पर्यावरण से जुड़ी सुर्खियां

प्रकृति और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों की खोज खबर। मोंगाबे एक गैर-लाभकारी संस्था है।

बेड़ो में मनरेगा के तहत हुए कामों को चित्र के जरिए उकेरा गया है। तस्वीर – विशाल कुमार जैन

दुनियाभर में आकार ले रहे कार्बन बाजार में शामिल हुआ झारखंड

पिछले साल जब अजरबैजान की राजधानी बाकू में दुनिया भर के देश और कई संगठन कार्बन ट्रेडिंग के नियमों पर मुहर लगा रहे थे, तब वहां से करीब 3,800 किलोमीटर…
बेड़ो में मनरेगा के तहत हुए कामों को चित्र के जरिए उकेरा गया है। तस्वीर – विशाल कुमार जैन
वर्कला की चट्टानों पर निर्माण गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं। रेस्तरां, रिसॉर्ट, पार्किंग स्थल और एक हेलीपैड यहां के परिदृश्य को एक नया रूप दे रहे हैं। तस्वीर- के.एस. सजिनकुमार 

जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों की वजह से खतरे में हैं वर्कला की चट्टानें

तिरुवनंतपुरम के उत्तरी हिस्से में स्थित वर्कला की चट्टानें अपनी हल्की सफेद, पीली, गेरुई, लाल-भूरी और सुनहरी रंगीन परतों के कारण दुनियाभर में मशहूर हैं। नवंबर का महीना शुरू होते…
वर्कला की चट्टानों पर निर्माण गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं। रेस्तरां, रिसॉर्ट, पार्किंग स्थल और एक हेलीपैड यहां के परिदृश्य को एक नया रूप दे रहे हैं। तस्वीर- के.एस. सजिनकुमार 
भारत में हाथियों की आबादी के पूरे जीनोम अनुक्रमण से पता चलता है कि इस प्रजाति की पांच आनुवंशिक रूप से अलग-अलग आबादी है। तस्वीर- चार्ल्स जे. शार्प, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)

हाथियों की आबादी और इतिहास की जीनोम मैपिंग

एशियाई हाथी देश में सबसे ज्यादा अध्ययन की जाने वाली प्रजातियों में से एक हैं। फिर भी, हर नया अध्ययन हाथियों की रहस्यमय दुनिया की एक नई परत खोलता है।…
भारत में हाथियों की आबादी के पूरे जीनोम अनुक्रमण से पता चलता है कि इस प्रजाति की पांच आनुवंशिक रूप से अलग-अलग आबादी है। तस्वीर- चार्ल्स जे. शार्प, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)
मेघालय के एक गांव मावकिरनॉट में एक लिविंग रूट ब्रिज को पार करती हुई कुछ खासी महिलाएं। तस्वीर: बरशा दास, मोंगाबे

मेघालयः जड़ों से जुड़ी परंपरा की कहानी बयां करते लिविंग रूट ब्रिज

बाहरी दुनिया के लिए मेघालय प्रकृति का अजूबा है, जो अपने धुंध से ढके पहाड़ों, कैनियन, घाटियों और झरनों से पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन जो लोग यहां के…
मेघालय के एक गांव मावकिरनॉट में एक लिविंग रूट ब्रिज को पार करती हुई कुछ खासी महिलाएं। तस्वीर: बरशा दास, मोंगाबे
पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लॉक का सुंदरई गांव। तस्वीर- रॉबिन चौहान

उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष: जान तो बची,पर जिंदगी नहीं

उत्तराखंड में रामनगर स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से लगे हुए तराई वेस्ट फॉरेस्ट डिवीजन में पड़ने वाले तौमडिया खत्ते में रहने वाले 30 साल के लियाकत अली वन गूजर हैं।…
पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लॉक का सुंदरई गांव। तस्वीर- रॉबिन चौहान
डिब्रू सैखोवा में रेत में घूमते जंगली घोड़े। तस्वीर- शमीखू चांगमाई 

कभी पालतू रहे जंगली घोड़ों की भारत में आखिरी आबादी

फरवरी 2020 में, कोविड-19 महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन लगने से ठीक पहले,असम के  तिनसुकिया वन्यजीव प्रभाग ने एक बड़ी सफलता हासिल की। ​​एक गुप्त सूचना के आधार पर,…
डिब्रू सैखोवा में रेत में घूमते जंगली घोड़े। तस्वीर- शमीखू चांगमाई 
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक और सोलन स्थित मशरूम अनुसंधान केंद्र के निर्देशक अनिल कुमार के अनुसार गुच्छी जलवायु परिवर्तन का शिकार है। तस्वीर- जिज्ञासा मिश्रा

कश्मीर में जंगली पौधों से बढ़ती है खाद्य सुरक्षा: अध्ययन

कश्मीर के पश्चिमी हिमालय में रहने वाले वहां के पहाड़ी समूह इस क्षेत्र के पारंपरिक ज्ञान को बचाए रखने के लिए भोजन का सहारा ले रहे हैं। स्थानीय भोजन को…
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक और सोलन स्थित मशरूम अनुसंधान केंद्र के निर्देशक अनिल कुमार के अनुसार गुच्छी जलवायु परिवर्तन का शिकार है। तस्वीर- जिज्ञासा मिश्रा
एक कारखाने में जलकुंभी से उत्पाद बनाती महिला श्रमिक। तस्वीर: रोप इंटरनेशनल से साभार।

जलकुम्भी जैसी खरपतवार से खुलते सफलता के रास्ते

असम के कामरूप जिले की रहने वाली मोरोमि हाज़ोवारी का सपना एक बेहतर ज़िन्दगी के साथ अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देना है। लेकिन इस सपने को सच करने में…
एक कारखाने में जलकुंभी से उत्पाद बनाती महिला श्रमिक। तस्वीर: रोप इंटरनेशनल से साभार।
लेप्चा परिवार में खाना पकाने के लिए बेहतर बनाया गया चूल्हा। ऐसे चूल्हे रसोई के लिए स्थायी समाधान उपलब्ध कराते हैं, बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और गांव और उसके आसपास वनों की कटाई को कम करते हैं। तस्वीर अभिषेक प्रधान द्वारा।

लेप्चा घरों में बेहतर चूल्हों से परंपरा को बचाकर संरक्षण की कोशिश [कमेंट्री]

पूर्वी हिमालय की तलहटी में बसा भारत के कलिम्पोंग जिले का लेप्चा समुदाय उन स्थानीय समूहों में शामिल है जो अपनी खास संस्कृति, भाषा और प्रकृति में रची-बसी जीवनशैली के…
लेप्चा परिवार में खाना पकाने के लिए बेहतर बनाया गया चूल्हा। ऐसे चूल्हे रसोई के लिए स्थायी समाधान उपलब्ध कराते हैं, बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और गांव और उसके आसपास वनों की कटाई को कम करते हैं। तस्वीर अभिषेक प्रधान द्वारा।
बाघों की आबादी का बढ़ना तभी संभव है जब शिकार भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो और गलियारों के जरिए बेहतर आवाजाही बनी रहे। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए डेविड राजू की तस्वीर।

कम होने के बाद भारत में ऐसे बढ़ी बाघों की तादाद

भारत ने साल 2022 तक बाघों की घटती आबादी को सफलतापूर्वक दोगुना कर लिया। भारत में बाघों पर हुए एक नए अध्ययन में 2006 से 2018 तक आबादी के रुझानों…
बाघों की आबादी का बढ़ना तभी संभव है जब शिकार भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो और गलियारों के जरिए बेहतर आवाजाही बनी रहे। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए डेविड राजू की तस्वीर।
ग्रामीण चरोतर क्षेत्र में मगर स्वच्छ तालाबों में रहते हैं और उन्हें पवित्र जीवों के रूप में पूजा जाता है। तस्वीर: तथागत भौमिक द्वारा।

