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जम्मू के तवी रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट से हो सकता है नदी को नुकसान, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

इस रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के जरिए जम्मू-कश्मीर में तवी नदी को रोजगार के खास मौके पैदा करने वाली बनाया जाएगा। तस्वीर- पॉल ला पोर्टे/विकीमीडिया कॉम्नस।

इस रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के जरिए जम्मू-कश्मीर में तवी नदी को रोजगार के खास मौके पैदा करने वाली बनाया जाएगा। तस्वीर- पॉल ला पोर्टे/विकीमीडिया कॉम्नस।

  • जम्मू-कश्मीर में तवी नदी के किनारे रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट गुजरात के उस साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर बनाया जा रहा है जो 2006 से अब तक कम से कम चार बार डूब चुका है।
  • सरकारी अधिकारियों का कहना है कि तवी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का लक्ष्य है कि जम्मू में भूजल स्रोतों को फिर से जिंदा किया जाए और पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए।
  • हालांकि, युवाओं का एक समूह इस प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। इस समूह का दावा है कि इसके जरिए सिर्फ व्यायसायीकरण और कंक्रीटीकरण किया जा रहा है और इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होगा। पर्यावरणविद भी इस प्रोजेक्ट के दौरान और उसके बाद के नदी के पारस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदमों पर सवाल उठा रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से बनाए जा रहे तवी रिवरफ्रंट को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी चिंता जताई है कि इससे पर्यावरण को खतरा है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बुरे होते जा रहे हैं।

रुपये 530 करोड़ के खर्च से बनाए जा रहे इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भूजल से स्रोतों को जिंदा करना है। इसके लिए कृत्रिम झीलें बनाई जा रही हैं और उनके साथ ही कई तरह की अन्य सुविधाएं भी तैयार की जा रही हैं ताकि पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सके। पिछले साल जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। इससे पहले यह प्रोजेक्ट पिछले 13 सालों से टलता आ रहा था। मार्च 2023 में निरीक्षण के लिए किए गए एक दौरे पर मनोज सिन्हा ने कहा कि यह जीवंत रिवरफ्रंट शहरी आधारभूत ढांचे को सतत बनाएगा, अलग तरह के कारोबार के मौके बनेंगे और आम लोगों के जीवन में सुधार आएगा।

यह प्रोजेक्ट गुजरात के साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर बनाया जा रहा है। आपको बता दें कि निर्माण के बाद से साबरमती रिवरफ्रंट कुल चार बार साल 2006, 2011, 2015 और 2017 में डूब चुका है।

जम्मू शहर से होकर बहने वाली तवी नदी चेनाब नदी की बड़ी सहायक नदी है जो उसके बाएं किनारे पर जाकर मिलती है। यह नदी इस पुराने शहर को पीने का पानी उपलब्ध कराने का सबसे अहम जरिया है और हिंदू धर्म में इसे पवित्र नदी भी माना जाता है। हालांकि, दूषित सीवेज के नदी में गिरने से शहर में ही इसका पानी गंदा हो रहा है। पिछले कुछ सालों में नदी का जलस्तर भी घटता जा रहा है। 

तवी नदी का तट। तस्वीर- Bluesir9/विकिमीडिया कॉमन्स।
तवी नदी का तट। तस्वीर- Bluesir9/विकिमीडिया कॉमन्स।

जम्मू स्मार्ट सिटी लिमिटेड (JSCL) की पूर्व सीईओ अवनी लवासा कहती हैं कि तवी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत इसकी प्राकृतिक शुद्धता क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा और इससे तवी नदी का सौंदर्य काफी हद तक बढ़ जाएगा। साथ ही, इससे शहरी मूलभूत ढांचे में सुधार होगा और पर्यावरण में भी सुधार हो सकेगा। जनवरी में आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, JSCL भी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में सहयोगी है। अवनी लवासा फिलहास जम्मू की डिप्टी कमिश्नर हैं।

डेवलपमेंट प्लान के खिलाफ हैं पर्यावरण कार्यकर्ता

युवाओं का एक ग्रुप फ्रेंड्स ऑफ रिवर तवी (FORT) सरकार के इस तवी रिवरफ्रंट डेवलपेंट प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है और इस प्रोजेक्ट के संभावित हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक कर रहा है। इसी FORT के सदस्य अनमोल ओहोरी ने मोंगाबे इंडिया को बताया कि कागजों पर तो यह प्रोजेक्ट शहर को सुंदर बनाने और पर्यटन को बढ़ाने का लक्ष्य रखता है लेकिन असल में इसका मुख्य ध्यान सिर्फ कंक्रीटीकरण और व्यावसायीकरण पर है। उन्होंने आगे कहा कि जैसे-जैसे जलवायु संकट बढ़ता जाएगा, यह प्रोजेक्ट पर्यावरण के लिए विध्वंसकारी साबित होता जाएगा और सबसे बड़े हिमालयन राज्य होने के नाते इसका सबसे बड़ा नुकसान जम्मू-कश्मीर को होगा।

अनमोल ओहोरी ने आगे कहा कि उनकी जलवायु विशेषज्ञों की टीम ने इस प्रोजेक्ट को लेकर कई चिंताएं जताई हैं। इस टीम का दावा है कि इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए नदी के तल के बड़े हिस्से का इस्तेमाल किया जा रहा है और इसकी शुरुआत ही नदी के अंदर नदी के किनारे से हो रही है जो कि दोनों किनारों से लगभग 200 फीट ही है। इससे शहर के अंदर नदी की चौड़ाई घट जाएगी और नतीजा यह होगा कि नदी में पानी का बहाव और दबाव तेज होगा और फलस्वरूप बाढ़ की आशंकाएं बढ़ जाएंगी।

