घास का मैदान

बन्नी में खाने योग्य घास खेवई की एक डंडी लेकर दिखाते रसूल भाई (बाएं)। वाडा कोली समुदाय के दीना भाई विलायती बबूल के पेड़ की डाल से निकला गोंद दिखाते हुए। वह इस गोंद को पेड़ से इकट्ठा करते हैं और कच्छ के वन निगम में बेचते हैं। तस्वीर- अजेरा परवीन रहमान/मोंगाबे के लिए।

बन्नी की खाने वाली घासों के खतरा बन रहा है विलायती बबूल का फैलाव

गुजरात के कच्छ में स्थित बन्नी के घास के मैदान के निवासी रसूल भाई वह समय याद करते हैं जब उनके दादा-परदादा किस्से सुनाते थे कि कैसे वे खाने वाले…
बन्नी में खाने योग्य घास खेवई की एक डंडी लेकर दिखाते रसूल भाई (बाएं)। वाडा कोली समुदाय के दीना भाई विलायती बबूल के पेड़ की डाल से निकला गोंद दिखाते हुए। वह इस गोंद को पेड़ से इकट्ठा करते हैं और कच्छ के वन निगम में बेचते हैं। तस्वीर- अजेरा परवीन रहमान/मोंगाबे के लिए।
डेइंग एरिंग मेमोरियल वाइल्डलाइफ सैंक्चरी में नदी के एक टापू के किनारे कटाव रोकने के लिए लगाए गए कॉन्क्रीट के कंटीलेदार स्क्रीन। तस्वीर- ज्योतिर्मय सहारिया।

अरुणाचल प्रदेश की सैंक्चरी में घास के मैदान घटने से स्थानीय पक्षियों पर खतरा

जून की उमस भरी दोपहर में ऊपरी असम के धेमजी जिले के जोनाई शहर के बाहरी इलाकों में बाढ़ का सर्वे करते हुए नामाश पसार ने बढ़ते पानी में कुछ…
डेइंग एरिंग मेमोरियल वाइल्डलाइफ सैंक्चरी में नदी के एक टापू के किनारे कटाव रोकने के लिए लगाए गए कॉन्क्रीट के कंटीलेदार स्क्रीन। तस्वीर- ज्योतिर्मय सहारिया।