Articles by Saurabh Katkurwar

भारत में अब अतिरिक्त 1,000-1,200 बाघों को ही रखा जा सकता है, न कि 10,000 बाघों को, जो एक सदी पहले हुआ करते थे। संख्या में बढ़ोतरी के बदले बाघों की आबादी में टिकाऊपन जरूरी है। तस्वीर- कंदुकुरु नागार्जुन/फ़्लिकर 

बाघों की बढ़ती आबादी को संभालने में कितने सक्षम हैं भारत के जंगल

पांच दशक पहले की बात है, देश में बाघों की पहली गिनती के नतीजों ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। बाघों की आबादी घटकर 1,827 पर…
भारत में अब अतिरिक्त 1,000-1,200 बाघों को ही रखा जा सकता है, न कि 10,000 बाघों को, जो एक सदी पहले हुआ करते थे। संख्या में बढ़ोतरी के बदले बाघों की आबादी में टिकाऊपन जरूरी है। तस्वीर- कंदुकुरु नागार्जुन/फ़्लिकर 
बैनर तस्वीर: गढ़चिरौली के जंगलों में रात में हाथियों की आवाजाही को कैप्चर करते हुए एक ड्रोन शॉट। तस्वीर- आरईएसक्यू सीटी / महाराष्ट्र वन विभाग

[वीडियो] वन्यजीवों की ड्रोन से निगरानी से कैसे कम होगा इंसान और जंगली जीवों के बीच संघर्ष

पूर्वी महाराष्ट्र में स्थित गढ़चिरौली जिले में जंगल के आसपास बसे गांवों में इन दिनों कौतूहल है। यहां के लोगों की नजर जब भी आसमान की ओर जाती है उन्हें…
बैनर तस्वीर: गढ़चिरौली के जंगलों में रात में हाथियों की आवाजाही को कैप्चर करते हुए एक ड्रोन शॉट। तस्वीर- आरईएसक्यू सीटी / महाराष्ट्र वन विभाग
आदिवासी जंगल में जाते हुए। गढ़चिरौली के क्षेत्र में इन दिनों नए तरीके से शहद निकाला जा रहा है जो न केवल टिकाऊ है बल्कि रोजगार देने वाला भी है। तस्वीर तस्वीर- सौरभ कटकुरुवार

महाराष्ट्र के आदिवासी जिलों में शहद निकालने का आया एक नया टिकाऊ तरीका

पूर्वोत्तर महाराष्ट्र में स्थित गढ़चिरौली जिले के आदिवासी परिवार शहद निकालने का एक ऐसा तरीका अपना रहे हैं जिसमें मधुमक्खियों को नुकसान नहीं होता। यहां के आदिवासी परिवार आसपास के…
आदिवासी जंगल में जाते हुए। गढ़चिरौली के क्षेत्र में इन दिनों नए तरीके से शहद निकाला जा रहा है जो न केवल टिकाऊ है बल्कि रोजगार देने वाला भी है। तस्वीर तस्वीर- सौरभ कटकुरुवार
खेत पर कटाई करते मजदूर। इलाके में बाघ की इतनी दहशत है कि किसानों को कम काम के लिए भी अधिक मात्रा में मजदूर रखने की जरूरत होती है, ताकि बाघ के हमले से बचा जा सके। तस्वीर- सौरभ कटकुरवार

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 30 साल बाद फिर दिखने लगे बाघ, इंसानों के साथ संघर्ष शुरू

हाल के वर्षों तक महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में स्थानीय लोग बेफिक्र होकर जंगल में चले जाया करते थे। जलावन की लकड़ी हो, फल-फूल इकट्ठा करना हो या अपने खेतों में…
खेत पर कटाई करते मजदूर। इलाके में बाघ की इतनी दहशत है कि किसानों को कम काम के लिए भी अधिक मात्रा में मजदूर रखने की जरूरत होती है, ताकि बाघ के हमले से बचा जा सके। तस्वीर- सौरभ कटकुरवार

महाराष्ट्र के एक विद्युत संयंत्र में इंसानों के साथ रहने लगे हैं बाघ, क्या होगा भविष्य

चंद्रपुर, महाराष्ट्र। बाघ का नाम आते ही घने जंगल याद आते हैं। ऐसे जंगल जहां बाघ निश्चिंत भाव से विचरण कर रहे हैं और उन्हें इंसानी गतिविधियों की कोई फिक्र…