जलवायु परिवर्तन News

हाल के सालों में भारत सरकार ने कोयला खनन में तेजी लाई है। अगले 10 सालों में उत्पादन बढ़ाकर 1500 मिलियन टन से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा गया है। तस्वीर सौजन्य- पीआईबी

झारखंड: जस्ट ट्रांजिशन के बीच नई कोयला खदानों और थर्मल प्लांट का बढ़ता दायरा

झारखंड में बड़कागांव प्रखंड के गोंदलपुरा गांव में प्रवेश करने से ठीक पहले सदानीरा ददमाही नदी आपका स्वागत करती है। यहां के बहु-फसली खेतों में लोग अपनी फसलों की देखभाल…
हाल के सालों में भारत सरकार ने कोयला खनन में तेजी लाई है। अगले 10 सालों में उत्पादन बढ़ाकर 1500 मिलियन टन से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा गया है। तस्वीर सौजन्य- पीआईबी
ओडिशा में धान के खेत पर छाए हुए घने बादल। राज्य में मैलेडोसिस संक्रमण भारी बारिश, बहुत ज्यादा आर्द्रता, बादलों का ज्यादा होना और कम धूप की स्थिति के दौरान सबसे अधिक होता है। ओडिशा में, ये परिस्थितियां आधे साल तक बनी रहती हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए चिन्मयी मिश्रा की तस्वीर।

ओडिशा में मौसम पर आधारित एक दुर्लभ बीमारी की उभरती जानकारियां

एक सूक्ष्म जीवविज्ञानी और एक जलवायु मॉडलिंग वैज्ञानिक के बीच हुई एक आकस्मिक मुलाकात से ओडिशा में समय और जगह के आधार पर उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी के बारे में पता…
ओडिशा में धान के खेत पर छाए हुए घने बादल। राज्य में मैलेडोसिस संक्रमण भारी बारिश, बहुत ज्यादा आर्द्रता, बादलों का ज्यादा होना और कम धूप की स्थिति के दौरान सबसे अधिक होता है। ओडिशा में, ये परिस्थितियां आधे साल तक बनी रहती हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए चिन्मयी मिश्रा की तस्वीर।
बेड़ो में मनरेगा के तहत हुए कामों को चित्र के जरिए उकेरा गया है। तस्वीर – विशाल कुमार जैन

दुनियाभर में आकार ले रहे कार्बन बाजार में शामिल हुआ झारखंड

पिछले साल जब अजरबैजान की राजधानी बाकू में दुनिया भर के देश और कई संगठन कार्बन ट्रेडिंग के नियमों पर मुहर लगा रहे थे, तब वहां से करीब 3,800 किलोमीटर…
बेड़ो में मनरेगा के तहत हुए कामों को चित्र के जरिए उकेरा गया है। तस्वीर – विशाल कुमार जैन
दक्षिण 24 परगना जिले में नामखाना में हतनिया दोआनिया नदी का दृश्य, यह राष्ट्रीय जलमार्ग - 97 का हिस्सा है। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए

जलवायु परिवर्तन से जूझते सुंदरबन में जल परिवहन व पर्यटन से चिंतित छोटे मछुआरे

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले का शिव कालीनगर गांव सुंदरबन के काकद्वीप पर बसा है। इस गांव के 34 वर्षीय मल्लाह पुलक दास उन परंपरागत मछुआरा परिवारों से…
दक्षिण 24 परगना जिले में नामखाना में हतनिया दोआनिया नदी का दृश्य, यह राष्ट्रीय जलमार्ग - 97 का हिस्सा है। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए
तेलंगाना में रागी का खेत। लंबे होते गर्मी के मौसम और ठंड के कम होते दिनों जैसे जलवायु के दुष्प्रभाव तमिलनाडु के किसानों को रागी जैसी लंबी अवधि के मोटे अनाज से चेना या कंगनी जैसे कम अवधि में तैयार होने वाले मोटे अनाज की ओर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। विकिमीडिया कॉमन्स  (CC BY-SA 4.0) के जरिए कावली चंद्रकांत KCK की तस्वीर।

मौसम के बारे में जानकारी, विविधता से मोटा अनाज उगाने वाले आदिवासियों को होगा फायदा

