Articles by Meena Menon

वधावन तट से शैलफिश और मोलस्क इकट्ठा करती मछुआरिन। तस्वीर - मीना मेनन।

मछुआरों के विरोध के बावजूद महाराष्ट्र में बंदरगाह परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी

महाराष्ट्र का वधावन गांव दहानू तालुका में स्थित है। यहां अंतर-ज्वारीय क्षेत्र पांच वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह क्षेत्र हरे समुद्री शैवाल या उलवा और नरम मैरून और…
वधावन तट से शैलफिश और मोलस्क इकट्ठा करती मछुआरिन। तस्वीर - मीना मेनन।
खेत में किसान। प्रतिकात्मक तस्वीर। तुम्मलापल्ले खदान के पास रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि यूरेनियम खदान के टेलिंग तालाब से अपशिष्ट भूजल में मिल रहा है, जिससे फसलों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। तस्वीर- सूरज मोंडोल/विकिमीडिया कॉमन्स 

यूरेनियम खदानों के पास रहने वाले लोगों ने कहा, प्रदूषण से उनकी सेहत और खेतों पर असर पड़ा

आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कडपा जिले के तुम्मलपल्ले और अन्य गांवों के पास यूरेनियम टेलिंग्स तालाब में यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) द्वारा खनन के संभावित प्रभावों के कारण,…
खेत में किसान। प्रतिकात्मक तस्वीर। तुम्मलापल्ले खदान के पास रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि यूरेनियम खदान के टेलिंग तालाब से अपशिष्ट भूजल में मिल रहा है, जिससे फसलों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। तस्वीर- सूरज मोंडोल/विकिमीडिया कॉमन्स 
धिनकिया में पोस्को के खिलाफ विरोध प्रदर्शन (2017 से पहले)। जेएसडब्ल्यू परियोजना के लिए भूमि पहले दक्षिण कोरियाई इस्पात प्रमुख पोस्को की परियोजना के लिए ली गई थी। समुदायों के एक दशक लंबे विरोध के चलते साल 2017 में पोस्को ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे। तस्वीर - विशेष व्यवस्था के तहत।

ओडिशा में जेएसडबल्यू के प्रोजेक्ट पर एनजीटी ने लगाई रोक, प्रदर्शनकारियों को राहत

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के पारादीप बंदरगाह पर जिंदल स्टील वर्क्स की सहायक कंपनी जेएसडब्ल्यू उत्कल की परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी (ईसी/EC) पर…
धिनकिया में पोस्को के खिलाफ विरोध प्रदर्शन (2017 से पहले)। जेएसडब्ल्यू परियोजना के लिए भूमि पहले दक्षिण कोरियाई इस्पात प्रमुख पोस्को की परियोजना के लिए ली गई थी। समुदायों के एक दशक लंबे विरोध के चलते साल 2017 में पोस्को ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे। तस्वीर - विशेष व्यवस्था के तहत।
वैज्ञानिकों ने जंगली कपास को उन्नत किस्म में बदलने का प्रयास किया है। फोटो- एससीसीएफ नेटिव लैंडस्केप एंड गार्डन सेंटर

भारत में रंगीन कपास पर तीन दशक से चल रहा प्रयोग, अगले साल तक खेतों में लहलहा सकती है फसल

कपास या रूई का नाम सुनते ही हमारे जेहन में सफेद रंग की छवि बनती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कपास भी रंग बिरंगा होता है? दुनिया भर…
वैज्ञानिकों ने जंगली कपास को उन्नत किस्म में बदलने का प्रयास किया है। फोटो- एससीसीएफ नेटिव लैंडस्केप एंड गार्डन सेंटर