मगरमच्छों को चाहिए शांत वातावरण, अशांत जगहों पर हो सकते हैं तनावग्रस्त

भारत में हुए एक नए शोध से पता चलता है कि रिहायशी इलाकों के आसपास रहने वाले मगरमच्छों (मगर) में तनाव का स्तर, कम रिहायशी या उनके लिए कम संघर्षपूर्ण…
ग्रामीण चरोतर क्षेत्र में मगर स्वच्छ तालाबों में रहते हैं और उन्हें पवित्र जीवों के रूप में पूजा जाता है। तस्वीर: तथागत भौमिक द्वारा।
बायोम्स ऑफ नीलगिरिस में पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाले असल मामले जैसे कि जैव विविधता का नुकसान, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष, गेमप्ले में शामिल किए गए हैं। तस्वीर - शैली सिन्हा द्वारा।

पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा दे रहे मजेदार गेम

कुछ महीनों पहले लॉन्च किया गया एक नया बोर्डगेम, खेलने वालों को नीलगिरी जीवमंडल के सफर पर ले जाता है। इसका नाम बायोम्स ऑफ नीलगिरिस है। यह गेम लोगों को…
बायोम्स ऑफ नीलगिरिस में पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाले असल मामले जैसे कि जैव विविधता का नुकसान, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष, गेमप्ले में शामिल किए गए हैं। तस्वीर - शैली सिन्हा द्वारा।
दक्षिण 24 परगना जिले में नामखाना में हतनिया दोआनिया नदी का दृश्य, यह राष्ट्रीय जलमार्ग - 97 का हिस्सा है। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए

जलवायु परिवर्तन से जूझते सुंदरबन में जल परिवहन व पर्यटन से चिंतित छोटे मछुआरे

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले का शिव कालीनगर गांव सुंदरबन के काकद्वीप पर बसा है। इस गांव के 34 वर्षीय मल्लाह पुलक दास उन परंपरागत मछुआरा परिवारों से…
दक्षिण 24 परगना जिले में नामखाना में हतनिया दोआनिया नदी का दृश्य, यह राष्ट्रीय जलमार्ग - 97 का हिस्सा है। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए
तेलंगाना में रागी का खेत। लंबे होते गर्मी के मौसम और ठंड के कम होते दिनों जैसे जलवायु के दुष्प्रभाव तमिलनाडु के किसानों को रागी जैसी लंबी अवधि के मोटे अनाज से चेना या कंगनी जैसे कम अवधि में तैयार होने वाले मोटे अनाज की ओर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। विकिमीडिया कॉमन्स  (CC BY-SA 4.0) के जरिए कावली चंद्रकांत KCK की तस्वीर।

मौसम के बारे में जानकारी, विविधता से मोटा अनाज उगाने वाले आदिवासियों को होगा फायदा

तमिलनाडु के नमक्कल जिले का पहाड़ी इलाका कोल्ली हिल्स समुद्र तल से 1,200 मीटर की ऊंचाई पर है। यह इलाका मोटे अनाज की खेती का गढ़ है। यहां की पहाड़ियों…
तेलंगाना में रागी का खेत। लंबे होते गर्मी के मौसम और ठंड के कम होते दिनों जैसे जलवायु के दुष्प्रभाव तमिलनाडु के किसानों को रागी जैसी लंबी अवधि के मोटे अनाज से चेना या कंगनी जैसे कम अवधि में तैयार होने वाले मोटे अनाज की ओर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। विकिमीडिया कॉमन्स  (CC BY-SA 4.0) के जरिए कावली चंद्रकांत KCK की तस्वीर।
धान के अपने खेत में देवलाल मुंडा। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे

प्राकृतिक खेती: उत्पादों के लिए बाजार सबसे बड़ी चुनौती, अलग एमएसपी की मांग

झारखंड में रामगढ़ जिले के कौड़ी गांव में रहने वाले देवलाल मुंडा डेढ़ एकड़ पुश्तैनी जमीन पर साल 2023 तक रसायनिक खेती कर रहे थे। जलवायु परिवर्तन और रासायनिक खाद…
धान के अपने खेत में देवलाल मुंडा। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे
खेल के मैदान में खेलते कुछ स्कूली बच्चे। भारत ने 2020 में अपनी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश की, लेकिन इस नीति में जलवायु परिवर्तन के कारण शिक्षा क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाएं है। तस्वीर- शैलेष श्रीवास्तव

चरम मौसम की घटनाओं के कारण स्कूलों में बढ़ती छुट्टियां और पढ़ाई का नुकसान

साल 2023 में, अपने मौसम के लिए मशहूर राज्य मेघालय में पहली बार हीटवेव के चलते स्कूलों को बंद करने की घोषणा करनी पड़ी थी। इस राज्य में आमतौर पर मौसम…
खेल के मैदान में खेलते कुछ स्कूली बच्चे। भारत ने 2020 में अपनी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश की, लेकिन इस नीति में जलवायु परिवर्तन के कारण शिक्षा क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाएं है। तस्वीर- शैलेष श्रीवास्तव
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में महावत और उनके हाथी। सीताजी, विकिमीडिया कॉमन्स [CC BY-SA 4.0]।

काजीरंगा में महावतों का साहस और उनकी विरासत

मई 2004 की एक तपती सुबह, वन अधिकारियों और पशु चिकित्सकों की एक टीम असम के गोलाघाट जिले में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य (केएनपीटीआर) की अगोराटोली रेंज के…
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में महावत और उनके हाथी। सीताजी, विकिमीडिया कॉमन्स [CC BY-SA 4.0]।
उधवा पक्षी अभयारण्य में लेसर एडजुटेंट। तस्वीर- मिथिलेश दत्ता द्विवेदी

झारखंड में ‘लेसर एडजुटेंट’ की आबादी बढ़ी, खेतों ने दिया अनुकूल आवास

झारखंड के बोकारो जिले में लेसर एडजुटेंट स्टॉर्क (लेप्टोप्टिलोस जावानिकस) की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जहां 14 अलग-अलग स्थानों पर 385 लेसर एडजुटेंट देखे गए। यह…
उधवा पक्षी अभयारण्य में लेसर एडजुटेंट। तस्वीर- मिथिलेश दत्ता द्विवेदी
कर्नाटक के ग्रैंडपाज़ फार्म में सूखते हुए कोको बीन्स। तस्वीर- नवीन कृष्णा शास्त्री

दुनिया में कोको की कमी के बीच, भारतीय किसानों ने बढ़ाया रकबा

सैंतालीस साल के नवीनकृष्णा शास्त्री सी.जी. का कर्नाटक के पुनाचा में 20 एकड़ का बड़ा खेत है, जिसमें कई तरह की फसलें होती हैं। ग्रैंडपाज़ फार्म से जाने जाने वाले…
कर्नाटक के ग्रैंडपाज़ फार्म में सूखते हुए कोको बीन्स। तस्वीर- नवीन कृष्णा शास्त्री
नागा कार्यकर्ता सेनो त्सुहा व्याख्यान देती हुई। सेनो त्सुहा के सौजन्य से तस्वीर।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पारंपरिक तरीकों को जीवनदान देती नागालैंड की एक कार्यकर्ता [इंटरव्यू]

नागालैंड की हरी-भरी पहाड़ियों में बसे फेक जिले में, समुदाय की भावनाएं हर गांव में गूंजती हैं। पूर्वोत्तर-भारतीय राज्य के इन गांवों में कई युवा और महिला समाज और आदिवासी…
नागा कार्यकर्ता सेनो त्सुहा व्याख्यान देती हुई। सेनो त्सुहा के सौजन्य से तस्वीर।
श्रीनगर की डल झील में खड़ा एक शिकारा। तस्वीर- अथर परवेज 

डल झील में बढ़ते प्रदूषण और चिनार के पेड़ों की कटाई से संरक्षणवादी चिंतित

अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर कश्मीर, आज भी लोगों के लिए एक पसंदीदा पर्यटन स्थल है। लेकिन धीरे-धीरे डल झील में बढ़ता प्रदूषण और विकास के नाम पर चिनार…
श्रीनगर की डल झील में खड़ा एक शिकारा। तस्वीर- अथर परवेज 
सौरव बोरकाटकी द्वारा 2 अगस्त, 2024 को सोनितपुर जिले के बिहागुरी क्षेत्र से बचाया गया रसल्स वाइपर। तस्वीर - सौरव बोरकाटकी।

रसल्स वाइपर के बारे में अफवाहों से असम में बढ़ती सांपों को मारने की घटनाएं

पिछले साल जुलाई में असम के डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप में कुछ किसान उस समय डर गए जब उन्होंने, जिस खेत में वो काम कर रहे थे उसमें एक मोटा,…
सौरव बोरकाटकी द्वारा 2 अगस्त, 2024 को सोनितपुर जिले के बिहागुरी क्षेत्र से बचाया गया रसल्स वाइपर। तस्वीर - सौरव बोरकाटकी।
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में ऑलिव रिडले कछुआ। 2025 के सामूहिक प्रजनन के मौसम की शुरुआत के साथ, अलग-अलग प्रजातियों की हजारों मादा भारत के समुद्र तट पर आने वाली हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए अनिरनॉय की तस्वीर।

कछुओं के अंडे देने की जगहों को बचाने में स्थानीय लोगों की भागीदारी जरूरी

दक्षिण भारतीय राज्य केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में अरब सागर क्रिसमस के बाद की ठंडी रातों में अक्सर शांत रहता है। तारों से जगमगाती रात में रेतीला तट चमकता है।…
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में ऑलिव रिडले कछुआ। 2025 के सामूहिक प्रजनन के मौसम की शुरुआत के साथ, अलग-अलग प्रजातियों की हजारों मादा भारत के समुद्र तट पर आने वाली हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए अनिरनॉय की तस्वीर।
युवा सोलिगा, शशि अपने घर के पास जंगली साग-सब्जियां खोजती हुई। आदिवासी बुजुर्गों का कहना है कि युवा पीढ़ी में जंगली खाद्य पौधों के बारे में पारंपरिक ज्ञान कम होता जा रहा है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।

जंगल के खाने में छुपा पोषण का रहस्य

शंखमादम्मा और डुंडम्मा कर्नाटक की आदिवासी बस्ती कीरनहोला पोडु में अपने घर के बरामदे में बैठकर दोपहर का खाना खा रही हैं। चटक नीले रंग के इस घर की दीवारों…
युवा सोलिगा, शशि अपने घर के पास जंगली साग-सब्जियां खोजती हुई। आदिवासी बुजुर्गों का कहना है कि युवा पीढ़ी में जंगली खाद्य पौधों के बारे में पारंपरिक ज्ञान कम होता जा रहा है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।
टैक्सोनॉमिस्ट जिनी जैकब एक प्रयोगशाला में नमूने का निरीक्षण करते हुए। उन्हें 2024 में ओशन सेंसस अवार्ड से सम्मानित किया गया, क्योंकि उन्होंने 60 से अधिक नेमाटोड प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया है, जिनमें से चार का उन्होंने औपचारिक रूप से वर्णन किया है। तस्वीर सौजन्य: जिनी जैकब।

खूबसूरत सूक्ष्मजीव नेमाटोड्स की रहस्यमयी दुनिया

टैक्सोनॉमिस्ट जिनि जैकब को बचपन से ही सूक्ष्म जीवों की दुनिया में काफी रूचि थी। स्कूल के दिनों में, चींटियां और अन्य छोटे कीड़े उनके जिज्ञासा के विषय होते थे,…
टैक्सोनॉमिस्ट जिनी जैकब एक प्रयोगशाला में नमूने का निरीक्षण करते हुए। उन्हें 2024 में ओशन सेंसस अवार्ड से सम्मानित किया गया, क्योंकि उन्होंने 60 से अधिक नेमाटोड प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया है, जिनमें से चार का उन्होंने औपचारिक रूप से वर्णन किया है। तस्वीर सौजन्य: जिनी जैकब।
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।

धान के खेतों में उगते साग को थाली तक लाने की कोशिश

साल 2014 में तमिलनाडु के पोलाची शहर में अपने खेतों से गुजरते समय श्रीदेवी लक्ष्मीकुट्टी ने दिलचस्प बात देखी। आस-पास के खेतों की कई महिलाएं खर-पतवार के रूप में उगने…
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।
ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले में कोयला खदान में जारी काम। फ्लिकर (CC BY-NC-SA 2.0) के जरिए इंडिया वाटर पोर्टल की तस्वीर।

खनन वाले इलाकों में कोयले की धूल से पेड़-पौधों को हो रहा नुकसान

ओडिशा में किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि किस प्रकार उपग्रह से प्राप्त चित्र कोयला खनन की धूल से वनस्पतियों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को तय…
ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले में कोयला खदान में जारी काम। फ्लिकर (CC BY-NC-SA 2.0) के जरिए इंडिया वाटर पोर्टल की तस्वीर।
विशेषज्ञ वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पूरे क्षेत्र (एयरशेड) के आधार पर कार्य करने की सलाह देते हैं। तस्वीर- जीन-एटिने मिन्ह-ड्यू पोइरी, फ्लिकर (CC BY-SA 2.0) 

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: धूल में मिलते लक्ष्य, मुख्य प्रदूषकों की अनदेखी

साल 2019 में जब राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम या नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम शुरू किया गया था, तो इसने भारत के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों के लिए बड़े लक्ष्य निर्धारित…
विशेषज्ञ वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पूरे क्षेत्र (एयरशेड) के आधार पर कार्य करने की सलाह देते हैं। तस्वीर- जीन-एटिने मिन्ह-ड्यू पोइरी, फ्लिकर (CC BY-SA 2.0) 
मुथलापोझी बंदरगाह में नए विझिनजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का प्रबंधन करने वाले अडानी पोर्ट को दुर्घटनाओं के लिए दोषी ठहराया जा रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने बंदरगाह के मुहाने की गाद निकालने का अपना वादा पूरा नहीं किया है। तस्वीर- सरिता एस. बालन, मोंगाबे

केरलः मुथलापोझी फिशिंग हार्बर में लगातार होती मछुआरों की मौतों के लिए जिम्मेदार कौन

केरल के त्रिवेंद्रम में विझिनजम तट पर बने भारत के पहले गहरे पानी के कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, ‘विझिनजम इंटरनैशनल सीपोर्ट’ ने पिछले साल जुलाई में चीन से आए पहले बड़े…
मुथलापोझी बंदरगाह में नए विझिनजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का प्रबंधन करने वाले अडानी पोर्ट को दुर्घटनाओं के लिए दोषी ठहराया जा रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने बंदरगाह के मुहाने की गाद निकालने का अपना वादा पूरा नहीं किया है। तस्वीर- सरिता एस. बालन, मोंगाबे
खून की जांच कराता हुआ व्यक्ति। जीबीएस अक्सर वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण के बाद होता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जीका उनमें से एक है। Pexels [CC0] के जरिए प्रणिदचकन बुक्रोम की प्रतिनिधि तस्वीर।

पुणे: जीका, जीबीएस के प्रकोप से निगरानी और डेटा के बेहतर इस्तेमाल की जरूरत

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने बुलेटिन में कहा है कि साल 2024 के आखिर तक पुणे में जीका के 151 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, दुर्लभ तरीके के न्यूरोलॉजिकल…
खून की जांच कराता हुआ व्यक्ति। जीबीएस अक्सर वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण के बाद होता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जीका उनमें से एक है। Pexels [CC0] के जरिए प्रणिदचकन बुक्रोम की प्रतिनिधि तस्वीर।