तमिलनाडु के नमक्कल जिले का पहाड़ी इलाका कोल्ली हिल्स समुद्र तल से 1,200 मीटर की ऊंचाई पर है। यह इलाका मोटे अनाज की खेती का गढ़ है। यहां की पहाड़ियों…
तेलंगाना में रागी का खेत। लंबे होते गर्मी के मौसम और ठंड के कम होते दिनों जैसे जलवायु के दुष्प्रभाव तमिलनाडु के किसानों को रागी जैसी लंबी अवधि के मोटे अनाज से चेना या कंगनी जैसे कम अवधि में तैयार होने वाले मोटे अनाज की ओर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। विकिमीडिया कॉमन्स  (CC BY-SA 4.0) के जरिए कावली चंद्रकांत KCK की तस्वीर।
धान के अपने खेत में देवलाल मुंडा। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे

प्राकृतिक खेती: उत्पादों के लिए बाजार सबसे बड़ी चुनौती, अलग एमएसपी की मांग

झारखंड में रामगढ़ जिले के कौड़ी गांव में रहने वाले देवलाल मुंडा डेढ़ एकड़ पुश्तैनी जमीन पर साल 2023 तक रसायनिक खेती कर रहे थे। जलवायु परिवर्तन और रासायनिक खाद…
धान के अपने खेत में देवलाल मुंडा। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे
नागा कार्यकर्ता सेनो त्सुहा व्याख्यान देती हुई। सेनो त्सुहा के सौजन्य से तस्वीर।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पारंपरिक तरीकों को जीवनदान देती नागालैंड की एक कार्यकर्ता [इंटरव्यू]

नागालैंड की हरी-भरी पहाड़ियों में बसे फेक जिले में, समुदाय की भावनाएं हर गांव में गूंजती हैं। पूर्वोत्तर-भारतीय राज्य के इन गांवों में कई युवा और महिला समाज और आदिवासी…
नागा कार्यकर्ता सेनो त्सुहा व्याख्यान देती हुई। सेनो त्सुहा के सौजन्य से तस्वीर।
टैक्सोनॉमिस्ट जिनी जैकब एक प्रयोगशाला में नमूने का निरीक्षण करते हुए। उन्हें 2024 में ओशन सेंसस अवार्ड से सम्मानित किया गया, क्योंकि उन्होंने 60 से अधिक नेमाटोड प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया है, जिनमें से चार का उन्होंने औपचारिक रूप से वर्णन किया है। तस्वीर सौजन्य: जिनी जैकब।

खूबसूरत सूक्ष्मजीव नेमाटोड्स की रहस्यमयी दुनिया

टैक्सोनॉमिस्ट जिनि जैकब को बचपन से ही सूक्ष्म जीवों की दुनिया में काफी रूचि थी। स्कूल के दिनों में, चींटियां और अन्य छोटे कीड़े उनके जिज्ञासा के विषय होते थे,…
टैक्सोनॉमिस्ट जिनी जैकब एक प्रयोगशाला में नमूने का निरीक्षण करते हुए। उन्हें 2024 में ओशन सेंसस अवार्ड से सम्मानित किया गया, क्योंकि उन्होंने 60 से अधिक नेमाटोड प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया है, जिनमें से चार का उन्होंने औपचारिक रूप से वर्णन किया है। तस्वीर सौजन्य: जिनी जैकब।
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।

धान के खेतों में उगते साग को थाली तक लाने की कोशिश

साल 2014 में तमिलनाडु के पोलाची शहर में अपने खेतों से गुजरते समय श्रीदेवी लक्ष्मीकुट्टी ने दिलचस्प बात देखी। आस-पास के खेतों की कई महिलाएं खर-पतवार के रूप में उगने…
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।
खून की जांच कराता हुआ व्यक्ति। जीबीएस अक्सर वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण के बाद होता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जीका उनमें से एक है। Pexels [CC0] के जरिए प्रणिदचकन बुक्रोम की प्रतिनिधि तस्वीर।

पुणे: जीका, जीबीएस के प्रकोप से निगरानी और डेटा के बेहतर इस्तेमाल की जरूरत

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने बुलेटिन में कहा है कि साल 2024 के आखिर तक पुणे में जीका के 151 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, दुर्लभ तरीके के न्यूरोलॉजिकल…
खून की जांच कराता हुआ व्यक्ति। जीबीएस अक्सर वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण के बाद होता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जीका उनमें से एक है। Pexels [CC0] के जरिए प्रणिदचकन बुक्रोम की प्रतिनिधि तस्वीर।
शोधकर्ता नेपाल की लंगटांग घाटी में रिखा सांबा ग्लेशियर की निगरानी कर रहे हैं। इस ग्लेशियर की ऊंचाई 5,420-6,440 मीटर है। तस्वीर - दिबश श्रेष्ठ।

