप्त मात्रा में छोटे शिकार वाले आवास पसंद करते हैं। तस्वीर- सौरव चौधरी।
मानस राष्ट्रीय उद्यान के आधे सदाबहार जंगल में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में बादलदार तेंदुओं का अनुमानित घनत्व 1.73 पाया गया है। बादलदार तेंदुए हरे-भरे, स्वस्थ वनस्पति, घनी छतरियों और पर्याप्त मात्रा में छोटे शिकार वाले आवास पसंद करते हैं। तस्वीर- सौरव चौधरी।

बादलदार तेंदुओं की आबादी के बारे में साल 2021 में IUCN (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) ने भी अनुमान लगाया था। इसके मुताबिक दुनिया भर में आबादी 3,700 और 5,580 व्यस्क तेंदुओं के बीच है। इस प्रजाति को रेड लिस्ट में असुरक्षित के रूप में वर्गीकृत किया गया है। साल 2016 की तुलना में 2021 में कम वितरण के आधार पर मूल्यांकन में पाया गया कि ज्यादातर रेंज वाले देशों में मुख्य भूमि पर तेंदुए की आबादी में गिरावट जारी है। सीधे तौर पर शोषण और लक्ष्य करके शिकार, अन्य प्रजातियों के लिए लगाए गए जाल के चलते अचानक से मौत और निवास स्थान के नुकसान जैसे खतरों को उनकी संख्या में गिरावट की वजह माना जाता है।

साल 2010 और 2020 के बीच 155 कैमरा-ट्रैप सर्वेक्षणों के नतीजों की समीक्षा से यह बात सामने आई कि बादलदार तेंदुए पूर्वोत्तर भारत, मलेशिया, म्यांमार, भूटान और थाईलैंड में व्यापक रूप से मौजूद हैं। लेकिन यह प्रजाति वियतनाम में विलुप्त हो गई है और चीन व बांग्लादेश में खत्म होने के कगार पर है। 

भारत में बादलदार तेंदुए के निवास स्थान का रेंज 30-40 वर्ग किमी तक है। इसमें पूर्वोत्तर राज्यों, उत्तरी पश्चिम बंगाल और बिहार (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) में इनका निवास स्थान माना जाता है। लिंग्दोह ने कहा कि बादलदार तेंदुओं को संरक्षित क्षेत्रों के बाहर के आवासों में भी दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा, ” अध्ययनों ने प्राथमिक वनों के अलावा, माध्यमिक और लकड़ी वाले चुनिंदा वनों सहित अलग-अलग आवासों में उनकी मौजूदगी का संकेत दिया है।”

बेहतर संरक्षण रणनीतियों के लिए ज्यादा अध्ययन और डेटा संग्रह की जरूरत

शोधकर्ताओं ने मोंगाबे इंडिया को बताया कि कम जानकारी और डाटा असरदार संरक्षण रणनीतियां बनाने में सबसे बड़ी चुनौती हैं। मिजोरम के डंपा टाइगर रिजर्व में बादलदार तेंदुओं और मार्बल बिल्लियों का अध्ययन करने वाली स्वतंत्र शोधकर्ता प्रिया सिंह ने कहा कि कम ज्ञात जंगली बिल्लियों पर लक्षित अध्ययन नहीं हैं और उन पर उपलब्ध ज्यादातर जानकारी बाघ और तेंदुए जैसी अन्य प्रजातियों पर लक्षित कैमरा-ट्रैप अध्ययनों से उपलब्ध बायकैच डेटा से हैं। 

डेटा की कमी के अलावा, लिंग्दोह ने कहा कि खास तौर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र में जातीय-राजनीतिक संघर्ष जैसे कारकों के चलते बादलदार तेंदुए के आवासों में गिरावट, प्रजातियों के बारे में स्थानीय समुदायों के बीच जागरूकता की कमी और महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करने के लिए आनुवंशिक निगरानी की गैर-मौजूदगी के साथ ही असरदार व्यक्तिगत निगरानी की कमी इस प्रजाति के संरक्षण में कुछ अन्य चुनौतियां हैं।


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तो इसका समाधान क्या है। इस पर लिंग्दोह ने बादलदार तेंदुए की स्थिति, वितरण और आबादी की प्रवृत्तियों पर व्यापक डेटा इकट्ठा करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण वैज्ञानिकों के साथ सहयोग वाली कोशिशों जैसे नीतिगत हस्तक्षेप का प्रस्ताव दिया साथ ही, इस प्रजाति के बारे में समझ बढ़ाने के लिए ज्यादा और बेहतर शोध और ऑनलाइन फोरम और सर्वेक्षण और निगरानी तकनीकों के लिए मैनुअल के साथ मानकीकृत निगरानी प्रणाली स्थापित करना भी शामिल है। इन उपायों के अलावा, लिंगदोह द्वारा सुझाए गए अन्य हस्तक्षेपों में बादलदार तेंदुए के आवासों की बेहतर सुरक्षा और जानवरों के अवैध शिकार और अवैध व्यापार के खिलाफ कानूनी पहल के साथ-साथ हितधारकों, विशेष रूप से स्थानीय समुदायों को जानवरों के बारे में शिक्षित करना शामिल है, क्योंकि कम-ज्ञात बिल्लियों की रक्षा करने में उनका सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा, हमें गैर-आक्रामक नमूनों में बादलदार तेंदुए की प्रजाति की सटीक पहचान करने के लिए आनुवंशिक मार्करों को विकसित और मानकीकृत करने की भी जरूरत है। उप-जनसंख्या कनेक्टिविटी और दीर्घकालिक जनसंख्या स्वास्थ्य के लिए कार्य योजना बनाने के लिए आनुवंशिक डेटा का इस्तेमाल करना जरूरी है।

 

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बैनर तस्वीर: मानस नेशनल पार्क में बादलदार तेंदुए की कैमरा-ट्रैप तस्वीर। बादलदार तेंदुए काफी हद तक जंगली, शर्मीले जानवर हैं जिन्हें दुनिया में “सबसे छोटी बड़ी बिल्ली” माना जाता है। तस्वीर- साल्वाडोर लिंगदोह/डब्ल्यूआईआई।

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