- नेपाल में गर्म होती जलवायु बड़ी बिल्लिओं की तीन प्रजातियों – बाघ, तेंदुए और हिम या बर्फीले तेंदुए – को एक दूसरे के बहुत पास ला रही है। इससे इन प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा हो सकता है।
- बाघ और तेंदुए दोनों को 3,000 मीटर (9,800 फीट) से ऊपर की ऊंचाई, जो कि हिम तेंदुए का क्षेत्र है, पर देखा गया है। हालांकि, संरक्षणवादियों का कहना है कि इतनी ऊंचाई पर बाघों के लम्बे समय तक रह सकने की संभावना कम है।
- हिम तेंदुए भी ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं क्योंकि उनके वर्तमान इलाके गर्म हो रहे हैं। लेकिन विस्थापन के लिए सीमित स्थान होने के कारण हिम तेंदुओं का आवास प्रभावी रूप से सिकुड़ जाएगा।
पिछले दिनों एक वीडियो, संभवतः भारत के जंगल में रिकॉर्ड किया गया, वायरल हुआ। इस वीडियो में एक बाघ पेड़ों के बीच चुपचाप कुछ दूरी पर अपना ध्यान केंद्रित कर बैठा दिखाई दे रहा है। यह बाघ अचानक से दहाड़ता है और अपने शिकार की ओर कूच करता है। शिकार, एक तेंदुआ है जो पेड़ से कूद रहा है। तेंदुआ रक्षात्मक स्थिति में ज़मीन पर बैठ जाता है, दोनों जानवर पीछे हटते हैं और ये टकराव यहीं ख़त्म हो जाता है।
इस वीडियो पर पडोसी देश नेपाल के एक सोशल मीडिया यूजर ने पुछा: जैसे-जैसे बाघ, तेंदुए और हिम तेंदुए जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे हैं, क्या यह संभव है कि भविष्य में उनके रहने के इलाके एक दुसरे में मिल जायेंगे, और रहने की जगह और शिकार के लिए उन्हें एक दुसरे का सामना करना पड़ेगा?
संरक्षणवादियों के अनुसार, इसका कोई आसान जवाब नहीं है। संरक्षणवादी बिक्रम श्रेष्ठ कहते हैं, “इस सवाल का स्पष्ट जवाब देने के लिए हमारे पास पर्याप्त शोध नहीं है।” “लेकिन, हमने देखा है कि जब भी बड़ी बिल्लियों के आवास ओवरलैप होते हैं, तो वे एक-दूसरे से बचते हैं, और मजबूत प्रजाति कमजोर को विस्थापित करती है।”
नेपाल के भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार इन तीन प्रजातियों को समझाते हुए संरक्षणवादियों ने पारंपरिक रूप से ‘लुप्तप्राय’ बाघ (पेंथेरा टाइग्रिस) को नेपाल के दक्षिणी मैदानी इलाकों का शीर्ष शिकारी माना है; ‘कमजोर’ तेंदुए (पैंथेरा पार्डस ) को देश के पहाड़ी क्षेत्र में राज करने वाला; और ‘संवेदनशील’ हिम तेंदुए (पैंथेरा उनसिया ) को पहाड़ों में उत्तर की ओर अपना प्रभुत्व ज़माने वाला माना है। नेपाल की स्कूली शिक्षा में भी यही पढ़ाया जाता है।
लेकिन अलग-अलग अध्ययनों से यह पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन तेजी से बाघों और तेंदुओं को उपयुक्त आवास की तलाश में उत्तर की ओर धकेल रहा है। ऐसे में हिम तेंदुओं के क्षेत्र का अतिक्रमण हो रहा है।
ऊंचे पहाड़ी इलाकों में इन तीनों प्रजातियों के रहवास के क्षेत्रों में ओवरलैप या मिलावट देखी गई है। पूर्वी नेपाल में 3,000 मीटर (9,800 फीट) से अधिक की ऊंचाई, जो कि हिम तेंदुए का क्षेत्र है, पर बाघों को कैमरा ट्रैप में देखा गया है।
भारत और भूटान में, उन्हें क्रमशः 3,600 और 4,000 मीटर (11,800 और 13,100 फीट) की ऊंचाई पर देखा गया है। इस बीच, तेंदुए 5,400 मीटर (17,700 फीट) तक की ऊंचाई पर पाए गए हैं। हिम तेंदुए 3,000-5,000 मीटर (9,800-16,400 फीट) की ऊंचाई पर रहते हैं।
कम ऊंचाई पर पाई जाने वाली दो प्रजातियों के बीच बाघ, तेंदुओं को अपने इलाकों से खदेड़ने के लिए जाना जाता है। संरक्षणवादी महेश्वर ढकाल ने मोंगाबे को बताया, “आम तेंदुओं और बाघों का शिकार समान होता है।” “वह आवास के नुकसान और अन्य मानवजनित दबावों का भी सामना कर रहे हैं और उन्हें संरक्षित क्षेत्रों के हाशिये पर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जहां उनके स्थानीय लोगों के साथ संघर्ष में आने की आशंका बढ़ जाती है।”
बाघों और हिम तेंदुओं की रेंज में ज़्यादा समानता नहीं होने के कारण इनके बीच के टकराव के बारे में कम पता चलता है, श्रेष्ठ कहते हैं। “हालाँकि, हम यह कह सकते हैं कि चूंकि हिम तेंदुए बाघों से कमजोर हैं इसलिए इनके किसी क्षेत्र में साथ रहने की स्थिति में बाघ हिम तेंदुए को विस्थापित कर देंगे,” उन्होंने बताया। वह कहते हैं कि तेंदुओं और हिम तेंदुओं के लिए भी यही स्थिति होगी। परिस्थितियां तेंदुओं के पक्ष ज़्यादा होंगी क्योंकि यह अधिक सामान्यवादी प्रजाति हैं, श्रेष्ठ कहते हैं।
एक अन्य संरक्षणवादी, केदार बराल, जिन्होंने तेंदुओं के आवास और वितरण पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव का अध्ययन किया है, कहते हैं कि बढ़ते तापमान के चलते तेंदुओं और हिम तेंदुओं के बीच टकराव बढ़ सकता है। “हमारे अध्ययन से पता चलता है कि आम तेंदुए उत्तर की ओर बढ़ सकते हैं, क्योंकि (उनके लिए) पहले उच्च ऊंचाई पर अनुपयुक्त आवास गर्मी के कारण उपयुक्त हो जाते हैं।”
श्रेष्ठ के शोध से पता चलता है कि हिम तेंदुए भी ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं क्योंकि उनके वर्तमान इलाके गर्म हो रहे हैं। लेकिन विस्थापन के लिए सीमित स्थान होने के कारण हिम तेंदुओं का आवास प्रभावी रूप से सिकुड़ जाएगा।
बाघों पर अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि बाघ अधिक ऊंचाई पर रहना पसंद कर सकते हैं। कंचन थापा, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ में एक संरक्षण जीवविज्ञानी, का मानना है कि यह एक असंभावित परिदृश्य है। वह कहते हैं, “मेरा मानना है कि हमने ज़्यादातर जिन बाघों को ऊंचाई पर पाया है, वो ऐसे बाघ हैं जो अपनी मां से अलग होने के बाद आवास की खोज कर रहे हैं।” “इनकी मुख्य आबादी के लिए दक्षिण में घास के मैदान ही आवास होंगे।”
भविष्य में बड़ी बिल्लियों के बीच जो भी संभावित टकराव होगा, वह किसी अन्य कारक – इंसानों से प्रभावित होने की संभावना है। श्रेष्ठ कहते हैं, “दूसरी दिलचस्प बात यह है कि मानव बस्तियां भी उत्तर की ओर बढ़ रही हैं।” “जलवायु परिवर्तन के कारण, कम ऊंचाई के इलाके गर्म हो रहे हैं और उच्च ऊंचाई मानव बस्ती के लिए उपयुक्त होती जा रही है।”
और इतिहास गवाह है कि, बड़ी बिल्लियों और मनुष्यों के बीच के टकराव में, बाद वाला हमेशा प्रबल होता है।
बैनर तस्वीर: हिम तेंदुए 3,000-5,000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। तस्वीर: टुम्बको/फ़्लिकर