हिमालय के ग्लेशियरों की स्थिति जानने के लिए जरूरी है लम्बी निगरानी

हिमालय-काराकोरम (एचके रीजन), 2500 किलोमीटर लम्बी पर्वत श्रृंखला, पूर्व में भारत की सीमा, भूटान और नेपाल, और पश्चिम में पाकिस्तान में फैली हुई है। इस क्षेत्र में 39,660 ग्लेशियर हैं…
शोधकर्ता नेपाल की लंगटांग घाटी में रिखा सांबा ग्लेशियर की निगरानी कर रहे हैं। इस ग्लेशियर की ऊंचाई 5,420-6,440 मीटर है। तस्वीर - दिबश श्रेष्ठ।
सर्वे से पता चला है कि सिंधु नदी डॉल्फिन केवल ब्यास नदी के निचले तीसरे हिस्से में पाई जाती हैं, जिनकी संख्या एक से आठ तक है। तस्वीर-डॉ. संदीप बेहेरा 

सिंधु नदी डॉल्फिन की आबादी घटी, आवास भी सुरक्षित नहीं

उत्तरी भारत में ब्यास नदी का पानी सिंधु नदी डॉल्फिन की एक छोटी, लुप्तप्राय आबादी का घर है। लेकिन अब उनकी संख्या कम हो रही है और उनके आवास खतरे…
सर्वे से पता चला है कि सिंधु नदी डॉल्फिन केवल ब्यास नदी के निचले तीसरे हिस्से में पाई जाती हैं, जिनकी संख्या एक से आठ तक है। तस्वीर-डॉ. संदीप बेहेरा 
शहरी भारत में वाहनों से निकलने वाला धुआं तेजी से अस्थिर हो रही जलवायु के कारण और भी घातक हो रहा है। Pexels के जरिए रवि शर्मा की तस्वीर।

ग्लोबल साउथ में बढ़ते तापमान से प्रदूषण और बीमारियों का खतरा गहराया

पिछले साल दुनिया ने डरावनी उपलब्धि हासिल की। यूरोपीय संघ की कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने 2024 को अब तक का सबसे गर्म साल बताया है। यह इतिहास में पहला…
शहरी भारत में वाहनों से निकलने वाला धुआं तेजी से अस्थिर हो रही जलवायु के कारण और भी घातक हो रहा है। Pexels के जरिए रवि शर्मा की तस्वीर।
रस निकलने के बाद गन्ने की खोई का इस्तेमाल रस को गर्म करने के लिए क्या जाता है। तस्वीर- विमल राय

झारखंडः बड़कागांव के गुड़ की मांग काफी, लेकिन गन्ने में बढ़ रहा कीटों का प्रकोप

फट-फट की आवाज करती मशीन के पहिए तेजी से चल रहे हैं। मशीन के नजदीक बैठी एक महिला के हाथ तेजी से गन्नों को मशीन के दो पहियों के बीच…
रस निकलने के बाद गन्ने की खोई का इस्तेमाल रस को गर्म करने के लिए क्या जाता है। तस्वीर- विमल राय
तेजी से शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, पर्यटन और जलवायु परिवर्तन ने लद्दाख क्षेत्र में भूजल संसाधनों पर तनाव बढ़ा दिया है। तस्वीर -विकिमीडिया कॉमन्स (CC-BY-SA-4.0) के माध्यम से एल्डोजोस19 द्वारा।

शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से लद्दाख में भूजल संसाधनों पर बढ़ता खतरा

हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि कृषि, घरों और होटलों के लिए मीठे पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत, भूजल कम हो रहा है और इसके…
तेजी से शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, पर्यटन और जलवायु परिवर्तन ने लद्दाख क्षेत्र में भूजल संसाधनों पर तनाव बढ़ा दिया है। तस्वीर -विकिमीडिया कॉमन्स (CC-BY-SA-4.0) के माध्यम से एल्डोजोस19 द्वारा।
अगस्त 2022 में कर्नाटका के कुर्ग में एक हर्पेटोलॉजी अभियान पर एक पिल बग को हाथ में पकड़े हुए वन्यजीव जीवविज्ञानी केडेन एंथनी। तस्वीर- रोमा ए. त्रिपाठी 

जागरूकता फैलाने के लिए कंटेंट क्रिएटर बने जीवविज्ञानी

बुश फ्रॉग खाते हुए एक मालाबार पिट वाइपर को कैमरे में कैद करना शायद आपकी शाम बिताने का तरीका न हो, लेकिन वन्यजीव जीवविज्ञानी यतिन कल्कि (28) के लिए ये…
अगस्त 2022 में कर्नाटका के कुर्ग में एक हर्पेटोलॉजी अभियान पर एक पिल बग को हाथ में पकड़े हुए वन्यजीव जीवविज्ञानी केडेन एंथनी। तस्वीर- रोमा ए. त्रिपाठी 
केरल के पालक्कड़ में सड़क किनारे नारियल की दुकान। तस्वीर- विकिमीडिया कॉमन्स (CC0 1.0)/Effulgence 108 ।

बढ़ते तापमान के कारण घटता नारियल उत्पादन, कीमतों में वृद्धि

गोवा के पणजी में सड़क किनारे, 31 वर्षीय युवा नारियल विक्रेता समीर करंगी के ठेले पर सिर्फ 10 नारियल हैं, जबकि हमेशा की तरह उनके पास नारियल का बड़ा ढेर…
केरल के पालक्कड़ में सड़क किनारे नारियल की दुकान। तस्वीर- विकिमीडिया कॉमन्स (CC0 1.0)/Effulgence 108 ।
अनियमित पर्यटन को इस क्षेत्र में बाढ़ से होने वाले भारी आर्थिक नुकसान के मुख्य कारणों में से एक के रूप में पहचाना गया है। तस्वीर- केसर चंद

हिमालय घाटी में बाढ़ की एक वजह अनियमित पर्यटन – अध्ययन

शहर की भागदौड़ से दूर, लोग सुकून की तलाश में कुल्लू घाटी की ओर रुख करते हैं और छुट्टियां बिताकर वापस लौट जाते हैं। स्थानीय लोगों का स्वभाव, सुहावना मौसम…
अनियमित पर्यटन को इस क्षेत्र में बाढ़ से होने वाले भारी आर्थिक नुकसान के मुख्य कारणों में से एक के रूप में पहचाना गया है। तस्वीर- केसर चंद
कुरीपिल्ली हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी में सरिता और आयशा। 2018 में बाढ़ के दौरान सोसाइटी के अध्यक्ष और सचिव के रूप में, उन्होंने सोसाइटी को फिर से खड़ा करने के लिए सभी संसाधन जुटाए। तस्वीर: आरती मेनन/मोंगाबे।

अनिश्चित मौसम से बढ़ती केरला के हथकरघा बुनकरों की परेशानियां

चेंदमंगलम, केरला के एर्नाकुलम जिले में एक पुराना शहर जो कोच्चि शहर से लगभग 40 किमी उत्तर में है, को 2012 में अपने कैथरी या हथकरघा के लिए भारत सरकार…
कुरीपिल्ली हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी में सरिता और आयशा। 2018 में बाढ़ के दौरान सोसाइटी के अध्यक्ष और सचिव के रूप में, उन्होंने सोसाइटी को फिर से खड़ा करने के लिए सभी संसाधन जुटाए। तस्वीर: आरती मेनन/मोंगाबे।
जैसलमेर में ऊंट। फ्लिकर (CC BY 2.0) के जरिए निनारा की तस्वीर।

प्रकृति के साथ तालमेल बिठा रहे स्वदेशी पशुधन

जलवायु परिवर्तन दुनिया भर खासकर भारत के शुष्क क्षेत्रों में खेती और पशुधन के लिए बड़ा खतरा है। बढ़ता तापमान, अचानक होने वाली बारिश और लगातार बार-बार मौसम से जुड़ी…
जैसलमेर में ऊंट। फ्लिकर (CC BY 2.0) के जरिए निनारा की तस्वीर।
कोयले के ढेर से कोयला चुनती महिला। फ्लिकर [CC BY-NC-SA 2.0] के जरिए लेसरकल की तस्वीर।

जस्ट ट्रांजिशन में सामाजिक बुनियादी ढांचे के साथ वैकल्पिक रोजगार पर हो फोकस

जस्ट ट्रांजिशन पर आई एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयले का इस्तेमाल खत्म करने से औपचारिक और अनौपचारिक कोयला श्रमिकों पर अलग-अलग असर होगा। लेकिन, इस उद्योग…
कोयले के ढेर से कोयला चुनती महिला। फ्लिकर [CC BY-NC-SA 2.0] के जरिए लेसरकल की तस्वीर।
मुंबई में एक फूल विक्रेता। परिवहन और मजदूरी की लागत के अलावा, पिछले 5-10 सालों में मौसम की मार ने असली फूलों की कीमतें बढ़ा दी हैं। तस्वीर: डिंपल बहल।

गर्मी और अनियमित बारिश से फूल उत्पादकों और विक्रेताओं की आजीविका पर असर

महाराष्ट्र में मौसम के बदलते मिजाज ने फूल विक्रेताओं की रोजी-रोटी पर असर डाला है। एक तरफ जहां, बेमौसम बारिश और तेज गर्मी से फूलों की फसल खराब हो रही…
मुंबई में एक फूल विक्रेता। परिवहन और मजदूरी की लागत के अलावा, पिछले 5-10 सालों में मौसम की मार ने असली फूलों की कीमतें बढ़ा दी हैं। तस्वीर: डिंपल बहल।
कॉप-29 के अध्यक्ष की ओर से आयोजित बैठक के दौरान कमरे का दृश्य। बाकू जलवायु वार्ता का समापन 300 अरब डॉलर के जलवायु वित्त समझौते के साथ हुआ। IISD-ENB | माइक मुज़ुराकिस द्वारा ली गई तस्वीर।

अविश्वास और नाराजगी के साये में 300 अरब डॉलर के वादे के साथ कॉप 29 का समापन

अजरबैजान के बाकू में जलवायु वार्ता रविवार सुबह संपन्न हो गई, जिसमें कई देशों की आपत्तियों के बावजूद, विकासशील देशों को 2035 तक 300 अरब डॉलर की वित्तीय मदद देने…
कॉप-29 के अध्यक्ष की ओर से आयोजित बैठक के दौरान कमरे का दृश्य। बाकू जलवायु वार्ता का समापन 300 अरब डॉलर के जलवायु वित्त समझौते के साथ हुआ। IISD-ENB | माइक मुज़ुराकिस द्वारा ली गई तस्वीर।
कार्बन बाजारों में पारदर्शिता को आगे बढ़ाने पर सत्र। तस्वीर फ्लिकर (CC BY-NC-SA 2.0) के जरिए UNclimatechange द्वारा ।

कॉप 29: आलोचनाओं के बीच कार्बन ट्रेडिंग के लिए नियम बनाने का काम तेज

अजरबैजान की राजधानी बाकू में चल रहे जलवायु सम्मेलन के पहले दिन कार्बन ट्रेडिंग को आसान बनाने से जुड़ा पेरिस समझौते का अनुच्छेद 6.4 अपनाया गया। यह सम्मेलन के शुरुआत…
कार्बन बाजारों में पारदर्शिता को आगे बढ़ाने पर सत्र। तस्वीर फ्लिकर (CC BY-NC-SA 2.0) के जरिए UNclimatechange द्वारा ।
12 जुलाई, 2011 की नासा की एक तस्वीर जो गर्मियों में पिघलते समय आर्कटिक की समुद्री बर्फ को दिखाती है। यह पिघली हुई बर्फ को दिखाती है, मीठे पानी के तालाब जो बर्फ की सतह पर गड्ढों में बनते हैं। ICESCAPE मिशन के शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं कि ये पिघले हुए तालाब आर्कटिक के महासागर रसायन विज्ञान, प्लवक की बढ़ोतरी और सूरज की रोशनी आने पर किस तरह प्रभावित करते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY 2.0) के जरिए नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर की ओर से ली गई तस्वीर।

पिघलते ग्लेशियर: एक्शन प्लान पर जल्द सहमति बनाने की जरूरत

भारतीय हिमालय में उत्तरी सिक्किम के छोटे से शहर चुंगथांग में 4 अक्टूबर, 2023 की आधी रात के आसपास लोग मूसलाधार बारिश के बीच भयावह आवाज से जागे। कुछ ही…
12 जुलाई, 2011 की नासा की एक तस्वीर जो गर्मियों में पिघलते समय आर्कटिक की समुद्री बर्फ को दिखाती है। यह पिघली हुई बर्फ को दिखाती है, मीठे पानी के तालाब जो बर्फ की सतह पर गड्ढों में बनते हैं। ICESCAPE मिशन के शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं कि ये पिघले हुए तालाब आर्कटिक के महासागर रसायन विज्ञान, प्लवक की बढ़ोतरी और सूरज की रोशनी आने पर किस तरह प्रभावित करते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY 2.0) के जरिए नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर की ओर से ली गई तस्वीर।
कॉप-29 11 नवंबर से अजरबैजान की राजधानी बाकू में शुरू हो चुका है। फ्लिकर के जरिए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन की ओर से हबीब समदोव की तस्वीर (CC BY-NC-SA 2.0)।

अजरबैजान में जलवायु शिखर सम्मेलन शुरू, ट्रम्प और वित्त दो बड़े मुद्दे

अजरबैजान की राजधानी बाकू में 11 नवंबर यानी सोमवार से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के सबसे बड़े एजेंडे को महज एक शब्द में समेटा जा सकता है:…
कॉप-29 11 नवंबर से अजरबैजान की राजधानी बाकू में शुरू हो चुका है। फ्लिकर के जरिए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन की ओर से हबीब समदोव की तस्वीर (CC BY-NC-SA 2.0)।
सूखे की स्थिति और मिट्टी की सतह के टूटने या सूखने से मिट्टी का कार्बन ऑक्सीडेशन के संपर्क में आता है, जिससे वातावरण में उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। फ्लिकर के जरिए वंदन देसाई की तस्वीर (CC BY-NC-ND 2.0)।

सूखे और मिट्टी की खराब होती सेहत से बढ़ रहा कार्बन उत्सर्जन

जलवायु विज्ञान से जुड़े शोधकर्ता जलवायु परिवर्तन का असर बढ़ाने वाले फीडबैक लूप के गंभीर होने के बारे में चिंतित हैं। गंभीर या पॉजिटिव फीडबैक लूप ऐसे तंत्र हैं जो…
सूखे की स्थिति और मिट्टी की सतह के टूटने या सूखने से मिट्टी का कार्बन ऑक्सीडेशन के संपर्क में आता है, जिससे वातावरण में उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। फ्लिकर के जरिए वंदन देसाई की तस्वीर (CC BY-NC-ND 2.0)।
रुद्रप्रयाग संगम पर मंदाकिनी नदी पर बने फुटब्रिज का टूटा हुआ सिरा। भूस्खलन की संवेदनशीलता का नया नक्शा पूर्वी घाट की भूस्खलन की संवेदनशीलता को दिखाता है, जो इस क्षेत्र के जोखिमों को समझने के लिए अहम जानकारी है। विकिमीडिया कॉमन्स के जरिए मुखर्जी की तस्वीर (CC BY-SA 3.0)।

भारत के नए भूस्खलन मानचित्र में हुआ पूर्वी घाटों का उल्लेख

भूस्खलन को जमीन पर सबसे विनाशकारी खतरों में से एक माना जाता है। इससे जान-माल का बहुत ज्यादा नुकसान होता है। कई विकासशील देशों में भूस्खलन से होने वाला आर्थिक…
रुद्रप्रयाग संगम पर मंदाकिनी नदी पर बने फुटब्रिज का टूटा हुआ सिरा। भूस्खलन की संवेदनशीलता का नया नक्शा पूर्वी घाट की भूस्खलन की संवेदनशीलता को दिखाता है, जो इस क्षेत्र के जोखिमों को समझने के लिए अहम जानकारी है। विकिमीडिया कॉमन्स के जरिए मुखर्जी की तस्वीर (CC BY-SA 3.0)।
हरियाणा के सिरसा में तालाब से मिट्टी हटाने का काम करते हुए मनरेगा मजदूर। तस्वीर- मुल्ख सिंह/विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।

वनक्षेत्र को बढ़ाने में मददगार हैं मनरेगा जैसी ग्रामीण रोजगार योजनाएं

वृक्षारोपण और आजीविका के बीच संबंधों की पड़ताल करने वाले एक नए शोध पत्र से पता चलता है कि मनरेगा जैसी सामाजिक कल्याणकारी योजनाएं आय और रोजगार प्रदान करने के…
हरियाणा के सिरसा में तालाब से मिट्टी हटाने का काम करते हुए मनरेगा मजदूर। तस्वीर- मुल्ख सिंह/विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए

बिहार में बाढ़ की एक बड़ी वजह कोसी में जमी गाद, क्या है समाधान?

नेपाल के सप्तरी जिले के 63 वर्षीय रामेश्वर यादव माहुली नदी के एक नंबर पुल से कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठे हैं। उनके साथ हैं 74…
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए