Articles by Shailesh Shrivastava

केरल में चिन्नार का जंगल। एफआरए दोनों जनजातियों और अन्य वन निवास समुदायों के निजी और सामुदायिक अधिकारों को मान्यता देता है, जिसमें जंगलों में जल निकायों तक पहुंच शामिल है। तस्वीर - केरल पर्यटन/फ़्लिकर।

15 साल बाद भी कछुआ चाल से वन अधिकार कानून का कार्यान्वयन, नई रिपोर्ट में दावा

हाल में आई एक नई रिपोर्ट के अनुसार वन अधिकार कानून को लागू करने में बड़े पैमाने पर सामुदायिक वन अधिकारों के दावों की अनदेखी की गई है। यही नहीं…
केरल में चिन्नार का जंगल। एफआरए दोनों जनजातियों और अन्य वन निवास समुदायों के निजी और सामुदायिक अधिकारों को मान्यता देता है, जिसमें जंगलों में जल निकायों तक पहुंच शामिल है। तस्वीर - केरल पर्यटन/फ़्लिकर।
ओडिशा के सुंदरगढ़ के फुलधुडी गांव में अपनी मशरूम की फसल के साथ खड़ी कुछ महिलाएं। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे।

भूसे और पराली से मशरूम की खेती ने ओडिशा के गांवों की बदली तस्वीर

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के फुलधुडी गांव में रहने वाली 30 साल की भारती प्रूसेच के घर के पीछे की जमीन कई साल से बंजर पड़ी थी। लेकिन आज यही…
ओडिशा के सुंदरगढ़ के फुलधुडी गांव में अपनी मशरूम की फसल के साथ खड़ी कुछ महिलाएं। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे।
नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड की चारदीवारी के पास हाथियों का झुंड। तस्वीर: रोहित चौधरी।

हाथियों को रास्ता देने के लिए गिराई जा रही दीवार, लंबे संघर्ष के बाद सफलता

भारत में पर्यावरण एक्टिविजम के लिए एक ऐतिहासिक क्षण तब आया जब 17 मार्च को नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) ने अपनी टाउनशिप में 2.2 किलोमीटर लंबी चारदीवारी को गिराना शुरू…
नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड की चारदीवारी के पास हाथियों का झुंड। तस्वीर: रोहित चौधरी।
बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान की बाड़ के पीछे घूमता हुआ भारतीय हाथियों का एक झुंड। प्रतीकात्मक तस्वीर- सरित शर्मा/विकिमीडिया कॉमन्स 

बिजली की तेजी से बढ़ रही हैं देश में करंट लगने से हाथियों की मौतें

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले में 10 मार्च को लगभग दस साल के एक नर हाथी को करंट लगा कर मार डाला गया। वाड्रफनगर से लगे हुए फोकली महुआ वनक्षेत्र में…
बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान की बाड़ के पीछे घूमता हुआ भारतीय हाथियों का एक झुंड। प्रतीकात्मक तस्वीर- सरित शर्मा/विकिमीडिया कॉमन्स 
लीची के फूल पर मंडराती एक मधुमक्खी। बिहार के मुजफ्फरपुर में सबसे अधिक 8400 मिट्रीक टन शहद का उत्पादन होता है। मुजफ्फरपुर में अधिक शहद उत्पादन की सबसे बड़ी वजह यहां लीची के साथ फूल और सरसो की अच्छी खेती है। तस्वीर- फ़ॉरेस्ट और किम स्टार/विकिमीडिया कॉमन्स

लीची शहद के लिए मशहूर बिहार उत्पादन में आगे, पर दूसरे राज्यों पर निर्भर किसान

बिहार के गया जिले में परैया मरांची गांव के चितरंजन कुमार 18-20 टन शहद का उत्पादन करते हैं। ठीक ऐसे ही, इस ही गाँव के निरंजन प्रसाद भी साल में…
लीची के फूल पर मंडराती एक मधुमक्खी। बिहार के मुजफ्फरपुर में सबसे अधिक 8400 मिट्रीक टन शहद का उत्पादन होता है। मुजफ्फरपुर में अधिक शहद उत्पादन की सबसे बड़ी वजह यहां लीची के साथ फूल और सरसो की अच्छी खेती है। तस्वीर- फ़ॉरेस्ट और किम स्टार/विकिमीडिया कॉमन्स
अंडों के साथ ग्रैसिक्सलस पैटकैएन्सिस, नर की तरफ आकर्षित होते हुए। तस्वीर-अभिजीत दास 

अरुणाचल में मेंढकों की तीन नई प्रजातियां मिली, आवास के आधार पर रखे गए उनके नाम

भारत में जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट में पाई जाने वाली उभयचर प्रजातियों के विशाल भंडार में अरुणाचल प्रदेश के नामदाफा-कमलांग लैंडस्केप से खोजी गई तीन नई मेंढक प्रजातियां भी शामिल…
अंडों के साथ ग्रैसिक्सलस पैटकैएन्सिस, नर की तरफ आकर्षित होते हुए। तस्वीर-अभिजीत दास 
उदयुपर अपनी मानव-निर्मित झीलों के लिए मशहूर है। इन झीलों को वहां के तत्कालीन राजाओं ने गर्मियों के दौरान शहर को ठंडा करने के लिए बनवाया था। तस्वीर- केएस गोपी सुंदर 

पक्षियों को भा रहे छोटे शहर, जलपक्षियों पर अपने तरह के पहले रिसर्च से सामने आई रोचक जानकारियां

झीलों के शहर उदयपुर में जलपक्षी आराम करने और घोंसला बनाने के लिए अलग-अलग जगहों का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, वे एक जैसे संकेतों (जैसे आसपास दलदली जगह) से इस…
उदयुपर अपनी मानव-निर्मित झीलों के लिए मशहूर है। इन झीलों को वहां के तत्कालीन राजाओं ने गर्मियों के दौरान शहर को ठंडा करने के लिए बनवाया था। तस्वीर- केएस गोपी सुंदर 
जर्मनी के स्टुटगर्ट के जूलॉजिकल हार्डन में एक इंडियन रॉक पायथन। इंडियन रॉक पायथन ऐसे सांप हैं जिनके बारे में बहुत कम अध्ययन किया गया है। तस्वीर- होल्गर क्रिस्प/विकिमीडिया कॉमन्स।

घर जरूर लौटते हैं अजगर, समय लगता है लेकिन लौट आते हैं: स्टडी

हाल ही में दक्षिण भारत के दो टाइगर रिजर्व में 14 इंडियन रॉक पायथन (Python molurus) पर हुई एक टेलीमेट्री स्टडी में इस प्रजाति के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला…
जर्मनी के स्टुटगर्ट के जूलॉजिकल हार्डन में एक इंडियन रॉक पायथन। इंडियन रॉक पायथन ऐसे सांप हैं जिनके बारे में बहुत कम अध्ययन किया गया है। तस्वीर- होल्गर क्रिस्प/विकिमीडिया कॉमन्स।
दार्जिलिंग में लाल पांडा। तस्वीर- संदीप पाई/विकिमीडिया कॉमन्स 

वन्यजीवों की पहचान और निगरानी के लिए भारत में हो रहा ईडीएनए तकनीक का इस्तेमाल

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण) ने वन्यजीवों पर अध्ययन और निगरानी के लिए ईडीएनए (एनवायरमेंटल डीएनए) का इस्तेमाल करने के लिए एक पायलट परियोजना तैयार की है।…
दार्जिलिंग में लाल पांडा। तस्वीर- संदीप पाई/विकिमीडिया कॉमन्स 
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसान आवारा पशुओं से परेशान हैं। तस्वीर- सुमित यादव

सोलर फेंसिंग मशीन: यूपी के किसानों की जरूरत, ‘खेत सुरक्षा योजना’ करवा रही है इंतजार

देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के किसान साल 2017 के बाद से खेतों की रखवाली करते हुए मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। आवारा गोवंशो और…
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसान आवारा पशुओं से परेशान हैं। तस्वीर- सुमित यादव
चुनावी बॉन्ड योजना में बुनियादी ढांचा विकास उद्योग की भागीदारी भारत के पर्यावरण नियमों में कमियों को उजागर करती है, जिन्हें कारोबारी हितों को शामिल करने के लिए खत्म कर दिया गया है। तस्वीर - प्रणव कुमार/मोंगाबे।

भारत के हरित विकास को बढ़ावा देने वाली कंपनियों ने राजनीतिक दलों को दिया करोड़ों का चंदा

साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने खुद को स्थानीय और दुनिया भर में हरित विकास के समर्थक…
चुनावी बॉन्ड योजना में बुनियादी ढांचा विकास उद्योग की भागीदारी भारत के पर्यावरण नियमों में कमियों को उजागर करती है, जिन्हें कारोबारी हितों को शामिल करने के लिए खत्म कर दिया गया है। तस्वीर - प्रणव कुमार/मोंगाबे।
भारत में दिखने वाला ओरिएंटल पाइड हॉर्नबिल। फोटो: तिशा मुखर्जी/Wikimedia Commons।

कैसे प्राकृतिक रंग पैदा करने वाले पौधों के खत्म होने से आया ग्रामीण अभयारण्य का विचार

असम के चराईदेव जिले के चाला गांव में सफराई नदी के किनारे घोड़े के खुर के आकार में बना यह हरा-भरा जंगल 680 हेक्टेयर का है। यहीं पर एक 152…
भारत में दिखने वाला ओरिएंटल पाइड हॉर्नबिल। फोटो: तिशा मुखर्जी/Wikimedia Commons।

केमफोली नाइट मेंढकों की जेनेटिक जानकारी से बेहतर बनेगी संरक्षण की रणनीति

पश्चिमी घाट में की गई एक नई स्टडी में पता चला है कि आम जनधारणा के विपरीत नदी की धाराओं की सीमाएं जलीय केमफोली नाइट मेंढकों के घूमने-फिरने के लिए…
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स

[एक्सप्लेनर] हीटवेव में हो रही है बढ़ोतरी, क्या प्रभावी हैं भारत के हीट एक्शन प्लान?

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अप्रैल में आई हीटवेव कई संवेदनशील और पिछले समुदायों के लिए…
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स
अपनी बकरियों को चराने के लिए ले जाता हुआ एक चरवाहा। शुष्क क्षेत्रों में तेजी से फैलने वाली घास को कम करने में आग एक जरूरी भूमिका निभाती है। तस्वीर- सी.एस. सनीश 

चराई या आग: सवाना में बढ़ती घास से निपटने का कौन सा तरीका बेहतर

पूर्वी घाट के एक अध्ययन में मेसिक सवाना पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से फैल रही देसी सिम्बोपोगोन घास (लेमनग्रास) को लेकर चिंता जाहिर की और पारिस्थितिक तंत्र को पुरानी स्थिति…
अपनी बकरियों को चराने के लिए ले जाता हुआ एक चरवाहा। शुष्क क्षेत्रों में तेजी से फैलने वाली घास को कम करने में आग एक जरूरी भूमिका निभाती है। तस्वीर- सी.एस. सनीश 
कैमरे में कैद अपने मेमने के साथ एक नीली भेड़ की तस्वीर। विशेषज्ञों का मानना है कि जानवरों के लिए उपयुक्त आवास के रूप में ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में संरक्षित क्षेत्रों के नेटवर्क की फिर पड़ताल की जानी चाहिए। तस्वीर- एनएमएचएस

प्राकृतिक रुकावटों से कम हो रहा नीली भेड़ों में जीन का आदान-प्रदान

यह अभी भी बड़ी हैरानी की बात है कि कैसे एक अनगुलेट, जो न तो नीला है, न ही भेड़ है, उसे नीली भेड़ कहा जाने लगा। इनके शरीर की…
कैमरे में कैद अपने मेमने के साथ एक नीली भेड़ की तस्वीर। विशेषज्ञों का मानना है कि जानवरों के लिए उपयुक्त आवास के रूप में ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में संरक्षित क्षेत्रों के नेटवर्क की फिर पड़ताल की जानी चाहिए। तस्वीर- एनएमएचएस
छतर सिंह ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जैसलमेर में सैकड़ों खड़ीनों को पुनर्जीवित करने में मदद की है। तस्वीर- अमीर मलिक/मोंगाबे

[वीडियो] खड़ीन: राजस्थान में जल संग्रह की परंपरागत तकनीक से लहलहाती फसलें

"मान लो, आपकी हथेली जैसलमेर का कोई इलाका है और आपकी हथेली के बीच तक पहुंचने वाली ढलान खड़ीन है।” आसान से शब्दों में खड़ीन का मतलब समझाते हुए किसान…
छतर सिंह ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जैसलमेर में सैकड़ों खड़ीनों को पुनर्जीवित करने में मदद की है। तस्वीर- अमीर मलिक/मोंगाबे
गोपाल सरकार अक्टूबर 2023 के बाद रेत और गाद से ढके अपने खेत को पुराने रूप में लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बाढ़  पड़ोसी राज्य सिक्किम से शुरू हुई थी और इसने पश्चिम बंगाल में तीस्ता नदी के किनारे जलपाईगुड़ी जिले के एक हिस्से पर असर डाला। तस्वीर - अरुणिमा कर।

सिक्किम की बाढ़ के बाद गाद और रसायनों से प्रभावित उत्तरी बंगाल के किसान

पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में जलपाईगुड़ी जिले के 54 वर्षीय किसान गोपाल सरकार को पिछली सर्दियों में सब्जियों की खेती करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनका एक…
गोपाल सरकार अक्टूबर 2023 के बाद रेत और गाद से ढके अपने खेत को पुराने रूप में लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बाढ़  पड़ोसी राज्य सिक्किम से शुरू हुई थी और इसने पश्चिम बंगाल में तीस्ता नदी के किनारे जलपाईगुड़ी जिले के एक हिस्से पर असर डाला। तस्वीर - अरुणिमा कर।
डेइंग एरिंग मेमोरियल वाइल्डलाइफ सैंक्चरी में नदी के एक टापू के किनारे कटाव रोकने के लिए लगाए गए कॉन्क्रीट के कंटीलेदार स्क्रीन। तस्वीर- ज्योतिर्मय सहारिया।

अरुणाचल प्रदेश की सैंक्चरी में घास के मैदान घटने से स्थानीय पक्षियों पर खतरा

जून की उमस भरी दोपहर में ऊपरी असम के धेमजी जिले के जोनाई शहर के बाहरी इलाकों में बाढ़ का सर्वे करते हुए नामाश पसार ने बढ़ते पानी में कुछ…
डेइंग एरिंग मेमोरियल वाइल्डलाइफ सैंक्चरी में नदी के एक टापू के किनारे कटाव रोकने के लिए लगाए गए कॉन्क्रीट के कंटीलेदार स्क्रीन। तस्वीर- ज्योतिर्मय सहारिया।
हाथ की चक्की पर बाजरे को पीसती हुई अट्टापडी में एक आदिवासी महिला। तस्वीर-मैक्स मार्टिन/मोंगाबे

लुप्त होती परंपरा बचाने के लिए केरल के आदिवासियों ने दोबारा शुरू की बाजरे की खेती

केरल के अट्टापडी हाइलैंड्स में आदिवासी बस्तियों के किनारे पहाड़ी जंगलों में एक बार फिर से बाजरा के लहलहाते खेत नजर आने लगे हैं। यह इलाका पश्चिमी घाट के वर्षा…
हाथ की चक्की पर बाजरे को पीसती हुई अट्टापडी में एक आदिवासी महिला। तस्वीर-मैक्स मार्टिन/मोंगाबे
झारखंड के आदिवासी हाट में सागों को सुखाकर भी बेचा जाता है। तस्वीर- विनीता परमार और कुशाग्र राजेन्द्र

झारखंड की गुमनाम साग-भाजी में छुपी है पोषण की गारंटी

सितम्बर महीने का वो दिन स्वाद में रच-बस गया, जब दोपहर के भोजन में झारखंड की थालियों की शान गरमागरम भात,दाल,सब्जी के साथ साग और चटनी परोसी गयी। परोसे गए…
झारखंड के आदिवासी हाट में सागों को सुखाकर भी बेचा जाता है। तस्वीर- विनीता परमार और कुशाग्र राजेन्द्र
NTFPs के बारे में स्थानीय नागरिकों की जानकारी का सर्वे किया गया। तस्वीर- अलोक मजूमदार।

संरक्षण के लिए गैर-टिंबर वन उत्पादों के बारे में जानकारी बढ़ाना जरूरी

शोधार्थियों ने जैव विविधता से जुड़ी सूचनाओं की छानबीन की जिसमें खासतौर पर पश्चिम बंगाल के स्थानीय शहरी निवासियों के बीच नॉन-टिंबर फॉरेस्ट प्रोडक्ट (NTFPs) के इस्तेमाल को लेकर अध्ययन…
NTFPs के बारे में स्थानीय नागरिकों की जानकारी का सर्वे किया गया। तस्वीर- अलोक मजूमदार।
पेंटिंग्स की गठरी लेकर हस्तकला केंद्र से बाहर निकलते कलाकार राम कुमार श्याम। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

गोंड आदिवासियों को रोजी-रोटी और पहचान दिलाने वाला जनगढ़ कलम

पीपल के पेड़ की छांव तले वातावरण में एक अनोखी धुन तैर रही है। वाद्ययंत्र बाना पर लोक कलाकार नारायण सिंह टेकाम गोंडी बोली में गीत गा रहे हैं। गीत…
पेंटिंग्स की गठरी लेकर हस्तकला केंद्र से बाहर निकलते कलाकार राम कुमार श्याम। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
वाइल्डलाइफ एसओएस के प्रांगण में टहलते हुए दो हाथी। तस्वीर साभार- वाइल्डलाइफ एसओएस

कैसे काम करता है भीख मांगने और सर्कस से बचाए गए हाथियों का संरक्षण केंद्र

आज से 14 साल पहले हरियाणा के पलवल हाईवे पर एक हथिनी चोटिल घूम रही थी। वन्यजीवों को बचाने वाली एक टीम ने उसकी देखभाल की। गंभीर चोट की वजह…
वाइल्डलाइफ एसओएस के प्रांगण में टहलते हुए दो हाथी। तस्वीर साभार- वाइल्डलाइफ एसओएस
बन्नी के सर्वो गांव में मालधारी अपने मवेशियों को चराने के दौरान पेड़ों के नीचे आराम करते हुए। इस चरवाहा समुदाय की आजीविका को बनाए रखने के लिए बन्नी घास के मैदानों का रखरखाव जरूरी है। तस्वीर - धैर्य गजारा/मोंगाबे।

गुजरात का बन्नी करेगा चीतों का स्वागत, लेकिन स्थानीय निवासी कर रहे पट्टों की मांग

भारत में चीतों को फिर से बसाने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को एक साल से ज्यादा हो गया है। अब सरकार गुजरात के कच्छ जिले में स्थित कच्छ…
बन्नी के सर्वो गांव में मालधारी अपने मवेशियों को चराने के दौरान पेड़ों के नीचे आराम करते हुए। इस चरवाहा समुदाय की आजीविका को बनाए रखने के लिए बन्नी घास के मैदानों का रखरखाव जरूरी है। तस्वीर - धैर्य गजारा/मोंगाबे।
पश्चिम बंगाल की संतरागाछी झील में मौजूद प्रवासी पक्षी। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।  

पश्चिम बंगाल के दक्षिण-मध्य में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोक

इसी साल 15 फरवरी को पश्चिम बंगाल के वन विभाग के अधिकारियों ने एक शख्स को पश्चिम बंगाल के मध्य में स्थित मुर्शिदाबाद जिले के 100 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र…
पश्चिम बंगाल की संतरागाछी झील में मौजूद प्रवासी पक्षी। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।  
चन्नापटना शहर में सड़क किनारे एक दुकान पर प्रदर्शित पारंपरिक चन्नापटना खिलौने। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे।

परंपरा और आधुनिक डिज़ाइन के बीच अटके चन्नापटना के लकड़ी के खिलौने और उनके कारीगर

एक साधारण से घर की चमकीली गुलाबी दीवार के सामने बरामदे में बैठीं बोरम्मा का सारा ध्यान एक धुरी पर है, जिसके ऊपर लकड़ी का एक टुकड़ा लगा हुआ है।…
चन्नापटना शहर में सड़क किनारे एक दुकान पर प्रदर्शित पारंपरिक चन्नापटना खिलौने। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे।
पश्चिमी घाट में एक किंग कोबरा। संयोजन में सरल होने के बावजूद किंग कोबरा का जहर काफी असरदार होता है। तस्वीर- गैरी मार्टिन।

स्टडी ने ध्वस्त किए किंग कोबरा के जहर से जुड़े मिथक, एंटी वेनम बनाने में होगी आसानी

एक नई स्टडी में पता चला है कि किंग कोबरा के जहर का संयोजन स्पैक्टैकल्ड कोबरा के जहर की तुलना में आसान होता है क्योंकि किंग कोबरा सिर्फ वही चीजें…
पश्चिमी घाट में एक किंग कोबरा। संयोजन में सरल होने के बावजूद किंग कोबरा का जहर काफी असरदार होता है। तस्वीर- गैरी मार्टिन।
पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला

चामी मुर्मू: पेड़ और पानी से होते हुए पद्म श्री तक का सफर

32 साल में लगाए 30 लाख पेड़। हर दिन करीब 257 पौधे।   71 गांवों में चार अमृत सरोवर सहित कुल 217 तालाबों का निर्माण।  263 गांवों में बनाए 2873 स्वयं…
पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला
दिल्ली में धुंध वाली सर्दियों के एक दिन एक पुलिसकर्मी। तस्वीर- साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय भारत सरकार/विकिमीडिया कॉमन्स।

वायु प्रदूषण कम करने के लिए मॉनीटिरिंग बढ़ाने, सेहत को अहमियत देने की जरूरत: एक्सपर्ट

अक्टूबर महीने के आखिरी हफ्ते में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इसके आसपास के इलाकों को धुंधु की एक जहरीली परत ने ढक लिया था। इसी के साथ हर साल…
दिल्ली में धुंध वाली सर्दियों के एक दिन एक पुलिसकर्मी। तस्वीर- साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय भारत सरकार/विकिमीडिया कॉमन्स।