पर्यावरण और संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय, मोंगाबे के स्टाफ 16 देशों में मौजूद हैं और 80 देशों में करीब 700 पत्रकार इससे जुड़े हैं। मोंगाबे नौ भाषाओं में प्रकाशित होता है। इंडोनेशिया, भारत, अमेरिका, स्पैनिश बोलने वाले लैटिन-अमेरिका और ब्राजील में मोंगाबे के ब्यूरो सक्रिय हैं।भारत में एक तरफ असाधारण संस्कृति, जैव-विविधता और आश्चर्यचकित करने वाले पारिस्थितिक तंत्र रहा है तो दूसरी तरफ इसे अपनी आस्था, आध्यात्मिक और प्राकृतिक मूल्यों की वजह से बचाने का मजबूत इतिहास भी रहा है। ये सारी विशेषताएं इस देश को मोंगाबे के लिए खास बनाते हैं। मोंगाबे ने 2018 में अंग्रेजी भाषा में भारतीय ब्यूरो की शुरुआत की।रेट ए बटलर मोंगाबे के एडिटर-इन-चीफ और सीईओ हैं। इन्होंने प्रकृति से अपने लगाव और सार्थक हस्तक्षेप के उद्देश्य से 1999 में मोंगाबे की स्थापना की और मैडागास्कर के एक सुंदर द्वीप के नाम पर इसका नाम मोंगाबे रखा। मोंगाबे-हिन्दी को आपके साथ साझा करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इस समाचार वेबसाइट का उद्देश्य भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा, हिन्दी में पर्यावरण और संरक्षण से जुड़ी देश-दुनिया की महत्वपूर्ण खबरों के साथ-साथ ज़मीनी मुद्दों पर रिपोर्टिंग करना है। मोंगाबे-इंडिया के अंग के तौर पर इस समाचार पोर्टल का उद्देश्य हिन्दी भाषी समाज में पर्यावरण और प्राकृतिक संपदा के संरक्षण को लेकर सार्थक बहस को प्रोत्साहित करना है। जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है वैसे-वैसे संरक्षण का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। स्थिति नियंत्रण से बाहर न हो जाए इसके लिए विश्व समुदाय को अपने प्रयासों में तेजी लाने की ज़रूरत है। भारत में दुनिया की करीब 17 फीसदी आबादी रहती है और इसके इस वैश्विक चुनौती से निपटना लगभग असंभव सा है। मध्यप्रदेश में बेतवा नदी किनारे स्थित ओरछा का महल। गिद्ध संरक्षण की दृष्टि से यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। यहां दर्जनों गिद्ध रहते हैं। फोटो– एरियन ज्वेगर्स /फ्लिकर भारत के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी की भूमिका बड़ी है। किसी भी राष्ट्रीय महत्व की बहस में देश की 40 फीसदी आबादी या कहें करीब 60 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हिन्दी-भाषी राज्य विकास के विभिन्न मापदंडों पर अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए प्रयासरत हैं। अपने इस महत्वाकांक्षी यात्रा में यही राज्य तय करेंगे कि देश विकास के पथ पर अग्रसर होने के साथ-साथ पर्यावरण, वन, वन्यजीव और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कैसे करता है। मानव सभ्यता को बचाए रखना है तो इन प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण बहुत जरूरी है। मोंगाबे के लिए भारत का खास महत्व रहा है। इस देश में एक तरफ असाधारण संस्कृति, जैव-विविधता और आश्चर्यचकित करने वाला पारिस्थितिक तंत्र है तो दूसरी तरफ इसे अपनी आस्था, आध्यात्मिक और प्राकृतिक मूल्यों की वजह से बचाने का मजबूत इतिहास भी है। ये सारी विशेषताएं, इस देश को मोंगाबे के लिए खास बनाती हैं। इसके अतिरिक्त मोंगाबे के पाठकों में शुरुआत से ही भारतीय लोगों की अच्छी तादाद रही है। गुजरात के भुज के खेतों में काम करती एक आदिवासी महिला। फोटो- मीना कादरी/फ्लिकर भारत के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी की भूमिका बड़ी है। किसी भी राष्ट्रीय महत्व की बहस में देश की 40 फीसदी आबादी या कहें करीब 60 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हिन्दी-भाषी राज्य विकास के विभिन्न मापदंडों पर अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए प्रयासरत हैं। अपने इस महत्वाकांक्षी यात्रा में यही राज्य तय करेंगे कि देश विकास के पथ पर अग्रसर होने के साथ-साथ पर्यावरण, वन, वन्यजीव और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कैसे करता है। मानव सभ्यता को बचाए रखना है तो इन प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण बहुत जरूरी है। गुरुग्राम साइबर सिटी में शहरी विकास की एक झलक। बेतहासा शहरीकरण से भारत के प्रमुख शहरों के लोग वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। फोटो- निनारा/फ्लिकर मोंगाबे के लिए भारत का खास महत्व रहा है। इस देश में एक तरफ असाधारण संस्कृति, जैव-विविधता और आश्चर्यचकित करने वाला पारिस्थितिक तंत्र है तो दूसरी तरफ इसे अपनी आस्था, आध्यात्मिक और प्राकृतिक मूल्यों की वजह से बचाने का मजबूत इतिहास भी है। ये सारी विशेषताएं, इस देश को मोंगाबे के लिए खास बनाती हैं। इसके अतिरिक्त मोंगाबे के पाठकों में शुरुआत से ही भारतीय लोगों की अच्छी तादाद रही है। मोंगाबे की शुरुआत करीब 25 साल पहले घटी एक घटना ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी। उस एक अनुभव ने मुझे मोंगाबे स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। आज हर महीने करीब 80 लाख लोग मोंगाबे पर प्रकाशित सामग्री पढ़ते हैं और इस तरह यह पर्यावरण और संरक्षण पर पढ़ा जाने वाला विश्व के कुछ चुनिंदा समाचार वेबसाइट में शुमार हो चुका है।