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पर्यटन के चरम सीजन के दौरान उजाड़ जोशीमठ बाजार से गुजरता एक व्यक्ति। तस्वीर-कुलदीप सिंह।

उत्तराखंडः पर्यटकों की कमी से जोशीमठ की अर्थव्यवस्था चरमराई

उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में फरवरी की एक धूप भरी दोपहर में  65 साल के मोतीराम जोशी अपने जनरल स्टोर पर लोगों के आने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि,…
पर्यटन के चरम सीजन के दौरान उजाड़ जोशीमठ बाजार से गुजरता एक व्यक्ति। तस्वीर-कुलदीप सिंह।
पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला

चामी मुर्मू: पेड़ और पानी से होते हुए पद्म श्री तक का सफर

32 साल में लगाए 30 लाख पेड़। हर दिन करीब 257 पौधे।   71 गांवों में चार अमृत सरोवर सहित कुल 217 तालाबों का निर्माण।  263 गांवों में बनाए 2873 स्वयं…
पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला
मध्य प्रदेश की बैगा आदिवासी महिलाएं। बैगा मूलतः वनवासी हैं, जो जंगलों में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में वनों की कटाई और विकास की गति ने उन्हें शहरों के नजदीकी स्थानों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है। (प्रतीकात्मक इमेज) तस्वीर-सैंडी और व्याज/विकिमीडिया कॉमन्स

बेहतर वन प्रबंधन के लिए आदिवासी समुदाय का नजरिया शामिल करना जरूरी

भारत में जंगल में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लिए जंगल का क्या मतलब है? क्या वे वन पारिस्थितिकी तंत्र को उसी तरह देखते हैं जैसे जंगल के बाहर के…
मध्य प्रदेश की बैगा आदिवासी महिलाएं। बैगा मूलतः वनवासी हैं, जो जंगलों में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में वनों की कटाई और विकास की गति ने उन्हें शहरों के नजदीकी स्थानों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है। (प्रतीकात्मक इमेज) तस्वीर-सैंडी और व्याज/विकिमीडिया कॉमन्स
अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई वाले पहाड़ पर चराई करता याक। छुरपी जैसे याक के दूध से बनी चीजें याक पालने वाले ब्रोकपा पशुपालक समुदाय के लिए आजीविका का बेहतर विकल्प बन रहे हैं। तस्वीर - सुरजीत शर्मा/मोंगाबे।

[वीडियो] याक के दूध से बनी चीजें ब्रोकपा समुदाय को दे रही आय के नए साधन

अरुणाचल प्रदेश के बाज़ारों में घूमते हुए आपको मौसमी कीवी, ख़ुरमा, मेवे वगैरह सहित कई तरह के स्थानीय व्यंजन मिल जाएंगे। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही राज्य में आने…
अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई वाले पहाड़ पर चराई करता याक। छुरपी जैसे याक के दूध से बनी चीजें याक पालने वाले ब्रोकपा पशुपालक समुदाय के लिए आजीविका का बेहतर विकल्प बन रहे हैं। तस्वीर - सुरजीत शर्मा/मोंगाबे।
कन्याकुमारी में मछली पकड़ने के घाट पर खड़े रॉबिन्सन जॉनसन और अन्य मछुआरे। तस्वीर: नारायण स्वामी सुब्बारामन/मोंगाबे

तमिलनाडु में चक्रवात ओखी के छह साल बाद भी मानसिक स्वास्थ्य से जूझते लोग

इस लेख में आपदा से बचे लोगों की मानसिक सेहत पर चर्चा की जा रही है। कुछ घटनाएं पाठकों को परेशान कर देने वाली हो सकती हैं। 30 नवंबर, 2017…
कन्याकुमारी में मछली पकड़ने के घाट पर खड़े रॉबिन्सन जॉनसन और अन्य मछुआरे। तस्वीर: नारायण स्वामी सुब्बारामन/मोंगाबे
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से के 70 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है।। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल

हसदेव अरण्य: विधानसभा के संकल्प, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के बावजूद बढ़ता कोयला खनन

छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है। राज्यपाल से लेकर विधानसभा तक ने, हसदेव अरण्य में कोयला खदानों पर रोक लगाने की बात कही…
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से के 70 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है।। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल
मालिया मछली बाज़ार। जिंजर झींगा (मेटापेनियस कचेंसिस) कच्छ की खाड़ी की एक स्थानिक प्रजाति है और इसकी मछली पकड़ना यहां आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे

कच्छ में बढ़ते नमक उत्पादन से सिमट रहा झींगा कारोबार

गुजरात के कच्छ का सूरजबाड़ी ब्रिज डीजल का धुआं, धूल, ट्रक और ट्रेन की आवाज से आपका स्वागत करता है। आगे बढ़ने पर उस ब्रिज से नमक का मैदान दिखना…
मालिया मछली बाज़ार। जिंजर झींगा (मेटापेनियस कचेंसिस) कच्छ की खाड़ी की एक स्थानिक प्रजाति है और इसकी मछली पकड़ना यहां आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे
पातालकोट इलाके में जड़ी बूटी बेचते भारिया आदिवासी। इनके अनुसार जंगल से मिलने वाली जड़ी-बूटियों की मात्रा कम होने से आमदनी में कमी आई है। तस्वीर- सतीश मालवीय/मोंगाबे

मध्य प्रदेश के जंगलों में क्यों कम हो रहा है औषधीय पौधों का उत्पादन

"हाथ में पैसा होगा तभी त्योहार मनाना अच्छा लगता है," रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से सटे मोरावन गांव की सहरिया आदिवासी बस्ती में…
पातालकोट इलाके में जड़ी बूटी बेचते भारिया आदिवासी। इनके अनुसार जंगल से मिलने वाली जड़ी-बूटियों की मात्रा कम होने से आमदनी में कमी आई है। तस्वीर- सतीश मालवीय/मोंगाबे
गुजरात के कच्छ में पनीर बनाने वाले अर्पण कलोत्रा और पंचाल डेयरी के भीमसिंहभाई घांघल बकरी के दूध से पनीर बनाते हुए। तस्वीर - पांचाल डेयरी।

भेड़, बकरी और ऊंटनी के दूध से बने चीज़ में बढ़ रही दिलचस्पी, बड़ा हो रहा बाजार

पिछले दिनों चेन्नई में अलग-अलग मवेशियों के दूध से बने चीज़ को टेस्ट करने का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। यहां रखी गई चीज़ की किस्मों में से एक ताजा…
गुजरात के कच्छ में पनीर बनाने वाले अर्पण कलोत्रा और पंचाल डेयरी के भीमसिंहभाई घांघल बकरी के दूध से पनीर बनाते हुए। तस्वीर - पांचाल डेयरी।
लिटिल रण ऑफ कच्छ में घूमते जंगली गधे। तस्वीर- रोहित कैडज़/विकिमीडिया कॉमन्स

गुजरात के दुर्लभ जंगली गधों के संरक्षण के लिये आगे आए कच्छ में नमक बनाने वाले अगरिया

नमक के मैदानों में डेरा डालने के लिए तेजल मकवाना अपना सामान पैक कर रही हैं। दशहरा के त्यौहार के बाद वह और उनके पति दानाभाई मकवाना किराए पर एक…
लिटिल रण ऑफ कच्छ में घूमते जंगली गधे। तस्वीर- रोहित कैडज़/विकिमीडिया कॉमन्स
गेपो आली की संस्थापक, डिमम पर्टिन (बीच में) अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के सिबुक गांव की महिला किसानों के साथ। गेपो आली स्थानीय महिलाओं की मदद से अन्यत जैसे पारंपरिक मोटे अनाज को नया जीवन देने के लिए काम करती हैं। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज/मोंगाबे।

अन्यत मिलेटः अरुणाचल की थाली में वापस आ रहा पारंपरिक खान-पान से जुड़ा मोटा अनाज

माटी पर्टिन अब इस दुनिया में नहीं है। 97 साल की उम्र में उनका निधन हुआ।  जैसे-जैसे पर्टिन की उम्र बढ़ती गईं, उन्हें अन्यत (एक तरह का मोटा अनाज) की…
गेपो आली की संस्थापक, डिमम पर्टिन (बीच में) अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के सिबुक गांव की महिला किसानों के साथ। गेपो आली स्थानीय महिलाओं की मदद से अन्यत जैसे पारंपरिक मोटे अनाज को नया जीवन देने के लिए काम करती हैं। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज/मोंगाबे।
मोहाली में सड़क पार करते पैदल यात्री। पंजाब ने इसी साल के मई महीने से राइट टु वॉक को लागू करने का फैसला किया है। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।

पंजाब ने पैदल चलने वालों को प्राथमिकता देने के लिए लागू की नीति

पंजाब ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत राइट टू वॉक को इसी साल मई के महीने में लागू किया है। इसके लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट…
मोहाली में सड़क पार करते पैदल यात्री। पंजाब ने इसी साल के मई महीने से राइट टु वॉक को लागू करने का फैसला किया है। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।
कर्नाटका के कोलार जिले में जलकुंभी से पटी कोलारम्मा झील का ड्रोन शॉट। कर्नाटक सरकार का केसी वैली प्रोजेक्ट बेंगलुरु के सेकेंडरी ट्रीटेड वेस्टवाटर को कोलार क्षेत्र में लाता है और उसे जलाशयों औऱ झीलों में भरता है ताकि इससे भूजल रीचार्ज किया जा सके। तस्वीर- आंजनेय रेड्डी।

क्या शहरों का गंदा पानी पिएंगे ग्रामीण भारत के लोग?

अगस्त के शुरुआती दिनों में कोलार भूरे और हरे रंग का दिख रहा था। जुलाई के महीने हुई अप्रत्याशित बारिश ने यहां के किसानों की उम्मीदें जगा दी थीं। कर्नाटक…
कर्नाटका के कोलार जिले में जलकुंभी से पटी कोलारम्मा झील का ड्रोन शॉट। कर्नाटक सरकार का केसी वैली प्रोजेक्ट बेंगलुरु के सेकेंडरी ट्रीटेड वेस्टवाटर को कोलार क्षेत्र में लाता है और उसे जलाशयों औऱ झीलों में भरता है ताकि इससे भूजल रीचार्ज किया जा सके। तस्वीर- आंजनेय रेड्डी।
नुब्रा वैली में सी बकथ्रॉन की झाड़ियों के बीच एक यूरेशियाई लिंक्स। तस्वीर- स्टैनज़िन चंबा।

लद्दाख: आम नागरिकों की पहल से कारगर हो रहा वन्यजीव संरक्षण

लेह में रहने वाले 35 वर्षीय स्टैनज़िन चंबा प्रकृति की खोज में लद्दाख के नुब्रा घाटी में बीते पांच साल से जा रहे हैं। लेह शहर से लगभग 160 किलोमीटर…
नुब्रा वैली में सी बकथ्रॉन की झाड़ियों के बीच एक यूरेशियाई लिंक्स। तस्वीर- स्टैनज़िन चंबा।
खेत में किसान। प्रतिकात्मक तस्वीर। तुम्मलापल्ले खदान के पास रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि यूरेनियम खदान के टेलिंग तालाब से अपशिष्ट भूजल में मिल रहा है, जिससे फसलों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। तस्वीर- सूरज मोंडोल/विकिमीडिया कॉमन्स 

यूरेनियम खदानों के पास रहने वाले लोगों ने कहा, प्रदूषण से उनकी सेहत और खेतों पर असर पड़ा

आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कडपा जिले के तुम्मलपल्ले और अन्य गांवों के पास यूरेनियम टेलिंग्स तालाब में यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) द्वारा खनन के संभावित प्रभावों के कारण,…
खेत में किसान। प्रतिकात्मक तस्वीर। तुम्मलापल्ले खदान के पास रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि यूरेनियम खदान के टेलिंग तालाब से अपशिष्ट भूजल में मिल रहा है, जिससे फसलों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। तस्वीर- सूरज मोंडोल/विकिमीडिया कॉमन्स 
पश्चिम बंगाल के हावड़ा में सब्जी बेचता एक विक्रेता। तस्वीरः बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स

खाने की पौष्टिकता को कम कर रहा बढ़ता कार्बन डाइऑक्साइड

वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर पौधों में प्रमुख खनिज पोषक तत्वों पर नकारात्मक असर डाल रहा है। इसकी वजह से उनमें पोषकता कम हो रही है। ‘ट्रेंड्स इन…
पश्चिम बंगाल के हावड़ा में सब्जी बेचता एक विक्रेता। तस्वीरः बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स
मुथलप्पोझी बंदरगाह, जो मछुआरों के लिए जोखिम भरा क्षेत्र है, के पास एक टूटी हुई नाव बह गई। तस्वीर- बेनेट जॉन।

केरलः संचार के नए माध्यमों से मॉनसून के दौरान सुरक्षित रहने के उपाय ढूंढते मछुआरे

अपनी छोटी नाव के आउटबोर्ड इंजन को चालू करते हुए, डेविडसन एंथोनी आदिमा, जिनकी उम्र 40 वर्ष के आसपास थी, केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 23 किलोमीटर उत्तर में, मुथलप्पोझी…
मुथलप्पोझी बंदरगाह, जो मछुआरों के लिए जोखिम भरा क्षेत्र है, के पास एक टूटी हुई नाव बह गई। तस्वीर- बेनेट जॉन।
गुजरात की स्वदेशी पाटनवाड़ी भेड़। तस्वीर-अज़रा परवीन रहमान 

गुजरात की स्थानीय पाटनवाड़ी ऊन और भेड़ों की मांग में गिरावट

जब हम गुजरात की देशी नस्ल की भेड़ पाटनवाड़ी की तलाश में निकले, तो हमें कच्छ का वह एक दिन काफी लंबा लगा था। काफी तलाश के बाद हमें कुछ…
गुजरात की स्वदेशी पाटनवाड़ी भेड़। तस्वीर-अज़रा परवीन रहमान 
चाय बागान श्रमिक। तस्वीर - CC BY-NC-SA 3.0 IGO © यूनेस्को-UNEVOC/अमिताव चंद्रा।

चाय बागान की महिला मजदूरों के लिए सर्पदंश बड़ा खतरा, हर साल होती हैं कई मौत

पाही भूमिज उस दिन को याद करके कांप उठती हैं। वह कहती हैं कि मौत से बच निकलने के लिए वह ऊपर वाले की शुक्रगुजार है। भूमिज असम के शिवसागर…
चाय बागान श्रमिक। तस्वीर - CC BY-NC-SA 3.0 IGO © यूनेस्को-UNEVOC/अमिताव चंद्रा।
आराम फरमाते गद्दी चरवाहे। तस्वीर- आशीष गुप्ता/विकिमीडिया कॉमन्स 

हिमाचल प्रदेश में चरवाहों के रास्तों पर चारे-पानी की कमी, पौधरोपण रोकने के आदेश से राहत

हिमाचल प्रदेश में सरकार की ओर से चलाई जा रही पौधरोपण की गतिविधियों ने चरवाहों के प्रति खतरों को बढ़ा दिया है इसके चलते खतरनाक जीवों का विस्तार हो रहा…
आराम फरमाते गद्दी चरवाहे। तस्वीर- आशीष गुप्ता/विकिमीडिया कॉमन्स 
खेत में मिलेट्स निकालती एक महिला किसान। तस्वीर- वर्षा सिंह/मोंगाबे

