आईपीसीसी

लाओस में साल 2019 में आई बाढ़। ग्लोबल साउथ में कुछ जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि कम आय वाले देशों को ज्यादा स्थानीय जलवायु अनुमान लाने होंगे ताकि वे बेहतर नीतियां विकसित कर सकें। तस्वीर- बेसिल मोरिन/विकिमीडिया कॉमन्स

आईपीसीसी रिपोर्ट के बजाए भारत को अपने जलवायु अनुमान की जरूरत, क्षेत्रीय क्लाइमेट मॉडल बेहतर

ग्लोबल नॉर्थ की तुलना में ग्लोबल साउथ खासकर दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील है। साथ ही, यह क्षेत्र ज्यादा समृद्ध और विकसित देशों की तुलना में ग्लोबल…
लाओस में साल 2019 में आई बाढ़। ग्लोबल साउथ में कुछ जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि कम आय वाले देशों को ज्यादा स्थानीय जलवायु अनुमान लाने होंगे ताकि वे बेहतर नीतियां विकसित कर सकें। तस्वीर- बेसिल मोरिन/विकिमीडिया कॉमन्स
भारत के राज्य तेलंगाना में बना सौर ऊर्जा का प्लांट। फोटो- थॉमस लॉयड ग्रुप/विकिमीडिया कॉमन्स

आईपीसीसी की नई रिपोर्ट ने कहा, ग्लोबल वार्मिंग रोकना लगभग असंभव, आशा की किरण भी दिखाई

जलवायु परिवर्तन के बढ़ते सबूतों की ओर इशारा करते हुए, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक ग्रीनहाउस उत्सर्जन 2025 तक तक…
भारत के राज्य तेलंगाना में बना सौर ऊर्जा का प्लांट। फोटो- थॉमस लॉयड ग्रुप/विकिमीडिया कॉमन्स
प्रयागराज स्थित संगम का एक दृष्य। आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में गर्मी की वजह से मौसम की चरम घटनाओं में वृद्धि होगी। इससे स्थलीय, मीठे पानी, तटीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के जैव विविधता का नुकसान होगा। तस्वीर- प्रियम/विकिमीडिया कॉमन्स

जलवायु परिवर्तन का असर जैवविविधता से लेकर समाज तक, नई आईपीसीसी रिपोर्ट में आया सामने

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज या आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट बता रही है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से लोगों के स्वास्थ्य के साथ पृथ्वी की सेहत भी खराब हो…
प्रयागराज स्थित संगम का एक दृष्य। आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में गर्मी की वजह से मौसम की चरम घटनाओं में वृद्धि होगी। इससे स्थलीय, मीठे पानी, तटीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के जैव विविधता का नुकसान होगा। तस्वीर- प्रियम/विकिमीडिया कॉमन्स
आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट ने सुझाया, समय रहते क्लाइमेट एक्शन जरूरी

आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट ने सुझाया, समय रहते क्लाइमेट एक्शन जरूरी

अगर त्वरित और बड़े पैमाने पर ग्रीनहाउस गैस कम करने की कोशिश नहीं हुई तो पृथ्वी के बढ़ते तापमान को 1.5 या 2 डिग्री सेल्सियस तक रोकना मुमकिन नहीं होगा।…
आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट ने सुझाया, समय रहते क्लाइमेट एक्शन जरूरी