- वर्ष 2022 में विधानसभा चुनावों के दौरान आवारा गोवंश का मुद्दा एक राजनीतिक मुद्दा बन गया। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किसानों को आवारा गोवंशों से मुक्ति दिलाने का वादा किया था।
- उत्तर प्रदेश में सरकार गठन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को आवारा गोवंशों से छुटकारा दिलाने के लिए “मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना” लाने की बात कही। जिसके तहत किसानों को छूट पर सोलर फेंसिंग मशीन उपलब्ध कराना था।
- जहां सोलर फेंसिंग मशीन के बारे में जानकारी रखने वाले किसानों में इस मशीन को लेकर उमीदें जागी हैं, वहीं उन्हें सरकारी योजना के तहत इसका लाभ लेने में कुछ और समय लग सकता है।
देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के किसान साल 2017 के बाद से खेतों की रखवाली करते हुए मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। आवारा गोवंशो और जंगली जानवरों के आतंक से किसान कई फसलें जैसे मक्का,आलू,अरहर,उड़द और मूंग बोने से कतराने लगे हैं।
उत्तर प्रदेश में पिछले सात सालों से आवारा गोवंश एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। इनसे छुटकारा दिलाने के लिए सरकार कई तरह के उपाय कर रही है लेकिन ये सभी नाकाफी साबित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में खेतों की रखवाली करते हुए हर साल कई किसान जंगली जानवरों के हमले, सर्दी और कीड़े-मकोड़े के काटने से अपनी जान गंवा देते हैं।
वर्ष 2022 में विधानसभा चुनावों के दौरान यह मुद्दा एक राजनीतिक मुद्दा भी बन गया। चुनाव प्रचार के दौरान उन्नाव जिले के असोहा ब्लॉक में आयोजित जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किसानों को आवारा गोवंशों से मुक्ति दिलाने का वादा करते हुए कहा था, “हम जल्द ही एक ऐसी योजना लाएंगे जिससे उत्तर प्रदेश के किसानों को आवारा गोवंशों से मुक्ति मिल सकेगी।”
उत्तर प्रदेश में सरकार गठन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को आवारा गोवंशो से छुटकारा दिलाने के लिए “मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना” लाने की बात कही। जिसके तहत किसानों को छूट पर सोलर फेंसिंग मशीन उपलब्ध कराना था। पहले यह योजना 75 करोड़ रुपए के प्रस्तावित बजट के साथ सिर्फ बुंदेलखंड के लिए लागू की जानी थी, लेकिन कुछ दिनों बाद जुलाई 2023 में इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू करने की घोषणा की गयी। योजना के प्रस्तावित बजट को 75 करोड़ से बढ़ाकर 350 करोड़ रुपए करने की भी घोषणा की गई।
हालाँकि, इसके बाद इस योजना पर कोई ख़ास काम होते नहीं देखा गया। इस साल की शुरुआत में जैसे ही लोकसभा चुनावों की कवायद तेज हुई, उत्तर प्रदेश सरकार ने फरवरी 2024 में पेश किये गए अपने बजट में किसानों के खेतों की सुरक्षा के लिए 50 करोड़ रुपए का प्रावधान किया। सरकार ने कहा कि इस बजट का उपयोग किसानों को 60-80% तक छूट पर सोलर फेंसिंग मशीन उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा।
लेकिन अभी तक इस योजना का न तो कोई प्रारूप तैयार हुआ है और न ही सोलर मशीनों, तारों और अन्य मदों का कोई मूल्यांकन।
सोलर फेंसिंग से उम्मीदें, मगर योजना की जानकारी नहीं
रायबरेली जनपद के मड़ाई खेड़ा गाँव निवासी राकेश यादव (48 वर्ष) शाम सात बजे खेतों की रखवाली करने जाते हैं राकेश यादव कहते हैं कि आवारा गोवंशो से खेतों को बचाने जैसी किसी योजना की जानकारी नहीं है।
“गाँव में जो गौशाला बनी है उसमें भी जानवरों को बंद करने की खानापूर्ति की जा रही है। ऐसे में किसानों को रात दिन खेतो की रखवाली करनी पड़ती है। गेहूं में बाली निकल रही है। चना, मटर में भी दाना तैयार है ऐसे में अगर फसल चर गयी तो कुछ नहीं बचेगा। सरकार को किसानों की खेतों की सुरक्षा के लिए ऐसी योजना को जल्द लागू करना चाहिए,” यादव बताते हैं।
उन्नाव जिले के पनहन निवासी हंसराज सिंह (42 वर्ष) के पास 10 बीघा खेती है। “मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना” के बारे में पूछने पर हंसराज कहते हैं कि उन्हें ऐसी किसी योजना की जानकारी नहीं है। “ऐसी कोई योजना है क्या किसानों के लिए? हमें भी बताइए।”
हंसराज कहते हैं कि किसानों की फसल सुरक्षा के लिए इस तरह की योजना बहुत लाभदायक है। खेती में बढ़ती लागत से किसान परेशान हैं। “खाद, बीज, दवाएं और बढ़ती मजदूरी ने हम किसानों की बचत लगभग खत्म कर दी है। ऐसे में आवारा गोवंशो और जंगली जानवरों से खेतों की सुरक्षा ने किसानों के खर्च को काफी बढ़ा दिया है। पहले किसान खेती के साथ-साथ मजदूरी और व्यापार भी कर लेते थे लेकिन आवारा गोवंशो और जंगली जानवरों के आतंक ने रात-दिन खेतों की रखवाली करने पर मजबूर कर दिया है। सरकार को किसानों के खेतों की सुरक्षा के लिए ऐसी योजना लागू करना चाहिए,” उन्होनें बताया।
भले ही हंसराज को राज्य सरकार की इस योजना के बारे में भले ही कोई जानकारी नहीं हो, वह अपने खेत की सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग के बारे में जानते भी हैं और अपने खेत में इसे लगवा भी चुके हैं।
“मुझे मेरे राजस्थान के एक दोस्त से सोलर फेंसिंग मशीन की जानकारी हुई। उसने मुझे बताया कि हमारे यहां खेतों को जंगली जानवरों और आवारा पशुओं से बचाने के लिए किसानों ने सोलर फेंसिंग मशीन लगाई है जो जानवरों के संपर्क में आने पर झटका मारती है,” उन्होंने बताया। हंसराज ने करीब 12,000 रूपए में इस मशीन को मंगवाकर अपने कारीगरों से मशीन को खेत में लगवाया।
हंसराज कहते हैं, “सोलर फेंसिंग मशीन लगने के बाद हम फिर से खेतों में आलू, तिल्ली, उड़द, मूंग, गेहूं और धान पैदा करने लगे हैं।”
लखनऊ से करीब 70 किलोमीटर दूर उन्नाव जनपद के बिछिया ब्लॉक के पड़री निवासी ओम प्रकाश तिवारी (35 वर्ष) पिछले 15 वर्षों से गेहूं,धान, आलू,चना, मटर और फूल की खेती कर रहे हैं। ओम प्रकाश ने मोंगबे-हिंदी से बात करते हुए बताया कि पिछले पांच से छः सालों में जंगली सूअर और आवारा गोवंशो का आतंक बहुत बढ़ गया है। नतीजन, आलू, मक्का, मटर, चना और अरहर जैसी खेती करना बंद करना पड़ा था।
ओम प्रकाश कहते हैं, “हमने पिछले चार-पांच सालों से आलू, चना, मटर की खेती करना छोड़ दिया था। जंगली सुअर इतने खतरनाक होते हैं कि किसी भी आदमी पर हमला कर उसकी जान ले सकते हैं। ज्यादातर सूअर खेतों में रात के समय हमला करते हैं। दिन में यह आसपास के जंगलों में रहते हैं। सूअरों के साथ ही आवारा गोवंशो का आतंक भी कुछ कम नहीं है। सैकड़ों के झुंड में घूमने वाले गोवंश जिस खेत में हमला बोलते हैं उसे खत्म कर देते हैं। इनसे फसल बचाने के लिए किसानों ने कई हजार रुपए खर्च कर कंटीले तार लगाए हैं। लेकिन यह फसलों की सुरक्षा के लिए नाकाफी है।”
राज्य सरकार ने साल 2022 में किसानों को अपने खेतों में कंटीले तारों की जगह सादे तारों या रस्सियों से बाड़बंदी करने की हिदायत दी थी जिससे पशुओं को नुकसान नहीं पहुंचे। सरकार ने ऐसा ना करने की दशा में किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की घोषणा भी की थी।
लेकिन, ओम प्रकाश के लिए सोलर फेंसिंग मशीन लगवाने के बाद फिर से इन फसलों को पैदा करना संभव हुआ है। ओमप्रकाश के पास कुल दस बीघा खेती है जिसमें से आठ बीघा खेती उन्होंने दूसरे किसानों से किराए पर और बटाई ली है। पिछले साल अक्टूबर में फेंसिंग मशीन लगवाने के बाद ओमप्रकाश इस साल गेहूं के साथ चना, मटर और आलू भी तैयार कर रहे हैं। ओमप्रकाश कहते हैं कि यह सब सोलर फेंसिंग की मदद से संभव हो पाया है।
वह बताते हैं कि पहले उन्होंने यह फेंसिंग दो बीघा के खेत में लगाई है जिसमें एक सोलर पैनल और 40 एम्पियर की बैटरी है। इसका खर्च लगभग 12,000 रुपए आया है।
आसान और सुरक्षित तरीका
कंटीले तारों और खेत की बाड़ में सीधे करंट दौड़ाने से सोलर फेंसिंग मशीन एक सुरक्षित और आसान तरीका है। इससे जानवरों को नुकसान पहुंचने की आशंका भी काफी कम हैं।
हंसपाल बताते हैं कि मशीन का ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत आसान है। “अगर आपको खेतों में काम करना है तो बटन बंद कर दीजिए। काम खत्म होने के बाद फिर से चालू कर दीजिए। वैसे इस मशीन से किसी तरह का खतरा नहीं है। यह किसी की जान लेने जैसा करंट नही मारती है। यह सिर्फ हल्का झटका देती हैं। यह झटका इतना जोर का होता है कि कोई भी इसे छूने की हिम्मत नहीं कर सकता।
भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के जीव वैज्ञानिक भुवेश पांडेय ने बताया कि सोलर फेंसिंग से वन्य जीवों को किसी तरह की कोई हानि नहीं हैं। यह सिर्फ झटका देती है। जिससे संपर्क में आने वाले जीव डर जाते हैं। “किसानों के लिए भी यह काफी अच्छी चीज है कि उन्हें भी इसके लिए बिजली से नहीं चलाना है,” उन्होंने बताया।
किसानों को करना पड़ेगा इंतज़ार
जहां सोलर फेंसिंग मशीन के बारे में जानकारी रखने वाले किसानों में इस मशीन को लेकर उमीदें जागी हैं, वहीं उन्हें सरकारी योजना के तहत इसका लाभ लेने में कुछ और समय लग सकता है।
सरकार के अनुसार इस योजना को चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा और पहले चरण में वन क्षेत्र के आसपास के जिलों को शामिल किया जायेगा।
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उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक आर.के. सिंह ने मोंगाबे-हिंदी को बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के खेतों की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना तहत सोलर फेंसिंग मशीन लगाने के लिए 50 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। योजना के तहत किसानों को दो हेक्टेयर तक के लिए खेत के लिए 60 फ़ीसदी छूट पर सोलर फेंसिंग मशीन उपलब्ध करवाई जाएगी। छोटी जोत के किसानों के लिए 10 हेक्टेयर के क्लस्टर में आने वाले किसानों के लिए 80 फीसदी छूट का प्रावधान है।
“योजना को प्रदेश में दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में प्रदेश के 34 जिलों को शामिल किया जाना प्रस्तावित है जिसमें बुंदेलखंड सहित वन क्षेत्र वालें वो ज़िले जिनमें आवारा गोवंशो के साथ-साथ जंगली जानवरों का खतरा भी किसानों को रहता है। ऐसे जिलों में सोलर फेंसिंग से किसानों के खेतों के साथ-साथ मानव और वन्य जीवों की सुरक्षा भी हो सकेगी,” सिंह कहते हैं।
बैनर तस्वीरः उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसान आवारा पशुओं से परेशान हैं। तस्वीर- सुमित यादव