फ्रेंड्स ऑफ रिवर तावी (FORT) सरकार के इस तवी रिवरफ्रंट डेवलपेंट प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है और इस प्रोजेक्ट के संभावित हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक कर रहा है। तस्वीर- विशेष प्रबंध
फ्रेंड्स ऑफ रिवर तावी (FORT) सरकार के इस तवी रिवरफ्रंट डेवलपेंट प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है और इस प्रोजेक्ट के संभावित हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक कर रहा है। तस्वीर- विशेष प्रबंध

5 जून को युवाओं के इस समूह ने प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है। सरकारी अधिकारियों को सौंपे गए ज्ञापन में युवाओं ने कहा है कि मौजूदा समय में नदी की धारा को अस्थायी रूप से बदला गया है ताकि निर्माण कार्य सुचारु रूप से किया जा सके और इस काम में नदी के अंदर और आसपास के प्राकृतिक हैबिटैट का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा गया है। इसी ज्ञापन में पूछा गया है, ‘नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित रखने के लिए निर्माण के दौरान और उसके बाद में कौन से कदम उठाए जा रहे हैं या उठाए जाएंगे?’

जम्मू में रहने वाले पर्यावरणविद रूपक चंद ने मोंगाबे इंडिया को बताया कि जनता के पैसे को इस प्रोजेक्ट पर बर्बाद किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा, “अगर सरकार तवी नदी को सुंदर बनाना चाहती है तो उन्हें नदी के ऊपरी हिस्से में रीस्टोरेशन की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। ये लोग यहां पर प्रकृति के बजाय व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं।’

हाल में आई बाढ़

तवी नदी ने साल 2013 में आसपास के इलाकों में बाढ़ ला दी थी। नदी का बहाव इस कदर आगे बढ़ गया था कि नदी पर बना एक पुल गिर गया था। शहर के निचले इलाकों को बहुत भारी नुकसान हुआ था। साल 2020 में भारी बारिश के दौरान जम्मू में एक और पुल का हिस्सा गिर गया था जिसके चलते एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

जम्मू में रहने वाले एक और पर्यावरणविद भूषण परिमू कहते हैं, ‘नदी के बहाव को नियंत्रित करने से पहले से ही लुप्त होता जा रहा नदी का जलीय जीवन और भी बुरी तरह प्रभावित होगा। साल 1947 से पहले इस नदी में जलीय जंतुओं की 60 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती थीं और अब यह संख्या 4 से 5 प्रजातियों तक आ गई हैं क्योंकि नदी की पारिस्थितिकी के स्तर को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।’

अनमोल ओहोरी आगे कहते हैं कि हिमालयन परिदृश्य की पहाड़ी संरचना को देखते हुए ऐसी आशंकाएं भी हैं कि यहां बादल फटने की घटनाएं भी हो सकती हैं। उनके मुताबिक, तवी रीवर फ्रंट प्रोजेक्ट के तहत एजेंसियों ने नदी की धारा को कम कर दिया है जिससे कि बाढ़ के समय जम्मू की जनता बुरी तरह प्रभावित होगी। वह आगे कहते हैं, ‘अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है। हालांकि, हमारा मानना है कि अगर यह प्रोजेक्ट आगे बढ़ता है जम्मू के शहरी इलाकों में लोगों की जानें भी जा सकती हैं।’

सिकुड़ती जा रही नदी। तस्वीर- विशेष प्रबंध
सिकुड़ती जा रही नदी। तस्वीर- विशेष प्रबंध

वह सवाल उठाते हैं, ‘इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य नदी को चैनलाइज करके बाढ़ को कम करना है। इसके लिए नदी की चौड़ाई को लगभग 420 फीट कम किया जा रहा है। क्या इससे भारी बारिश के दौरान आने वाली बाढ़ से लोगों को गंभीर खतरा नहीं होगा?’

स्थानीय नागरिकों की भी चिंता है कि इस प्रोजेक्ट से नदी से लगे कई वेटलैंड जैसे कि घाराना वेटलैंड पर भी असर पड़ेगा। इसका कारण है कि इस वेटलैंड का पानी कृत्रिम तरीके नियंत्रित किया जा है और उससे प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास भी प्रभावित हो सकते हैं। पिछले साल जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने 17 नंवबर 2016 के उस आदेश को संशोधित किया जिसने तवी नदी में निजी तौर पर लोगों के खनन पर पूर्ण रूप से बैन लगा दिया था। संशोधित आदेश में कहा गया कि सरकार के संबंधित प्राधिकरणों को इस बात की आजादी है कि वे तवी नदी से निकले छोटे मिनरल्स को ले सकें, बशर्ते कि वे 2016 के नियमों और कमेटी के सुझावों का पालन करें। बता दें कि इस नदी में इस्तेमाल हो रही सामग्री नदी के तल से ही निकाली जा रही है।


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बैनर तस्वीर: इस रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के जरिए जम्मू-कश्मीर में तवी नदी को रोजगार के खास मौके पैदा करने वाली बनाया जाएगा। तस्वीरपॉल ला पोर्टे/विकीमीडिया कॉमन्स

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