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23-वर्षीय एलिस बरवा ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन में आदिवासी युवाओं का प्रतिनिधित्व किया। उनके नेतृत्व में गांव छोड़ब नहीं और हसदेव अरण्य बचाओ जैसे पोस्टर्स प्रदर्शनी में शामिल किए गए। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप-26 में गूंजा ‘गांव छोड़ब नहीं’ की धुन, युवाओं ने भी संभाला मोर्चा

यह ग्लासगो में जलवायु सम्मेलन कॉप 26 का दूसरा सप्ताह है। विश्व के नेताओं ने ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की आवश्यकता के साथ अपने देशों…
23-वर्षीय एलिस बरवा ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन में आदिवासी युवाओं का प्रतिनिधित्व किया। उनके नेतृत्व में गांव छोड़ब नहीं और हसदेव अरण्य बचाओ जैसे पोस्टर्स प्रदर्शनी में शामिल किए गए। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
साबरमती नदी किनारे स्थित थर्मल पावर स्टेशन। देश में कोयले की कमी की चर्चा के बीच कई ऊर्जा संयंत्र बंद होने की कगार पर हैं। तस्वीर- कोशी/विकिमीडिया कॉमन्स

क्या देश में कोयला संकट से तैयार हो रहा कानूनों में परिवर्तन का रास्ता?

पिछले कुछ दिनों से, देश के ताप विद्युत संयत्रों में कोयले की कमी की चर्चा जोरों पर है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी वजह से देश में…
साबरमती नदी किनारे स्थित थर्मल पावर स्टेशन। देश में कोयले की कमी की चर्चा के बीच कई ऊर्जा संयंत्र बंद होने की कगार पर हैं। तस्वीर- कोशी/विकिमीडिया कॉमन्स
भारत सरकार के आदिवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में फरवरी, 2021 तक वनाधिकार को लेकर सिर्फ 8022 दावे पेश किये गये थे, दिलचस्प है कि इनमें से बिहार सरकार ने सिर्फ 121 दावों को स्वीकृत किया है। तस्वीर- जगदरी/फ्लिकर

[वीडियो] 13 साल बाद भी बिहार में सिर्फ 121 परिवार हासिल कर पाये वनाधिकार

दीपनारायण प्रसाद कहते हैं, हमारे इलाके से सात से आठ हजार के करीब लोगों ने वनाधिकार पट्टे के लिए आवेदन दिया था। मगर मेरी जानकारी में वाल्मिकीनगर के जंगल में…
भारत सरकार के आदिवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में फरवरी, 2021 तक वनाधिकार को लेकर सिर्फ 8022 दावे पेश किये गये थे, दिलचस्प है कि इनमें से बिहार सरकार ने सिर्फ 121 दावों को स्वीकृत किया है। तस्वीर- जगदरी/फ्लिकर
हसदेव अरण्य का जंगल। यह प्राचीन जंगल पर्यावरण के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। तस्वीर- मयंक अग्रवाल/मोंगाबे

कोयला खनन की आशंकाओं से अंधकार में है छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य का भविष्य

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के जंगल काफी प्रचीन है। जैव-विविधता और पारिस्थितिकी से संपन्न। कोयला खनन को लेकर पिछले एक दशक से यह जंगल बहस के केंद्र में रहा है।…
हसदेव अरण्य का जंगल। यह प्राचीन जंगल पर्यावरण के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। तस्वीर- मयंक अग्रवाल/मोंगाबे
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य से अधिक जैवविविधता मांगर बानी के असंरक्षित जंगल में पाई गई है। तस्वीर- संशेय विश्वास और मैनो वर्चोट।

[वीडियो] देश की राजधानी से सटा ऐसा जंगल जिसे सैकड़ों साल से बचा रहे स्थानीय लोग

अरावली की पहाड़ियों में बसा हरियाणा का मांगर गांव इन दिनों चर्चा में है। चर्चा यहां के कंदराओं में मिले पाषाणकालीन पेंटिंग की हो रही है जिसे हाल ही में…
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य से अधिक जैवविविधता मांगर बानी के असंरक्षित जंगल में पाई गई है। तस्वीर- संशेय विश्वास और मैनो वर्चोट।
हसदेव अरण्य को हाथियों का घर कहा जाता है। यह करीब 1,70,000 हेक्टेयर में फैला जैव विविधता से भरा हुआ जंगल है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल

[वीडियो] छत्तीसगढ़ के जंगलों में हाथियों के लिए छोड़ा जा रहा धान, जानकारों को अजीब लग रहा यह फैसला

सरगुजा ज़िले के मैनपाट के बरपारा के लोकनाथ यादव अपने टूटे हुए घर के सामने खड़े हो कर यही सोच रहे हैं कि अब इस बरसात में टूटे घर की…
हसदेव अरण्य को हाथियों का घर कहा जाता है। यह करीब 1,70,000 हेक्टेयर में फैला जैव विविधता से भरा हुआ जंगल है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल
जंगल के बारे में इन महिलाओं की समझ पहले से ही काफी अच्छी थी। ट्रेनिंग के बाद उनका ज्ञान और भी बढ़ा जिससे पर्यटकों को वह आसानी से जंगल के बारे में बता पाती हैं। तस्वीर- देवज्योति बैनर्जी

अचानकमार टाइगर रिजर्वः जिस जंगल में बचपन बीता वहीं फॉरेस्ट गाइड बन गईं ये महिलाएं

“हम इस जंगल के चप्पे-चप्पे की खबर रखते हैं। जंगली जानवरों के साथ हमारा बचपन बीता है,” यह कहते हुए 19 वर्ष की परमेश्वरी आत्मविश्वास से भर उठती है। परमेश्वरी…
जंगल के बारे में इन महिलाओं की समझ पहले से ही काफी अच्छी थी। ट्रेनिंग के बाद उनका ज्ञान और भी बढ़ा जिससे पर्यटकों को वह आसानी से जंगल के बारे में बता पाती हैं। तस्वीर- देवज्योति बैनर्जी
चाय बागान में हाथी। तस्वीर- अंशुमा बासुमतारी

चाय की प्याली से जुड़ा है हाथियों का संरक्षण

भारत और भूटान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा 40-एकड़ में फैला है तेंजिंग बोडोसा का चाय बागान। इसे पहली नजर में देखकर असम के तमाम चाय बागानों जैसा एक और…
चाय बागान में हाथी। तस्वीर- अंशुमा बासुमतारी
गंगोत्री नेशनल पार्क में लगे कैमरा ट्रैप में कैद कस्तूरी मृग की तस्वीर (बाएं) और पहाड़ियों में स्वच्छंद विचरण करता भरल। तस्वीर- डब्लूआईआई और रंजना पाल

उत्तराखंड: कैमरा ट्रैप से मिला कस्तूरी मृग और भरल की गिनती का तरीका

देश में बाघों और हाथियों की गणना तो की जाती है। लेकिन बहुत से वन्यजीव ऐसे हैं जिनकी संख्या और मौजूदा स्थिति का हमें ठीक-ठीक अनुमान नहीं है। उच्च हिमालयी…
गंगोत्री नेशनल पार्क में लगे कैमरा ट्रैप में कैद कस्तूरी मृग की तस्वीर (बाएं) और पहाड़ियों में स्वच्छंद विचरण करता भरल। तस्वीर- डब्लूआईआई और रंजना पाल
वन गुर्जर अपने भैंसों के झुंड के साथ। मवेशी चराना इनके जीवन का हिस्सा है। तस्वीर- राधिका गुप्ता।

अपने घर में ही दर-बदर हो गए उत्तराखंड के वन गुर्जर

जंगल की गोद में जन्मे उत्तराखंड के मसरदीन गुर्जर के ऊपर 20 साल पहले विस्थापन की आफत आई। उन्हें अपना घर-बार छोड़कर गैंडीखाता के वीरान स्थान पर विस्थापित कर दिया…
वन गुर्जर अपने भैंसों के झुंड के साथ। मवेशी चराना इनके जीवन का हिस्सा है। तस्वीर- राधिका गुप्ता।