Articles by Anusha Krishnan

अध्ययन के मुताबिक, जंगली भारतीय स्टार कछुओं के भौगोलिक वितरण में एक निश्चित पैटर्न है और दोनों आबादियों में मध्यम से उच्च आनुवंशिक विविधता है। तस्वीर -आदित्यमाधव83/विकिमीडिया कॉमन्स

जेनेटिक इंटेलिजेंस से चुना जा सकता है तस्करी से बचाए गए स्टार कछुओं का सही घर

भारतीय स्टार कछुओं को घरों में पालने और उनके अंगों के इस्तेमाल के चलते बड़े पैमाने पर उनकी अवैध तस्करी की जाती रही है। ये कछुए भारतीय उपमहाद्वीप में पाए…
अध्ययन के मुताबिक, जंगली भारतीय स्टार कछुओं के भौगोलिक वितरण में एक निश्चित पैटर्न है और दोनों आबादियों में मध्यम से उच्च आनुवंशिक विविधता है। तस्वीर -आदित्यमाधव83/विकिमीडिया कॉमन्स
कार्बन उत्सर्जन की कीमत इसलिए है क्योंकि कार्बन आधारित गैसें, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड है, उत्सर्जन में सबसे प्रचुर मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें हैं। तस्वीर-  मार्सिनजोज़्विआक/पिक्साबे

कार्बन मूल्य-निर्धारण क्या है?

उन्नीस सौ बीस के दशक में एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री आर्थर पिगौ ने उद्योगों को उनके द्वारा किए गए प्रदूषण की लागत के लिए भुगतान करने के सामाजिक लाभों पर प्रकाश…
कार्बन उत्सर्जन की कीमत इसलिए है क्योंकि कार्बन आधारित गैसें, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड है, उत्सर्जन में सबसे प्रचुर मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें हैं। तस्वीर-  मार्सिनजोज़्विआक/पिक्साबे
पेड़ों के भीतर छिपता हुआ हाथी। भारत की राष्ट्रीय जैव-विविधता कार्य योजना को लागू करने के लिए 12 अरब डॉलर वार्षिक का अनुमान लगाया गया है। तस्वीर- एस गोपीकृष्ण वारियर/मोंगाबे

जैव-विविधता वित्त और इसकी अहमियत

जैव-विविधता के संरक्षण के लिए पूंजी जुटाना और उसका प्रबंधन करना जैव विविधता वित्त या बायो डायवर्सिटी फाइनेंस है। यह संरक्षण वित्त के जैसे व्यापक विषय के तहत आता है,…
पेड़ों के भीतर छिपता हुआ हाथी। भारत की राष्ट्रीय जैव-विविधता कार्य योजना को लागू करने के लिए 12 अरब डॉलर वार्षिक का अनुमान लगाया गया है। तस्वीर- एस गोपीकृष्ण वारियर/मोंगाबे
भारत में रणथंभौर के शुष्क पर्णपाती वन। 2001 से 2010 के बीच वनों ने वैश्विक CO2 उत्सर्जन का लगभग 20-30% अवशोषित कर लिया है। 2001 और 2019 के बीच वनों ने प्रति वर्ष लगभग 7.6 गीगाटन CO2 को अवशोषित किया। तस्वीर- पाहुल महाजन/विकिमीडिया कॉमन्स।

कार्बन सिंक क्या हैं?

कार्बन सिंक ऐसे स्थान या उत्पाद हैं जो कार्बन को ऑर्गेनिक या इनऑर्गेनिक यौगिकों के रूप में अलग-अलग समय के लिए संग्रहित करते हैं। प्राकृतिक या कृत्रिम प्रक्रियाओं के माध्यम…
भारत में रणथंभौर के शुष्क पर्णपाती वन। 2001 से 2010 के बीच वनों ने वैश्विक CO2 उत्सर्जन का लगभग 20-30% अवशोषित कर लिया है। 2001 और 2019 के बीच वनों ने प्रति वर्ष लगभग 7.6 गीगाटन CO2 को अवशोषित किया। तस्वीर- पाहुल महाजन/विकिमीडिया कॉमन्स।
गुवाहाटी में एक राफ्ट पर स्थित दुकान। असम में देश के कुल बाढ़ संभावित क्षेत्र का 9.40 प्रतिशत हिस्सा है। तस्वीर- नबरुन गुहा

बाढ़ क्यों आती है?

अभी सोशल मीडिया पर बेंगलुरु में आई बाढ़ की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। बताया जा रहा है कि इस अचानक आई बाढ़ से शहर का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया…
गुवाहाटी में एक राफ्ट पर स्थित दुकान। असम में देश के कुल बाढ़ संभावित क्षेत्र का 9.40 प्रतिशत हिस्सा है। तस्वीर- नबरुन गुहा
2019 के दौरान बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में आग।

जंगल में लगने वाली आग के नुकसान और फायदे

जंगल की आग यानि  फॉरेस्ट फायर्स को अनियंत्रित आग माना जाता है। इससे अक्सर जंगलों, घास के मैदानों, ब्रशलैंड और टुंड्रा प्रदेश के पेड़-पौधों की व्यापक तबाही के रूप में…
2019 के दौरान बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में आग।
लाल कान वाला स्लाइडर कछुआ। अक्सर जब लोग पालतू जानवरों के रूप में इन विदेशी जानवरों की देखभाल करने में असमर्थ होते हैं, तो वे उन्हें देखभाल केंद्रों या अभयारण्यों में छोड़ देते हैं। आमतौर पर बाहरी जीवों को कैद करने की निंदा की जाती है। तस्वीर- नोबो ज़िअस/ पिक्साबे।

क्या कारण है कि भारत वन्यजीवों की तस्करी का एक प्रमुख अड्डा है?

वन्यजीवों की तस्करी से तात्पर्य जीवित या मृत जंगली जानवरों और पौधों के अवैध व्यापार से है। इससे दुनिया के पर्यावरण, जैव विविधता, अर्थव्यवस्था, शासन और स्वास्थ्य पर भारी नकारात्मक…
लाल कान वाला स्लाइडर कछुआ। अक्सर जब लोग पालतू जानवरों के रूप में इन विदेशी जानवरों की देखभाल करने में असमर्थ होते हैं, तो वे उन्हें देखभाल केंद्रों या अभयारण्यों में छोड़ देते हैं। आमतौर पर बाहरी जीवों को कैद करने की निंदा की जाती है। तस्वीर- नोबो ज़िअस/ पिक्साबे।
राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड में विचरण करता एक हाथी। तस्वीर- Achat1999/विकिमीडिया कॉमन्स

उत्तराखंड में हाथियों की लीद में मिला प्लास्टिक, कांच और अन्य कचरा

द जर्नल फॉर नेचर कंजर्वेशन में पिछले महीने छपे एक अध्ययन में उत्तराखंड के जंगलों में हाथी के लीद में प्लास्टिक और अन्य मानव निर्मित सामग्री के मौजूद होने का…
राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड में विचरण करता एक हाथी। तस्वीर- Achat1999/विकिमीडिया कॉमन्स
उदयपुर में मॉनसून की बारिश। हवा में धूल से भी बारिश का पैटर्न बदलता है। तस्वीर- मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स

वैश्विक और स्थानीय घटनाओं से कैसे प्रभावित होता है भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून?

आमिर खान की फिल्म लगान में एक बहुत मशहूर दृश्य है जिसमें सूखे से परेशान लोग बादल की राह देख रहे हैं। उस सूखाग्रस्त इलाके में काले बादल आते हैं…
उदयपुर में मॉनसून की बारिश। हवा में धूल से भी बारिश का पैटर्न बदलता है। तस्वीर- मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स
शहरों की कई विशेषताओं के कारण ऐसे क्षेत्र बनते हैं जहां अधिक गर्मी होती है। सबसे पहले तो शहरों में पेड़-पौधों के कम होने के कारण ज्यादा वाष्पीकरणऔर ज्यादा वाष्पोत्सर्जन होता है। इन दोनों प्रक्रियाओं के कारण गर्मी ज्यादा होती है। तस्वीर- मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स

शहर में अधिक गर्मी क्यों पड़ रही और शहर हीट आईलैंड क्यों बन जाते हैं?

आजकल गर्मी अपने चरम पर है और इसके तरह-तरह के रूप देखने को मिल रहे हैं। जैसे शहरों में गावों से अधिक गर्मी होना। इसी को अर्बन हीट आईलैंड कहते…
शहरों की कई विशेषताओं के कारण ऐसे क्षेत्र बनते हैं जहां अधिक गर्मी होती है। सबसे पहले तो शहरों में पेड़-पौधों के कम होने के कारण ज्यादा वाष्पीकरणऔर ज्यादा वाष्पोत्सर्जन होता है। इन दोनों प्रक्रियाओं के कारण गर्मी ज्यादा होती है। तस्वीर- मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स
नंदनकानन बायोलॉजिकल पार्क, भुवनेश्वर, भारत में एक कैप्टिव ब्लैक (स्यूडोमेलैनिस्टिक) बाघ और अपने भाई के साथ। तस्वीर- राजेश कुमार महापात्रा/नंदनकानन बायोलॉजिकल पार्क

[वीडियो] आनुवंशिक तौर पर अलग हो सकते हैं एक से दिखने वाले बाघ, संरक्षण के लिए जरूरी है यह जानकारी

कभी बाघ की बादशाहत पश्चिम में तुर्की से पूरब में अमुर नदी घाटी तक और दक्षिण पूर्व एशिया में बाली से लेकर इंडोनेशिया तक हुआ करती थी। विस्फोटक रूप से…
नंदनकानन बायोलॉजिकल पार्क, भुवनेश्वर, भारत में एक कैप्टिव ब्लैक (स्यूडोमेलैनिस्टिक) बाघ और अपने भाई के साथ। तस्वीर- राजेश कुमार महापात्रा/नंदनकानन बायोलॉजिकल पार्क
प्लास्टिक कचरों के बीच प्लास्टिक बॉटल की तलाश में एक कचरा बीनने वाला। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली/मोंगाबे

अर्थव्यवस्था पर भारी प्लास्टिक कचरे का गणित

वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में कचरा भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। 2012 में दुनिया में प्रति वर्ष 1.3 अरब टन नगरीय ठोस कचरा पैदा हुआ था। फिर 2018 में…
प्लास्टिक कचरों के बीच प्लास्टिक बॉटल की तलाश में एक कचरा बीनने वाला। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली/मोंगाबे
अधिकतर विकसित देश अपना प्लास्टिक कचरा रिसाइकलिंग के लिए बांग्लादेश भेजते हैं। यहां अधिकतर कचरा खुले में या फिर नदियों में जा मिलता है। तस्वीर- मारूफ रहमान/पिक्साबे

प्‍लास्टिक की जीवन यात्रा: जन्‍म से नायक, लावारिस मौत, दैत्‍य के रूप में पुनर्जन्‍म

प्‍लास्टिक हमारे जीवन में किसी बॉलीवुड फिल्म के नायक की तरह आता है। सर्वगुण संपन्न। अनेक जरूरतों के लिए सबसे उपयुक्त, कम लागत में तैयार हो जाने वाला समाधान। इससे…
अधिकतर विकसित देश अपना प्लास्टिक कचरा रिसाइकलिंग के लिए बांग्लादेश भेजते हैं। यहां अधिकतर कचरा खुले में या फिर नदियों में जा मिलता है। तस्वीर- मारूफ रहमान/पिक्साबे

नदियां कैसे बन गई प्लास्टिक कचरे की हाइवे, हरिद्वार, आगरा और प्रयागराज में हुआ सर्वे

गंगा नदी में प्लास्टिक कचरे के स्रोत को समझने के लिए हाल ही में उत्तर भारत के तीन शहरों में एक सर्वे किया गया। इससे सामने आया कि 10 से…
दीमकों द्वारा बनाये गए अधिकतर टीले इतने मजबूत होते हैं कि सिर्फ ड्रिल करने या हथौड़े से ही तोड़े जा सकते हैं फोटो निखिल मोरे

दीमक होते हैं गजब के कारीगर, बनाते हैं हजारों साल तक खड़े रहने वाला टीला

कीटों की दुनिया में अगर वास्तुकारों या आर्किटेक्ट की बात की जाए तो दीमक निसन्देह इसके बादशाह माने जाएंगे।  मिट्टी, पानी और अपने लार को मिलाकर दीमक जैसा टीला तैयार…
दीमकों द्वारा बनाये गए अधिकतर टीले इतने मजबूत होते हैं कि सिर्फ ड्रिल करने या हथौड़े से ही तोड़े जा सकते हैं फोटो निखिल मोरे