उत्तराखंडः आहार संस्कृति, कृषि विविधता और आजीविका से जुडा गढ़भोज अभियान

मंडुवे की रोटी, गहत की दाल, लिंगुड़े की भुज्जी, लाल भात, रायते में जख्या का तडका। देहरादून के 40 वीं वाहिनी पीएसी की पुलिस कैंटीन में जवान पूरी गर्मजोशी के…
खेत में मिलेट्स निकालती एक महिला किसान। तस्वीर- वर्षा सिंह/मोंगाबे
चकैया गांव के किसान, जिनका कहना है कि बारिश के महीने में यह इलाका पानी में डूब जाता है। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

रामसर साईट की दौड़ में पीछे छूटते बिहार के बड़े वेटलैंड्स, मानव निर्मित नागी-नकटी झील दावेदारी में आगे

मई के आखिरी दिनों में बिहार की सबसे बड़ी झीलों या वेटलैंड (आर्द्र भूमि) में से एक बरैला ताल में जलस्रोत की तलाश करना काफी मशक्कत भरा काम था। बिहार…
चकैया गांव के किसान, जिनका कहना है कि बारिश के महीने में यह इलाका पानी में डूब जाता है। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
ग्रेटर रैकेट-टेल्ड ड्रोंगो। भारत में इसे भीमराज और भृंगराज के नाम से जाना जाता है। तस्वीर- बी मैड शहंशाह बापी/विकिमीडिया कॉमन्स।

[वीडियो] आवाज से मिल रहा जंगल के बेहतर होने का जवाब, साउंडस्कैप की मदद से निगरानी

 “हम लैंटाना (विदेशी प्रजाति का एक पौधा) के प्रकोप से आजाद हैं,” मध्य भारत में स्थानीय समुदाय के एक सदस्य बसंत झारिया मुस्कुराते हुए कहते हैं। यह क्षेत्र कभी आक्रामक…
ग्रेटर रैकेट-टेल्ड ड्रोंगो। भारत में इसे भीमराज और भृंगराज के नाम से जाना जाता है। तस्वीर- बी मैड शहंशाह बापी/विकिमीडिया कॉमन्स।
धिनकिया में पोस्को के खिलाफ विरोध प्रदर्शन (2017 से पहले)। जेएसडब्ल्यू परियोजना के लिए भूमि पहले दक्षिण कोरियाई इस्पात प्रमुख पोस्को की परियोजना के लिए ली गई थी। समुदायों के एक दशक लंबे विरोध के चलते साल 2017 में पोस्को ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे। तस्वीर - विशेष व्यवस्था के तहत।

ओडिशा में जेएसडबल्यू के प्रोजेक्ट पर एनजीटी ने लगाई रोक, प्रदर्शनकारियों को राहत

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के पारादीप बंदरगाह पर जिंदल स्टील वर्क्स की सहायक कंपनी जेएसडब्ल्यू उत्कल की परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी (ईसी/EC) पर…
धिनकिया में पोस्को के खिलाफ विरोध प्रदर्शन (2017 से पहले)। जेएसडब्ल्यू परियोजना के लिए भूमि पहले दक्षिण कोरियाई इस्पात प्रमुख पोस्को की परियोजना के लिए ली गई थी। समुदायों के एक दशक लंबे विरोध के चलते साल 2017 में पोस्को ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे। तस्वीर - विशेष व्यवस्था के तहत।
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे

[वीडियो] मिथिला मखानः सांस्कृतिक पहचान को बचाने की राह में अनेक चुनौतियां

मखाना, वेटलैंड्स या आद्रभूमि में होने वाली फसल है। इसे मुख्यतः बिहार के पोखर, तालाबों और जलजमाव वाले क्षेत्रों में उपजाया जाता है। मखाना का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र मिथिला है…
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स

मंजूरी नहीं मिलने से अटकी अरुणाचल की एटालिन पनबिजली परियोजना, खतरे में थे 2.5 लाख पेड़

अरुणाचल प्रदेश के दिबांग नदी घाटी क्षेत्र में पनबिजली परियोजना को लेकर चिंतित पर्यावरणविदों और स्थानीय आबादी को बड़ी राहत मिली है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की…
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स
मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे

उत्तराखंड में किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा जैविक खेती का लाभ

उत्तराखंड में कोटद्वार से लगभग 100 किलोमीटर दूर पोखरा ब्लॉक के वीणाधार गांव में रहने वाली लता देवी पूरे दिन व्यस्त रहती हैं। अहले सुबह वो अपनी गाय को दूहती…
मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे
ओडिशा में लगभग 7,829 महिला स्वयं सहायता समूह पिछले पांच सालों से गांव के तालाबों में पोषण-संवेदनशील मछली पालन में शामिल हैं। तस्वीर- डेटौर ओडिशा/वर्ल्डफिश 

मछली पालन से पोषण को प्रोत्साहित करती ओडिशा की महिलाएं

लगभग डेढ़ दशक पहले तक ‘मोला मछली’ ओड़िया खाने का अभिन्न अंग थी। यह एक स्वदेशी प्रजाति की मछली है जिसे एंबलीफेरिंगोडोन मोला भी कहा जाता है। लेकिन बदलती जलवायु…
ओडिशा में लगभग 7,829 महिला स्वयं सहायता समूह पिछले पांच सालों से गांव के तालाबों में पोषण-संवेदनशील मछली पालन में शामिल हैं। तस्वीर- डेटौर ओडिशा/वर्ल्डफिश 
लोहरदगा जिला स्थित बगरू हिल पर मौजूद एक बॉक्साइट खदान की तस्वीर। जो खेत खनन के लिए नहीं लिए गए हैं, वह खनन के दौरान निकली धूल व बारिश के दिनों में बहकर आये खदानों के अपशिष्ट से खराब हो जाते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह

झारखंड में बॉक्साइट खनन से बंजर होती आदिवासियों की कृषि भूमि, गिरता भूजल स्तर

झारखंड के गुमला जिले में नेतरहाट पठार पर स्थित डुंबरपाठ एक आदिवासी आबादी वाला गांव है। यह गांव चारों ओर से बॉक्साइट की खदानों से घिरा है, जहां भारी मात्रा…
लोहरदगा जिला स्थित बगरू हिल पर मौजूद एक बॉक्साइट खदान की तस्वीर। जो खेत खनन के लिए नहीं लिए गए हैं, वह खनन के दौरान निकली धूल व बारिश के दिनों में बहकर आये खदानों के अपशिष्ट से खराब हो जाते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह
छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग की पशुपालन से संबंधित टॉस्क फोर्स की 2022 की एक रिपोर्ट कहती है कि राज्य के मवेशी अत्यंत कमज़ोर, अनुत्पादक, अल्प-उत्पादक व अलाभप्रद हैं।  तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल

कुपोषण से जूझ रहे हैं छत्तीसगढ़ के मवेशी, उत्पादकता और प्रजनन क्षमता पर असर

छत्तीसगढ़ के धमतरी के रहने वाले महेश चंद्राकर की गाय पिछले कई सप्ताह से बुखार से तप रही थी। उसका खाना-पीना कम हो गया था और वह बेहद कमज़ोर हो…
छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग की पशुपालन से संबंधित टॉस्क फोर्स की 2022 की एक रिपोर्ट कहती है कि राज्य के मवेशी अत्यंत कमज़ोर, अनुत्पादक, अल्प-उत्पादक व अलाभप्रद हैं।  तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल