Articles by Soumya Sarkar

ब्राजील में जी-20 देशों की बैठक के बावजूद बाकू शिखर सम्मेलन में जलवायु वित्त पर वार्ता गतिरोध में

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और उसके अनुकूल होने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराने पर सहमति बनाने के लिए बाकू में एकत्रित हुए लगभग 200 देशों के…
12 जुलाई, 2011 की नासा की एक तस्वीर जो गर्मियों में पिघलते समय आर्कटिक की समुद्री बर्फ को दिखाती है। यह पिघली हुई बर्फ को दिखाती है, मीठे पानी के तालाब जो बर्फ की सतह पर गड्ढों में बनते हैं। ICESCAPE मिशन के शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं कि ये पिघले हुए तालाब आर्कटिक के महासागर रसायन विज्ञान, प्लवक की बढ़ोतरी और सूरज की रोशनी आने पर किस तरह प्रभावित करते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY 2.0) के जरिए नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर की ओर से ली गई तस्वीर।

पिघलते ग्लेशियर: एक्शन प्लान पर जल्द सहमति बनाने की जरूरत

भारतीय हिमालय में उत्तरी सिक्किम के छोटे से शहर चुंगथांग में 4 अक्टूबर, 2023 की आधी रात के आसपास लोग मूसलाधार बारिश के बीच भयावह आवाज से जागे। कुछ ही…
12 जुलाई, 2011 की नासा की एक तस्वीर जो गर्मियों में पिघलते समय आर्कटिक की समुद्री बर्फ को दिखाती है। यह पिघली हुई बर्फ को दिखाती है, मीठे पानी के तालाब जो बर्फ की सतह पर गड्ढों में बनते हैं। ICESCAPE मिशन के शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं कि ये पिघले हुए तालाब आर्कटिक के महासागर रसायन विज्ञान, प्लवक की बढ़ोतरी और सूरज की रोशनी आने पर किस तरह प्रभावित करते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY 2.0) के जरिए नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर की ओर से ली गई तस्वीर।
कॉप-29 11 नवंबर से अजरबैजान की राजधानी बाकू में शुरू हो चुका है। फ्लिकर के जरिए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन की ओर से हबीब समदोव की तस्वीर (CC BY-NC-SA 2.0)।

अजरबैजान में जलवायु शिखर सम्मेलन शुरू, ट्रम्प और वित्त दो बड़े मुद्दे

अजरबैजान की राजधानी बाकू में 11 नवंबर यानी सोमवार से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के सबसे बड़े एजेंडे को महज एक शब्द में समेटा जा सकता है:…
कॉप-29 11 नवंबर से अजरबैजान की राजधानी बाकू में शुरू हो चुका है। फ्लिकर के जरिए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन की ओर से हबीब समदोव की तस्वीर (CC BY-NC-SA 2.0)।
कांचीपुरम के बाहर एक मिल में चावल सुखाते और भूसी निकालते मजदूर। भारत की दलील है कि कृषि प्रणालियों में बदलाव के किसी भी क्रांतिकारी कदम से देश की चावल की खेती और इसके बड़े पशुधन क्षेत्र को नुकसान होगा। तस्वीर - लंदन, यूके से मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स।

कॉप28: जलवायु चर्चा में पहली बार दिखा खेती-बाड़ी का मुद्दा, दूर रहा भारत

बढ़ते तापमान पर अंकुश लगाने के तरीक़ों पर लगभग तीन दशकों से गहन बातचीत हो रही है। इस दौरान सालाना संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में खेती-बाड़ी को प्रमुखता से…
कांचीपुरम के बाहर एक मिल में चावल सुखाते और भूसी निकालते मजदूर। भारत की दलील है कि कृषि प्रणालियों में बदलाव के किसी भी क्रांतिकारी कदम से देश की चावल की खेती और इसके बड़े पशुधन क्षेत्र को नुकसान होगा। तस्वीर - लंदन, यूके से मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स।
[व्याख्या] जस्ट ट्रांजिशन: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में पीछे छूटते लोगों की वकालत

जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन में तेजी: जी-7 के साथ साझेदारी से पहले कोयला श्रमिकों के हितों पर भारत को देना होगा ध्यान

हाल ही में जी-7 देशों ने इंडोनेशिया के साथ एक साझेदारी की घोषणा की है। इसका मकसद जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन (just energy transition) में तेजी लाते हुए जीवाश्म ईंधनों से…
[व्याख्या] जस्ट ट्रांजिशन: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में पीछे छूटते लोगों की वकालत
पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने और 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान की सीमा को पहुंच के भीतर रखने के लिए उत्सर्जन में भारी कटौती जरूरी है। तस्वीर- आईआईएसडी/ईएनबी।

कॉप27: लॉस एंड डैमेज फंड पर सहमति, अन्य मुद्दों पर अटका जलवायु शिखर सम्मेलन

मिस्र में संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन - कॉप27 में सालों तक न-नुकुर के बाद आखिरकार अमीर देशों को गरीब देशों की मदद के लिए आगे आना पड़ा…
पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने और 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान की सीमा को पहुंच के भीतर रखने के लिए उत्सर्जन में भारी कटौती जरूरी है। तस्वीर- आईआईएसडी/ईएनबी।
मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में ग्रीन हाइड्रोजन और डीकार्बोनाइजिंग अर्थव्यवस्थाओं में इसकी भूमिका चर्चा का एक अहम बिंदु रहा है। तस्वीर: आईआईएसडी/ईएनबी

कॉप27ः ग्रीन हाइड्रोजन पर भारत की पहल, दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में कर सकता है मदद

भारत ने लंबी अवधि के लिए अपनी कम उत्सर्जन वाली विकास रणनीति की घोषणा कर दी है। इसकी घोषणा मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन कॉप27 में…
मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में ग्रीन हाइड्रोजन और डीकार्बोनाइजिंग अर्थव्यवस्थाओं में इसकी भूमिका चर्चा का एक अहम बिंदु रहा है। तस्वीर: आईआईएसडी/ईएनबी
कॉप27 के दौरान मिस्र के शर्म-अल-शेख में विभिन्न संगठनों ने जीवाश्म ईंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया। तस्वीर- आईआईएसडी

कॉप27: जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के भारत के आह्वान में शामिल हुए कई देश

मिस्र में शर्म अल-शेख में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन (कॉप27) में भारत द्वारा कोयले के अलावा सभी जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल में तेजी से कमी लाने के प्रस्ताव को…
कॉप27 के दौरान मिस्र के शर्म-अल-शेख में विभिन्न संगठनों ने जीवाश्म ईंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया। तस्वीर- आईआईएसडी
आशा के साथ शुरू हुए कॉप27 का समापन निराशाजनक न रह जाए

आशा के साथ शुरू हुए कॉप27 का समापन निराशाजनक न रह जाए

मिस्र के शर्म-अल-शेख में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन – कॉप27 बीते एक सप्ताह से चल रहा है। बैठक की शुरुआत लॉस एंड डैमेज के मुद्दे के आधिकारिक एजेंडे में…
आशा के साथ शुरू हुए कॉप27 का समापन निराशाजनक न रह जाए

कॉप27: जलवायु एजेंडा में शामिल हुआ ‘लॉस एंड डैमेज’ का मुद्दा, रंग लाई भारत की कोशिशें

पूर्वी मिस्र में शर्म-अल-शेख में आयोजित कॉप27 (COP27) संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन से एक आशावादी जानकारी सामने आई है। सभी भाग लेने वाले देशों ने सम्मेलन के आधिकारिक एजेंडे पर…
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप27: जलवायु संकट में फंसी दुनिया क्या मिस्र में खोज पाएगी समाधान

मध्य भारत में स्थित छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के घने जंगलों में एक कोयला खनन परियोजना का विरोध चल रहा है। इसका विरोध करने वाले गोंड आदिवासी नहीं जानते कि…
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
केरल में निर्माण श्रमिक। कई भारतीयों को अपने काम की प्रकृति के कारण गर्मियों में लंबे समय तक कड़ी धूप में रहना पड़ता है। तस्वीर- अरकर्जुन/विकिमीडिया कॉमन्स

जलवायु परिवर्तन का कहर, बढ़ गए हैं हीटवेव वाले दिन

देश के कई हिस्सों में गर्मी का कहर अब असहनीय हो चला है। गर्मी के इस कहर को दिल्ली के बाहरी इलाके नोएडा में एक रिक्शा चालक सुनील दास की…
केरल में निर्माण श्रमिक। कई भारतीयों को अपने काम की प्रकृति के कारण गर्मियों में लंबे समय तक कड़ी धूप में रहना पड़ता है। तस्वीर- अरकर्जुन/विकिमीडिया कॉमन्स
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप-26: ग्लासगो वार्ता में बेचे गए बस सपने, आर्थिक मदद और ठोस कार्रवाई नदारद

दो सप्ताह की बातचीत के बाद ग्लासगो में चल रहा संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन शनिवार को समाप्त हो गया।  आखिर में जो हासिल हुआ उसे आयोजकों ने उपलब्धि बताई…
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
क्लाइमेट जस्टिस की मांग को लेकर ग्लासगो में कॉप 26 सम्मेलन स्थल पर प्रदर्शन करते प्रदर्शनकारी। तस्वीर- सौम्य सरकार/मोंगाबे

कॉप-26: मौसमी आपदाएं बढ़ रहीं हैं, क्या लॉस एंड डैमेज को लेकर बात होगी!

ग्लासगो में चल रहा संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन अब खत्म होने की कगार पर है। अब इस समझौते में सक्रिय राजनयिक और वार्ताकार के बीच इस बात को लेकर जद्दोजहद…
क्लाइमेट जस्टिस की मांग को लेकर ग्लासगो में कॉप 26 सम्मेलन स्थल पर प्रदर्शन करते प्रदर्शनकारी। तस्वीर- सौम्य सरकार/मोंगाबे
ग्लासगो शहर में चल रहे कॉप 26 शिखर वार्ता के दौरान कई तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ब्ला ब्ला ब्लाह के पोस्टर यहां काफी देखे जा रहे हैं, जिसका अर्थ है सम्मेलन में वैश्विक नेता बे मतलब की बातें कर रहे हैं, जबकि युवा तत्काल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई चाहते हैं। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप-26: बढ़ते प्राकृतिक आपदा के बीच क्या ग्लासगो भी एक खानापूर्ति का मंच बनकर रह जाएगा?

शनिवार और रविवार को ग्लासगो की सड़कों पर खासा रौनक थी। दुनिया भर से आए हजारों हजार लोग रंगीन पोस्टर, गीत-संगीत, नारेबाजी के माध्यम से कॉप-26 में मौजूद राजनीतिज्ञों, उद्योगपतियों…
ग्लासगो शहर में चल रहे कॉप 26 शिखर वार्ता के दौरान कई तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ब्ला ब्ला ब्लाह के पोस्टर यहां काफी देखे जा रहे हैं, जिसका अर्थ है सम्मेलन में वैश्विक नेता बे मतलब की बातें कर रहे हैं, जबकि युवा तत्काल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई चाहते हैं। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
तमिलनाडु स्थित एक ताप ऊर्जा संयंत्र। कोविड-19 महामारी का प्रकोप कम होने पर ऊर्जा जरूरत की पूर्ति के लिए भारत में कोयले की खपत बढ़ी है। तस्वीर- राजकुमार/विकिमीडिया कॉमन्स 

कॉप-26 और भारत: वैश्विक कार्बन बजट, न्याय की लड़ाई और विकासशील देशों का नेतृत्व

कोविड-19 महामारी की वजह से विश्व भर में लगे लॉकडाउन ने कार्बन उत्सर्जन में थोड़ी कमी जरूर की थी। पर वैश्विक अर्थव्यवस्था खुलने के साथ उत्सर्जन भी तेजी से बढ़ा…
तमिलनाडु स्थित एक ताप ऊर्जा संयंत्र। कोविड-19 महामारी का प्रकोप कम होने पर ऊर्जा जरूरत की पूर्ति के लिए भारत में कोयले की खपत बढ़ी है। तस्वीर- राजकुमार/विकिमीडिया कॉमन्स 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को सौर ऊर्जा ग्रिड के पहले अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के की घोषणा की। इसे ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव – वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड के रूप में सामने रखा गया। तस्वीर- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन/कियारा वर्थ

कॉप-26: ग्रीन ग्रिड के सपने की राह में खड़ी हैं ढेरों तकनीकी और राजनैतिक चुनौतियां

ग्लासगो में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में भारत और यूके द्वारा स्वच्छ ऊर्जा के विस्तार के बाबत दुनिया के बिजली पावर ग्रिड को जोड़ने की संयुक्त पहल…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को सौर ऊर्जा ग्रिड के पहले अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के की घोषणा की। इसे ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव – वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड के रूप में सामने रखा गया। तस्वीर- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन/कियारा वर्थ
पवन चक्की से कुछ दूर जलावन के लिए लकड़ियां इकट्ठा करता एक किसान। नेट जीरो को लेकर भारत की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर जानकारों की राय है कि वर्तमान स्थिति में भारत की नीति निर्माण में भारी विरोधाभास है। तस्वीर- वेस्तास/याहू/फ्लिकर

कॉप 26: नेट-जीरो की घोषणा कर भारत ने ग्लासगो क्लाइमेट सम्मेलन में किया ऊर्जा का संचार

ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन की शुरुआत में ही एक बड़ा मोड़ आया जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बड़ी घोषणाएं की और दुनिया को चौंका…
पवन चक्की से कुछ दूर जलावन के लिए लकड़ियां इकट्ठा करता एक किसान। नेट जीरो को लेकर भारत की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर जानकारों की राय है कि वर्तमान स्थिति में भारत की नीति निर्माण में भारी विरोधाभास है। तस्वीर- वेस्तास/याहू/फ्लिकर
पचास साल में हुई डेढ़ लाख मौत, हर प्राकृतिक आपदा लेती है औसतन 20 लोगों की जान

कॉप-26ः ग्लासगो के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सिर्फ वादों से नहीं थमने वाला ग्लोबल वार्मिंग

जब संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख कहते हैं कि हम भीषण जलवायु आपदा की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं तो यह सबके लिए चिंता का विषय होना चाहिए। देखना…
पचास साल में हुई डेढ़ लाख मौत, हर प्राकृतिक आपदा लेती है औसतन 20 लोगों की जान
महाराष्ट्र के सतारा में बाढ़ के दौरान बह चुकी सड़क। इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में बारिश के दिनों की संख्या कम होती है लेकिन कुछ दिनों में भारी से अत्यधिक बारिश होती है जिससे शहरी क्षेत्रों में बाढ़ आती है और गांवों में फसलों को नुकसान होता है। तस्वीर- वर्षा देशपांडे/विकिमीडिया कॉमन्स

मॉनसून 2021: मौसम की चरम घटनाएं अब होती जा रहीं हैं सामान्य

कभी-कभी आंकड़े सच्चाई दिखाने की बजाय छिपा ले जाते हैं। इस साल के मानसून को ही लें। बीते सितंबर महीने में, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 2021 के मानसून को…
महाराष्ट्र के सतारा में बाढ़ के दौरान बह चुकी सड़क। इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में बारिश के दिनों की संख्या कम होती है लेकिन कुछ दिनों में भारी से अत्यधिक बारिश होती है जिससे शहरी क्षेत्रों में बाढ़ आती है और गांवों में फसलों को नुकसान होता है। तस्वीर- वर्षा देशपांडे/विकिमीडिया कॉमन्स
दक्षिण एशिया की फसल को टिड्डी ने इस तरह तबाह कर दिया। फोटो- खाद्य एवं कृषि संस्था

टिड्डी दल पर प्रयोग हुए कीटनाशक का असर इंसान और दूसरे जीवों पर भी

इस साल देश में टिड्डी दलों का बड़ा हमला हुआ था। मार्च 2020 से शुरू हुए इस हमले के बाद करीब पांच महीने तक टिड्डियों ने देश के कई हिस्सों…
दक्षिण एशिया की फसल को टिड्डी ने इस तरह तबाह कर दिया। फोटो- खाद्य एवं कृषि संस्था