- बिहार में रेत के अत्यधिक व अवैध खनन से सोन, किउल जैसी नदियों की सेहत प्रभावित हो रही है। घाटों की नीलामी के बावजूद उन्हें पर्यावरण मंजूरी मिलना एक जटिल प्रक्रिया है। बिहार में वर्तमान में मात्र 80 घाटों को पर्यावरण स्वीकृति हासिल है।
- सारण, भोजपुर, पटना, जमुई व वैशाली ऐसे जिले हैं जहां रेत खनन से जुड़े सबसे अधिक अपराध घटित होते हैं। राज्य में मात्र आठ महीने में 1,273 गिरफ्तारियां रेत के अवैध कारोबार से जुड़ी हैं। खनन विभाग ने अपराध पर नियंत्रण के लिए 1200 सुरक्षा बलों का अपना अतरिक्त कैडर बनाने का प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा है।
- नए सिरे से बालू घाटों की नीलामी से 2753 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति हुई है, जबकि आधे घाटों की नीलामी अभी बाकी है। बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा रेत खनन से नदियों की सेहत पर पड़ने वाले असर का आकलन या अध्ययन नहीं किया जाता।
दक्षिण बिहार के जमुई जिले के आखिरी छोर पर स्थित गरही थाने में तैनात दारोगा प्रभात रंजन 14 नवंबर 2023 को अवैध बालू उठाव की एक गुप्त सूचना के बाद सुबह-सुबह थाने से करीब पांच किमी दूर किउल नदी के तट पर स्थित चनरवर गांव पहुंचे। स्थानीय लोगों के अनुसार, वहां से प्रभात रंजन 1.5 किमी अंदर की ओर गए। वहां उन्हें व उनके सहयोगी पुलिसकर्मी राजेश कुमार साह को बालू (रेत) लदे ट्रैक्टर से कुचल दिया गया। इस घटना में दारोगा प्रभात की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि गंभीर रूप से घायल राजेश को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस घटना के मात्र दो सप्ताह बाद 28 नवंबर को जमुई जिले के ही खैरा थाना क्षेत्र में किउल नदी के परसा घाट से अवैध ढंग से बालू के उठाव की सूचना पर बालू माफियाओं पर छापा मारने गए पुलिस बल पर 50 लोगों ने हमला कर दिया। फिर सात दिसंबर को उत्तर बिहार के किशनगंज जिले के पोठिया थाना क्षेत्र के मठिया भीट्टा गांव में महानंदा नदी के चामरानी घाट से अवैध बालू का उठाव करने के लिए कार्रवाई करने पहुंची खान एवं भूतत्व विभाग की टीम पर बालू माफियाओं ने हमला कर दिया और अधिकारियों व पुलिसकर्मियों को पीटा।
ये हाल के कुछ वाकये हैं। बिहार में बालू या रेत के उठाव को लेकर होने वाले ऐसे अपराध आम हैं। बिहार पुलिस के प्रवक्ता व राज्य के एडीजी जेएस गंगवार ने इस संबंध में मोंगाबे हिंदी के सवाल पर कहा, “हम बालू माफियाओं के खिलाफ गोपनीय अभियान चलाते हैं और इससे जुड़े अपराध के आंकड़े मंगवा कर आपको ब्रीफ करेंगे।”
बालू घाट राजस्व का एक प्रमुख स्रोत
नदियों के मामले में काफी समृद्ध उत्तर-पूर्वी राज्य बिहार के राजस्व का एक प्रमुख स्रोत बालू है। मोंगाबे हिंदी को मिले बिहार सरकार के दस्तावेज के अनुसार, अक्टूबर 2022 से शुरू हुई बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया से 30 नवंबर 2023 तक राज्य को 27.5 अरब रुपये का राजस्व हासिल हुआ है। यह राज्य सरकार द्वारा तय लक्ष्य के डेढ गुणा से अधिक है। बिहार सरकार ने इन घाटों की नीलामी से 17.11 अरब रुपये का न्यूनतम राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था। बिहार के बालू घाटों से ठेकेदारों को होने वाली मोटी कमाई की वजह से ही राज्य सरकार द्वारा तय दर से डेढ गुणा से अधिक राजस्व हासिल हुआ। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद नीलामी की यह प्रक्रिया आरंभ हुई।
बिहार के खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा राज्य की अलग-अलग नदियों पर 527 घाट नीलामी के लिए चिह्नित हैं, जिसमें नवंबर 2023 तक लगभग आधे, 267 घाटों, की नीलामी हुई थी। इसके बाद दिसंबर में भी कई प्रमुख बालू उत्पादक जिलों में नीलामी की प्रक्रिया जारी थी, जिसमें भोजपुर, पटना, रोहतास, औरंगाबाद शामिल हैं।
बिहार के खान एवं भूतत्व मंत्री रामानंद यादव ने मोंगाबे हिंदी से बातचीत में कहा, “बालू उठाव से जुड़े अपराध हमारे लिए चिंता की बात हैं, इसलिए हमने गृह विभाग को खान विभाग के पास 1200 सुरक्षा बलों का अपना कैडर बनाने की मांग का प्रस्ताव भेजा है, हम फिर रिमाइंडर भेजेंगे।” इन प्रस्तावित 1200 सुरक्षा बलों में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, एएसआइ और सिपाही शामिल हैं। बिहार में गृह विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास ही है।
रामानंद यादव ने कहा, “बालू के अवैध खनन को नियंत्रित करने के लिए हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक घाटों की नीलामी हो जाये।” हालांकि नीलामी के बावजूद पर्यावरणीय चिंताओं की वजह से उस स्थल पर खनन की मंजूरी एक लंबी प्रक्रिया है। बिहार में इस वक्त मात्र 80 घाटों को पर्यावरण स्वीकृति हासिल है। जमुई जैसे प्रमुख बालू उत्पादक जिले में वर्तमान में किसी घाट को पर्यावरणीय मंजूरी हासिल नहीं है।
29 नवंबर को खान विभाग के निदेशक नैयर इकबाल ने पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त बालूघाटों से खनन शुरू करने को लेकर एक समीक्षात्मक बैठक की और इस संबंध में तीव्रता का निर्देश दिया।
बालू के अवैध कारोबार का साम्राज्य
बिहार में बालू के वैध कारोबार के समानांतर अवैध कारोबार का तंत्र भी काफी व्यापक है। बिहार सरकार ने जारी वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल 2023 से 30 नवंबर 2023 तक 167.6532 करोड़ रुपये अवैध बालू कारोबार के जुर्माने के रूप में वसूला, जिसमें खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा जुर्माने के रूप में वसूली गई 95.2572 करोड़ रुपये और कोर्ट द्वारा लगाया गया जुर्माना 72.39 करोड़ रुपये शामिल है। इन आठ महीनों में अवैध बालू उठाव व खनन को लेकर 16 हजार 366 छापेमारी की गई, 2551 एफआइआर दर्ज की गई, 1273 गिरफ्तारियां हुईं और 11 हजार 21 वाहन जब्त किये गये।
अगर सिर्फ नवंबर महीने की बात करें तो बालू से जुड़ी 1729 छापेमारी, 265 प्राथमिकी, 103 गिरफ्तारी, 1039 वाहनों की जब्ती और 12.9591 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में वसूले गए हैं। यहां यह गौरतलब है कि बालू के हर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती, बल्कि ऐसे अपराधों से जुड़े कुछ मामले पकड़ में आते हैं।
इकबाल ने मोंगाबे हिंदी से कहा, “डीएम-एसपी की अगुवाई में जिले में टास्क फोर्स होता है जो अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करता है। जुर्माने के नये नियमों से हमारा राजस्व बढा है।” बिहार सरकार ने 2019 में बालू खनन को लेकर नई नियमावली बनायी और 2021 में उसमें संशोधन कर जब्त बालू के 25 गुणा तक जुर्माना सहित अन्य कड़े प्रावधान जोड़े गये। बिहार में बालू ढोने वाले सभी वाहनों में जीपीएस सिस्टम होना अनिवार्य है।
साल 2019 में बनाये गए नियम में घाटों को विभाजित कर छोटे खंड में नीलामी का भी निर्णय लिया गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि छोटे घाट में कम लागत की वजह से नीलामी की प्रक्रिया अधिक सुगम हो और छोटी पार्टियां भी बोली लगा पाएं, जिससे सरकार का राजस्व बढे। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि पहले बड़े घाट होने की वजह से अधिक बोली के कारण कई घाटों की नीलामी नहीं हो पाती थी।
बिहार की पांच नदियों का बालू है पीला सोना
