forest degradation

राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड में विचरण करता एक हाथी। तस्वीर- Achat1999/विकिमीडिया कॉमन्स

उत्तराखंड में हाथियों की लीद में मिला प्लास्टिक, कांच और अन्य कचरा

द जर्नल फॉर नेचर कंजर्वेशन में पिछले महीने छपे एक अध्ययन में उत्तराखंड के जंगलों में हाथी के लीद में प्लास्टिक और अन्य मानव निर्मित सामग्री के मौजूद होने का…
राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड में विचरण करता एक हाथी। तस्वीर- Achat1999/विकिमीडिया कॉमन्स
इंडियन स्किमर पक्षी का एक झुंड। इनकी लंबी चोंच पानी को चीरने का काम करती है ताकि ये अंदर तैर रही मछलियों का शिकार कर सके। तस्वीर- वाइल्डमिश्रा/विकिमीडिया कॉमन्स

[कमेंट्री] रियो सम्मेलन के तीस साल, बिगड़ते हालात में भी दिख रही उम्मीद की किरण

इस गर्मी में रियो अर्थ समिट के तीस साल पूरे हो जाएंगे। इस समिट के हरेक दशक के पूरा होने पर संयुक्त राष्ट्र एक बड़ा आयोजन करता रहा है। पर…
इंडियन स्किमर पक्षी का एक झुंड। इनकी लंबी चोंच पानी को चीरने का काम करती है ताकि ये अंदर तैर रही मछलियों का शिकार कर सके। तस्वीर- वाइल्डमिश्रा/विकिमीडिया कॉमन्स
उद्घाटन के समय पार्क से 30,000 नौकरियां पैदा होने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज गांव के महज 60 लोग सुरक्षा गार्ड, तकनीशियन, घास कटाई और पैनल धोने का काम करते हैं। तस्वीर- रवलीन कौर

[वीडियो] देश का पहला सोलर पार्क, 10 साल बाद भी कई वादे हक़ीक़त से दूर

"आपको बारिश के दिनों में यहां आना चाहिए था। तब आपको पता चलता कि हमारी गौचर (चराई भूमि) कितनी बड़ी थी।" गुजरात में रहने वाली 60 साल की नानू रबारी…
उद्घाटन के समय पार्क से 30,000 नौकरियां पैदा होने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज गांव के महज 60 लोग सुरक्षा गार्ड, तकनीशियन, घास कटाई और पैनल धोने का काम करते हैं। तस्वीर- रवलीन कौर
गुरुग्राम, हरियाणा में एक निर्माण स्थल पर काम करती महिलाएं। प्रतिकात्मक तस्वीर- माइकल कैनन/विकिमीडिया कॉमन्स

अवैध खनन से विनाश की तरफ अरावली के अरण्य, हरियाणा सरकार मूकदर्शक

हरियाणा में खनन के दौरान पांच लोगों की मौत ने अरावली पर्वतमाला में अवैध खनन को फिर चर्चा में ला दिया है। इस साल जनवरी में भिवानी जिले के तोशाम…
गुरुग्राम, हरियाणा में एक निर्माण स्थल पर काम करती महिलाएं। प्रतिकात्मक तस्वीर- माइकल कैनन/विकिमीडिया कॉमन्स
जैव विविधता से संपन्न पूर्वोत्तर राज्यों में जंगल लगातार कम हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबित पूर्वोत्तर में 1,69,521 वर्ग किलोमीटर जंगल है, जो कि पिछली सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019 के मुताबले 1,020 वर्ग किमी कम है। तस्वीर- सौरभ सावंत/विकिमीडिया कॉमन्स

विश्लेषण: पिछले दो साल में नागालैंड राज्य के बराबर जंगल हुए ‘खराब’

भारत में जंगलों की स्थिति को लेकर 13 जनवरी का दिन अहम रहा। इस दिन केंद्र सरकार ने वन सर्वेक्षण रिपोर्ट, 2021 (इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट यानी आईएसएफआर) जारी की।…
जैव विविधता से संपन्न पूर्वोत्तर राज्यों में जंगल लगातार कम हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबित पूर्वोत्तर में 1,69,521 वर्ग किलोमीटर जंगल है, जो कि पिछली सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019 के मुताबले 1,020 वर्ग किमी कम है। तस्वीर- सौरभ सावंत/विकिमीडिया कॉमन्स
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र के पास जंगलों में खुलेआम कूड़ा डाला जा रहा है। तस्वीर- कपिल काजल।

हिमाचल में ट्रीटमेंट प्लांट ही बन रहा प्रदूषण का कारण

आज से करीब 20 साल पहले हिमाचल प्रदेश के माजरा गांव की करमों देवी ने पीने के पानी के लिए एक कुआं खोदवाया। बीते 20 साल से यह कुआं करमों…
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र के पास जंगलों में खुलेआम कूड़ा डाला जा रहा है। तस्वीर- कपिल काजल।
बैनर तस्वीर: हंगुल का झुंड। तस्वीर- ताहिरशॉल/विकिमीडिया कॉमन्स

[वीडियो] बढ़ने लगी कश्मीर के राजकीय पशु हंगुल की आबादी, भोजन और आवास की कमी अब भी चुनौती

हंगुल या कश्मीरी हिरण की गिरती संख्या चिंता का सबब रहा है। पर मार्च 2021 में सामने आई संख्या उत्साहजनक है। वन्यजीव संरक्षण विभाग के अनुसार, लुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल…
बैनर तस्वीर: हंगुल का झुंड। तस्वीर- ताहिरशॉल/विकिमीडिया कॉमन्स
साबरमती नदी किनारे स्थित थर्मल पावर स्टेशन। देश में कोयले की कमी की चर्चा के बीच कई ऊर्जा संयंत्र बंद होने की कगार पर हैं। तस्वीर- कोशी/विकिमीडिया कॉमन्स

क्या देश में कोयला संकट से तैयार हो रहा कानूनों में परिवर्तन का रास्ता?

पिछले कुछ दिनों से, देश के ताप विद्युत संयत्रों में कोयले की कमी की चर्चा जोरों पर है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी वजह से देश में…
साबरमती नदी किनारे स्थित थर्मल पावर स्टेशन। देश में कोयले की कमी की चर्चा के बीच कई ऊर्जा संयंत्र बंद होने की कगार पर हैं। तस्वीर- कोशी/विकिमीडिया कॉमन्स
हसदेव अरण्य का जंगल। यह प्राचीन जंगल पर्यावरण के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। तस्वीर- मयंक अग्रवाल/मोंगाबे

कोयला खनन की आशंकाओं से अंधकार में है छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य का भविष्य

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के जंगल काफी प्रचीन है। जैव-विविधता और पारिस्थितिकी से संपन्न। कोयला खनन को लेकर पिछले एक दशक से यह जंगल बहस के केंद्र में रहा है।…
हसदेव अरण्य का जंगल। यह प्राचीन जंगल पर्यावरण के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। तस्वीर- मयंक अग्रवाल/मोंगाबे
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य से अधिक जैवविविधता मांगर बानी के असंरक्षित जंगल में पाई गई है। तस्वीर- संशेय विश्वास और मैनो वर्चोट।

[वीडियो] देश की राजधानी से सटा ऐसा जंगल जिसे सैकड़ों साल से बचा रहे स्थानीय लोग

अरावली की पहाड़ियों में बसा हरियाणा का मांगर गांव इन दिनों चर्चा में है। चर्चा यहां के कंदराओं में मिले पाषाणकालीन पेंटिंग की हो रही है जिसे हाल ही में…
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य से अधिक जैवविविधता मांगर बानी के असंरक्षित जंगल में पाई गई है। तस्वीर- संशेय विश्वास और मैनो वर्चोट।
पेंच टाइगर रिजर्व के आस-पास कृषि-वानिकी के लिए तैयार हैं किसान, सबके लिए है फायदे का सौदा

पेंच टाइगर रिजर्व के आस-पास कृषि-वानिकी के लिए तैयार हैं किसान, सबके लिए है फायदे का सौदा

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2021-2030 को पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली का दशक घोषित किया है। यानी इस दौरान पारिस्थितिकी तंत्र को जो नुकसान हुआ है उसकी भारपाई की कोशिश की…
पेंच टाइगर रिजर्व के आस-पास कृषि-वानिकी के लिए तैयार हैं किसान, सबके लिए है फायदे का सौदा
छत्तीसगढ़ के इंद्रावती नदी का चित्रकोट वाटरफाल। चार दशक पहले इंद्रावती नदी पर ही बोधघाट बांध बनना तय हुआ था। छत्तीसगढ़ सरकार इसे पुनः शुरू करने जा रही है। तस्वीर: Ishant46nt/विकिमीडिया कॉमनस

मार्फत बोधघाट परियोजना, छत्तीसगढ़ का आदिवासी समाज और कांग्रेस सरकार के ढाई साल

बस्तर के ककनार गांव के चैतराम इस बात से नाराज़ हैं कि आदिवासियों के विरोध के बाद भी राज्य सरकार बार-बार बस्तर में बोधघाट इंदिरा सरोवर जल विद्युत परियोजना को…
छत्तीसगढ़ के इंद्रावती नदी का चित्रकोट वाटरफाल। चार दशक पहले इंद्रावती नदी पर ही बोधघाट बांध बनना तय हुआ था। छत्तीसगढ़ सरकार इसे पुनः शुरू करने जा रही है। तस्वीर: Ishant46nt/विकिमीडिया कॉमनस
लाखों वर्ष से आपदा झेलकर जीवित रहे कीट, एकबार फिर मंडरा रहा खतरा

[वीडियो] लाखों वर्ष से आपदा झेलकर जीवित रहे कीट, एकबार फिर मंडरा रहा खतरा

करीब 5000 लाख वर्ष पहले धरती पर कई उल्लेखनीय परिवर्तन हुए जिन्हें कैम्ब्रियन एक्सप्लोजन कहा जाता है। इस वजह से जीवन के कई स्वरूप सामने आए, जिनमें कुछ बहुत ही…
लाखों वर्ष से आपदा झेलकर जीवित रहे कीट, एकबार फिर मंडरा रहा खतरा
क्या तराई क्षेत्र में बढ़ रही है गिद्धों की संख्या?

क्या तराई क्षेत्र में बढ़ रही है गिद्धों की संख्या?

पांच साल पहले तक गिद्धों की घटती संख्या सबके लिए चिंता की बात थी। गिद्धों की संख्या सन 1980 तक भारत में चार करोड़ से भी ऊपर थी लेकिन 2017…
क्या तराई क्षेत्र में बढ़ रही है गिद्धों की संख्या?
छत्तीसगढ़: करोड़ों खर्च, क्लोनिंग आदि किए बाद भी नहीं हो पा रहा वनभैंसों का संरक्षण

[वीडियो] छत्तीसगढ़: करोड़ों के खर्च, क्लोनिंग के बाद भी नहीं हो पा रहा वनभैंस का संरक्षण

छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु वनभैंस ख़तरे में है। सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य में वनभैंस की वंश वृद्धि नहीं हो पा रही है। क्लोनिंग से लेकर असम…
छत्तीसगढ़: करोड़ों खर्च, क्लोनिंग आदि किए बाद भी नहीं हो पा रहा वनभैंसों का संरक्षण
हीरे की खातिर दाव पर बुंदेलखंड का बकस्वाहा जंगल, विरोध में आए लोग

[वीडियो] हीरे की खातिर दाव पर बुंदेलखंड का बकस्वाहा जंगल, विरोध में आए लोग

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का बकस्वाहा जंगल चर्चा में है। इसकी वजह है इस जंगल की कोख में दबा करोड़ों कैरेट हीरा और इसके खनन का हो रहा विरोध।…
हीरे की खातिर दाव पर बुंदेलखंड का बकस्वाहा जंगल, विरोध में आए लोग
सुभद्रा सान्याल और गीता मंडल सुंदरबन के सतजेलिया गांव में रहती हैं। दोनों महिलाओं के पति बाघ के हमले में मारे गए। गीता आज भी जंगल के उत्पादों से जीवन यापन करती हैं, लेकिन सुभद्रा के मन मस्तिष्क पर बाघ के हमले का गहरा असर हुआ और अब वह जंगल जाने से डरती हैं। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली/मोंगाबे

सुंदरबन में भ्रांति और अनदेखी के बीच पिसती ‘बाघ विधवाएं’

रॉयल बंगाल टाइगर के घर सुंदरबन के सतजेलिया गांव में सूरज ढलते ही लोगों के बीच अजीब सी मायूसी छा जाती है। मछली और केकड़ा पकड़कर पेट पालने वाली गीता…
सुभद्रा सान्याल और गीता मंडल सुंदरबन के सतजेलिया गांव में रहती हैं। दोनों महिलाओं के पति बाघ के हमले में मारे गए। गीता आज भी जंगल के उत्पादों से जीवन यापन करती हैं, लेकिन सुभद्रा के मन मस्तिष्क पर बाघ के हमले का गहरा असर हुआ और अब वह जंगल जाने से डरती हैं। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली/मोंगाबे
सुंदरबन

सुंदरबनः कहानी एक शिकारी के हृदयपरिवर्तन की, हत्या छोड़ अपनाई संरक्षण की राह

यह कहानी एक शिकारी के हृदय परिवर्तन की है। ऐसा हृदय परिवर्तन जिसने पूरे गांव को अपना पुश्तैनी शिकार का काम छोड़, वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। यह…
सुंदरबन
जिम कार्बेट नेशनल पार्क में दो एशियाई हाथी आपस में खेलते हुए। तस्वीर- अरिंदम भट्टाचार्य/फ्लिकर

[कमेंट्री] विकास बनाम पर्यावरण: उत्तराखंड किस रास्ते पर अग्रसर है!

उत्तराखंड के इकलौते हाथियों के निवास स्थान शिवालिक हाथी रिजर्व को वहां की सरकार निरस्त करने के प्रयास में हैं। यानी राज्य सरकार वन भूमि को सामान्य भूमि में तब्दील…
जिम कार्बेट नेशनल पार्क में दो एशियाई हाथी आपस में खेलते हुए। तस्वीर- अरिंदम भट्टाचार्य/फ्लिकर
चंबल सफारी में चौकीदार का काम करने वाले जगदीश इंडियन स्किमर के घोसलों की रक्षा करते हैं। एक दशक पहले इन्होंने घड़ियाल से संरक्षण का काम शुरू किया था। इलस्ट्रेशन- तान्या टिम्बले

अंडों की चौकीदारी: चम्बल के बीहड़ में मेहमान पक्षी को बचाने का संघर्ष

चम्बल के एक गांव जैतपुर से जगदीश जब लाठी, टॉर्च, कलम और डायरी लेकर निकलते हैं तो ऐसा लगता है कि गांव की चौकीदारी करने निकल रहें हैं। कुछ हद…
चंबल सफारी में चौकीदार का काम करने वाले जगदीश इंडियन स्किमर के घोसलों की रक्षा करते हैं। एक दशक पहले इन्होंने घड़ियाल से संरक्षण का काम शुरू किया था। इलस्ट्रेशन- तान्या टिम्बले
काशी के गंगा घाट पर प्रवासी पक्षियों की वजह से प्रकृति का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। तस्वीर- प्रभु बी/फ्लिकर

क्या है वेटलैंड और इसे बचाना क्यों है जरूरी?

जंगल को धरती का फेफड़ा कहा जाता है क्योंकि यही जंगल वातावरण में फैले कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं। इस आधार पर कहें तो वेटलैंड्स…
काशी के गंगा घाट पर प्रवासी पक्षियों की वजह से प्रकृति का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। तस्वीर- प्रभु बी/फ्लिकर
बीज का संग्रहण, उसकी रोपाई और खेती के अन्य मौके डोंगरिया के लिए त्योहार की तरह हैं।

प्रकृति पूजक डोंगरिया आदिवासी सहेज रहे बीजों की विरासत, बदलते मौसम में भी बरकरार पैदावार

नियमगिरि पहाड़ियों पर सुंदर और घने वनों के बीच आधुनिकता से दूर एक आदिवासी समाज रहता है। अपने में अनोखे इस समाज को डोंगरिया कोंध के नाम से जानते हैं।…
बीज का संग्रहण, उसकी रोपाई और खेती के अन्य मौके डोंगरिया के लिए त्योहार की तरह हैं।
बोनट मकाक खाना मांगने के लिए इस तरह हाथ फैलाता है। तस्वीर- श्रीजाता गुप्ता

बांदीपुर टाइगर रिजर्व के बंदरों ने सीख लिया है हाथ फैलाकर भीख मांगना

कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व में पर्यटकों और यहां पाए जाने वाले बोनट मकाक (Macaca radiata) यानी बंदर की एक विशेष प्रजाति के बीच नोंकझोंक रोज की बात हो गई…
बोनट मकाक खाना मांगने के लिए इस तरह हाथ फैलाता है। तस्वीर- श्रीजाता गुप्ता
भोरमदेव

विस्थापन के भय से छत्तीसगढ़ के भोरमदेव जंगल को टाइगर रिजर्व बनाने के विरोध में बैगा आदिवासी

छत्तीसगढ़ में मध्यप्रदेश की सीमा से सटा भोरमदेव का जंगल अपने इतिहास और बाघ समेत दर्जनों अन्य प्रजाति के जीवों की उपस्थिति को लेकर चर्चा में रहा है। मध्यप्रदेश कान्हा…
भोरमदेव
दक्षिणपूर्व कर्नाटक में बिलीगिरिंगा पहाड़ी का तेंदुआ। देशभर में कर्नाटक तेंदुए की अनुमानित संख्या (1,783) में दूसरे स्थान पर है। फोटो- उदय किरण/विकिमीडिया कॉमन्स

देश में 60 फीसदी और मध्यप्रदेश में 88 फीसदी बढ़ी तेंदुए की आबादी, इंसानों के साथ संघर्ष रोकना बड़ी चुनौती

आए दिन देश के किसी कोने से तेंदुए के पीछे लाठी-डंडा लेकर दौड़ते लोगों की तस्वीर नजर आती है। कभी पंजाब के खेतों से तो कभी मध्यप्रदेश के किसी रिहायशी…
दक्षिणपूर्व कर्नाटक में बिलीगिरिंगा पहाड़ी का तेंदुआ। देशभर में कर्नाटक तेंदुए की अनुमानित संख्या (1,783) में दूसरे स्थान पर है। फोटो- उदय किरण/विकिमीडिया कॉमन्स

संपादक की नजर में 2020: वायरस से जुड़ी चिंता के बीच पर्यावरण को लेकर मिले मौके चूक जाने का वर्ष

आधिकारिक तौर पर भारत में कोविड-19 का पहला मामला केरल के थ्रीसुर में जनवरी 2020 में दर्ज किया गया था। अभी दिसंबर 2020 में 90-वर्षीय ब्रिटेन का एक नागरिक इस…
पन्ना टाइगर रिजर्व के इलाके में जंगल से मवेशी चराकर आते आदिवासी। मध्यप्रदेश के जंगल आदिवासियों की जीवनरेखा है। फोटो- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे हिन्दी

मध्य प्रदेश में वनों को कॉर्पोरेट को देने की कोशिश हुई तेज, हो सकता है मुखर विरोध

देश की राजधानी दिल्ली में किसान सड़कों पर हैं और आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया तीन कृषि कानून किसान-विरोधी है और निजी कंपनियों को फायदा…
पन्ना टाइगर रिजर्व के इलाके में जंगल से मवेशी चराकर आते आदिवासी। मध्यप्रदेश के जंगल आदिवासियों की जीवनरेखा है। फोटो- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे हिन्दी