बिहार

जमुई के गरही थाना में लगभग दो दर्जन ऐसे वाहन हैं जो बालू लदे स्थिति में जब्त किये गये हैं। इस थाने में सबसे अधिक मामले बालू के अवैध उत्खनन के अपराध के ही आते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे 

बिहार में बालू के बढ़ते खनन से बिगड़ती नदियों की सेहत, बढ़ता अपराध सरकार के लिए चुनौती

दक्षिण बिहार के जमुई जिले के आखिरी छोर पर स्थित गरही थाने में तैनात दारोगा प्रभात रंजन 14 नवंबर 2023 को अवैध बालू उठाव की एक गुप्त सूचना के बाद…
जमुई के गरही थाना में लगभग दो दर्जन ऐसे वाहन हैं जो बालू लदे स्थिति में जब्त किये गये हैं। इस थाने में सबसे अधिक मामले बालू के अवैध उत्खनन के अपराध के ही आते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे 

[वीडियो] बिहार में अक्षय ऊर्जा की रफ्तार को धीमी करती जमीन की कमी, क्या रूफटॉप सोलर हो सकता है समाधान

इंवर्टर बल्ब, यानी बिजली जाने के बाद भी यह बल्ब तीन-चार घंटे तक रोशनी दे सकती है। सविता कुमारी की छोटी सी दुकान पर बिजली के दर्जनों उपकरणों में से…
विभिन्न प्रकार के रुगड़ा मशरूम। तस्वीर- विशेष प्रबंध

रुगड़ा: आदिवासियों के पोषण का बड़ा जरिया लेकिन बदलते मौसम से उत्पादन पर दबाव

अगस्त महीने के शुरुआती सोमवार का दिन था। झारखण्ड के रांची जिले में साल के जंगल के किनारे बसे तेतरी गांव की रहने वाली अंजली लकड़ा (38) अचानक से पेड़ों…
विभिन्न प्रकार के रुगड़ा मशरूम। तस्वीर- विशेष प्रबंध
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे

[वीडियो] मिथिला मखानः सांस्कृतिक पहचान को बचाने की राह में अनेक चुनौतियां

मखाना, वेटलैंड्स या आद्रभूमि में होने वाली फसल है। इसे मुख्यतः बिहार के पोखर, तालाबों और जलजमाव वाले क्षेत्रों में उपजाया जाता है। मखाना का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र मिथिला है…
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे
मुजफ्फरपुर के मणिका गांव स्थित लीची का बगान। लीची की खेती प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल के माजदिया, कालियाचक व कृष्णानगर इलाके, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले व उसके आसपास के कुछ जिलों व पंजाब के पठानकोट में होती है। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रहे हैं बिहार के लीची किसान

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी ब्लॉक में पड़ने वाले मणिका गांव के किसान राजीव रंजन की 10 हेक्टेयर जमीन में लीची का बगीचा लगा है। लेकिन इस साल बारिश…
मुजफ्फरपुर के मणिका गांव स्थित लीची का बगान। लीची की खेती प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल के माजदिया, कालियाचक व कृष्णानगर इलाके, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले व उसके आसपास के कुछ जिलों व पंजाब के पठानकोट में होती है। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
अररिया जिले की वृक्षवाटिका का जंगल। बिहार सरकार ने इस जंगल को खुला चिड़ियाघर के रूप में विकसित करने का निर्णय लियाहै। तस्वीर- उमेश कुमार राय

बिहार: एक तरफ हरियाली बढ़ाने का दावा, दूसरी ओर काटे जा रहे वन

पिछले साल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों से पर्यावरण की रक्षा की अपील की थी और इसके लिए हरियाली बचाने और जल संरक्षण पर जोर दिया था। उन्होंने…
अररिया जिले की वृक्षवाटिका का जंगल। बिहार सरकार ने इस जंगल को खुला चिड़ियाघर के रूप में विकसित करने का निर्णय लियाहै। तस्वीर- उमेश कुमार राय

दशरथ मांझी के गांव से समझिए बिहार में सौर ऊर्जा की हकीकत

बिहार के गया जिले में स्थित एक पहाड़ी गांव गहलौर को दशरथ मांझी की वजह से जाना जाता है। वही दशरथ मांझी जिन्होंने दो दशक तक अथक परिश्रम से पहाड़…
धरनई गाँव का सौर मिनी ग्रिड जहां अब जानवरो को बंधा जाता है। तस्वीर -मनीष कुमार

पांच वर्ष भी नहीं लगे और धाराशायी हो गया ‘बिहार का पहला सौर ग्राम मॉडल’

यह बिहार के एक ऐसे गांव की कहानी है जहां 1981 तक बिजली थी फिर 33 साल के लिए चली गयी। तीन दशक से भी अधिक समय के लिए गांव…
धरनई गाँव का सौर मिनी ग्रिड जहां अब जानवरो को बंधा जाता है। तस्वीर -मनीष कुमार
बिहार भीषण बाढ़ की चपेट में है, लेकिन इस साल सरकार ने राहत शिविर नहीं बनाए हैं। राहत शिविर न होने की वजह से लोग सड़कों पर रहने को मजबूर हैं। तस्वीर साभार माधव

[वीडियो] क्या बजट की कमी से प्रभावित हो रहा है बिहार का बाढ़ राहत अभियान?

इन दिनों जब हर जगह देश में महाराष्ट्र और दुनिया भर में चीन में आई प्रलयंकारी बाढ़ की चर्चा है। बिहार भी इससे अछूता नहीं है। बिहार सरकार के आपदा…
बिहार भीषण बाढ़ की चपेट में है, लेकिन इस साल सरकार ने राहत शिविर नहीं बनाए हैं। राहत शिविर न होने की वजह से लोग सड़कों पर रहने को मजबूर हैं। तस्वीर साभार माधव
कावर झील के आसपास रहने वाले मछुआरों के लिए यह आजीविका का साधन है। फोटो- समीर वर्मा

बिहार को मिले पहले रामसर स्थल से क्यों खुश है मछुआरे

बिहार की राजधानी पटना से तकरीबन डेढ़ सौ किलोमीटर दूर बेगुसराय में एशिया का सबसे बड़ा गोखुर झील है। इसका नाम कावर ताल है। जब नदी अपना रास्ता बदल देती…
कावर झील के आसपास रहने वाले मछुआरों के लिए यह आजीविका का साधन है। फोटो- समीर वर्मा
- नारायण चौधरी ने समाज के लोगों को साथ लेकर तालाब बचाने का अभियान शुरू किया जिसकी वजह से मिथिला के कई तालाब फिर से जीवित हो उठे। इलस्ट्रेशन- शीना देवियह

मुश्किल में मिथिला के तालाब, लोगों के प्रयास से आ रहे सकारात्मक बदलाव

‘पग-पग पोखर माछ मखान, सरस बोल मुस्की मुख पान, ई थिक मिथिला केर पहचान।’ मैथिली भाषा की यह कहावत इस क्षेत्र के संपन्न प्राकृतिक वातावरण और यहां के लोगों के…
- नारायण चौधरी ने समाज के लोगों को साथ लेकर तालाब बचाने का अभियान शुरू किया जिसकी वजह से मिथिला के कई तालाब फिर से जीवित हो उठे। इलस्ट्रेशन- शीना देवियह