दक्षिणी बिहार या गंगा के दक्षिण की ओर से प्रवाहित होने वाली कुछ नदियों के बालू को पीला सोना कहा जाता है। पीले रंग की इस दानेदार रेत की भवन निर्माण व अन्य कार्यों में अधिक मांग है। खान एवं भूतत्व विभाग के एक अधिकारी ने मोंगाबे हिंदी को बातचीत में बताया, पांच नदियों सोन, किउल, फल्गू, चानन और मोरहर के बालू को प्रीमियम क्वालिटी के रूप में चिह्नित किया गया है और इसके खनन की बोली का बेस रेट 150 रुपये प्रति घन मीटर होता है, जबकि अन्य नदियों पर बालू खनन का बेस रेट 75 रुपये प्रति घन मीटर है। अधिकारी ने बताया कि जिस तारीख को ऑक्शन का डीड साइन होगा, उस समय से अगले पांच साल के लिए यह नीलामी होती है। इससे पहले बिहार सरकार ने 2015 में बालू घाटों की पांच सालों के लिए नीलामी की थी।
बालू के उत्खनन से बिगड़ता किउल नदी का स्वरूप
बालू के अत्यधिक उत्खनन से नदियों का स्वरूप प्रभावित होने की शिकायतें बिहार के विभिन्न हिस्सों से आती रही हैं। स्थानीय निवासी प्रशासन से इसकी शिकायत भी करते रहे हैं। जमुई के गरही निवासी सागर कहते हैं कि नदी किउल नदी में अब बालू नहीं मिलेगा, सिर्फ मिट्टी मिलेगी, अत्यधिक दोहन की वजह से बालू निकाल लिया गया है।
इस संवाददाता ने उस इलाके का दौरा किया, जहां दारोगा की हत्या की गई। वहां से लगभग 10-12 किमी दूर किउल नदी के गिद्धेश्वर घाट पर एक स्थानीय ग्रामीण ने इस संवाददाता से बिना अपना नाम बताये कहा, यहां से बड़ी मात्रा में बालू का उठाव होता रहा है, लेकिन अभी वह बंद है। यहां बालू के अत्यधिक उत्खनन ने नदी के स्वरूप को काफी प्रभावित किया है और स्थानीय समाचार माध्यमों ने भी इसे रिपोर्ट किया है।
जमुई के जिला खनन पदाधिकारी गोपाल साह ने मोंगाबे हिंदी से बातचीत में कहा, “हमारे यहां सभी 47 घाटों की बंदोबस्ती हो गई है, लेकिन उन्हें पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली है, इसलिए वहां से बालू का उठाव नहीं हो रहा है, आप जो बालू का स्टॉक देख रहे हैं, वह पहले के हैं।” साह ने बताया कि जिले में बालू के लिए चार चेकपोस्ट बनाये गये हैं। राज्य सरकार का 10 जिलों में ऐसे चेकपोस्ट पर विशेष जोर रहा है।
साह ने मोंगाबे के सवाल के जवाब में कहा, “जिले में हर महीने लगभग 10 एफआइआर अवैध बालू से जुड़े होते हैं। दंड व जुर्माना की राशि कई गुणा अधिक होने से बालू माफिया उग्र व हिंसक हुए हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि पकड़े जाने पर उन्हें काफी अधिक जुर्माना भरना होगा और उनका वाहन भी जब्त हो जाएगा।”
गरही थाने से मिली जानकारी के अनुसार, यहां सबसे अधिक मामले अवैध बालू के कारोबार से जुड़े आते हैं। यह थाना 26 मई 2022 को शुरू हुआ और पिछले वर्ष लगभग सात महीने में यहां बालू के अवैध कारोबार से 18 एफआइआर दर्ज हुईं और इस साल 2023 में नवंबर के तीसरे सप्ताह तक आठ एफआइआर दर्ज हुईं थीं। इस थाना परिसर में जब्त अधिकतर वाहन बालू उठाव से संबंधित हैं। एक एएसआइ ने बताया कि यहां दो दर्जन से अधिक ट्रैक्टर व अन्य वाहन सिर्फ अवैध बालू कारोबार के हैं।
जमुई के एसपी शौर्य सुमन ने मोंगाबे हिंदी से कहा, “हम बालू के अवैध कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं और हमारे एक दारोगा ऐसे अभियान में शहीद हो गए।”
बिहार में बालू के सबसे बड़े स्त्रोत सोन नदी व उस इलाके का हाल
बिहार में बालू का प्रमुख स्रोत सोन नदी है और भोजपुर जिला बालू के खनन व उठाव को लेकर सबसे चर्चित है। सोन नदी में नदी मार्ग से भी बालू का परिवहन एक जगह से दूसरी जगह किया जाता है और फिर उसे सारण, वैशाली जिले में एक तय जगह पर पहुंचा कर बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य जगहों पर भेजा जाता है। सोन नदी में बालू उठाव के लिए कृत्रिम बांध बनाने की शिकायतें भी आयी हैं।
बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डीके शुक्ला सेे मोंगाबे हिंदी ने अत्यधिक खनन से नदियों की सेहत पर पड़ने वाले असर से जुड़ा सवाल पूछा, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, “बालू खनन को लेकर हमारी भूमिका सिर्फ सीटीओ (कंसेंट टू ऑपरेट) देने में होती है, जो राज्यस्तरीय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्राधिकरण के माध्यम से होता है, हम नदियों पर बालू खनन से पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन या आकलन नहीं करते हैं, क्योंकि हम घाट को लीज पर नहीं देते हैं।”
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भोजपुर के पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार यादव ने मोंगाबे हिंदी से बातचीत में कहा, “बालू का वैध व अवैध दो तरह से खनन होता है, हमारी कार्रवाई अवैध खनन के खिलाफ होती है और हमने अवैध खनन के तंत्र को 90 प्रतिशत तक ध्वस्त किया है। इससे जुड़े 20 से 25 हजार लोग प्रभावित हुए हैं, हालांकि इस कार्रवाई से इस पेशे में शामिल आपराधिक तत्वों का दूसरे अपराध में शिफ्ट होने की भी चुनौती है।”
भोजपुर पुलिस ने इस साल दो बोट से अवैध बालू खनन के खिलाफ गश्ती शुरू की है। कोईलवर के थानेदार अविनाश कुमार ने बताया कि कोईलवर से बिंदगांव तक लगभग 10 किमी के स्ट्रेच में नाव से गश्ती की जाती है। इस संवाददाता ने जमुई के गरही थाने की तरह कोईलवर थाने में भी अधिकतर जब्त वाहन को बालू लदा पाया।
भोजपुर के कोईलवर से सारण जिले के डोरीगंज के बीच लगातार सैकड़ों बालू ट्रकों के परिवहन की वजह से जाम व धूल के प्रदूषण को झेलना स्थानीय लोगों की जीवन का हिस्सा बन गया है। मात्र 23 किमी की इस दूरी को तय करने में घंटों लग सकते हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि बालू का उठाव शुरू होेने के बाद जाम लगना आम बात है, इसलिए उनकी कोशिश होती है कि अगर उन्हें यात्रा करनी हो तो सुबह-सुबह ही इस रास्ते पर निकल जाएं।
डोरीगंज में गंगा नदी पर बने पुल से सटा पूरब का घाट बालू उठाव का एक प्रमुख केंद्र है। यहां नाव के जरिये सोन नदी का बालू लाया जाता है और फिर उसे ट्रैक्टर व ट्रकों के जरिये बाहर भेजा जाता है। इस संवाददाता ने अपनी रिपोर्टिंग यात्रा के दौरान वहां दर्जनों नाव द्वारा लाये गये बालू को सैकड़ों लोगों को ट्रक-ट्रेक्टर पर लोड करते हुए पाया। यहां यह महत्वपूर्ण है कि 2023 में 1 अप्रैल से 30 नवंबर तक अवैध बालू वाले सबसे अधिक 1662 वाहन सारण जिले में और उसके बाद 1112 वाहन भोजपुर जिले में जब्त किये गये हैं। सबसे अधिक जुर्माना भी इन्हीं दो जिलों में क्रमशः 31.05 करोड़ रुपये और 22.66 करोड़ रुपये वसूले गये हैं।
बिहार की नदियों के जानकार व बाढ मुक्ति अभियान के संयोजक दिनेश मिश्रा ने मोंगाबे हिंदी से कहा, “बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में एक उछाल आया है। जिसके लिए बालू की मांग बढ़ने से नदियों का दोहन बढा है और उसने संकट को बढ़ाया है। इससे नदियों की जलधारण क्षमता प्रभावित हो रही है।” मिश्रा के अनुसार, यह भी एक तथ्य है कि बालू का उठाव रोड, पुल किनारे से अधिक होता है ताकि ट्रक या ट्रैक्टर से उसका परिवहन आसान हो, जबकि नदी का वह क्षेत्र संवेदनशील होता है, इससे नदी की पानी की तीव्रता बढ़ जाती है और कटाव का खतरा भी बढ़ता है। वे कहते हैं, “उत्तर बिहार में महीन बालू मिलता है, जबकि सोन व कुछ अन्य नदियों का बालू उच्च गुणवत्ता का होता है, वे नदी के जल धारण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, उसके अत्यधिक दोहन से आसपास का इलाका सूखने लगता है।”
गंगा मुक्ति आंदोलन से जुड़े कृष्णा प्रसाद कहते हैं, “नदियों पर अत्यधिक कंस्ट्रक्शन ने पहले ही उसकी तीव्रता को प्रभावित किया है, अब सोन सहित अन्य नदियों में बालू के अवैज्ञानिक, अत्यधिक व अवैध खनन उसकी सेहत को प्रभावित कर रहे हैं।”
बैनर तस्वीरः जमुई के गरही थाना में लगभग दो दर्जन ऐसे वाहन हैं जो बालू लदे स्थिति में जब्त किये गये हैं। इस थाने में सबसे अधिक मामले बालू के अवैध उत्खनन के अपराध के ही आते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे