Articles by Shailesh Shrivastava

कारगिल में दिखाई दिया यूरेशियन लिंक्स, बेहतर संरक्षण उपायों की जरूरत

मध्य एशियाई लिंक्स का पहला फोटोग्राफिक प्रमाण लद्दाख के कारगिल जिले में दर्ज किया गया है। मध्यम आकार की यह जंगली बिल्ली अब तक केवल केंद्र शासित प्रदेश के लेह…
सी बकथ्रॉन झाड़ी में एक लिंक्स। चंबा ने आठ अलग-अलग मौकों पर यूरेशियन लिंक्स को देखा और कई तस्वीरें खींचीं। तस्वीर- स्टैनज़िन चंबा

भारत में पाई जाने वाली दो जंगली बिल्लियाँ को मिला अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण का दर्जा

भारत में पाई जाने वाली दो जंगली बिल्लियाँ - पलासेस कैट और मध्य एशियाई लिंक्स - को इस साल हुए 14वें  प्रवासी प्रजातियों (सीएमएस) के संरक्षण पर कन्वेंशन में जंगली…
सी बकथ्रॉन झाड़ी में एक लिंक्स। चंबा ने आठ अलग-अलग मौकों पर यूरेशियन लिंक्स को देखा और कई तस्वीरें खींचीं। तस्वीर- स्टैनज़िन चंबा
भारत में पलास कैट की स्थिति के बारे में अभी तक कोई बहुत गहन शोध नहीं हुआ है। लेकिन यह भारत के पार-हिमालयी या ट्रांस-हिमालयी राज्यों जैसे लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और सिक्किम में पाई जाती है और अभी तक जो रिकार्ड्स मिले हैं वहीँ से मिले हैं। प्रतीकात्मक तस्वीर- निकोलस फिशर/विकिमीडिया कॉमन्स

[इंटरव्यू] हिमालयी क्षेत्रों में दिख रही पलासेस कैट के संरक्षण में क्या हैं चुनौतियां

पलासेस कैट या मनुल भारत में पाई जाने वाली जंगली बिल्लियों की प्रजातियों में से एक है। भारत के हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली यह प्रजाति बहुत ही शर्मीली…
भारत में पलास कैट की स्थिति के बारे में अभी तक कोई बहुत गहन शोध नहीं हुआ है। लेकिन यह भारत के पार-हिमालयी या ट्रांस-हिमालयी राज्यों जैसे लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और सिक्किम में पाई जाती है और अभी तक जो रिकार्ड्स मिले हैं वहीँ से मिले हैं। प्रतीकात्मक तस्वीर- निकोलस फिशर/विकिमीडिया कॉमन्स
गावों में खुले में चूल्हा  जिसमें आमतौर पर जलावन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे बहुत ज्यादा धुआं निकलता है जिसमें बहुत ज्यादा बारीक कण (पीएम2.5) और ब्लैक कार्बन जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं। तस्वीर - தகவலுழவன்/विकिमीडिया कॉमन्स। 

ब्लैक कार्बन: हवा को प्रदूषित करने के साथ ही वातावरण को कर रहा गर्म, पर नीति से गायब

वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की बढ़ती मात्रा के चलते भारत और चीन जैसे एशियाई देशों में बहुत ज्यादा बारिश हो रही है। ब्लैक कार्बन उत्सर्जन भी बारिश के पैटर्न पर…
गावों में खुले में चूल्हा  जिसमें आमतौर पर जलावन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे बहुत ज्यादा धुआं निकलता है जिसमें बहुत ज्यादा बारीक कण (पीएम2.5) और ब्लैक कार्बन जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं। तस्वीर - தகவலுழவன்/विकिमीडिया कॉमन्स। 
लद्दाख के हेमिस नेशनल पार्क में यूरेशियन लिन्क्स की एक कैमरा ट्रैप तस्वीर। तस्वीर- वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विभाग, लद्दाख।

संरक्षण के लिए यूरेशियन लिन्क्स पर ज्यादा रिसर्च की जरूरत

इस साल फरवरी में लद्दाख में कुत्तों से घिरी जंगली बिल्ली का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। कई समाचार संगठनों ने इस क्लिप को अपने…
लद्दाख के हेमिस नेशनल पार्क में यूरेशियन लिन्क्स की एक कैमरा ट्रैप तस्वीर। तस्वीर- वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विभाग, लद्दाख।
लेह में साल 2022 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच 244.53 टन कचरा उत्पन्न हुआ वहीं इस दौरान कारगिल में 36 टन कचरा उत्पन्न हुआ। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

कठिन मौसम और बढ़ते पर्यटन के बीच बढ़ती लद्दाख की कचरे की समस्या

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख पिछले कुछ सालों में एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। हर साल गर्मी के मौसम में यहां सैलानियों की भीड़ लगी होती है।…
लेह में साल 2022 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच 244.53 टन कचरा उत्पन्न हुआ वहीं इस दौरान कारगिल में 36 टन कचरा उत्पन्न हुआ। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
लद्दाख के नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अभियान के तहत सोनम वांगचुक ने जून 2023 में क्लाइमेट फास्ट (जलवायु उपवास) रखा। तस्वीर- सोनम वांगचुक/ट्विटर

[साक्षात्कार] छठवीं अनुसूची में संरक्षण मिलने से कैसे बचेगी नाजुक लद्दाख की आबोहवा, समझा रहे हैं पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक

ग्लेशियर की वजह से लद्दाख में जीवन संभव है। सबसे बड़ा मुद्दा ग्लेशियर के तेजी से पिघलने का है। यह एक ठंडा रेगिस्तान है और यहां जिंदगी मुमकिन है तो…
लद्दाख के नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अभियान के तहत सोनम वांगचुक ने जून 2023 में क्लाइमेट फास्ट (जलवायु उपवास) रखा। तस्वीर- सोनम वांगचुक/ट्विटर
भारत में किसान धान की फसल लेने के बाद पराली को इस तरह जलाते हैं। इसकी वजह से भी प्रदूषण में काफी बढ़ोतरी होती है। फोटो- नील पाल्मर (सीआईएटी)/ विकिमीडिया कॉमन्स

पंजाब के धुंए के पीछे छुपी मध्य प्रदेश की बढ़ती पराली जलाने की समस्या

मध्य प्रदेश गेहूं उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर आता है, यह बात प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। लेकिन इसके साथ ही मध्य प्रदेश अब फसल अवशेषों…
भारत में किसान धान की फसल लेने के बाद पराली को इस तरह जलाते हैं। इसकी वजह से भी प्रदूषण में काफी बढ़ोतरी होती है। फोटो- नील पाल्मर (सीआईएटी)/ विकिमीडिया कॉमन्स
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स

नई रिपोर्ट में वैश्विक तापमान बढ़ने की आशंका, भारत में लू बनेगी घातक

संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट ने आशंका जताई है कि अगले पांच साल अब तक के सबसे गर्म हो सकते हैं। इस दौरान वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी 1.5 डिग्री…
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स
भोपाल के लहारपुरा के पास गेहूं के खेतों में लगी आग। फसल काटने के बाद कई किसान खेत साफ करने के लिए फसल अवशेष में आग लगा देते हैं। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

पराली जलाने के मामले में मध्य प्रदेश का देश में दूसरा स्थान, सरकारी योजनाओं से बेखबर किसान

मध्य प्रदेश गेहूं उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर आता है, यह बात प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। लेकिन इसके साथ ही मध्य प्रदेश अब फसल अवशेषों…
भोपाल के लहारपुरा के पास गेहूं के खेतों में लगी आग। फसल काटने के बाद कई किसान खेत साफ करने के लिए फसल अवशेष में आग लगा देते हैं। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
जोशीमठ में दरारों की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर में अब तक 849 मकानों में दरारें देखी गईं। शहर के 838 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

जोशीमठ संकटः 46 सालों से बनती आ रही कमेटियां, क्या इस बार नहीं होगी सुझावों की अनदेखी

जैसे ही उत्तराखंड के जोशीमठ से मकानों में दरारों की ख़बरों की शुरुआत हुई, वैसे ही राज्य और केंद्र सरकारें हरकत में आयीं और आनन-फानन में जोशीमठ में हो रहे…
जोशीमठ में दरारों की वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर में अब तक 849 मकानों में दरारें देखी गईं। शहर के 838 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
जोशीमठ के तकरीबन 700 सौ मकानों में दरारें आ रही हैं। यहां के मकान तेजी से धंस रहे हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार

उत्तराखंड का एक दरकता शहरः कैसे बदतर हुए जोशीमठ के हालात

ऋषि देवी (37) के परिवार के लिए जोशीमठ का सरकारी स्कूल इन दिनों आशियाना बना हुआ है। सर्द रातों में जब पारा -3 डिग्री सेल्सियस पहुँच जाता है, ऋषि देवी…
जोशीमठ के तकरीबन 700 सौ मकानों में दरारें आ रही हैं। यहां के मकान तेजी से धंस रहे हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार