पर्यावरण से जुड़ी सुर्खियां

प्रकृति और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों की खोज खबर। मोंगाबे एक गैर-लाभकारी संस्था है।

याक एवरेस्ट बेस कैंप तक आवश्यक सामान पहुंचाते हैं। ये जानवर न केवल कृषि जैव विविधता के संरक्षण और ऊंचाई पर स्थित चारागाहों के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि हिमालय के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक परंपराओं, आजीविका और सामाजिक-आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण हैं। तस्वीर: चेंको डेमा द्वारा।

बदलते मौसम से कैसे प्रभावित हो रहा है याक का प्रजनन

नामचे बाजार नेपाल में स्थानीय शेरपा समुदाय का एक गांव है। यहां से एक खड़ी चढाई वाला रास्ता नेपाल के एवरेस्ट क्षेत्र में स्यांगबोचे के घास के मैदानों तक ले…
याक एवरेस्ट बेस कैंप तक आवश्यक सामान पहुंचाते हैं। ये जानवर न केवल कृषि जैव विविधता के संरक्षण और ऊंचाई पर स्थित चारागाहों के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि हिमालय के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक परंपराओं, आजीविका और सामाजिक-आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण हैं। तस्वीर: चेंको डेमा द्वारा।
नागौरी पान मेथी से डंठल निकालती महिलाएं। पान मेथी में पहली पांच कटिंग तक डंठल बहुत कम आते हैं। इसके बाद डंठल बढ़ने लगते हैं। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे

पाकिस्तानी कसूरी मेथी नहीं, नागौरी पान मेथी कहिए, राजस्थान में जीआई टैग की मांग

राजस्थान के नागौर जिले की रेतीली मिट्टी में उगने वाली पान मेथी अपनी खुशबू और स्वाद के लिए दुनिया भर में मशहूर है। लेकिन हैरानी की बात है कि यह…
नागौरी पान मेथी से डंठल निकालती महिलाएं। पान मेथी में पहली पांच कटिंग तक डंठल बहुत कम आते हैं। इसके बाद डंठल बढ़ने लगते हैं। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे
महाराष्ट्र के पुणे में इंद्रायणी नदी पर बना एक तटबंध। तस्वीर- चकितनव्यास, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।

बाढ़ सुरक्षा संरचनाओं के बावजूद, बाढ़ की स्थिति और गंभीर क्यों हो रही है?

बाढ़ नियंत्रण हमेशा से ही भारतीय सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन रहा है। 2007 से अब तक राष्ट्रीय योजनाओं के जरिए बाढ़ सुरक्षा उपायों पर 13,000 करोड़ रुपये (130…
महाराष्ट्र के पुणे में इंद्रायणी नदी पर बना एक तटबंध। तस्वीर- चकितनव्यास, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।
जागरूकता पैदा करने के अपने लक्ष्य के एक हिस्से के तौर पर बीएमसी सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्यकर्ताओं को आक्रामक प्रजातियों की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिए प्रशिक्षित करता है। तस्वीर: पुल्लूर पेरिया पंचायत बीएमसी के सौजन्य से।

स्थानीय सहयोग से एक सहायक नदी को फिर से जीवित करने की कहानी

केरल का कासरगोड जिला 12 नदियों का घर है, जिनमें से चिथारी इसके तटीय इलाके से होकर गुजरने वाली एक छोटी सी नदी है। चिथारी नदी इरिया कस्बे के पास…
जागरूकता पैदा करने के अपने लक्ष्य के एक हिस्से के तौर पर बीएमसी सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्यकर्ताओं को आक्रामक प्रजातियों की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिए प्रशिक्षित करता है। तस्वीर: पुल्लूर पेरिया पंचायत बीएमसी के सौजन्य से।

बदलते भूमि उपयोग और नई सड़कों से प्रभावित होती जंगली शाकाहारी जानवरों की आबादी

बड़े स्तनधारियों की धीमी प्रजनन दर और जगह बदलते रहने की आदत की वजह से उन्हें बड़े परिक्षेत्र की आवश्यकता होती है। इसी के चलते उनके रहने की जगहों के…
स्पाइनी-टेल्ड लिजार्ड। तस्वीर- टी.आर.शंकर रमन, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) 

अवैध तेल व्यापार और घटते आवास ने राजस्थान की स्पाइनी टेल्ड लिजार्ड को खतरे में डाला

राजस्थान के पोखरण इलाके के विशाल, शुष्क घास के मैदानों में एक ऐसा छोटा, बिल में रहने वाला सरीसृप पाया जाता है, जिसे ढूंढ पाना आसान नहीं होता। स्पाइनली टेल्ड…
स्पाइनी-टेल्ड लिजार्ड। तस्वीर- टी.आर.शंकर रमन, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) 
मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कृपेकापुरा गांव में खेत में काम करते किसान। तस्वीर: नरवरिया, विकिमीडिया कॉमन्स (CC-BY-SA 4.0) द्वारा।

ओजोन प्रदूषण से फसलों के उत्पादन पर होगा असर, गेहूं पर सबसे अधिक प्रभाव

असामान्य मौसम की वजह से हर साल गेहूं की खेती करने वाले किसान कई चुनौतियों का सामना कर रहे है, लेकिन भविष्य में फसल के साथ चुनौतियां बढ़ने की वाली…
मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कृपेकापुरा गांव में खेत में काम करते किसान। तस्वीर: नरवरिया, विकिमीडिया कॉमन्स (CC-BY-SA 4.0) द्वारा।
गुजरात में एक सौर ऊर्जा संयंत्र। सोलर बिजली का उत्पादन स्थापित सोलर पैनल क्षमता और साइट की सोलर क्षमता पर निर्भर करता है। तस्वीर: Citizenmj द्वारा विकिमीडिआ कॉमन्स (CC-BY-SA-3.0) के माध्यम से।

बढ़ती गर्मी और प्रदूषण से प्रभावित होगी सोलर पैनलों की उत्पादन क्षमता: अध्ययन

भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों में सौर ऊर्जा को सबसे महत्वपूर्ण माना है। इसी के चलते भारत ने साल 2030 तक 100 गीगावाट सौर बिजली के…
गुजरात में एक सौर ऊर्जा संयंत्र। सोलर बिजली का उत्पादन स्थापित सोलर पैनल क्षमता और साइट की सोलर क्षमता पर निर्भर करता है। तस्वीर: Citizenmj द्वारा विकिमीडिआ कॉमन्स (CC-BY-SA-3.0) के माध्यम से।
पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में टीबी के मरीज का एक्स-रे देखता हुआ डॉक्टर। फ्लिकर (CC BY-NC-ND 2.0) के जरिए ILO एशिया-पैसिफिक की तस्वीर।

टीबी के मामले बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन का परोक्ष हाथ, मिल रहे संकेत

वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया भर में तापमान में बढ़ोतरी का दुष्प्रभाव टीबी पर भी दिख रहा है जिस पर अब तक कम ध्यान दिया गया है। इसलिए इस…
पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में टीबी के मरीज का एक्स-रे देखता हुआ डॉक्टर। फ्लिकर (CC BY-NC-ND 2.0) के जरिए ILO एशिया-पैसिफिक की तस्वीर।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के धान, गेहूं और गन्ने की खेती वाली पट्टी में मानसून के 12 में से सिर्फ दो हफ़्तों में सामान्य बारिश हुई। किसान इससे बड़ी दिक्कत में हैं। तस्वीर: ঈশান জ্যোতি বৰা, Wikimedia Commons (CC BY-SA 4.0) द्वारा।

सिंधु-गंगा के मैदानों में बारिश के बदलाव से खेती पर पड़ता प्रभाव

धान की खेती के लिए मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के किसान मोहसिन खान जानते हैं कि आने वाला समय उनके लिए दिक्कतों से भरा होने वाला है।…
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के धान, गेहूं और गन्ने की खेती वाली पट्टी में मानसून के 12 में से सिर्फ दो हफ़्तों में सामान्य बारिश हुई। किसान इससे बड़ी दिक्कत में हैं। तस्वीर: ঈশান জ্যোতি বৰা, Wikimedia Commons (CC BY-SA 4.0) द्वारा।
काली गाजर की सफाई करते तुलसी राम माली। तस्वीर- विशाल कुमार जैन

काली गाजर की खेती को बढ़ावा देने की कोशिश, पोषण सुरक्षा के लिए काम की चीज

राजस्थान में चूरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे में रेलवे फाटक संख्या चार से आगे जाने वाली सड़क के दोनों तरफ आपको पक्के मकान दिखेंगे। डेढ़ किलोमीटर लंबी इस सड़क पर…
काली गाजर की सफाई करते तुलसी राम माली। तस्वीर- विशाल कुमार जैन
रेहड़ी वाले और दिहाड़ी मजदूर बढ़ती गर्मी से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले तबकों में से एक हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY SA 4.0) के जरिए अवात्रावा की तस्वीर।

सरकारी विभागों में तालमेल का अभाव से बेअसर होते भीषण गर्मी से निपटने के उपाय

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) का पूर्वानुमान है कि इस साल गर्मियों में देश के ज्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। दिन और रात में ज्यादा तापमान के अलावा,…
रेहड़ी वाले और दिहाड़ी मजदूर बढ़ती गर्मी से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले तबकों में से एक हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY SA 4.0) के जरिए अवात्रावा की तस्वीर।
मजबूत बाजार मांग के बावजूद, विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश मसाला चीन और वियतनाम से आता है, क्योंकि स्थानीय उत्पादन घट रहा है। तस्वीर- सुरजीत शर्मा

[वीडियो] अरुणाचल प्रदेश में जायकेदार मसाला चक्र फूल की हो रही वापसी

अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिमालय पर समुद्र तल से 2,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित न्युकमाडुंग गाँव में करीब 100 परिवार रहते हैं। जब पहाड़ों की चोटियों पर सुबह की…
मजबूत बाजार मांग के बावजूद, विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश मसाला चीन और वियतनाम से आता है, क्योंकि स्थानीय उत्पादन घट रहा है। तस्वीर- सुरजीत शर्मा
नीलगिरी तमिलनाडु का एक महत्वपूर्ण कृषि जिला है जो पूरे दक्षिण भारत में कृषि उपज वितरित करता है। यहाँ खेती में रसायनों का अत्यधिक उपयोग एक गंभीर चिंता का विषय है। तस्वीर- अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।

क्या ऑर्गेनिक फसलों के बाजार दिला पाएंगे नीलगिरि को रासायनिक खेती से मुक्ति?

तमिलनाडु के कूनूर में मशहूर सिम्स पार्क के सामने स्थित हॉर्टिकल्चर केंद्र पिछले साल जून में प्रदेश के नीलगिरि जिले से आए आर्गेनिक या जैविक खेती करने वाले किसानों के…
नीलगिरी तमिलनाडु का एक महत्वपूर्ण कृषि जिला है जो पूरे दक्षिण भारत में कृषि उपज वितरित करता है। यहाँ खेती में रसायनों का अत्यधिक उपयोग एक गंभीर चिंता का विषय है। तस्वीर- अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।
हाल के सालों में भारत सरकार ने कोयला खनन में तेजी लाई है। अगले 10 सालों में उत्पादन बढ़ाकर 1500 मिलियन टन से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा गया है। तस्वीर सौजन्य- पीआईबी

झारखंड: जस्ट ट्रांजिशन के बीच नई कोयला खदानों और थर्मल प्लांट का बढ़ता दायरा

झारखंड में बड़कागांव प्रखंड के गोंदलपुरा गांव में प्रवेश करने से ठीक पहले सदानीरा ददमाही नदी आपका स्वागत करती है। यहां के बहु-फसली खेतों में लोग अपनी फसलों की देखभाल…
हाल के सालों में भारत सरकार ने कोयला खनन में तेजी लाई है। अगले 10 सालों में उत्पादन बढ़ाकर 1500 मिलियन टन से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा गया है। तस्वीर सौजन्य- पीआईबी
कचरा इकट्ठा करने वाला ट्रक। तस्वीर- अर्ने हकेलहेम, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 3.0) 

मैक्रोप्लास्टिक कचरे से होने वाला उत्सर्जन भारत में सबसे ज्यादा

नेचर जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाला उत्सर्जन भारत में सबसे अधिक है। दुनिया भर में होने वाले कुल प्लास्टिक उत्सर्जन…
कचरा इकट्ठा करने वाला ट्रक। तस्वीर- अर्ने हकेलहेम, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 3.0) 
नेपाल के गैदाहवा के जंगल में देखी गई नीलगाय। तस्वीर - मुकेश पोखरेल।

नीलगाय के हमलों से किसानों को भारी नुकसान, खेती छोड़ने पर मजबूर

तीन साल पहले दक्षिण-पश्चिमी नेपाल के गैदाहवा गांव के किसान राम चंद्र कुर्मी ने अपने छोटे-से खेत में सब्जी उगाना छोड़ दिया। 39 साल के कुर्मी कभी खेती करके पांच…
नेपाल के गैदाहवा के जंगल में देखी गई नीलगाय। तस्वीर - मुकेश पोखरेल।
ओडिशा में धान के खेत पर छाए हुए घने बादल। राज्य में मैलेडोसिस संक्रमण भारी बारिश, बहुत ज्यादा आर्द्रता, बादलों का ज्यादा होना और कम धूप की स्थिति के दौरान सबसे अधिक होता है। ओडिशा में, ये परिस्थितियां आधे साल तक बनी रहती हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए चिन्मयी मिश्रा की तस्वीर।

ओडिशा में मौसम पर आधारित एक दुर्लभ बीमारी की उभरती जानकारियां

एक सूक्ष्म जीवविज्ञानी और एक जलवायु मॉडलिंग वैज्ञानिक के बीच हुई एक आकस्मिक मुलाकात से ओडिशा में समय और जगह के आधार पर उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी के बारे में पता…
ओडिशा में धान के खेत पर छाए हुए घने बादल। राज्य में मैलेडोसिस संक्रमण भारी बारिश, बहुत ज्यादा आर्द्रता, बादलों का ज्यादा होना और कम धूप की स्थिति के दौरान सबसे अधिक होता है। ओडिशा में, ये परिस्थितियां आधे साल तक बनी रहती हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए चिन्मयी मिश्रा की तस्वीर।
बेड़ो में मनरेगा के तहत हुए कामों को चित्र के जरिए उकेरा गया है। तस्वीर – विशाल कुमार जैन

दुनियाभर में आकार ले रहे कार्बन बाजार में शामिल हुआ झारखंड

पिछले साल जब अजरबैजान की राजधानी बाकू में दुनिया भर के देश और कई संगठन कार्बन ट्रेडिंग के नियमों पर मुहर लगा रहे थे, तब वहां से करीब 3,800 किलोमीटर…
बेड़ो में मनरेगा के तहत हुए कामों को चित्र के जरिए उकेरा गया है। तस्वीर – विशाल कुमार जैन
वर्कला की चट्टानों पर निर्माण गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं। रेस्तरां, रिसॉर्ट, पार्किंग स्थल और एक हेलीपैड यहां के परिदृश्य को एक नया रूप दे रहे हैं। तस्वीर- के.एस. सजिनकुमार 

जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों की वजह से खतरे में हैं वर्कला की चट्टानें

तिरुवनंतपुरम के उत्तरी हिस्से में स्थित वर्कला की चट्टानें अपनी हल्की सफेद, पीली, गेरुई, लाल-भूरी और सुनहरी रंगीन परतों के कारण दुनियाभर में मशहूर हैं। नवंबर का महीना शुरू होते…
वर्कला की चट्टानों पर निर्माण गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं। रेस्तरां, रिसॉर्ट, पार्किंग स्थल और एक हेलीपैड यहां के परिदृश्य को एक नया रूप दे रहे हैं। तस्वीर- के.एस. सजिनकुमार 
भारत में हाथियों की आबादी के पूरे जीनोम अनुक्रमण से पता चलता है कि इस प्रजाति की पांच आनुवंशिक रूप से अलग-अलग आबादी है। तस्वीर- चार्ल्स जे. शार्प, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)

हाथियों की आबादी और इतिहास की जीनोम मैपिंग

एशियाई हाथी देश में सबसे ज्यादा अध्ययन की जाने वाली प्रजातियों में से एक हैं। फिर भी, हर नया अध्ययन हाथियों की रहस्यमय दुनिया की एक नई परत खोलता है।…
भारत में हाथियों की आबादी के पूरे जीनोम अनुक्रमण से पता चलता है कि इस प्रजाति की पांच आनुवंशिक रूप से अलग-अलग आबादी है। तस्वीर- चार्ल्स जे. शार्प, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)
मेघालय के एक गांव मावकिरनॉट में एक लिविंग रूट ब्रिज को पार करती हुई कुछ खासी महिलाएं। तस्वीर: बरशा दास, मोंगाबे

मेघालयः जड़ों से जुड़ी परंपरा की कहानी बयां करते लिविंग रूट ब्रिज

बाहरी दुनिया के लिए मेघालय प्रकृति का अजूबा है, जो अपने धुंध से ढके पहाड़ों, कैनियन, घाटियों और झरनों से पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन जो लोग यहां के…
मेघालय के एक गांव मावकिरनॉट में एक लिविंग रूट ब्रिज को पार करती हुई कुछ खासी महिलाएं। तस्वीर: बरशा दास, मोंगाबे
पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लॉक का सुंदरई गांव। तस्वीर- रॉबिन चौहान

उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष: जान तो बची,पर जिंदगी नहीं

उत्तराखंड में रामनगर स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से लगे हुए तराई वेस्ट फॉरेस्ट डिवीजन में पड़ने वाले तौमडिया खत्ते में रहने वाले 30 साल के लियाकत अली वन गूजर हैं।…
पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लॉक का सुंदरई गांव। तस्वीर- रॉबिन चौहान
डिब्रू सैखोवा में रेत में घूमते जंगली घोड़े। तस्वीर- शमीखू चांगमाई 

कभी पालतू रहे जंगली घोड़ों की भारत में आखिरी आबादी

फरवरी 2020 में, कोविड-19 महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन लगने से ठीक पहले,असम के  तिनसुकिया वन्यजीव प्रभाग ने एक बड़ी सफलता हासिल की। ​​एक गुप्त सूचना के आधार पर,…
डिब्रू सैखोवा में रेत में घूमते जंगली घोड़े। तस्वीर- शमीखू चांगमाई 
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक और सोलन स्थित मशरूम अनुसंधान केंद्र के निर्देशक अनिल कुमार के अनुसार गुच्छी जलवायु परिवर्तन का शिकार है। तस्वीर- जिज्ञासा मिश्रा

कश्मीर में जंगली पौधों से बढ़ती है खाद्य सुरक्षा: अध्ययन

कश्मीर के पश्चिमी हिमालय में रहने वाले वहां के पहाड़ी समूह इस क्षेत्र के पारंपरिक ज्ञान को बचाए रखने के लिए भोजन का सहारा ले रहे हैं। स्थानीय भोजन को…
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक और सोलन स्थित मशरूम अनुसंधान केंद्र के निर्देशक अनिल कुमार के अनुसार गुच्छी जलवायु परिवर्तन का शिकार है। तस्वीर- जिज्ञासा मिश्रा
एक कारखाने में जलकुंभी से उत्पाद बनाती महिला श्रमिक। तस्वीर: रोप इंटरनेशनल से साभार।

जलकुम्भी जैसी खरपतवार से खुलते सफलता के रास्ते

असम के कामरूप जिले की रहने वाली मोरोमि हाज़ोवारी का सपना एक बेहतर ज़िन्दगी के साथ अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देना है। लेकिन इस सपने को सच करने में…
एक कारखाने में जलकुंभी से उत्पाद बनाती महिला श्रमिक। तस्वीर: रोप इंटरनेशनल से साभार।
लेप्चा परिवार में खाना पकाने के लिए बेहतर बनाया गया चूल्हा। ऐसे चूल्हे रसोई के लिए स्थायी समाधान उपलब्ध कराते हैं, बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और गांव और उसके आसपास वनों की कटाई को कम करते हैं। तस्वीर अभिषेक प्रधान द्वारा।

लेप्चा घरों में बेहतर चूल्हों से परंपरा को बचाकर संरक्षण की कोशिश [कमेंट्री]

पूर्वी हिमालय की तलहटी में बसा भारत के कलिम्पोंग जिले का लेप्चा समुदाय उन स्थानीय समूहों में शामिल है जो अपनी खास संस्कृति, भाषा और प्रकृति में रची-बसी जीवनशैली के…
लेप्चा परिवार में खाना पकाने के लिए बेहतर बनाया गया चूल्हा। ऐसे चूल्हे रसोई के लिए स्थायी समाधान उपलब्ध कराते हैं, बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और गांव और उसके आसपास वनों की कटाई को कम करते हैं। तस्वीर अभिषेक प्रधान द्वारा।
बाघों की आबादी का बढ़ना तभी संभव है जब शिकार भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो और गलियारों के जरिए बेहतर आवाजाही बनी रहे। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए डेविड राजू की तस्वीर।

कम होने के बाद भारत में ऐसे बढ़ी बाघों की तादाद

भारत ने साल 2022 तक बाघों की घटती आबादी को सफलतापूर्वक दोगुना कर लिया। भारत में बाघों पर हुए एक नए अध्ययन में 2006 से 2018 तक आबादी के रुझानों…
बाघों की आबादी का बढ़ना तभी संभव है जब शिकार भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो और गलियारों के जरिए बेहतर आवाजाही बनी रहे। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए डेविड राजू की तस्वीर।
ग्रामीण चरोतर क्षेत्र में मगर स्वच्छ तालाबों में रहते हैं और उन्हें पवित्र जीवों के रूप में पूजा जाता है। तस्वीर: तथागत भौमिक द्वारा।

मगरमच्छों को चाहिए शांत वातावरण, अशांत जगहों पर हो सकते हैं तनावग्रस्त

भारत में हुए एक नए शोध से पता चलता है कि रिहायशी इलाकों के आसपास रहने वाले मगरमच्छों (मगर) में तनाव का स्तर, कम रिहायशी या उनके लिए कम संघर्षपूर्ण…
ग्रामीण चरोतर क्षेत्र में मगर स्वच्छ तालाबों में रहते हैं और उन्हें पवित्र जीवों के रूप में पूजा जाता है। तस्वीर: तथागत भौमिक द्वारा।
बायोम्स ऑफ नीलगिरिस में पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाले असल मामले जैसे कि जैव विविधता का नुकसान, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष, गेमप्ले में शामिल किए गए हैं। तस्वीर - शैली सिन्हा द्वारा।

पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा दे रहे मजेदार गेम

कुछ महीनों पहले लॉन्च किया गया एक नया बोर्डगेम, खेलने वालों को नीलगिरी जीवमंडल के सफर पर ले जाता है। इसका नाम बायोम्स ऑफ नीलगिरिस है। यह गेम लोगों को…
बायोम्स ऑफ नीलगिरिस में पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाले असल मामले जैसे कि जैव विविधता का नुकसान, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष, गेमप्ले में शामिल किए गए हैं। तस्वीर - शैली सिन्हा द्वारा।